वित्तीय आपात की न्यूनतम अवधि कितनी होती है? - vitteey aapaat kee nyoonatam avadhi kitanee hotee hai?

प्रशासन के कामकाज में सुधार की दिशा में काम कर रही संस्था सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी ऐंड सिस्टेमिक चेंज (सीएएससी) ने 26 मार्च को उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की। इसमें मांग की गई है कि कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन को देखते हुए केंद्र को वित्तीय आपातकाल घोषित करना चाहिए। यह जनहित याचिका है जिसमें उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि वह केंद्र सरकार को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल के प्रावधानों का इस्तेमाल करने का आदेश दे।

इससे दो दिन पहले यानी 24 मार्च को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोगों और कंपनियों के लिए विभिन्न वैधानिक नियमों और प्रक्रियाओं के तहत समयसीमा आगे बढ़ाने के सरकार के फैसले के बारे में बताया था और उस दौरान वित्तीय आपातकाल लगाने की संभावना से इनकार किया था। उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि कुछ रिपोर्टों में देश में वित्तीय आपातकाल लागू करने का दावा किया जा रहा है लेकिन सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है।

हालांकि इस तरह की अटकलों का बाजार गर्म था कि नरेंद्र मोदी सरकार कोविड-19 के कारण पैदा हुई आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए वित्तीय आपातकाल लागू करने पर विचार कर सकती है ताकि अर्थव्यवस्था को इसके प्रतिकूल असर से उबारने के लिए ज्यादा फंड दिया जा सके। वित्तीय आपातकाल को प्रोत्साहन पैकेज से भी जोड़कर देखा जा रहा था। पिछले कई दिनों में कई सरकारों ने इसी तरह के उपाय किए हैं और माना जा रहा है कि मोदी सरकार भी इसकी घोषणा कर सकती है।


वित्तीय आपातकाल में क्या होता है? 

भारतीय संविधान में तीन तरह के आपातकाल का प्रावधान है। अनुच्छेद 352 के तहत अगर सरकार को लगता है कि युद्ध, बाहरी हमले या सशस्त्र विद्रोह के कारण देश या उसके किसी भूभाग की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है तो वह राष्ट्रीय आपातकाल लगा सकती है। इस तरह के आपातकाल में केंद्र सरकार सभी तरह की कार्यकारी, विधायी और वित्तीय शक्तियां अपने हाथ में ले लेती है और राज्य सूची में शामिल विषयों पर कानून बना सकती है।

इस दौरान अनुच्छेद 20 (अपराधों की सजा के खिलाफ संरक्षण का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) को छोड़कर सभी मौलिक अधिकार निलंबित रहते हैं। देश में अब तक तीन बार इस तरह का आपातकाल लागू किया गया है। 1962 में चीन के साथ युद्ध, 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध और 1975 में आंतरिक गड़बड़ी का हवाला देकर राष्ट्रीय आपातकाल लगाया गया था।

दूसरी तरह का आपातकाल अनुच्छेद 356 के तहत राज्यों में लागू किया जा सकता है। इसके तहत अगर किसी राज्य में संवैधानिक मशीनरी नाकाम हो जाती है तो वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। पिछले कई वर्षों के दौरान कई राज्यों में इसका इस्तेमाल किया गया है। राज्य में निर्वाचित सरकार के गठन के साथ ही इसे हटा दिया जाता है।

अगर राष्ट्रपति को लगता है कि देश की आर्थिक स्थिरता को खतरा है तो वह अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल लगा सकता है। इस तरह के फैसले को संसद को दोनों सदनों के समक्ष रखा जाना चाहिए और उन्हें दो महीने के भीतर एक प्रस्ताव पारित इसे मंजूरी देनी होगी। इसके प्रावधानों के तहत केंद्र खुद पर और सभी राज्य सरकारों पर वित्तीय स्वामित्व के मानक लागू कर सकता है। इसके लिए राज्यों के बजट भी केंद्र को ही पारित करने होंगे। अब तक किसी भी सरकार ने देश में वित्तीय आपातकाल नहीं लगाया है।

अनुच्छेद 360 के तहत सबसे अहम अधिकार यह है कि केंद्र अपने और राज्य सरकारों के कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में कमी कर सकता है। इनमें उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश भी शामिल हैं। यह ऐसा प्रावधान है जो जरूरत पडऩे पर केंद्र को वित्तीय मोर्चे पर भारी राहत दे सकता है। सभी राज्यों का कुल व्यय में वेतन और भत्तों का हिस्सा करीब 25 फीसदी है। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए यह राशि 9 लाख करोड़ रुपये होगी। केंद्र के असैन्य कर्मचारियों के वेतन और भत्तों का खर्च करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये है।

इस तरह वित्तीय आपातकाल से केंद्र को अपने और राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतन में कटौती की छूट मिलेगी जो कुल मिलाकर करीब 11.5 लाख करोड़ रुपये है। उनके वेतन में 10 फीसदी कटौती से केंद्र को करीब 1.15 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी।

लेकिन यह एक मुश्किल फैसला होगा जिससे सरकार की लोकप्रियता बुरी तरह प्रभावित होगी। कोई भी सरकारी कर्मचारी वेतन में कटौती नहीं चाहेगा और हर कोई इस दर्द को लंबे समय तक याद रखेगा। लेकिन ऐसे समय, जब कई निजी कंपनियां अपने कर्मचारियों को छोड़ रही है, अपने कारोबार को बंद कर रहीं हैं जिससे लोग बेरोजगार हो रहे हैं और यहां तक कि वेतन में भी कटौती की जा रही है, वित्तीय आपातकाल में वेतन कटौती का प्रावधान एक विकल्प है जिस पर सरकार विचार कर सकती है।

देश को सीएएससी द्वारा दायर जनहित याचिका पर उच्चतम न्यायालय की प्रतिक्रिया का भी बेसब्री से इंतजार रहेगा जिसमें देश में वित्तीय आपातकाल लगाने की मांग की गई है।

इसे सुनेंरोकेंअनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपात की घोषणा राष्ट्रपति द्वारा तब की जाती है, जब राष्ट्रपति को पूर्ण रूप से विश्वास हो जाए कि देश में ऐसा आर्थिक संकट बना हुआ है, जिसके कारण भारत के वित्तीय स्थायित्व या साख को खतरा है. इस आपात में आम नागरिकों के पैसों एवं संपत्ति पर भी देश का अधिकार हो जाएगा.

भारत में वित्तीय आपातकाल अधिकतम कितनी अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है?

इसे सुनेंरोकेंराष्ट्रपति शासन अधिकतर 3 वर्ष तक रह सकता है उसके बाद राज्य में चुनाव करवाने होते हैं । भारत में अभी तक एक बार भी वित्तीय आपातकाल की घोषणा नहीं की गई है । संविधान के आर्टिकल 360 के तहत सरकार वित्तीय आपात काल की घोषणा कर सकती है।

पढ़ना:   एवोकाडो फल कहाँ मिलता है?

वित्तीय आपात की न्यूनतम अवधि कितनी होती है?

इसे सुनेंरोकेंa. इसके संचालन के लिए कोई अधिकतम अवधि निर्धारित नहीं है; और b. इसकी निरंतरता के लिए बार-बार संसदीय अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है. वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा को राष्ट्रपति द्वारा बाद में किसी भी समय रद्द किया जा सकता है.

आपातकाल के अनुच्छेद कौन कौन से हैं?

इसे सुनेंरोकेंभारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के अनुसार, यदि भारत के राष्ट्रपति को लगता है कि बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण भारत की सुरक्षा को खतरा है तो राष्ट्रपति पूरे भारत या किसी एक हिस्से में आपातकाल की घोषणा जारी कर सकते हैं।

वित्तीय आपातकाल की घोषणा का प्रभाव संसद के दोनों सदनों के अनुमोदन के बिना कितने समय तक प्रभावी रहता है?

इसे सुनेंरोकेंउद्घोषणा की प्रक्रिया एवं अवधि राष्ट्रीय आपात की घोषणा को संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखा जाता है तथा एक महीने के अंदर अनुमोदन न मिलने पर यह प्रवर्तन में नहीं रहती, किंतु एक बार अनुमोदन मिलने पर छह माह के लिये प्रवर्तन में बनी रह सकती है।

पढ़ना:   धारा 34 क्या है in Hindi?

वित्तीय आपातकाल कहाँ से लिया गया है?

इसे सुनेंरोकेंभारतीय संविधान में आपात उपबंधों को तीन भागों में बाँटा गया है- राष्ट्रीय आपात (अनुच्छेद-352), राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता/राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद-356) और वित्तीय आपात (अनुच्छेद-360)।. वैसे तो देश में अब तक आर्थिक आपातकाल लागू नहीं हुआ है.

वित्तीय आपात की न्यूनतम अवधि कितनी होती हैं?

Detailed Solution. राज्य आपातकाल या राष्ट्रपति शासन के विपरीत भारत में वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) के लिए अधिकतम समय सीमा निर्धारित नहीं है। एक बार घोषित (वित्तीय आपातकालीन) किये जाने का अर्थ है संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए, यदि आवश्यक हो तो यह कितने भी समय के लिए जारी रखा जा सकता है।

वित्तीय आपात कितने समय के लिए लागू की जा सकती है?

संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदन हो जाने के बाद वित्तीय आपातकाल. अनिश्चित काल तक लागू रहता है जब तक कि इसे रद्द नहीं किया जाता।

वित्तीय आपात स्थिति कितनी बार?

क्या भारत में अब वित्तीय आपातकाल लग सकता है? भारत में अब तक कितनी बार आपातकाल लगाया गया है ? भारत में अब तक तीन बार राष्ट्रीय आपातकाल लगाया गया है।

राष्ट्रीय आपातकाल की अधिकतम अवधि कितनी होती है?

25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित था। तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की अनुच्छेद 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी।