वेलेजली की सहायक संधि की प्रमुख शर्तें क्या थीं? - velejalee kee sahaayak sandhi kee pramukh sharten kya theen?

इसे सुनेंरोकेंसहायक संधि की प्रमुख शर्तें निम्नलिखित थीं— वह बिना कंपंनी की अनुमति के किसी अन्य राज्य से युद्ध, संधि या मैत्री नहीं कर सकेगा . देशी राज्य कंपनी की स्वीकृति प्राप्त किए. बिना अँगरेजों के अतिरिक्त किसी अन्य यूरोपीय या अँगरेजों के शत्रु-राज्य के व्यक्ति को अपने दरबार में आश्रय, शरण या नौकरी नहीं देंगे.

क्यों और किन परिस्थितियों में भारतीय शासकों ने सहायक संधि की शर्तों को स्वीकार किया?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: यह एक प्रकार की मैत्री संधि थी, जिसका प्रयोग 1798-1805 तक भारत के गवर्नर-जनरल रहे लॉर्ड वेलेजली ने भारत के देशी राज्यों से संबंध स्थापित करने के लिए किया था। सहायक संधि अंग्रेजों की साम्राज्यवादी नीति पर आधारित थी। इस संधि के प्रयोग से भारत में अंग्रेजी सत्ता की श्रेष्ठता स्थापित हो गयी।

पढ़ना:   क्या आप सपने में कोहरा देखते हैं?

सहायक गठबंधन किसने और कब पेश किया सहायक गठबंधन के मुख्य प्रावधान लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंNotes: \”सहायक गठबंधन\” की शुरुआत लॉर्ड वेल्लेस्ले ने की थी, वे 1798 से 1805 तक गवर्नर जनरल थे। हैदराबाद का निज़ाम इसमें सबसे पहले शामिल हुआ, इसके मेसूर और अवध के नवाब भी इसमें शामिल हुए।

राजस्थान की कौनसी देशी रियासत ने ब्रिटिश सरकार के साथ सबसे अन्त में प्रत्यर्पण संधि की?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर भारत के राज्यों में सर्वप्रथम भरतपुर के महाराजा रणजीतसिंह ने 29 सितम्बर, 1803 को अंग्रेजों के साथ संधि की। नवम्बर 1803 में अलवर के शासक बख्तावरसिंह व दिसम्बर, 1803 में जयपुर के शासक जगतसिंह ने भी अंग्रेज कम्पनी के साथ संधियाँ की। 1804 में धौलपुर के शासक कीरतसिंह ने भी कम्पनी के साथ संधि की।

सहायक संधि कब हुई?

इसे सुनेंरोकेंनिज़ाम ने सन् 1798 में लार्ड वेलेजली की सहायक संधि को स्वीकार किया था। ज्ञातव्य हैं कि अवध के नबाव ने नबम्वर 1801 मे, पेशवा बाजीराव द्वितीय ने दिसम्बर 1803, मैसूर तथा तंजौर ने 1799 में, बरार के भोसलें ने दिसम्बर 1803 में तथा ग्वालियर के सिंधिया ने फरवरी 1804, वेलेजली की सहायक संधि को स्वीकार किया।

पढ़ना:   चकबंदी के दो उद्देश्य बताइए?

सहायक संधि प्रणाली क्या थी?

इसे सुनेंरोकेंसहायक संधि (Subsidiary alliance) भारतीय उपमहाद्वीप में लार्ड वेलेजली (1798-1805) ने भारत में अंग्रेजी राज्य के विस्तार के लिए सहायक संधि का प्रयोग किया। यह प्रकार की संधि है जो ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और भारतीय रियासतों के बीच में हुई थी।

सहायक संधि प्रणाली के जनक कौन थे?

इसे सुनेंरोकें’sahayak sandhi’ pranali ke janak kaun the : ‘सहायक संधि’ प्रणाली के जनक लॉर्ड वेलेजली थे।

लॉर्ड वेलेजली द्वारा लागू की गई सहायक संधि व्यवस्था के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन लागू नहीं होता?

यह एक प्रकार की मैत्री संधि थी, जिसका प्रयोग 1798-1805 तक भारत के गवर्नर-जनरल रहे लॉर्ड वेलेजली ने भारत के देशी राज्यों से संबंध स्थापित करने के लिए किया था। सहायक संधि अंग्रेजों की साम्राज्यवादी नीति पर आधारित थी। इस संधि के प्रयोग से भारत में अंग्रेजी सत्ता की श्रेष्ठता स्थापित हो गयी।…

Online Test SeriesLoginSignUp

पढ़ना:   चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के बारे में आप क्या जानते हैं?

भारत में प्रथम सहायक संधि पर हस्ताक्षर करने वाला कौन था?

इसे सुनेंरोकेंहैदराबाद- 1798 – भारत में सहायक संधि को स्वीकार करने वाला पहला शासक हैदराबाद का निज़ाम था।

अंग्रेजों से संधि करने वाला राजस्थान का प्रथम राज्य कौन सा था?

इसे सुनेंरोकेंअलवर प्रथम राज्य था जिसने ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साथ विस्तृत रक्षात्मक एवं आक्रामक संधि की थी। अंग्रेजों द्वारा जयपुर के महाराजा जगतसिंह द्वितीय के साथ 12 दिसम्बर, 1803 को संधि की गई।

सामान्य अध्ययन पेपर 1 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामान्य अध्ययन पेपर 3 सामान्य अध्ययन पेपर 4 रिवीज़न टेस्ट्स निबंध लेखन

  • फ़िल्टर करें :
  • भूगोल
  • इतिहास
  • संस्कृति
  • भारतीय समाज

  • प्रश्न :

    वेलेजली की ‘सहायक संधि’ जहाँ कंपनी को सैन्य व वित्तीय दृष्टिकोण से सुदृढ़ करने में सफल रही, वहीं भारतीय राज्यों के लिये एक मीठा विष सिद्ध हुई। विवेचना कीजिये।

    23 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    वेलेजली 1798 में सर जॉन शोर के पश्चात् भारत का गवर्नर-जनरल बना। वेलेजली का उद्देश्य कंपनी को भारत की सबसे बड़ी शक्ति बनाना, ब्रिटिश अधीन प्रदेशों का विस्तार करना तथा भारत के सभी राज्यों को कंपनी पर निर्भर होने की स्थिति में लाना था। भारतीय राज्यों को अंग्रेजी राजनीतिक परिधि में लाने के लिये उसने सहायक संधि प्रणाली का प्रयोग किया। वेलेजली की सहायक संधि प्रायः निम्नलिखित प्रतिबंधों और शर्तों पर होती थी-

    • कंपनी राजाओं की प्रत्येक प्रकार के शत्रुओं से रक्षा करेगी। हालाँकि वह राज्य के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी।
    • भारतीय राजाओं के विदेशी संबंध कंपनी के अधीन होंगे। राज्यों को कंपनी की अनुमति के बिना किसी यूरोपीय व्यक्ति को सेवा में रखने की मनाही थी।
    • बड़े राज्यों को अपने यहाँ एक ऐसी सेना रखनी होती थी जिसकी कमान अंग्रेजी अधिकारियों के हाथ में होती थी और उस सेना का उद्देश्य सार्वजनिक शांति बनाये रखना था। इसके लिये उन्हें ‘पूर्ण प्रभुसत्ता युक्त प्रदेश’ कंपनी को देना होता था। छोटे राज्य कंपनी को नगद धन देते थे। 
    • राज्यों को अपनी राजधानी में एक अंग्रेज रेजीडेंट रखना जरूरी था।

    इस तरह सहायक संधि प्रणाली साम्राज्य निर्माण के कार्य में एक भेदिए शत्रु की भूमिका निभाने लगी। सहायक संधि को स्वीकारने वाले भारतीय राज्य निरस्त्र हो गए क्योंकि अब उन्हें कंपनी का संरक्षण प्राप्त था। सर टॉमस मनरो के शब्दों में, ‘राज्यों ने अपनी स्वतंत्रता, राष्ट्रीय चरित्र अथवा वह सब जो किसी देश को प्रतिष्ठित बनाते हैं, बेचकर सुरक्षा मोल ले ली।’

    अंग्रेज रेजीडेंटों ने राज्यों के प्रशासन में अत्यधिक हस्तक्षेप प्रारम्भ कर दिया, जबकि संधि की शर्तों में आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने की शर्त थी। सहायक संधि ने प्रत्येक निर्बल तथा उत्पीड़क राजा की रक्षा कर वहाँ की जनता को अपनी अवस्था सुधारने के अवसर से वंचित रखा। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह रही कि सहायक संधि स्वीकारने वाले राज्य शीघ्र दिवालिया हो गए। कंपनी ने प्रायः राज्य की आय का 1/3 भाग आर्थिक सहायता के रूप में राज्यों से लिया। कई बार धन के बदले अधिक कीमत का प्रदेश लिया जाता था। वेलेजली ने स्वयं एक बार बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में लिखा था कि हमने 40 लाख रुपए के बदले 62 लाख रुपए वार्षिक कर का प्रदेश मांगा है।

    इस प्रकार सहायक संधि द्वारा कंपनी न केवल एक विशाल सेना को भारतीय राज्यों के व्यय पर रखने में सफल रही, अपार धन और उपयोगी प्रदेश भी प्राप्त किये बल्कि बिना लड़े अनेक राज्यों में अपना विस्तार करने में सफल रही। वहीं, भारतीय राज्य केवल सुरक्षा के बदले कंपनी के अधीन, धनहीन व संप्रभुताविहीन हो गए।

    वेलेजली की सहायक संधि की प्रमुख शर्तें क्या है?

    सहायक संधि की प्रमुख शर्तें निम्नलिखित थीं— वह बिना कंपंनी की अनुमति के किसी अन्य राज्य से युद्ध, संधि या मैत्री नहीं कर सकेगा . देशी राज्य कंपनी की स्वीकृति प्राप्त किए. बिना अँगरेजों के अतिरिक्त किसी अन्य यूरोपीय या अँगरेजों के शत्रु-राज्य के व्यक्ति को अपने दरबार में आश्रय, शरण या नौकरी नहीं देंगे.

    सहायक संधि क्या थी इसके तीन विशेषताओं का उल्लेख करें?

    सहायक संधि की विशेषताएं वे कोई युद्ध नहीं करेंगे तथा अन्य राज्यों से विचार विमर्श कम्पनी करेगी। बड़े राज्य अपने राज्य में अंग्रेजी सेना रखेंगे जिसकी कमान अंग्रेज अधिकारियों के हाथों में होगी। जबकि सेना का खर्चा राज्य को उठाना होगा। राज्यों को अपने राज्य की राजधानी में एक अंग्रेजी रेजीडेंट रखना अनिवार्य होगा।

    वेलेजली की सहायक संधि स्वीकार करने वाला प्रथम राज्य कौन सा था?

    लॉर्ड वेलेजली की सहायक संधि को स्वीकार करने वाला प्रथम मराठा सरदार पेशवा बाजीराव द्वितीय था

    सहायक संधि से आप क्या समझते हैं?

    सहायक संधि मूल रूप से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और भारतीय रियासतों के बीच एक संधि थी, जिसके आधार पर भारतीय राज्यों ने अंग्रेजों के हाथों अपनी संप्रभुता खो दी थी। यह एक बड़ी प्रक्रिया थी जिसके कारण भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का निर्माण हुआ। इसे 1798 से 1805 तक भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड वेलेजली द्वारा बनाया गया था।