राष्ट्रीय सांस्कृतिक काव्य धारा के कवि कौन हैं? - raashtreey saanskrtik kaavy dhaara ke kavi kaun hain?

  • Rashtriya Kavya Dhara Ke Kavi | राष्ट्रीय काव्यधारा के प्रमुख कवि
  • राष्ट्रीय सांस्कृतिक स्वच्छंदतावादी काव्यधारा के प्रमुख कवि
    • 1. सुभद्रा कुमारी चौहान | Subhadra Kumari Chauhan
      • सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएँ :
      • सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्ध पंक्ति :
    • 2. माखनलाल चतुर्वेदी | Makhanlal Chaturvedi 
      • माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख रचनाएँ :
      • माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख कविताएँ :
      • माखनलाल चतुर्वेदी की चर्चित पंक्ति :
    • 3. केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’ | Kedarnath Mishra ‘Prabhat’
    • 4. मोहनलाल महतो वियोगी | Mohanlal Mahato Viyogi
    • 5. सोहन लाल द्विवेदी | Sohan Lal Dwivedi
    • 6. श्याम नारायण पाण्डेय | Shyam Narayan Pandey
    • 7. सियारामशरण गुप्त | Siyaramsharan Gupt
      • सियारामशरण गुप्त की प्रमुख रचनाएँ :
      • सियारामशरण गुप्त की चर्चित पंक्ति :
    • 8. बालकृष्ण शर्मा नवीन | Bal Krishna Sharma Naveen
      • बालकृष्ण शर्मा नवीन की प्रमुख रचनाएँ :
      • बालकृष्ण शर्मा नवीन की प्रसिद्ध पंक्तियाँ :
      • यह भी जरूर पढ़े :
      • एक गुजारिश :
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नमस्कार दोस्तों ! पिछले नोट्स में हमने व्यक्तिगत प्रणय मूलक काव्यधारा और उसके प्रमुख कवियों के बारे में अध्ययन किया था। आज हम Rashtriya Kavya Dhara Ke Kavi | राष्ट्रीय सांस्कृतिक स्वच्छंदतावादी काव्यधारा के प्रमुख कवियों का अध्ययन करने जा रहे है।

जैसाकि पूर्व में बता चुके है कि हिंदी साहित्य में छायावाद के बाद जो काव्य प्रवृत्ति उत्पन्न हुई, उसे उत्तर छायावाद के नाम से जाना जाता है। यह प्रवृत्ति 1930 ईस्वी के बाद देखने को मिलती है। उत्तर छायावाद में विकसित होने वाली दो धाराएं हैं :

  1. व्यक्तिगत प्रणय मूलक काव्यधारा
  2. राष्ट्रीय सांस्कृतिक स्वच्छंदतावादी काव्यधारा


राष्ट्रीय सांस्कृतिक स्वच्छंदतावादी काव्यधारा के प्रमुख कवि


उत्तर छायावाद की दूसरी प्रमुख धारा Rashtriya Kavya Dhara Ke Kavi | राष्ट्रीय काव्यधारा के प्रमुख कवि निम्नानुसार है :

  1. सुभद्रा कुमारी चौहान
  2. माखनलाल चतुर्वेदी
  3. केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
  4. मोहनलाल महतो
  5. सोहनलाल द्विवेदी
  6. श्याम नारायण पाण्डेय
  7. सियारामशरण गुप्त
  8. बालकृष्ण शर्मा नवीन
  9. रामधारी सिंह दिनकर

1. सुभद्रा कुमारी चौहान | Subhadra Kumari Chauhan


सुभद्रा कुमारी चौहान हिंदी की प्रसिद्ध कवयित्री है। इनका जन्म 16 अगस्त 1905 ई. में इलाहाबाद में हुआ। यह राष्ट्रीय चेतना की कवयित्री रही हैं। पारिवारिक संबंधों पर कलम चलाने वाली पहली रचनाकार सुभद्रा कुमारी चौहान ही है। इनकी झांसी की रानी कविता को ब्रिटिश सरकार ने जप्त कर लिया था। इनके 2 कविता संग्रह और 3 कहानी संग्रह है।

सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएँ :

काव्य संग्रहकहानी संग्रहजीवनी
त्रिधारा बिखरे मोती – 1932
(पहला कहानी संग्रह)
मिला तेज से तेज
मुकुल उन्मादिनी – 1934
  • त्रिधारा काव्य संग्रह में संकलित कविताएँ इस प्रकार है :
  1. जलियांवाला बाग में बसंत
  2. वीरों का कैसा हो बसंत
  3. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई
  4. मेरा नया बचपन

सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्ध पंक्ति :

“मैं बचपन को बुला रही थी, बोल उठी बिटिया मेरी।
नंदनवन सी फूल उठी, यह छोटी सी कुटिया मेरी।।”


2. माखनलाल चतुर्वेदी | Makhanlal Chaturvedi 

माखनलाल चतुर्वेदी एक प्रसिद्ध लेखक कवि और पत्रकार रहे हैं। लेकिन वह एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे । इनका जन्म 1888 ई में मध्यप्रदेश में हुआ । जयशंकर प्रसाद के पश्चात यह सांस्कृतिक चेतना के बड़े कवि माने जाते हैं। चतुर्वेदी जी राजनीति का साहित्य से गहरा संबंध मानते हैं।

इन्होंने प्रभा, प्रताप, कर्मवीर पत्रिका का संपादन किया है। उनके संपादन काल में कर्मवीर पत्रिका राष्ट्रीय जागरण का अग्रदूत बन गई थी और यही पत्रिका चतुर्वेदी जी की प्रसिद्धि का आधार भी बनी।

माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख रचनाएँ :

सं.काव्य संग्रह
01. हिम किरीटनी
02. हिम तरंगिणी
03. वेणु लो गूंजे धरा
04. माता
05. युग चरण
06. मरण ज्वार
07. समर्पण
08. बिजली काजल आँज रही
09. धुम्रवलय
  • 1955 ईस्वी में हिम तरंगिणी को पहला साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।

माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख कविताएँ :

  1. कैदी और कोकिला
  2. पुष्प की अभिलाषा

माखनलाल चतुर्वेदी की चर्चित पंक्ति :

“सखे बता दो कैसे गाऊ, अमृत विष का नाम न हो।
जगे एशिया हिले विश्व और राजनीति का नाम ना हो।।”



3. केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’ | Kedarnath Mishra ‘Prabhat’

इनका जन्म 11 सितंबर 1907 ईस्वी में बिहार में हुआ। इनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार है :

01. शुभ्रा गीतिकाव्य
02. कर्ण खंडकाव्य
03. कैकेयी खंडकाव्य
04. ऋतम्बरा खंडकाव्य
05. बैठो मेरे पास काव्य संग्रह
  • ऋतम्बरा में प्रलय से लेकर मानव सृष्टी तक की कथा कही गई है।

4. मोहनलाल महतो वियोगी | Mohanlal Mahato Viyogi

मोहनलाल महतो का जन्म 1902 ईस्वी में हुआ था। इन्होंने अपनी प्रखर प्रतिभा से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है। इनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार है :

  1. आर्यावर्त

5. सोहन लाल द्विवेदी | Sohan Lal Dwivedi

इनका जन्म 1906 ईस्वी में हुआ। इनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार है :

  1. चित्रा
  2. कुणाल
  3. युगाधार

6. श्याम नारायण पाण्डेय | Shyam Narayan Pandey

इनका जन्म 1907 ईस्वी में हुआ। इनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार है :

  1. हल्दीघाटी
  2. जौहर


7. सियारामशरण गुप्त | Siyaramsharan Gupt

इनका जन्म 1895 ईस्वी में चिरगाँव, झाँसी (उत्तर प्रदेश) में हुआ। ये हिंदी साहित्य के गाँधी माने जाते है।

सियारामशरण गुप्त की प्रमुख रचनाएँ :

सं.रचना वर्ष
01. मौर्यविजय 1914
02. अनाथ 1917
03. दुर्वादल 1921
04. विषाद 1925
05. आर्द्रा 1927
06. आत्मोत्सर्ग 1931
07. पाथेय 1933
08. मृणमयी 1936
09. बापू 1937
10. दैनिकी 1942
11. नकुल 1946
12. नौआखली 1946
13. जय हिंद
14. गोपिका
15. उन्मुक्त 1940
  • उन्मुक्त एक खंड काव्य है। यह खंडकाव्य युद्ध की विभीषिका एवं मानवीय करुणा पर रचित है। इसमें अत्याचारी लौहद्वीप के निवासी शांतिप्रिय कुसुमद्विप को युद्ध के लिए मजबूर कर देते हैं।

सियारामशरण गुप्त की चर्चित पंक्ति :

“हिंसा का है एक अहिंसा प्रत्युत्तर।”


8. बालकृष्ण शर्मा नवीन | Bal Krishna Sharma Naveen

इनका जन्म 1897 ईस्वी में हुआ। यह गणेशशंकर विद्यार्थी के मित्र थे। 1933 ईस्वी में गांधीजी के सत्याग्रह आंदोलन स्थगित कर देने पर दुखी होकर नवीन जी ने लिखा :

“आज खड्ग की धार कुंठिता, है खाली तुणीर हुआ।”

नवीन जी स्वयं को अनिकेतन और विषपायी कहते थे :

“हम विषपायी जन्म के, सहे बोल कुबोल।
ठाठ फकीराना है अपना, बाघम्बर सोहे तन पर।।”

बालकृष्ण शर्मा नवीन की प्रसिद्ध कविता “साकी” है। तथा इनका पहला काव्य संग्रह “कुमकुम” है।

बालकृष्ण शर्मा नवीन की प्रमुख रचनाएँ :

  • क्वासि
  • रश्मिरेखा
  • अपलक
  • विनोबास्तवन
  • हम विषपायी जन्म के
  • उर्मिला — एक प्रबंध काव्य (1957)

बालकृष्ण शर्मा नवीन की प्रसिद्ध पंक्तियाँ :

“कवि! कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाए।
एक हिलोर इधर से आए, एक हिलोर उधर से आए।।”

“लपक चाटते जूठे पत्ते, जिस दिन देखा मैंने नर को।
उस दिन सोचा क्यों न लगा दू आग, आज दुनियाभर को।।”

इस प्रकार दोस्तों ! आपको उत्तर छायावाद में विकसित होने वाली दोनों धाराओं के कवियों के बारे में अच्छी जानकारी हो गयी होगी। और साथ ही इनकी रचना संग्रह के बारे में भी समझ में आ गया होगा।

आज हमने Rashtriya Kavya Dhara Ke Kavi | राष्ट्रीय सांस्कृतिक स्वच्छंदतावादी काव्यधारा के प्रमुख कवियों और उनकी महत्वपूर्ण रचनाओं के बारे में चर्चा की है। राष्ट्रीय काव्यधारा के एक प्रमुख कवि रामधारी सिंह दिनकर के बारे में हम अगले नोट्स में विस्तार से अध्ययन करेंगे। धन्यवाद !

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एक गुजारिश :

दोस्तों ! आशा करते है कि आपको राष्ट्रीय सांस्कृतिक स्वच्छंदतावादी काव्यधारा के बारे में हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी I यदि आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके अवश्य बतायें I हम आपकी सहायता करने की पूरी कोशिश करेंगे I

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राष्ट्रीय संस्कृति काव्य धारा के कवि कौन कौन से हैं?

उत्तर छायावाद की दूसरी प्रमुख धारा Rashtriya Kavya Dhara Ke Kavi | राष्ट्रीय काव्यधारा के प्रमुख कवि निम्नानुसार है :.
सुभद्रा कुमारी चौहान.
माखनलाल चतुर्वेदी.
केदारनाथ मिश्र 'प्रभात'.
मोहनलाल महतो.
सोहनलाल द्विवेदी.
श्याम नारायण पाण्डेय.
सियारामशरण गुप्त.
बालकृष्ण शर्मा नवीन.

राष्ट्रीय विचारधारा के कवि कौन है?

मैथिलीशरण गुप्त के जीवन में राष्ट्रीयता के भाव कूट-कूट कर भर गए थे। इसी कारण उनकी सभी रचनाएं राष्ट्रीय विचारधारा से ओत प्रोत है। वे भारतीय संस्कृति एवं इतिहास के परम भक्त थे।

राष्ट्रीय काव्य धारा से आप क्या समझते हैं?

हिंदी की राष्ट्रीय काव्यधारा के समस्त कवियों ने अपने काव्य में देशप्रेम व स्वतंत्रता के उत्कट भावना की अभिव्यक्ति दी है। राष्ट्रीय काव्यधारा के प्रणेता के रूप में माखनलाल चतुर्वेदी की 'हिमकिरीटनी','हिमतरंगिणी', 'माता', 'युगचरण', 'समर्पण' आदि के काव्य कृतियों के माध्यम से उनकी राष्ट्रीय भावछाया से अवगत हुआ जा सकता है।