Peddia is an Online Hindi Question and Answer Website, That Helps You To Prepare India's All States Board Exams Like BSEB, UP Board, RBSE, HPBOSE, MPBSE, CBSE & Other General Competitive Exams. Show
If You Have Any Query/Suggestion Regarding This Website or Post, Please Contact Us On : [email protected] Peddia is an Online Hindi Question and Answer Website, That Helps You To Prepare India's All States Board Exams Like BSEB, UP Board, RBSE, HPBOSE, MPBSE, CBSE & Other General Competitive Exams. If You Have Any Query/Suggestion Regarding This Website or Post, Please Contact Us On : [email protected] विषयसूची पांडुलिपि के कितने चरण है?इसे सुनेंरोकेंपांडुलिपि का प्रयोग राजा महाराजा के कार्यों का वर्णन करने हेतु एवं उनके द्वारा किए गए विकास को लिखने में प्रयोग किया जाता था। पांडुलिपि को तैयार करने में मुख्य रूप से छह चरण से गुजारा जाता है। पांडुलिपि तैयार करने के चार चरण कौन कौन से हैं?1 Answer
पांडुलिपि तैयार करने के केंद्र को क्या कहा जाता था? इसे सुनेंरोकेंइसको हस्तप्रति, लिपिग्रन्थ इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। पांडुलिपियों के उपयोग में इतिहासकारों को क्या समस्याएं आती है? पांडुलिपियों के उपयोग में इतिहासकारों के सामने निम्न समस्याएँ आती हैं:
पांडुलिपियों को लिखने के लिए प्राचीन काल में क्या इस्तेमाल किया गया था?इसे सुनेंरोकेंभोजपत्र कश्मीर से प्राप्त एक भोजपत्र पाण्डुलिपि यूरोप, एशिया तथा उत्तरी अमेरिका में उगने वाले अनेक प्रकार के भूर्जवृक्षों की छाल को भोजपत्र (Birch bark या birchbark) कहते हैं। प्राचीन काल में इसका उपयोग ग्रन्थ लिखने के लिए किया जाता था। पाण्डुलिपि का अर्थ क्या है?इसे सुनेंरोकेंपाण्डुलिपि (अंग्रेज़ी: Manuscript) उस दस्तावेज को कहते हैं जो एक व्यक्ति या अनेक लोगों द्वारा हाथ से लिखी गयी हो। जैसे हस्तलिखित पत्र। प्रिन्ट किया हुआ या किसी अन्य विधि से किसी दूसरे दस्तावेज से (यांत्रिक/वैद्युत रीति से) नकल करके तैयार सामग्री को पाण्डुलिपि नहीं कहते हैं। पाण्डुलिपि का क्या अर्थ है? इसे सुनेंरोकेंपाण्डुलिपि (manuscript) उस दस्तावेज को कहते हैं जो एक व्यक्ति या अनेक व्यक्तियों द्वारा हाथ से लिखी गयी हो। जैसे हस्तलिखित पत्र। मुद्रित किया हुआ या किसी अन्य विधि से, किसी दूसरे दस्तावेज से (यांत्रिक/वैद्युत रीति से) नकल करके तैयार सामग्री को पाण्डुलिपि नहीं कहते हैं। पांडुलिपि छापाखाना क्या है? इसे सुनेंरोकेंछापाखाना (printing press) के आविष्कार के पूर्व भोजपत्र तथा हाथ से बने कागज पर हाथ से सुंदर अक्षरों में लिखकर पुस्तकें तैयार की जाती थी, इन्हे ही पांडुलिपि (manuscript) कहते हैं। भारत में विभिन्न भाषाओं में इन्हें तैयार किया गया है। पाण्डुलिपि या मातृकाग्रन्थ एक हस्तलिखित ग्रन्थविशेष है । इसको हस्तप्रति, लिपिग्रन्थ इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। आङ्ग्ल भाषा में यह Manuscript शब्द से प्रसिद्ध है इन ग्रन्थों को MS या MSS इन संक्षेप नामों से भी जाना जाता है। हिन्दी भाषा में यह 'पाण्डुलिपि', 'हस्तलेख', 'हस्तलिपि' इत्यादि नामों से प्रसिद्ध है । ऐसा माना जाता है कि सोलहवीं शताब्दी (१६) के आरम्भ में विदेशियों के द्वारा संस्कृत का अध्ययन आरम्भ हुआ । अध्ययन आरम्भ होने के पश्चात इसकी प्रसिद्धि सत्रहवीं शताब्दी के अन्त में और अठारवीं शताब्दी के आरम्भ में मानी जाती है । उस कालखण्ड में भारत में स्थित मातृकाग्रन्थों का अध्ययन एवं संरक्षण विविध संगठनों के द्वारा किया गया । पाण्डुलिपि (manuscript) उस दस्तावेज को कहते हैं जो एक व्यक्ति या अनेक व्यक्तियों द्वारा हाथ से लिखी गयी हो। जैसे हस्तलिखित पत्र। मुद्रित किया हुआ या किसी अन्य विधि से, किसी दूसरे दस्तावेज से (यांत्रिक/वैद्युत रीति से) नकल करके तैयार सामग्री को पाण्डुलिपि नहीं कहते हैं। पाण्डुलिपि अपनी रक्षा के लिये क्या कहती है, देखें- जलाद्रक्षेत्तैलाद्रक्षेद्रक्षेच्छिथिलबन्धनात्। मूर्खहस्ते न मां दद्यादिति वदति पुस्तकम् ॥( मुझे जल से, तेल से, ढ़ीले बन्धन (बाइंडिंग) से बचायें। मुझे मूर्ख के हाथ में नहीं थमाना चाहिये - ऐसा पुस्तक कहता है।इतिहास[संपादित करें]मातृकाग्रन्थों का मुख्य उद्देश्य भारतीयज्ञान की अतिप्राचीन परम्परा का संरक्षण है । वेदों के गंभीर ज्ञान से लेकर पञ्चतन्त्र की बालकथाओं तक संस्कृत में विषय-विविधता विद्यमान है। हजारों वर्षों से सङ्कलित और संरक्षित यह ज्ञान युगों युगों से चला आ रहा है । अंत: मातृकाग्रन्थों या पाण्डुलिपियों का इतिहास ही भारतीयपरम्परा का इतिहास माना जाता है । बल-विक्रम और आयु के साथ कालान्तर में मनुष्य की स्मृतिशक्ति का ह्रास हुआ । जिस ह्रास के कारण ज्ञान का और शोधप्रबन्धों का रक्षण करने के लिए मातृकाग्रन्थों की वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग आरम्भ हुआ । मातृकाग्रन्थ अनेक प्रकार के होते हैं , परन्तु उनमें ताडपत्र, भोजपत्र, ताम्रपत्र और सुवर्णपत्र आदि प्रसिद्ध प्रकार हैं । वर्तमान में सर्वाधिक मातृकाग्रन्थ भोजपत्रों और ताडपत्रों में प्राप्त होते हैं । ताडपत्र लौह लेखनी से लिखे जाते थे । मातृकाग्रन्थों के लेखन में विशिष्ट साधन और कौशल की अपेक्षा होती है । मातृकाग्रन्थ के लेखक विद्वान और कलाओं से पूर्ण (कुशल) होने चाहिए । जर्मनी देश के वेद विद्वान मैक्समूलर (१८२३-१९००) ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि "इस समस्त संसार में ज्ञानियों और पण्डितों का देश एकमात्र भारत ही है, जहाँ विपुल ज्ञानसम्पदा हस्तलिखित ग्रन्थों के रूप में सुरक्षित है "। सूचिप्रकाशन[संपादित करें]आरम्भ में संस्कृत मातृकाग्रन्थों का संरक्षण 'रॉयल एशियाटिक सोसायटी' संस्था और 'इण्डिया ऑफिस्' संस्था के द्वारा हुआ । १७८४ ई.में 'रॉयल एशियाटिक सोसाइटी' संस्था की स्थापना हुयी । उस संस्था के द्वारा भारत में विद्यमान मातृकाग्रन्थों का सङ्कलन कार्य प्रारंभ हुआ ।इस संस्था के ग्रन्थ-सङ्ग्रह की सूची १८०७ ई. में लन्दन से प्रकाशित हुयी । उस सूची के मुख्यसम्पादक सर विलियम जोन्स और लेडी जोन्स थे । हेनरी टामस कोलब्रुक (१७६५-१८३७ ई.) को १८०७ ई. में 'एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल'-संस्था के सभापति के रूप में नियुक्त किया गया । उन्होंने अपने कार्यकाल में अनेक मातृकाग्रन्थों को संरक्षित की । उनके द्वारा लिखित शोधपूर्ण विवरणिका आज भी लन्दन में सुरक्षित है । उनका अनुसरण करते हुए अन्य विद्वानों ने १८१७-१९३४ के मध्य विभिन्न ग्रन्थ-सङ्ग्रहों को प्रकाशित किया । उस कार्य में मुख्य व्यक्ति पं. हरप्रसाद शास्त्री माने जाते हैं । आठवें भाग का सम्पादन १९३४-४० के मध्य श्री चिन्ताहरण चक्रवर्ती ने किया । दशवें भाग का सम्पादन १९४५ में श्रीचन्द्रसेनगुप्त ने किया । इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
पांडुलिपि तैयार करने के चरण कौन कौन से हैं?पाण्डुलिपि (manuscript) उस दस्तावेज को कहते हैं जो एक व्यक्ति या अनेक व्यक्तियों द्वारा हाथ से लिखी गयी हो।
पांडुलिपि तैयार करने में कितने चरण होते हैं?Solution : पांडुलिपि तैयार करने के चार चरण निम्नलिखित हैं <br> 1. कागज तैयार करना। <br> 2. लेखन कार्य।
पाण्डुलिपि को कहाँ रखा गया था?तमिलनाडु की लाइब्रेरी में एक ऐसी अज्ञात लिखावट मिली है जिसे कोई पढ़ नहीं पा रहा है. चेन्नई में सरकारी ओरिएंटल पांडुलिपि पुस्तकालय में अलग-अलग जगहों से मिली 70,000 से अधिक पांडुलिपियां रखी हुई हैं लेकिन उनमें एक ऐसी पांडुलिपि मिली है जिस पर लिखी भाषा अब तक रहस्य बनी हुई है.
पांडुलिपि चित्रकला क्या है?पाण्डुलिपि भारतीय चित्रकला की अनमोल विरासत है यह धार्मिक भावनाओं सामाजिक जनजीवन व जीवन शैली का अनूठा परिचय देती है। पाण्डुलिपि प्रथमतः कलाकृति है कलात्मक काव्य के साथ सुन्दर लिप्यासन, कलात्मक लिपि लेखन, कलात्मक पृष्ठ सज्जा और कलात्मक चित्रविधान इसके मूल्य के साथ पाण्डुलिपि का भी मूल्य घटता बढ़ता है।
|