मानव भूगोल के तत्व क्या है? - maanav bhoogol ke tatv kya hai?

✶ मानव भूगोल को भूगोल की आधारभूत शाखा माना गया है । भूगोल क्षेत्र वर्णनी विज्ञान है , जिसमें क्षेत्रीय संदर्भ में तथ्यों का अध्ययन किया जाता हैं ।

✶ भूगोल एक समाकलनात्मक , आनुभविक एवं व्यावहारिक विषय है जिसमें स्थान एवं समय के संदर्भ में घटनाओं का भौगोलिक अध्ययन किया जाता है ।

✶ भूगोल में प्रकृति व मानव के अध्ययन पर जोर दिया जाता है । ये दोनों अविभाज्य तत्व हैं जिनके आधार पर भूगोल की दो शाखाएँ - भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल विकसित हुई हैं ।

✶ भौतिक भूगोल भौतिक पर्यावरण का जबकि मानव भूगोल भौतिक पर्यावरण व सांस्कृतिक पर्यावरण के बीच मिलने वाले सम्बन्धों , मानवीय परिघटनाओं के स्थानिक वितरण व सामाजिक - आर्थिक भिन्नताओं का अध्ययन करता है ।

✺ मानव भूगोल की परिभाषा ( Definition of Human Geography )

✶ मानव भूगोल का प्रादुर्भाव और विकास मुख्यतः 18वीं शताब्दी से माना जाता हैं । इसको अनेक विद्वानों ने परिभाषित करने का प्रयास किया है ।

✶ आधुनिक मानव भूगोल का जन्मदाता जर्मन विद्वान फ्रेडरिक रेटजेल को कहा जाता है । इनके अनुसार , “ मानव भूगोल मानव समाजों और धरातल के बीच सम्बन्धों का संश्लेषित अध्ययन है ।” इन्होंने अपनी पुस्तक एन्थ्रोपोज्योग्राफी में मानव भूगोल की यह परिभाषा दी हैं ।

✶ अमेरिका की प्रसिद्ध भूगोलविद व रेटजेल की शिष्या एलन सी . सैम्पल के अनुसार , “ मानव भूगोल चंचल मानव और अस्थायी पृथ्वी के पारस्परिक परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है ।”

✶ फ्रांस के प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता पॉल विडाल - डी - ला - ब्लॉश के अनुसार , “ मानव भूगोल पृथ्वी और मानव के पारस्परिक सम्बन्धों को एक नया विचार देता है । जिसमें पृथ्वी को नियंत्रित करने वाले भौतिक नियमों तथा पृथ्वी पर निवास करने वाले जीवों के पारस्परिक सम्बन्धों का अधिक संश्लिष्ट ज्ञान शामिल है ।”

✶ डिकेन व पिट्स के अनुसार , “ मानव भूगोल में मानव और उसके कार्यों को समाविष्ट किया गया है । ”

✶ सारांशत : मानव भूगोल वह विज्ञान है जिसमें पृथ्वी के विभिन्न क्षेत्रों में मानव समूहों के प्राकृतिक व सांस्कृतिक वातावरण की शक्तियों , प्रभावों व प्रतिक्रियाओं के पारस्परिक सम्बन्धों व स्थानिक संगठन का अध्ययन मानवीय प्रगति के उददेश्यों से प्रादेशिक आधार पर किया जाता है ।

✺ मानव भूगोल की प्रकृति ( Nature of Human Geography )

✶ मानव भूगोल की प्रकृति में मानवीय क्रियाकलाप केन्द्रीय बिन्दु हैं । मानवीय क्रियाकलापों का विकास कब , कहाँ व कैसे हुआ आदि प्रश्नों को भौगोलिक दृष्टि से दर्शाना ही मानव भूगोल की प्रकृति को प्रकट करता है ।

✶ मानव भूगोल विभिन्न प्रदेशों के पारिस्थितिक समायोजन व क्षेत्र संगठन के अध्ययन पर केन्द्रित रहता है ।

✶ मानव भूगोल क्षेत्र विशेष में समय के साथ मानव व वातावरण के सभी जटिल तथ्यों के पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन मानव की केन्द्रीय भूमिका मानकर करता है ।

✺ मानव भूगोल का विषय क्षेत्र ( Study Area of Human Geography )

✶ मानव भूगोल में किसी प्रदेश की जनसंख्या , वहाँ के प्राकृतिक संसाधनो , सांस्कृतिक भूदृश्यों व जीवन की मान्यताओं का पारस्परिक संबंधों का अध्ययन मानव की उन्नति के उद्देश्य से किया जाता है ।

✶ मानव भूगोल का विषय क्षेत्र व्यापक है । इसमें जनसंख्या , प्राकृतिक संसाधन प्राकृतिक वातावरण प्रादेशिक संगठन कालिक अनुक्रम व प्रदेशों के आपसी सम्बन्धों का अध्ययन शामिल किया जाता है ।

✺ मानव भगोल का विकास ( Development of Human Geography )

✶ मानव भूगोल का विकास एक लम्बी प्रक्रिया का प्रतिफल है । अध्ययन की दृष्टि से मानव भूगोल के विकास को तीन युगों - प्राचीनकाल , मध्यकाल व आधुनिक काल में बांटा गया है ।

✶ प्राचीन काल में प्राकृतिक वातावरण की प्रधानता के कारण तकनीकी विकास का स्तर निम्न था । इस काल में प्राकतिक शक्तियों की प्रधानता थी ।

✶ प्राचीन काल में थेल्स , एनैक्सीमेडर , अरस्तू व हेरोडोटस के साथ ही हिकटियस ने भौगोलिक ज्ञान को बढ़ाया था । हिकटियस के द्वारा भूगोल को व्यवस्थित रूप प्रदान करने के कारण इन्हें भूगोल की जनक कहा जाता है ।

✶ मध्य काल में उपनिवेशीकरण व व्यापारिक रुचियों ने नये क्षेत्रों की खोज व अन्वेषणों को बढ़ावा देकर भौगोलिक ज्ञान को बढ़ाया था । यह काल प्रादेशिक विश्लेषण की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा था ।

✶ आधुनिक काल की शुरुआत का श्रेय जर्मन भूगोल वेत्ताओं को जाता है । इसके पश्चात् फ्रांस , ग्रेट ब्रिटेन व अमेरिका में मानव भूगोल का विकास हुआ ।

✶ फ्रेडरिक रेटजेल को आधुनिक मानव भूगोल का संस्थापक कहा जाता हैं ।

✶ आधुनिक काल में ही नियतिवादी , संभववादी व नव नियतिवादी अवधारणाओं का उदय हुआ । नव नियतिवाद का प्रतिपादन ग्रिफिथ टेलर ने किया था ।

✶ 1930 के दशक में मानव भूगोल का विभाजन सांस्कृतिक भूगोल व आर्थिक भूगोल के रूप में हुआ तथा इसके बाद मानव भूगोल की अनेक उपशाखाओं का उद्भव हुआ ।

✶ मात्रात्मक क्रांति के पश्चात मानव कल्याणपरक विचारधारा का उदय हुआ जिसमें सामाजिक कल्याण के विविध पक्ष शामिल हैं |

✶ क्रांतिकारी विचारधारा ने मार्क्स के सिद्धान्त का अनुसरण किया जबकि आचरणपरक विचारधारा पर्यावरण की अपेक्षा मानसिक मानचित्र पर आधारित है ।

✶ मानव भूगोल निरन्तर विकास के साथ गतिशील है जिसका महत्त्व , अध्ययन व व्यापकता समय के साथ बढ़ती जा रही है । जिससे यह सम्पूर्ण विश्व में भूगोल की एक महत्त्वपूर्ण शाखा बन गई हैं ।

✺ प्रमख भूगोलविदों का परिचय ( Introduction of Main Geographers )

✶ फ्रेडरिक रेटजेल ( Friedrich Ratzel 1844 - 1904 ) - मानव भूगोल के पिता ( Father of Human Geography ) , जर्मन निवासी रेटजेल को सही अर्थों में निश्चयवाद का प्रतिपादक माना जाता है । इनके द्वारा लिखित विश्वविख्यात ग्रन्थ एन्थ्रोपोज्योग्राफी ( Anthropogeographie ) है ।

✶ एलन सी . सैम्पल ( Ellen Churchill Semple 1863 - 1932 ) - एक विश्वविख्यात अमरीकी भूगोलविद् थीं जिन्होंने पर्यावरणीय निश्चयवाद का समर्थन अपनी पुस्तक में किया । इन्होंने अपने गुरु रेटजेल के विचारों को अंग्रेजी भाषा जानने वाले जगत के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए भौगोलिक पर्यावरण का प्रभाव ( Influence of Geographic Environment ) नामक पुस्तक की रचना की ।

✶ पॉल विडाल - डी - ला - ब्लॉश ( Paul vidal - de - la - Blache , 1845 - 1918 ) - इन्हें सही अर्थों में सम्भववाद का संस्थापक माना जाता है । इन्होंने अपनी पुस्तक मानव भूगोल के सिद्धान्त ( Principles of Geographic Humaine ) में भौगोलिक एकता और वातावरण पर मानव क्रियाओं का विश्लेषण किया है ।

✶ ग्रिफिथ टेलर ( Griffeth Taylor 1880 - 1963 ) - नवनिश्चयवाद के प्रणेता । नवनिश्चयवाद को रुको और जाओ ( Stop and Go Determinism ) सिद्धांत भी कहा जाता है । ग्रिफिथ टेलर ने बताया कि वास्तव में न तो प्रकृति का मनुष्य पर पूर्ण नियंत्रण है और न ही मनुष्य प्रकृति का विजेता है ।

✶ जीन ब्रुंश ( Jean Brunhes , 1869 - 1930 ) - ब्लॉश के शिष्य एवं फ्रांसीसी भूगोलवेत्ता थे । इनका जन्म 1869 व मृत्यु 1930 में हुई थी । इनकी महत्त्वपूर्ण पुस्तक मानव भूगोल ( Geographic Humaine ) है । ये संभववाद के समर्थक थे ।

✶ अल्बट डिमांजियाँ( Albert Demangeon . 1872 - 1940 ) – एक फ्रांसीसी भूगोल वेत्ता जिनका जन्म 1872 व मृत्यु 1940 में हुई । इनकी महत्त्वपूर्ण पुस्तक मानव भूगोल की समस्याएँ इनके मरने के बाद प्रकाशित हुई ।

✶ एच. मैकिंडर ( Halford Mackinder 1861 - 1945 ) – ब्रिटेन के भूगोलवेत्ता जिनका जन्म 1861 व मृत्यु 1945 में हुई । इन्होंने सर्वप्रथम 1904 में अपना भौगोलिक लेख इतिहास की भौगोलिक धुरी ( The Geographical Pivot of History ) के नाम से प्रकाशित किया । ये हृदय स्थल संकल्पना के प्रतिपादक भी थे ।

✶ कार्ल सावर ( Carl Ortwin Saver , 1889 - 1975 ) - इनका संयुक्त राज्य अमेरिका में 1889 में जन्म हुआ था और 1975 में मृत्यु हुई । सांस्कृतिक भूदृश्य को संकल्पना का प्रतिपादन किया ।

मानव भूगोल के तत्व कौन कौन से हैं?

मानव भूगोल के विषय.
आर्थिक भूगोल.
राजनीतिक भूगोल.
जनसंख्या भूगोल.
सांस्कृतिक भूगोल.

भूगोल में तत्व क्या है?

भौगोलिक तत्व किसे कहते हैं? - Quora. भौगोलिक तत्व किसे कहते हैं? पृथ्वी तल पर पाए जाने वाले पर्यावरण के सभी भौतिक एवं सांस्कृतिक घटक या स्वरूप भौगोलिक तत्व कहलाते है। उदाहरण :- वनस्पति, पर्वत, जल एवम नदिया, उच्चावच, मिट्टी, खनिज, कृषि, जनसंख्या, बस्तियाँ आदि।

मानव भूगोल के कितने भाग हैं?

भूगोल की तीन मुख्य शाखायें है: भौतिक, मानव और प्रादेशिक । भौतिक भूगोल विविध उपशाखाओं में विभाजित है, जिनके नाम इस प्रकार है : भूआकृतिविज्ञान, जलवायु विज्ञान, समुद्र विज्ञान, मृदा और जैव भूगोलमानव भूगोल भी विविध उपशाखाओं में विभाजित है, जैसे सांस्कृतिक, जनसंख्या, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक।

मानव भूगोल का क्या अर्थ है?

मानव भूगोल, भूगोल की प्रमुख शाखा है जिसके अन्तर्गत मानव की उत्पत्ति से लेकर वर्तमान समय तक उसके पर्यावरण के साथ संबंधों का अध्ययन किया जाता है। मानव भूगोल को भूगोल की आधारभूत शाखा माना जाता है जिसमें अध्ययन का केन्द्र बिन्दु मानव है।