किसान अपनी अतिरिक्त उपज का क्या करते हैं - kisaan apanee atirikt upaj ka kya karate hain

कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय

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किसानों की सहुलियत के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नैम) का विस्तार किया जा रहा है

अखिल भारतीय व्यापार पोर्टल कृषि उत्पादन के लिए "वन नेशन, वन मार्केट" का सपना साकार करने में मदद कर रहा है1000 नई मंडियों को जोड़कर उसका विस्तार

Posted On: 04 FEB 2021 6:03PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय कृषि बाजार जो ई-नैम के नाम से मशहूर है, कृषि विपणन में एक अभिनव पहल थी, जिसे किसान की अनेक बाजारों और खरीदारों तक डिजीटल पहुंच बढ़ाने और व्यापार के लेन-देन में पारदर्शिता लाने के लिए शुरू किया गया था ताकि बाजार मूल्‍य निर्धारित करने की प्रक्रिया में सुधार लाया जा सके,  गुणवत्ता के अनुरूप मूल्‍य की प्रस्‍तुति की जा सके और कृषि उपज के लिए "एक राष्‍ट्र, एक बाजार (वन नेशन वन मार्केट)" की अवधारणा विकसित हो सके।

18 राज्यों और 3 संघ शासित प्रदेशों में 1000 बाजारों को जोड़कर ई-नैम के तहत बेहतर बाजार लिंकेज प्रदान किया गया था। अब तक 1.69 करोड़ से अधिक किसानों और 1.55 लाख व्यापारियों ने ई-नैम प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण किया है। ऑनलाइन और पारदर्शी बोली प्रणाली किसानों को ई-नैम प्लेटफॉर्म पर तेजी से व्यापार करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। ई-नैम प्लेटफॉर्म पर 4.13 करोड़ मीट्रिक टन कच्‍चा माल और 3.68 करोड़ रुपये की नारियल वस्तुओं और 1.22 करोड़ रुपये की बांस की वस्‍तुओं की कुल व्यापार मात्रा दर्ज की गई है। इस मंच में किसानों को सीधे भुगतान करने की व्‍यवस्‍था है।

अपनी 1000 मंडियों में ई-नैम की सफलता को देखते हुए, अब यह विस्तार के मार्ग पर है जैसा कि माननीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमणद्वारा 1 फरवरी, 2021 को जारी केन्‍द्रीय बजट में घोषित किया गया है। यानी ई-नैम के साथ 1000 और मंडियों को जोड़ा जाएगा, इससे मंडियों को और मजबूती मिलेगी।

कोविड -19 के दौरान, ई-नैम में एफपीओ ट्रेडिंग मॉड्यूल की शुरूआत करई-नैम प्लेटफॉर्म / मोबाइल ऐप को और मजबूत किया गया है जहां एफपीओ उनके उत्‍पाद को एपीएमसी लाए बिना उनके संग्रह केन्‍द्र से व्यापार कर सकता है। ई-नैम प्लेटफॉर्म पर अब तक 1844 एफपीओ हैं। इसके अतिरिक्त, वेयरहाउस आधारित ट्रेडिंग मॉड्यूल भी ई-नैम में शुरू किया गया ताकि ई-एनडब्‍ल्‍यूआर पर आधारित गोदामों से व्यापार की सुविधा मिल सके। यहां पर अंतर-मंडी और अंतर-राज्य व्यापार की सुविधा के लिए, लॉजिस्टिक मॉड्यूल का परिष्‍कृत संस्करण जारी किया गया है, जिसके द्वारा परिवहन लॉजिस्टिक प्लेटफॉर्म के समूहक शामिल हुए हैं जो उपयोगकर्ताओं को अपनी उपज ले जाने के लिए पता लगाने योग्‍य परिवहन सुविधाओं का लाभ उठाने में मदद करते हैं। इसके अलावा ई-नैम प्लेटफॉर्म को कर्नाटक सरकार के आरईएमएस प्लेटफॉर्म के साथ अंत:प्रचालनीय बनाया गया है जो किसानों को दोनों में से किसी भी प्लेटफार्म पर अपनी उपज बेचने की सुविधा देगा जिससे उनकी बाजार पहुंच बढ़ जाएगी।

ई-नैमअब "प्लेटफ़ॉर्म के प्लेटफ़ॉर्मों " के रूप में विकसित हो रहा है ताकि एक डिजिटल इकोसिस्‍टम बनाया जा सके जो कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग प्लेटफार्मों की विशेषज्ञता का लाभ उठा सके। मूल्य श्रृंखला अर्थात ई-नैम (क्यूसी सेवाओं, परिवहन और वितरण सेवाओं, छँटाई / ग्रेडिंग सेवाओं, पैकेजिंग सेवाओं, बीमा, व्यापार वित्त, गोदामों आदि) के साथ सर्विस प्‍लेटफॉर्म का विकास और एकीकरण, किसानों को उनकी उपज में मूल्य जोड़ने और उनके लिएकृषि विपणन आसान बनानेकी सुविधा प्रदान करता है।

“ई-नैम केवल एक योजना नहीं है बल्कि यह एक यात्रा है जिसका उद्देश्य अंतिम मील पर किसान को लाभ पहुंचाना है और उनकी कृषि उपज बेचने के तरीके को बदलना है। इस तरह का हस्तक्षेपहमारे किसानों को अतिरिक्त लागत के बिना पारदर्शी तरीके से प्रतिस्पर्धी और लाभकारी मूल्‍यों का एहसास कराकर उनकी आय बढ़ाने में मदद करता है। ”

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एमजी/एएम/केपी

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कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय

इन विधेयकों में किसानों की सम्पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की गई है, माननीय प्रधानमंत्री ने स्वयं आश्वस्त किया है कि अनाजों की ख़रीद एमएसपी पर जारी रहेगीः केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर

Posted On: 20 SEP 2020 2:13PM by PIB Delhi

संसद ने कृषि क्षेत्र के उत्थान और किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से आज दो विधेयक पारित कर दिए। कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक, 2020 और कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 को लोकसभा ने आज (17 सितंबर, 2020) को पारित कर दिया था जबकि राज्य सभा ने आज इस विधेयक को पारित कर दिया। यह विधेयक 5 जून, 2020 को आए अध्यादेश को कानून में बदलने के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 14 सितंबर, 2020 को लोकसभा में प्रस्तुत किया था।

विधेयक के संबंध में बोलते हुए श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने किसानों को उनके उत्पाद की बेहतर कीमत दिलाने और उनके जीवन स्तर को उठाने के लिए पिछले 6 वर्षों में अनेक कदम उठाए हैं। उन्होंने आगे कहा कि अनाजों की ख़रीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर जारी रहेगी। इस संबंध में स्वयं प्रधानमंत्री ने आश्वस्त किया है। एमएसपी की दरों में 2014-2020 के बीच उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी की गई है। आगामी रबी सीजन के लिए एमएसपी की घोषणा आगामी सप्ताह में की जाएगी। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि इन विधेयकों में किसानों की सम्पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।

कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक, 2020

मुख्य प्रावधान

  • किसानों को उनकी उपज के विक्रय की स्वतंत्रता प्रदान करते हुए ऐसी व्यवस्था का निर्माण करना जहां किसान एवं व्यापारी कृषि उपज मंडी के बाहर भी अन्य माध्यम से भी उत्पादों का सरलतापूर्वक व्यापार कर सकें।
  • यह विधेयक राज्यों की अधिसूचित मंडियों के अतिरिक्त राज्य के भीतर एवं बाहर देश के किसी भी स्थान पर किसानों को अपनी उपज निर्बाध रूप से बेचने के लिए अवसर एवं व्यवस्थाएं प्रदान करेगा।
  • किसानों को अपने उत्पाद के लिए कोई उपकर नहीं देना होगा और उन्हें माल ढुलाई का खर्च भी वहन नहीं करना होगा।
  • विधेयक किसानों को ई-ट्रेडिंग मंच उपलब्ध कराएगा जिससे इलेक्ट्रोनिक माध्यम से निर्बाध व्यापार सुनिश्चित किया जा सके।
  • मंडियों के अतिरिक्त व्यापार क्षेत्र में फॉर्मगेट, कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउस, प्रसंस्करण यूनिटों पर भी व्यापार की स्वतंत्रता होगी।
  • किसान खरीददार से सीधे जुड़ सकेंगे जिससे बिचौलियों को मिलने वाले लाभ के बजाए किसानों को उनके उत्पाद की पूरी कीमत मिल सके।

शंकाएँ

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज की ख़रीद बंद हो जाएगा
  • कृषक कृषि उत्पाद यदि पंजीकृत बाजार समितियों (एपीएमसी मंडियों) के बाहर बेचेंगे तो मंडियां समाप्त हो जाएंगी
  • ई-नाम जैसे सरकारी ई-ट्रेडिंग पोर्टल का क्या होगा?

समाधान

  • एमसपी पर पहले की तरह खरीद जारी रहेगी। किसान अपनी उपज एमएसपी पर बेच सकेंगे। आगामी रबी सीजन के लिए एमएसपी अगले सप्ताह घोषित की जाएगी।
  • मंडिया समाप्त नहीं होंगी, वहां पूर्ववत व्यापार होता रहेगा। इस व्यवस्था में किसानों को मंडी के साथ ही अन्य स्थानों पर अपनी उपज बेचने का विकल्प प्राप्त होगा।
  • मंडियों में ई-नाम ट्रेडिंग व्यवस्था भी जारी रहेगी।
  • इलेक्ट्रानिक मंचों पर कृषि उत्पादों का व्यापार बढ़ेगा। इससे पारदर्शिता आएगी और समय की बचत होगी।

कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020

मुख्य प्रावधान

  • कृषकों को व्यापारियों, कंपनियों, प्रसंस्करण इकाइयों, निर्यातकों से सीधे जोड़ना। कृषि करार के माध्यम से बुवाई से पूर्व ही किसान को उसकी उपज के दाम निर्धारित करना। बुवाई से पूर्व किसान को मूल्य का आश्वासन। दाम बढ़ने पर न्यूनतम मूल्य के साथ अतिरिक्त लाभ।
  • इस विधेयक की मदद से बाजार की अनिश्चितता का जोखिम किसानों से हटकर प्रायोजकों पर चला जाएगा। मूल्य पूर्व में ही तय हो जाने से बाजार में कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव का प्रतिकूल प्रभाव किसान पर नहीं पड़ेगा।
  • इससे किसानों की पहुँच अत्याधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी, कृषि उपकरण एवं उन्नत खाद बीज तक होगी।
  • इससे विपणन की लागत कम होगी और किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित होगी।
  • किसी भी विवाद की स्थिति में उसका निपटारा 30 दिवस में स्थानीय स्तर पर करने की व्यवस्था की गई है।
  • कृषि क्षेत्र में शोध एवं नई तकनीकी को बढ़ावा देना।

शंकाएँ

  • अनुबंधित कृषि समझौते में किसानों का पक्ष कमजोर होगा और वे कीमतों का निर्धारण नहीं कर पाएंगे
  • छोटे किसान संविदा खेती (कांट्रेक्ट फार्मिंग) कैसे कर पाएंगे? क्योंकि प्रायोजक उनसे परहेज कर सकते हैं।
  • नई व्यवस्था किसानों के लिए परेशानी होगी।
  • विवाद की स्थिति में बड़ी कंपनियों को लाभ होगा।

स्पष्टीकरण

  • किसान को अनुंबध में पूर्ण स्वतंत्रता रहेगी कि वह अपनी इच्छा के अनुरूप दाम तय कर उपज बेच सकेगा। उन्हें अधिक से अधिक 3 दिन के भीतर भुगतान प्राप्त होगा।
  • देश में 10 हजार कृषक उत्पादक समूह निर्मित किए जा रहे हैं। यह समूह (एफपीओ) छोटे किसानों को जोड़कर उनकी फसल को बाजार में उचित लाभ दिलाने की दिशा में कार्य करेंगे।
  • अनुबंध के बाद किसान को व्यापारियों के चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं होगी। खरीदार उपभोक्ता उसके खेत से ही उपज लेकर जा सकेगा।
  • विवाद की स्थिति में कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने की आवश्यक्ता नहीं होगी। स्थानीय स्तर पर ही विवाद के निपटाने की व्यवस्था रहेगी।

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किसान हमारे लिए क्या करते हैं?

किसान उन्हें कहा जाता है, जो खेती का काम करते हैं। इन्हें 'कृषक' और 'खेतिहर' के नाम से भी जाना जाता है। ये बाकी सभी लोगों के लिए खाद्य सामग्री का उत्पादन करते हैंं। इसमें विभिन्न फसलें उगाना, बागों में पौधे लगाना, मुर्गियों या इस तरह के अन्य पशुओं की देखभाल कर उन्हें बढ़ाना भी शामिल है।

किसानों का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

किसान को धरती पुत्र भी कहा जाता है, अमीर हो या गरीब, राजा हो या उद्योगपति सभी का जीवन किसान की मेहनत पर आश्रित है। किसान दिन-रात गर्मी, बारिश, ठंड की परवाह किए बिना अपने खेतों में अपने श्रम से फसलें उगाता है और वही अनाज पूरे देश के लोगों की भूख को शांत करता है। इसीलिए किसानों का महत्व शास्त्रों में भी वर्णित है।

किसानों की क्या क्या समस्याएं हैं?

ये हैं भारतीय किसानों की मूल समस्याएं.
भूमि पर अधिकार देश में कृषि भूमि के मालिकाना हक को लेकर विवाद सबसे बड़ा है। ... .
फसल पर सही मूल्य किसानों की एक बड़ी समस्या यह भी है कि उन्हें फसल पर सही मूल्य नहीं मिलता। ... .
अच्छे बीज ... .
सिंचाई व्यवस्था ... .
मिट्टी का क्षरण ... .
मशीनीकरण का अभाव ... .
भंडारण सुविधाओं का अभाव ... .
परिवहन भी एक बाधा.

किसान अपने लिए आवश्यक आगत कहाँ से प्राप्त करते हैं?

उत्तर: किसान अपने लिए आवश्यक आगत बड़े कस्बे या शहर से प्राप्त करते हैं