वन्य जीव संरक्षण से क्या समझते हैं? - vany jeev sanrakshan se kya samajhate hain?

वन्य-जीवन के अन्तर्गत वे जीव (पादप, जन्तु तथा सूक्ष्म जीव) सम्मिलित हैं जो अपने प्राकृतिक आवासों में मिलते हैं। मानवजाति के लिए वन्य जन्तु भी वनों के समान ही महत्त्वपूर्ण हैं। औद्योगीकरण, सड़क निर्माण, विद्युत परियोजनाओं तथा अन्य आधुनिक गतिविधियों के कारण वनों का विनाश हुआ है। जिससे वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास नष्ट हुए हैं। इसी कारण अनेक वन्य जन्तुओं की प्रजातियाँ विलुप्त हो रही हैं या विलुप्तीकरण की ओर अग्रसर हैं जिनमें बाघ, काला चीतल, हिरण, जंगली सूअर, शेर आदि प्रमुख हैं। एक अनुमान के अनुसार वन्य जन्तुओं की लगभग 81 संकटग्रस्त जातियाँ विलुप्तीकरण के कगार पर हैं। वन्य जन्तुओं के प्रबन्धन से तात्पर्य जन्तुओं की वृद्धि, विकास प्रजनन, उपयोग तथा संरक्षण से है। प्रबन्धन का मूल उद्देश्य यह भी है कि किसी भी जाति का अधिक शोषण न हो, रोग तथा अन्य प्राकृतिक . आपदाओं उसके विलुप्त होने का कारण न बने तथा मानवजाति अधिक-से-अधिक लाभान्वित हो सके।

वन्यजीव से आप क्या समझते है?

जंगली जीव हर उस वृक्ष, पौधे, जानवर और अन्य जीव को कहते हैं जिसे मानवों द्वारा पालतू न बनाया गया हो। जंगली जीव दुनिया के सभी परितंत्रों (ईकोसिस्टम​) में पाए जाते हैं, जिनमें रेगिस्तान, वन, घासभूमि, मैदान, पर्वत और शहरी क्षेत्र सभी शामिल हैं।

वन संरक्षण के लिए कौन कौन से प्रयास करना चाहिए?

सार्वजनिक सहकारिता और वन संरक्षण के लिए जागरूकता भी आवश्यक है। वन संरक्षण के लिए हम जरूरी कदम उठा सकते हैं जैसे कि बरसात के मौसम में सामुदायिक वानिकी के माध्यम से पौधों को बढ़ावा देना, जंगलों के रोपण और जंगलों के संरक्षण के लिए प्रचार और जागरूकता कार्यक्रम चलाने के द्वारा वन क्षेत्र में वृद्धि करना

भारत में वन्य जीव संरक्षण कब लागू किया गया?

सरकार ने वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 को देश के वन्यजीवों को सुरक्षा प्रदान करने एवं अवैध शिकार, तस्करी और अवैध व्यापार को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लागू किया था। जनवरी 2003 में अधिनियम में संशोधन किया गया था और सजा और अधिनियम के तहत अपराधों के लिए जुर्माना और अधिक कठोर बना दिया है।

भारत में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए कौन कौन से कदम उठाए गए हैं?

भारत में वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए 'पर्यावरण संरक्षण अधिनियम', 'वन संरक्षण अधिनियम', 'राष्ट्रीय वन्य जीव कार्य योजना', 'टाइगर परियोजना', 'राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य', 'जैव-क्षेत्रीय रिजर्व कार्यक्रम' आदि चल रहे हैं। इन योजनाओं के कारण कुछ प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाया गया है।