15 अक्टूबर को क्या मनाया जाता है? - 15 aktoobar ko kya manaaya jaata hai?

15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसे भारत के पूर्व राष्ट्रपति व महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जन्म दिवस के उपलक्ष्य पर मनाया जाता है। 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने 15 अक्टूबर को “विश्व छात्र दिवस” के रूप में मनाये जाने की घोषणा की थी।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम

डॉ. अवुल पाकिर जैनुलब्दीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम में हुआ था। वे भारत के 11वें राष्ट्रपति थे, वे 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति रहे। इससे पहले उन्होंने रक्षा अनुसन्धान व विकास संगठन (DRDO) तथा भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (ISRO) में लगभग 4 दशकों तक वैज्ञानिक तथा साइंस एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में कार्य किया। भारत के नागरिक अन्तरिक्ष कार्यक्रम तथा सैन्य मिसाइल विकास कार्यक्रम में उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही। मिसाइल विकास कार्यक्रम में योगदान के लिए उन्हें “मिसाइल मैन ऑफ़ इन्डिया” कहा जाता है।

इसके अलावा 1998 में किये गये पोखरण-II परमाणु परीक्षण में भी उनकी काफी महत्वपूर्ण भूमिका थी। वर्ष 1997 में उन्हें उनके योगदान के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। वर्ष 2009 में उन्हें हुवर मैडल प्रदान किया गया तथा 2013 में NSS वोन ब्राउन अवार्ड से सम्मानित किया गया।

डॉ. कलाम एक प्रसिद्ध लेखक भी थे, उनकी पुस्तकें विशेषतः छात्रों में काफी लोकप्रिय हैं। डॉ. कलाम द्वारा रचित प्रमुख पुस्तकें हैं : इंडिया 2020, विंग्स ऑफ़ फायर, इग्नाइटेड माइंडस, द लुमिनस स्पार्क्स, मिशन इंडिया, इंस्पायरिंग थॉट्स, इन्डोमिटेबल स्पिरिट, टर्निंग पॉइंट्स, टारगेट 3 बिलियन, फोर्ज योर फ्यूचर, ट्रांसेंडेंस : माय स्पिरिचुअल एक्सपीरियंस विद प्रमुख स्वामीजी, एडवांटेज इंडिया : फ्रॉम चैलेंज टू अपोर्चुनिटी।

(Important Day महत्वपूर्ण दिवस) 15 अक्टूबर (15th October) : अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस (International Day of Rural Women)


  • प्रति वर्ष 15 अक्टूबर को संपूर्ण विश्व में ‘अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस’ (International Day of Rural Woman) मनाया जाता है। ‘अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस’ को मनाने का उद्देश्य कृषि विकास, ग्रामीण विकास, खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण गरीबी उन्मूलन में महिलाओं के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करना है।
  • गौरतलब है कि बीजिंग में महिलाओं पर चौथे विश्व सम्मेलन में नागरिक समाज संगठनों द्वारा 1995 में पहली बार ‘ग्रामीण महिलाओं का अंतर्राष्ट्रीय दिवस- International Day of Rural Women’ मनाया गया था और वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इस दिवस को आधिकारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र दिवस के रूप में घोषित किया गया था। वर्ष 2020 की थीम “Building rural women’s resilience in the wake of COVID-19” अर्थात “कोविड 19 के खिलाफ महिलाओं को समुत्थानशक्ति संपन्न बनाना है”।

15 अक्टूबर को क्या मनाया जाता है? - 15 aktoobar ko kya manaaya jaata hai?

अर्थव्यवस्था में ग्रामीण महिलाओं की भूमिका

  • अपनी देखभाल सुविधाओं के अलावा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के कारण महिलाओं को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाता है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित होने वाले उद्योगों एवं कुटीर उद्योगों में ग्रामीण महिलाओं के द्वारा श्रम बल के रूप में महती भूमिका निभाई जाती है।
  • इसी के साथ ग्रामीण महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से कई सारे उत्पादन गतिविधियों में शामिल होकर आपूर्ति श्रृंखला में अपना योगदान देती है।
  • विकासशील देशों में कृषि का अधिकांश कार्य महिलाओं के द्वारा किया जाता है जैसे विकसित देशों में कुल कृषि श्रम बल में महिलाओं का आंकड़ा 80% तक है तो वहीं भारत में है 43% है। हालांकि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और डीआरडब्ल्यूए के शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि महत्वपूर्ण फसलों के पैदावार के संदर्भ में महिलाओं के श्रमबल का हिस्सा 75% तक है।
  • बागवानी और फसल कटाई के उपरांत अन्य कार्यों में महिला का श्रम बल में हिस्सा क्रमशः हिस्सा 79% और 51% है।
  • पशुपालन और मत्स्य उत्पादन में यदि महिला श्रम बल का हिस्सा देखा जाए तो यह क्रमशः 58% और 95% है।
  • आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार पुरुषों के शहरों की ओर पलायन होने से भारतीय कृषि में महिलाओं का हिस्सा निरंतर बढ़ता जा रहा है। महिलाएं सभी कृषि गतिविधियों उदाहरण के लिए बुवाई से लेकर रोपाई, निराई, सिंचाई, उर्वरक डालना, पौध संरक्षण, कटाई, भंडारण इत्यादि से व्यापक रूप से जुड़ी हुई है।
  • इसके साथ ही वह पशुपालन और अन्य सहायक कृषि गतिविधियों जैसे मवेशी पालन, चारे का संग्रह, दुग्ध उत्पादन, मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन, सूकर पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन आदि में भी अपनी पर्याप्त भूमिका सुनिश्चित कर रही है।
  • अपनी आर्थिक सहभागिता के साथ-साथ घरेलू कार्यों में भी ग्रामीण महिलाएं महती भूमिका निभाती हैं जिसका उन्हें कोई परिश्रमिक नहीं मिलता। इसमें खाना बनाना, साफ सफाई, बच्चों का पालन पोषण इत्यादि जैसी गतिविधियां शामिल है।

ग्रामीण महिलाओं की प्रमुख चुनौतियां:

  • शिक्षा से वंचित किया जाना: सभी विकासशील देशों में कमोवेश यह देखा गया है कि ग्रामीण महिलाओं को सामाजिक रूढ़िवादिता के कारण शिक्षा से वंचित कर दिया जाता है। भारत में ASER की रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों की प्रत्येक 100 लड़कियों में से मात्र एक लड़की ही कॉलेज की शिक्षा प्राप्त करती है।
  • लैंगिक भेदभाव: ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के साथ लैंगिक भेदभाव किया जाता है एवं उन्हें सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने को हतोत्साहित किया जाता है। भारत के कई राज्यों में विशेषकर राजस्थान हरियाणा और उत्तर प्रदेश में ग्रामीण महिलाओं को उनके घरों तक सीमित रखा जाता है और उन्हें किसी भी गतिविधियों जैसे चुनाव, चर्चा, प्रमुख त्योहारों में भाग लेने आदि की अनुमति नहीं दी जाती है।
  • बाल विवाह: हालांकि कई देशों ने बाल विवाह को गैरकानूनी घोषित किया है लेकिन कमोवेश विकासशील देशों में बाल विवाह सामान्य बात है। भारत में एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार लगभग 45% लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पूर्व कर दी जाती है।
  • समुचित पोषण,स्वच्छता एवं स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव: 21वी सदी के दौर में भी ग्रामीण महिलाओं को वर्तमान में बुनियादी स्वच्छता सुविधाओं की समस्या का सामना करना पड़ता है। आज भी ग्रामीण महिला खुले में शौच हेतु मजबूर है। ग्रामीण महिलाओं में निम्न पोषण स्थिति का होना एक आम बात है जिससे उनके स्वास्थ्य के समक्ष विकट परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं खासकर गर्भावस्था के दौरान। इसके अलावा प्रसव सुविधाओं इत्यादि का ना होना उनके जीवनकाल को संकट में डाल देता है। भारत के संदर्भ में भी ग्रामीण क्षेत्रों एवं पिछड़े राज्यों में मातृत्व मृत्यु दर ज्यादा है। महिलाओं में जागरूकता के अभाव के कारण सेनेटरी पैड इत्यादि का कम प्रयोग किया जाता है जिससे उन्हें संक्रामक रोगों के प्रति सुभेद्य बना देती है।
  • शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक उत्पीड़न: ग्रामीण परिवेश में जागरूकता, सशक्तिकरण और पुलिस-प्रशासन से दूरी के कारण ग्रामीण महिलाओं पर शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक उत्पीड़न के मामले बढ़ जाते हैं। ग्रामीण समाज का बंद परिवेश, पितृसत्तात्मक मानसिकता महिलाओं के विरुद्ध ना केवल शारीरिक हिंसा की जाती है बल्कि महिलाओं के विरुद्ध लैंगिक हिंसा के प्रति सुभेद्य बना देती है। वहीं महिलाओं की आर्थिक स्थिति एवं उपयोगिता को ही न मानते हुए उन पर दहेज इत्यादि स्वरूपों के माध्यम से इनका आर्थिक उत्पीड़न भी किया जाता है।
  • सामाजिक सुरक्षा एवं सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच ना होना: सांस्कृतिक मानदंडों, सुरक्षा मुद्दों और पहचान दस्तावेजों के अभाव के कारण ग्रामीण महिलाओं को सार्वजनिक सेवाओं, सामाजिक सुरक्षा, रोजगार और बाजारों तक पहुंचने में पुरुषों की तुलना में अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
  • आर्थिक संसाधनों तक पहुंच ना होना: पितृसत्तात्मक व्यवस्था के कारण भूमि संबंधी अधिकारों में महिलाओं को प्रतिनिधित्व नहीं लिया जाता जिसके कारण उनके प्रगति की संभावना क्षीण हो जाती है। इसके साथ ही संपत्ति संबंधी दस्तावेजों के अभाव में वे वित्तीय सुविधाओं को हासिल करने में भी प्रायः विफल होती हैं।

कोविड-19 की पृष्ठभूमि में ग्रामीण महिलाओं की चुनौतियां

  • जहाँ एक ओर लॉकडाउन के कारण मानव गतिशीलता प्रतिबंधित होने और आपूर्ति श्रृंखला के बाधित होने से उनके घरेलू काम बढ़ गए हैं तो वहीं दूसरी ओर जलवायु परिवर्तन और संघर्ष कोविड-19 की चुनौतियां को और भी जटिल बना दी हैं।
  • जीवन के परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली ग्रामीण महिलाएँ असामयिक परिस्थितियों में काम कर रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पहले से ही अपर्याप्त बुनियादी ढांचे विद्यमान है वही महामारी ने नाम मात्र की ग्रामीण सेवाओं को भी अवरूद्ध कर दिया है। कई स्थानों पर स्वच्छ और सुरक्षित जल, स्वच्छता और साफ-सफाई, ऊर्जा आपूर्ति और स्वास्थ्य सेवा के अभाव से महामारी के दौरान ग्रामीण महिलाओं की अमूल्य देखभाल और उत्पादक कार्य बोझ बन गए हैं।
  • कोविड महामारी के कारण किए गए देशव्यापी लॉकडाउन और आवाजही में लगे प्रतिबंधों के कारण यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएं (गर्भनिरोधक; गर्भावस्था सेवाएं) बाधित हैं। आपूर्ति श्रृंखला के विघटन से गर्भनिरोधकों की उपलब्धता में कमी आई है। इसके अलावा संक्रमण फैलने की आशंका के परिणामस्वरूप महिलाओं ने यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं और गर्भ निरोधकों की मांग भी कम की है। इससे अनपेक्षित गर्भधारण जैसे समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है।
  • पीछे कई वर्षों से देश में कृषि के महिलाकरण की प्रवृत्ति देखी गयी है एवं इसके परिणामस्वरूप व्यापक मात्रा में महिलायें कृषि कार्यों में संलग्न है। कोविड महामारी उपरान्त कृषि से संबद्ध गतिविधियों में रोजगार और आय, जैसे कि पशु पालन, मछली पालन और फूलों की खेती भी तालाबंदी से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुई। इसके अलावा रिवर्स माइग्रेशन के कारण कृषि श्रमबल में महिलाओं की स्थिति कमजोर होगी जिनसे उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति कमजोर होगी।
  • महामारी ने भूमि और संसाधनों के प्रति ग्रामीण महिलाओं के अधिकारों को संवेदनशील बना दिया है। अधिकांश देशों में भेदभावपूर्ण लैंगिक मानदंड और प्रथाएं महिलाओं के भूमि और संपत्ति के अधिकार को बाधित करती हैं। चूँकि महिलाओं के भूमि अधिकार अक्सर उनके पति पर निर्भर होते हैं जिससे कारण COVID-19 की विपदा में विधवाओं के लिए भूमि अधिकारों से बेदखली की आशंका बढ़ गई है। कोविड-19 महामारी के फलस्वरुप जहां एक ओर बेरोजगार प्रवासियों को ग्रामीण समुदायों में वापस लौटने के कारण भूमि और संसाधनों पर दबाव बढ़ने से महिलाओं के अधीन भूमि की सुरक्षा से संबंधित चिंताएं बढ़ गई हैं वहीं दूसरी ओर कृषि और खाद्य सुरक्षा में लिंग अंतराल को बढ़ जाने संभावना भी व्यापक हो गई है।

ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु सुझाव

ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु निम्नलिखित प्रमुख नीतिगत प्राथमिकताओं पर जोर दिया जाना चाहिए है:

15 अक्टूबर को कौन सा दिवस मनाया जाता है?

World Students Day 2022: विश्व छात्र दिवस हर साल 15 अक्टूबर को स्वर्गीय एयरोस्पेस वैज्ञानिक, शिक्षक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम (Dr. APJ Abdul Kalam) की जयंती पर मनाया जाता है.

15अक्टूबर को कौनसा दिवस मनाया जाता है?

विश्व छात्र दिवस का इतिहास 15 अक्टूबर को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती के रूप में मनाने के लिए इस दिन को चिह्नित किया गया। वे एक एयरोस्पेस वैज्ञानिक थे और उन्होंने देश की सफलता में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

20 अक्टूबर को क्या मनाया जाता है?

World Osteoporosis Day (WOD) समस्त विश्व में प्रतिवर्ष 20 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिवस ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए वैश्विक जागरूकता प्रसारित करने के प्रति समर्पित दिवस है।

विद्यार्थी दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

India International Students Day 2022: हर साल 15 अक्टूबर को दुनियाभर में विश्व विद्यार्थी दिवस मनाया जाता है.