स्वास्थ्य के आयाम कौन कौन से हैं? - svaasthy ke aayaam kaun kaun se hain?

  1. जीवनचर्या तय करें

हालांकि हमारे पेशेवर जीवन में काफी अड़चनें आ गई हैं और हम में से अधिकांश लोग घरों से काम कर रहे हैं, इसके बावजूद यह जरूरी है कि हम अपने लिए एक रूटीन तय करें और उस पर कायम रहें। दिनचर्या सुनिश्चित हो तो इससे तनाव घटता है और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। आपके रुटीन में बच्चों को उनकी पढ़ाई में मदद करना, घर से ऑफिस के काम पूरे करना, खाना बनाना, घर के दूसरे काम करना और आसन, व्यायाम, प्रणायाम आदि स्वास्थ्य संबंधी उपाय भी शामिल हों तो बेहतर है।

  1. स्वास्थ्यकर भोजन करें और खाने का समय निश्चित रखें

स्वास्थ्यकर भोजन बहुत महत्वपूर्ण है। चीनी युक्त पेय पदार्थों की बजाय अधिक से अधिक पानी का सेवन करें, अपने भोजन में सोडियम और नमक का उपयोग घटाएं। भोजन कम घी, तेल और बटर से पकाएं। ज्यादा फैट वाले मीट की बजाय सीफूड खाएं, ज्यादा से ज्यादा सब्जी और फल खाएं। घर पर रहने की वजह से आपके खान-पान पर भी असर पड़ सकता है। शोध बताते हैं कि अनियमित और असमय भोजन करने से आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। घर पर रहते हुए, आपको सलाह दी जाती है कि अपने भोजन की नियमितता बनाए रखें।

  1. नींद पूरी करें

नियमित रूप से आप जितना सोते थे, उसे जरूर पूरा करने की कोशिश करें क्योंकि पर्याप्त नींद बहुत जरूरी है। हर रोज के लिए सोने का एक सामान्य समय और उठने का समय तय रखें। इससे आप बेहतर रूप से नींद पूरी कर पाएंगे और सुबह उठते हुए तरो-ताजा महसूस करेंगे। साक्ष्य बताते हैं कि जो लोग नींद पूरी नहीं करते उनको ज्यादा मानसिक और शारीरिक समस्याएं होती हैं। नींद की कमी से आपकी मौजूदा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ सकती हैं। अगर आप रात को पर्याप्त (वयस्कों के लिए 7 से 9 घंटे) नींद पूरी करते हैं तो इससे आपकी सीखने की क्षमता, स्मृति, मूड और हृदय का स्वास्थ्य बेहतर होगा और साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर रहेगी।

  1. व्यायाम/योग

इन दिनों आप घरों में जरूर हैं, लेकिन सक्रिय रहना और शरीरिक गतिविधियों को जारी रखना बहुत जरूरी है। व्यायाम और योग से आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों ही बेहतर हो सकता है। अगर आपके इलाके में इस पर कोई प्रतिबंध नहीं हो तो आप बाहर निकल कर टहल लें। अगर बाहर जाने की इजाजत नहीं है तो भी कई व्यायाम हैं जो आप आसानी से घर के अंदर कर सकते हैं, जैसे एक ही जगह पर खड़े-खड़े उछलना, दंड बैठक या पुश-अप। या फिर घर के अंदर एक जगह पर बैठे रहने की बजाय कोशिश कीजिए कि कुछ-कुछ देर अंदर सीमित जगह पर ही टहलते रहें। आप चाहें तो अपने व्यायाम में थोड़ा वजन उठाने को भी शामिल कर सकते हैं। इसके लिए अगर डंबल आदि नहीं हैं तो पानी की बोतल या केन का उपयोग कर सकते हैं। इसी तरह योग तो छोटे कमरे में भी किया जा सकता है।

  1. घर से काम करते हुए उत्पादकता बढ़ाएं

बहुत से लोग इन दिनों घरों से दफ्तर का काम कर रहे हैं। अगर आप या आपके परिवार का कोई सदस्य ऐसा कर रहा है तो नीचे दिए कुछ नुस्खे अपना सकता है। इससे इस नए माहौल में काम करते हुए वह अपनी उत्पादकता बढ़ा सकता है-

5.1 घर के अंदर ही एक कार्यस्थल बना लें

घर में अपनी सीमित जगह के अंदर ही अपने काम करने का स्थान तय कर लें। यह चाहे खाली पड़ा गेस्ट रूम हो या फिर आपके डिनर टेबल का ही एक कोना हो। इससे आपको ऑफिस में या काम पर होने का एहसास होगा। साथ ही घर और दफ्तर के काम का फर्क भी बना रहेगा। अगर इस जगह पर कुछ प्राकृतिक रोशनी, ताजी हवा, एक-दो पौधे या बाहर का नजारा दिखे तो इससे आपका मूड बेहतर बना रहेगा और आपकी रचनात्मकता और उत्पादकता बनी रहेगी।

5.2 चहल-पहल करें

काम करते हुए भी यह सुनिश्चित करें कि हर घंटे कम से कम एक-दो मिनट के लिए भी उठ कर खड़े हों जाएं। लंबे समय तक बैठे रहने से आपके शरीर का मेटाबोलिज्म घट सकता है, जिसका स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर होगा। कुछ मिनट के लिए खड़े रहने, स्ट्रेचिंग करने, टहलने से काम पर आपका ध्यान और बढ़ेगा।

5.3 काम के अतिरिक्त भी समय उपलब्ध रखें

अपने प्रियजनों के साथ समय बिताना नहीं भूलें, जो किताब महीनों से आल्मारी में पड़ी है, उसे पढ़ने का समय निकालें। खाना बनाने, साफ-सफाई करने और व्यायाम करने का समय निकालें। आप रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ साप्ताहिक वीडियो चैट का समय भी तय कर सकते हैं।

6.नई हॉबी आजमाएं

तात्कालिक समस्या के बारे में ही सोचते रहने की बजाय कुछ नया आजमाएं! कोई नई हेल्दी चीज पकाएं। किसी नई आर्ट में हाथ आजमाएं, जो तनाव घटाने, रचनात्मकता बढ़ाने, चिंता व अवसाद दूर करने और बुजुर्गों में स्मृति बनाए रखने में प्रभावी पाई गई हैं।

कुछ उपयोगी सामग्री:

  • Harvard T.H. Chan School of Public Health: The Nutrition Source
  • National Institute of Nutrition: Nutrition Information Communication and Education (NICE) Portal
  • World Health Organization: Nutrition
  • Centers for Disease Control and Prevention: Healthy Weight
  • Piedmont Healthcare: Why Routines are Good for Your Health
  • S. Department of Health and Human Services: Importance of Good Nutrition
  • S. Department of Health and Human Services: How to Eat Healthy
  • Harvard Health Publishing: Importance of Sleep : Six reasons not to scrimp on sleep
  • Human Spaces: The Global Impact of Biophilic Design in the Workplace

स्वास्थ्य सिर्फ बीमारियों की अनुपस्थिति का नाम नहीं है। हमें सर्वांगीण स्वास्थ्य के बारे में जानकारी होना बोहोत आवश्यक है। स्वास्थ्य का अर्थ विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग होता है। लेकिन अगर हम एक सार्वभौमिक दृष्टिकोण की बात करें तो अपने आपको स्वस्थ कहने का यह अर्थ होता है कि हम अपने जीवन में आनेवाली सभी सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का प्रबंधन करने में सफलतापूर्वक सक्षम हों। वैसे तो आज के समय मे अपने आपको स्वस्थ रखने के ढेर सारी आधुनिक तकनीक मौजूद हो चुकी हैं, लेकिन ये सारी उतनी अधिक कारगर नहीं हैं।


अनुक्रम १ समग्र स्वास्थ्य की परिभाषा १.१ शारीरिक स्वास्थ्य १.२ मानसिक स्वास्थ्य १.३ बौद्धिक स्वास्थ्य १.४ आध्यात्मिक स्वास्थ्य १.५ सामाजिक स्वास्थ्य २ आयुर्वेद के अनुसार स्वास्थ्य की परिभाषा ३ स्वास्थ्य का आधुनिक दृष्टिकोण ४ सन्दर्भ ५ इन्हें भी देखें ६ बाहरी कड़ियाँ समग्र स्वास्थ्य की परिभाषा विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, स्वास्थ्य सिर्फ रोग या दुर्बलता की अनुपस्थिति ही नहीं बल्कि एक पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक खुशहाली की स्थिति है। स्वस्थ लोग रोजमर्रा की गतिविधियों से निपटने के लिए और किसी भी परिवेश के मुताबिक अपना अनुकूलन करने में सक्षम होते हैं। रोग की अनुपस्थिति एक वांछनीय स्थिति है लेकिन यह स्वास्थ्य को पूर्णतया परिभाषित नहीं करता है। यह स्वास्थ्य के लिए एक कसौटी नहीं है और इसे अकेले स्वास्थ्य निर्माण के लिए पर्याप्त भी नहीं माना जा सकता है। लेकिन स्वस्थ होने का वास्तविक अर्थ अपने आप पर ध्यान केंद्रित करते हुए जीवन जीने के स्वस्थ तरीकों को अपनाया जाना है।

यदि हम एक अभिन्न व्यक्तित्व की इच्छा रखते हैं तो हमें हर हमेशा खुश रहना चाहिए और मन में इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि स्वास्थ्य के आयाम अलग अलग टुकड़ों की तरह है। अतः अगर हम अपने जीवन को कोई अर्थ प्रदान करना चाहते है तो हमें स्वास्थ्य के इन विभिन्न आयामों को एक साथ फिट करना पड़ेगा। वास्तव में, अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना समग्र स्वास्थ्य का नाम है जिसमें शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य , बौद्धिक स्वास्थ्य, आध्यात्मिक स्वास्थ्य और सामाजिक स्वास्थ्य भी शामिल है।

शारीरिक स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य शरीर की स्थिति को दर्शाता है जिसमें इसकी संरचना, विकास, कार्यप्रणाली और रखरखाव शामिल होता है। यह एक व्यक्ति का सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एक सामान्य स्थिति है। यह एक जीव के कार्यात्मक और/या चयापचय क्षमता का एक स्तर भी है। अच्छे शारीरिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के निम्नलिखित कुछ तरीके हैं-

(१) संतुलित आहार की आदतें, मीठी श्वास व गहरी नींद (२) बड़ी आंत की नियमित गतिविधि व संतुलित शारीरिक गतिविधियां (३) नाड़ी स्पंदन, रक्तदाब, शरीर का भार व व्यायाम सहनशीलता आदि सब कुछ व्यक्ति के आकार, आयु व लिंग के लिए सामान्य मानकों के अनुसार होना चाहिए। (४) शरीर के सभी अंग सामान्य आकार के हों तथा उचित रूप से कार्य कर रहे हों। मानसिक स्वास्थ्य मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ हमारे भावनात्मक और आध्यात्मिक लचीलेपन से है जो हमें अपने जीवन में दर्द, निराशा और उदासी की स्थितियों में जीवित रहने के लिए सक्षम बनाती है। मानसिक स्वास्थ्य हमारी भावनाओं को व्यक्त करने और जीवन की ढ़ेर सारी माँगों के प्रति अनुकूलन की क्षमता है। इसे अच्छा बनाए रखने के निम्नलिखित कुछ तरीके हैं-

(१) प्रसन्नता, शांति व व्यवहार में प्रफुल्लता (२) आत्म-संतुष्टि (आत्म-भर्त्सना या आत्म-दया की स्थिति न हो।) (३) भीतर ही भीतर कोई भावात्मक संघर्ष न हो (सदैव स्वयं से युद्धरत होने का भाव न हो।) (४) मन की संतुलित अवस्था। बौद्धिक स्वास्थ्य यह किसी के भी जीवन को बढ़ाने के लिए कौशल और ज्ञान को विकसित करने के लिए संज्ञानात्मक क्षमता है। हमारी बौद्धिक क्षमता हमारी रचनात्मकता को प्रोत्साहित और हमारे निर्णय लेने की क्षमता में सुधार करने में मदद करता है।

(१) समायोजन करने वाली बुद्धि, आलोचना को स्वीकार कर सके व आसानी से व्यथित न हो। (२) दूसरों की भावात्मक आवश्यकताओं की समझ, सभी प्रकार के व्यवहारों में शिष्ट रहना व दूसरों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखना, नए विचारों के लिए खुलापन, उच्च भावात्मक बुद्धि। (३) आत्म-संयम, भय, क्रोध, मोह, जलन, अपराधबोध या चिंता के वश में न हो। लोभ के वश में न हो तथा समस्याओं का सामना करने व उनका बौद्धिक समाधान तलाशने में निपुण हो। आध्यात्मिक स्वास्थ्य हमारा अच्छा स्वास्थ्य आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ हुए बिना अधूरा है। जीवन के अर्थ और उद्देश्य की तलाश करना हमें आध्यात्मिक बनाता है। आध्यात्मिक स्वास्थ्य हमारे निजी मान्यताओं और मूल्यों को दर्शाता है। अच्छे आध्यात्मिक स्वास्थ्य को प्राप्त करने का कोई निर्धारित तरीका नहीं है। यह हमारे अस्तित्व की समझ के बारे में अपने अंदर गहराई से देखने का एक तरीका है।

(१) समुचित ज्ञान की प्राप्ति तथा स्वयं को एक आत्मा के रूप में जानने का निरंतर बोध। सुप्रीम डॉक्टर के निरंतर संपर्क में रहना। स्वयं को जानने व अनुभव करने वाली आत्मा सदैव शांत व पवित्र होगी। (२) अपने शरीर सहित इस भौतिक जगत की किसी भी वस्तु से मोह न रखना। दूसरी आत्माओं के प्रभाव में आए बिना उनसे भाईचारे का नाता रखना। इस प्रकार एक व्यक्ति के कर्म उन्नत होंगे तथा उच्चस्तरीय व विशिष्ट हो पाएंगे। (३) सुप्रीम डॉक्टर या सर्वोच्च आत्मा से निरंतर बौद्धिक संप्रेषण ताकि सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त कर विशुद्ध कर्म की ओर प्रेषित की जा सके। आत्मा स्वयं को तथा दूसरों को विनीत, अनश्वर तथा दुर्गुणरहित पाएगी। उसे कोई भी सांसारिक बाधा त्रस्त नहीं कर सकती। सामाजिक स्वास्थ्य चूँकि हम सामाजिक जीव हैं अतः संतोषजनक रिश्ते का निर्माण करना और उसे बनाए रखना हमें स्वाभाविक रूप से आता है। सामाजिक रूप से सबके द्वारा स्वीकार किया जाना हमारे भावनात्मक खुशहाली के लिए अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

(१) ऐसी मित्रता करें जो संतोषप्रद व दीर्घकालिक हो। (२) परिवार व समाज से जुड़े संबंधों को हार्दिक व अक्षुण्ण बनाए रखें (३) अपनी व्यक्तिगत क्षमता के अनुसार समाज के कल्याण के लिए कार्य करना। अधिकांश लोग अच्छे स्वास्थ्य के महत्त्व को नहीं समझते हैं और अगर समझते भी हैं तो वे अभी तक इसकी उपेक्षा कर रहे हैं। हम जब भी स्वास्थ्य की बात करते हैं तो हमारा ध्यान शारीरिक स्वास्थ्य तक ही सीमित रहता है। हम बाकी आयामों के बारे में नहीं सोचते हैं। अच्छे स्वास्थ्य की आवश्यकता हम सबको है। यह किसी एक विशेष धर्म, जाति, संप्रदाय या लिंग तक सीमित नहीं है। अतः हमें इस आवश्यक वस्तु के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए। अधिकांश रोगों का मूल हमारे मन में होता है। एक व्यक्ति को स्वस्थ तब कहा जाता है जब उसका शरीर स्वस्थ और मन साफ और शांत हो। कुछ लोगों के पास भौतिक साधनों की कमी नहीं होती है फिर भी वे दुःखी या मनोवैज्ञानिक स्तर पर उत्तेजित हो सकते।

स्वास्थ्य के आयाम कितने हैं?

स्वास्थ्य सारे विष्व का लक्ष्य है । के अनेक दार्षनिकों, वैज्ञानिकों, मनोवैज्ञानिकों ने स्वास्थ्य के कई प्रकार के आयाम बताये हैं लेकिन इन में मुख्य रूप से तीन ही आयाम सर्वमान्य हैं । शारीरिक, मानसिक और सामाजिक ।

स्वास्थ्य से क्या अभिप्राय है तथा इसके एक आयाम का नाम लिखिए?

मनुष्य की शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, बौद्धिक तथा सामाजिक सुखावह अवस्था को स्वास्थ्य (Health) कहते हैं । स्वास्थ्य जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है। व्यक्ति को स्वस्थ तब कहा जाता है जब उसे कोई रोग नहीं होता है अर्थात् रोग न होने की अवस्था स्वास्थ्य है। व्यक्ति के शरीर को निरोगी होना ही 'स्वास्थ्य'' समझा जाता है।

स्वास्थ्य की परिभाषा में कौन से आयाम शामिल हैं?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) ने सन् 1948 में स्वास्थ्य या आरोग्य की निम्नलिखित परिभाषा दी गई है। 1) दैहिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना (समस्या-विहीन होना) ही स्वास्थ्य है। 2) किसी व्यक्ति की मानसिक,शारीरिक और सामाजिक रुप से अच्छे होने की स्थिति को स्वास्थ्य कहते हैं।।

स्वास्थ्य से आप क्या समझते हैं स्वास्थ्य के विभिन्न आयामों का वर्णन करें?

स्वास्थ्य विज्ञान, स्वस्थ जीवन का ही एक अभिन्न भाग है और इसका संबंध हमारे शरीर और हमारे चारों तरफ के वातावरण की साफ-सफाई से होता है । स्वास्थ्य की परिभाषाः विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) के अनुसार, "स्वास्थ्य मात्र रोग' की अनुपस्थिति ही नहीं, वरन पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक तंदुरूस्ती की अवस्था है।