प्रश्न. 19वीं शताब्दी में सामाजिक-धार्मिक सुधारों का स्वरूप क्या था तथा उन्होंने भारत में राष्ट्रीय जागृति में कैसे योगदान दिया? प्रश्न. भारतीय पुनर्जागरण की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें? प्रश्न. रामकृष्ण ने किस तरह से हिंदू धर्म में एक नया जोश और गत्यात्मकता का संचार किया? प्रारंभिक परीक्षा हेतु प्रश्नप्रश्न.. राजा राम मोहन राय के बारे में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए: (A) केवल 1 प्रश्न. आर्य समाज के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (A) केवल 1 और 3 प्रश्न. सत्य शोधक समाज का संबंध किस आंदोलन से था? (A) बिहार में आदिवासियों के उत्थान के लिये एक आंदोलन × उन्नीसवीं सदी के भारत के सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन से जुड़े प्रमुख मुद्दे क्या थे?इस आंदोलन का मुख्यतः प्रसार शिक्षित समूह एवं शहरी क्षेत्रों तक रहा। इस दृष्टि से इसका स्वरूप मध्यवर्गीय दिखाई देता है। इतना ही नहीं, सुधारकों की मांगे जैसे- सती प्रथा, विधवा प्रथा, प्रदा प्रथा, बहुपत्नी प्रथा की समाप्ति प्रायः समाज के मध्य या उच्च वर्ग से संबंधित थी।
भारत में 19वीं शताब्दी के सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन के अग्रणी कौन थे?आर्य समाज Aarya Samaj. 19वीं शताब्दी के महान सुधारकों में स्वामी दयानंद सरस्वती प्रमुख थे।
19वीं शताब्दी में सामाजिक और धार्मिक सुधारों के प्रमुख कारण क्या थे?(1) धार्मिक व सामाजिक कुप्रथाएँ-19वीं शताब्दी का भारत अनेक धार्मिक व सामाजिक कुरीतियों से ग्रसित था। धर्म के क्षेत्र में अनेक कर्मकाण्डों का प्रचलन था, तो सामाजिक क्षेत्र में छुआछूत, सती प्रथा, बाल-विवाह तथा विधवा विवाह निषेध का प्रचलन था। ऐसी दशा में भारतीय चिन्तकों ने समाज में व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता अनुभव की।
सामाजिक सुधार आन्दोलन का १९वीं शताब्दी में भारतीय समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?सामाजिक सुधार अधिनियम मुख्यत: 19वीं शताब्दी में लाये गए। इस शताब्दी के सुधार आन्दोलन ने केवल धार्मिक सुधार के क्षेत्र को ही नहीं, बल्कि समाज सुधार को भी अपना लक्ष्य बनाया। तत्कालीन समाज में व्याप्त ऐसी कई कुप्रथाओं, जैसे- सती प्रथा, बाल विवाह, बाल हत्या, जातीय भेदभाव आदि को इन आंदोलनों ने अपना निशाना बनाया।
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