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नमस्कार दोस्तों ! पिछले नोट्स में हमने व्यक्तिगत प्रणय मूलक काव्यधारा और उसके प्रमुख कवियों के बारे में अध्ययन किया था। आज हम Rashtriya Kavya Dhara Ke Kavi | राष्ट्रीय सांस्कृतिक स्वच्छंदतावादी काव्यधारा के प्रमुख कवियों का अध्ययन करने जा रहे है। जैसाकि पूर्व में बता चुके है कि हिंदी साहित्य में छायावाद के बाद जो काव्य प्रवृत्ति उत्पन्न हुई, उसे उत्तर छायावाद के नाम से जाना जाता है। यह प्रवृत्ति 1930 ईस्वी के बाद देखने को मिलती है। उत्तर छायावाद में विकसित होने वाली दो धाराएं हैं :
राष्ट्रीय सांस्कृतिक स्वच्छंदतावादी काव्यधारा के प्रमुख कविउत्तर छायावाद की दूसरी प्रमुख धारा Rashtriya Kavya Dhara Ke Kavi | राष्ट्रीय काव्यधारा के प्रमुख कवि निम्नानुसार है :
1. सुभद्रा कुमारी चौहान | Subhadra Kumari Chauhan
सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएँ :
सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्ध पंक्ति :
2. माखनलाल चतुर्वेदी | Makhanlal Chaturvediमाखनलाल चतुर्वेदी एक प्रसिद्ध लेखक कवि और पत्रकार रहे हैं। लेकिन वह एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे । इनका जन्म 1888 ई में मध्यप्रदेश में हुआ । जयशंकर प्रसाद के पश्चात यह सांस्कृतिक चेतना के बड़े कवि माने जाते हैं। चतुर्वेदी जी राजनीति का साहित्य से गहरा संबंध मानते हैं। इन्होंने प्रभा, प्रताप, कर्मवीर पत्रिका का संपादन किया है। उनके संपादन काल में कर्मवीर पत्रिका राष्ट्रीय जागरण का अग्रदूत बन गई थी और यही पत्रिका चतुर्वेदी जी की प्रसिद्धि का आधार भी बनी। माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख रचनाएँ :
माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख कविताएँ :
माखनलाल चतुर्वेदी की चर्चित पंक्ति :
3. केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’ | Kedarnath Mishra ‘Prabhat’इनका जन्म 11 सितंबर 1907 ईस्वी में बिहार में हुआ। इनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार है :
4. मोहनलाल महतो वियोगी | Mohanlal Mahato Viyogiमोहनलाल महतो का जन्म 1902 ईस्वी में हुआ था। इन्होंने अपनी प्रखर प्रतिभा से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है। इनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार है :
5. सोहन लाल द्विवेदी | Sohan Lal Dwivediइनका जन्म 1906 ईस्वी में हुआ। इनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार है :
6. श्याम नारायण पाण्डेय | Shyam Narayan Pandeyइनका जन्म 1907 ईस्वी में हुआ। इनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार है :
7. सियारामशरण गुप्त | Siyaramsharan Guptइनका जन्म 1895 ईस्वी में चिरगाँव, झाँसी (उत्तर प्रदेश) में हुआ। ये हिंदी साहित्य के गाँधी माने जाते है। सियारामशरण गुप्त की प्रमुख रचनाएँ :
सियारामशरण गुप्त की चर्चित पंक्ति :
8. बालकृष्ण शर्मा नवीन | Bal Krishna Sharma Naveenइनका जन्म 1897 ईस्वी में हुआ। यह गणेशशंकर विद्यार्थी के मित्र थे। 1933 ईस्वी में गांधीजी के सत्याग्रह आंदोलन स्थगित कर देने पर दुखी होकर नवीन जी ने लिखा :
नवीन जी स्वयं को अनिकेतन और विषपायी कहते थे :
बालकृष्ण शर्मा नवीन की प्रसिद्ध कविता “साकी” है। तथा इनका पहला काव्य संग्रह “कुमकुम” है। बालकृष्ण शर्मा नवीन की प्रमुख रचनाएँ :
बालकृष्ण शर्मा नवीन की प्रसिद्ध पंक्तियाँ :
इस प्रकार दोस्तों ! आपको उत्तर छायावाद में विकसित होने वाली दोनों धाराओं के कवियों के बारे में अच्छी जानकारी हो गयी होगी। और साथ ही इनकी रचना संग्रह के बारे में भी समझ में आ गया होगा। आज हमने Rashtriya Kavya Dhara Ke Kavi | राष्ट्रीय सांस्कृतिक स्वच्छंदतावादी काव्यधारा के प्रमुख कवियों और उनकी महत्वपूर्ण रचनाओं के बारे में चर्चा की है। राष्ट्रीय काव्यधारा के एक प्रमुख कवि रामधारी सिंह दिनकर के बारे में हम अगले नोट्स में विस्तार से अध्ययन करेंगे। धन्यवाद ! यह भी जरूर पढ़े :
एक गुजारिश :दोस्तों ! आशा करते है कि आपको “राष्ट्रीय सांस्कृतिक स्वच्छंदतावादी काव्यधारा“ के बारे में हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी I यदि आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके अवश्य बतायें I हम आपकी सहायता करने की पूरी कोशिश करेंगे I नोट्स अच्छे लगे हो तो अपने दोस्तों को सोशल मीडिया पर शेयर करना न भूले I नोट्स पढ़ने और Hindishri पर बने रहने के लिए आपका धन्यवाद..! राष्ट्रीय संस्कृति काव्य धारा के कवि कौन कौन से हैं?उत्तर छायावाद की दूसरी प्रमुख धारा Rashtriya Kavya Dhara Ke Kavi | राष्ट्रीय काव्यधारा के प्रमुख कवि निम्नानुसार है :. सुभद्रा कुमारी चौहान. माखनलाल चतुर्वेदी. केदारनाथ मिश्र 'प्रभात'. मोहनलाल महतो. सोहनलाल द्विवेदी. श्याम नारायण पाण्डेय. सियारामशरण गुप्त. बालकृष्ण शर्मा नवीन. राष्ट्रीय विचारधारा के कवि कौन है?मैथिलीशरण गुप्त के जीवन में राष्ट्रीयता के भाव कूट-कूट कर भर गए थे। इसी कारण उनकी सभी रचनाएं राष्ट्रीय विचारधारा से ओत प्रोत है। वे भारतीय संस्कृति एवं इतिहास के परम भक्त थे।
राष्ट्रीय काव्य धारा से आप क्या समझते हैं?हिंदी की राष्ट्रीय काव्यधारा के समस्त कवियों ने अपने काव्य में देशप्रेम व स्वतंत्रता के उत्कट भावना की अभिव्यक्ति दी है। राष्ट्रीय काव्यधारा के प्रणेता के रूप में माखनलाल चतुर्वेदी की 'हिमकिरीटनी','हिमतरंगिणी', 'माता', 'युगचरण', 'समर्पण' आदि के काव्य कृतियों के माध्यम से उनकी राष्ट्रीय भावछाया से अवगत हुआ जा सकता है।
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