4 बेल पत्र का क्या महत्व है? - 4 bel patr ka kya mahatv hai?

Updated: | Thu, 01 Aug 2019 11:42 AM (IST)

बलौदाबाजार । सावन और फिर भगवान शिव के पूजन की बात आए और बिल्व पत्र की चर्चा ना हो, यह नामुमकिन है। महीना सावन का ही है और जगह-जगह शिवजी के अभिषेक और वंदन की धूम है। पूजन में उन्हें बेल पत्र अर्पित करके प्रसन्ना किया जा रहा है। माना जाता है कि बिल्व पत्र भगवान शिव को बेहद प्रिय है।

कहा भी गया है 'दर्शनम्‌ बिल्व पत्रस्य, स्पर्शनमं पाप नाशनम्‌' अर्थात बेल पत्र का दर्शन कर लेने मात्र से पापों का शमन हो जाता है। बेल पत्र अगर दुर्लभ या विशेष प्रकार का हो तो फिर इसके क्या कहने..। वहीं ग्राम चांपा स्थित एक खेत में ऐसा ही दुर्लभ बेल पत्र मिला है।

अमूमन देखा जाता है कि बेल पत्र पर तीन पत्तियां होती हैं लेकिन यह बेलपत्र चार पत्तियों वाला है। जानकार बताते हैं कि इस तरह के बेल पत्र का मिलना और दर्शन बेहद शुभ होता है। इसको शिवजी को अर्पित करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

शिवजी को समर्पित किया बेल पत्र

चार पत्तियों वाला यह बेल पत्र मिलने के बाद ग्राम चांपा में ग्रामीणों की भीड़ लग गई। कई पुरोहित और जानकार भी पहुंच गए। पंडितों का कहना है कि यह चार पत्तियों वाले बेल पत्र दुर्लभ माना गया है। इस तरह के बेल पत्र में यदि राम का नाम लिखकर उसे शिवजी को अर्पित कर दिया जाए तो उसका अनंत फल प्राप्त होता है। इसी तरह इस बेल पत्र में राम का नाम लिखकर उसे उनके प्रिय भगवान शिवजी को अर्पित कर दिया।

बेल पत्र से जुड़ी कुछ खास बातें

- बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते।

- अगर किसी की शव यात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है।

- वायुमंडल में व्याप्त अशुद्घियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है।

- चार, पांच, छह या सात पत्तों वाला बिल्व पत्र पाने वाला परम भाग्यशाली होता है। इसे शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है।

- सुबह-शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है।

- बेल वृक्ष को सींचने से पितर तृप्त होते हैं।

Posted By: Nai Dunia News Network

4 बेल पत्र का क्या महत्व है? - 4 bel patr ka kya mahatv hai?

4 बेल पत्र का क्या महत्व है? - 4 bel patr ka kya mahatv hai?

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हाइलाइट्स

घर में बिल्व वृक्ष लगाने से पूरा कुटुम्ब विभिन्न प्रकार के पापों के प्रभाव से मुक्त हो जाता है.
शिवलिंग का बिल्वपत्र से पूजन करने पर दरिद्रता दूर होती है.

सावन का महीना (Sawan Month) चल रहा है. इस पवित्र महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त कई तरह के जतन करते हैं. उनको अर्पित की जाने वाली सामग्री का विशेष ध्यान रखते हैं. भोलेनाथ को सबसे प्रिय है बेलपत्र (Belpatra), जिसे चढ़ाने से भगवान शिव अपने भक्तों पर कृपा बनाए रखते हैं परंतु धार्मिक ग्रंथो के अनुसार, बेलपत्र तोड़ने के कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है. आज के इस आर्टिकल में हमें भोपाल के रहने वाले ज्योतिषाचार्य विनोद सोनी पौद्दार बता रहे हैं बेलपत्र तोड़ने, चढ़ाने के नियम और बेलपत्र का महत्व.

इन तिथियों पर न तोड़ें बेलपत्र

बेलपत्र को तोड़ते समय भगवान शिव का ध्यान करते हुए मन ही मन प्रणाम करना चाहिए. चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि पर बेलपत्र न तोड़ें. साथ ही तिथियों के संक्रांति काल और सोमवार को भी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए. बेलपत्र को कभी भी टहनी समेत नहीं तोड़ना चाहिए. इसके अलावा इसे चढ़ाते समय तीन पत्तियों की डंठल को तोड़कर ही भगवान शिव को अर्पण करना चाहिए.

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बेलपत्र नहीं होता है बासी

बेलपत्र एक ऐसा पत्ता है, जो कभी भी बासी नहीं होता है. भगवान शिव की पूजा में विशेष रूप से प्रयोग में लाए जाने वाले इस पावन पत्र के बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि यदि नया बेलपत्र न उपलब्ध हो, तो किसी दूसरे के चढ़ाए हुए बेलपत्र को भी धोकर कई बार पूजा में प्रयोग किया जा सकता है.

बेलपत्र चढ़ाने के नियम

भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला भाग स्पर्श कराते हुए चढ़ाएं. बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं. भगवान शिव को बिल्वपत्र अर्पण करने के साथ-साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं. ध्यान रहे कि पत्तियां कटी-फटी न हों.

बेलपत्र का महत्व

शिव पुराण अनुसार, श्रावण मास में सोमवार को शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल मिलता है. शिवलिंग का बिल्वपत्र से पूजन करने पर दरिद्रता दूर होती है और सौभाग्य का उदय होता है. बेलपत्र से भगवान शिव ही नहीं, उनके अंशावतार बजरंगबली भी प्रसन्न होते हैं.

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शिवपुराण के अनुसार, घर में बिल्व वृक्ष लगाने से पूरा कुटुम्ब विभिन्न प्रकार के पापों के प्रभाव से मुक्त हो जाता है. जिस स्थान पर बिल्ववृक्ष होता है, उसे काशी तीर्थ के समान पूजनीय और पवित्र माना गया है. ऐसे स्थान पर साधना, अराधना करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.

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Tags: Dharma Aastha, Lord Shiva, Sawan

FIRST PUBLISHED : July 26, 2022, 11:20 IST

4 पत्ते वाले बेलपत्र से क्या होता है?

4, 5, 6 या 7 पत्तों वाले बिल्व पत्रक पाने वाला परम भाग्यशाली और शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है। 5. बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है और बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है।

बेल पत्र का क्या महत्व है?

बेल पत्र ठंडक प्रदान करते हैं। यह भी माना जाता है कि सावन पर बेलपत्र से पूजा करने वाले भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं।

शिव जी पर कितने बेलपत्र अर्पित करने चाहिए?

शिवलिंग पर कितने बेलपत्र चढ़ाना है शुभ शिव पुराण के अनुसार, आपके पास जितने बेलपत्र हो उतने ही चढ़ा सकते हैं। वैसे तो शिवजी को 3 से लेकर 11 बेलपत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है।

पांच पत्ती वाला बेलपत्र मिले तो क्या करना चाहिए?

शिव पुराण में बताया गया है कि शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए 5 पत्‍ते वाला बेलपत्र का मिल जाना सबसे अच्‍छा होता है। लेकिन यह बहुत ही दुर्लभ होन के कारण आसानी से नहीं मिल पाता है। इसलिए आप 3 पत्र वाला बेलपत्र भी चढ़ा सकते हैं। याद रखें कि तीन पत्‍ते में यदि एक भी पत्‍ता टूटा हो तो ऐसा बेलपत्र शिवजी को नहीं चढ़ाना चाहिए