मानव बनो शीर्षक कविता के कवि कौन हैं? - maanav bano sheershak kavita ke kavi kaun hain?

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिन्‍दी के कविता पाठ ए‍क ‘ Manav Bano (मानव बनों)’ के प्रत्‍येक पंक्ति के अर्थ को पढ़ेंगे।

मानव बनो शीर्षक कविता के कवि कौन हैं? - maanav bano sheershak kavita ke kavi kaun hain?

1.मानव बनो
है भूल करना प्यार भी,
है भूल यह मनुहार भी,
पर भूल है सबसे बड़ी,
करना किसी का आसरा,
मानव बनो, मानव जरा।

अर्थ-कवि लोगों को संदेश देता है कि मानव बनने के लिए किसी से प्रेम करना तथा खुशामद या विनती करना भूल है। इससे भी मानव की सबसे बड़ी भूल उस पर भरोसा करना है, क्योंकि सामान्य मानव बनने के लिए स्वाभिमानी तथा आत्मनिर्भर होना आवश्यक होता है। इसलिए कवि लोगों को सलाह देते हुए कहता है कि मानवं (स्वाभिमानी) बनो, परमुखापेक्षी नहीं।
अब अश्रु दिखलाओ नहीं,

अब हाथ फैलाओ नहीं
हुंकार कर दो एक जिससे,
थरथरा जाए धरा,
मानव बनो, मानव जरा।

अर्थ-कवि किसी को न तो अपना दुःख, पीड़ा, कष्ट या मजबूरी प्रकट करने की सलाह देता है और न ही किसी के समक्ष गिड़गिड़ाने अथवा हाथ फैलाने की इजाजत देता है। कवि मानव को हर स्थिति में स्वाभिमानी की भाँति सारी मजबूरियों को सहते – हुए शेर की भाँति दहाड़ते रहने अर्थात् स्वाभिमानपूर्ण वचनों से संसार को चकित करने का संदेश देता है । कवि के अनुसार ऐसा काम बही कर सकता है, जिसमें स्वाभिमान होता है अथवा मानवता के भाव से ओत-प्रोत होता है। इसीलिए कवि हमें मानव बनने के लिए प्रेरित करता है।  Manav Bano class 7 Hindi 

उफ, हाय कर देना कहीं,
शोभा तुम्हें देता नहीं,
इन आँसुओं से सींचकर कर दो,
विश्व का कण-कण हरा,
मानव बनो, मानव जरा।

अर्थ-कवि कहता है कि कर्मवीर मानव को किसी बात पर दु:खी होना या दःख ‘ प्रकट करना शोभा नहीं देता। कवि अपनी पीड़ारूपी आँसू से सींचकर विश्व के कणकण को हरा-भरा कर देने की सलाह देता है। कवि की अभिलाषा है कि मानव अपनी अन्तर्व्यथा किसी के समक्ष प्रकट किए बिना अपने पौरुष से संसार के हर प्राणी में नवजीवन – का संचार कर दे। इसलिए सामान्य मानव बनना आवश्यक है।

अब हाथ मत अपने मलो,
जलना, अगर ऐसे जलो,
अपने हृदय की भस्म से,
कर दो धरा को उर्वरा,
मानव बनो, मानव जरा।”

अर्थ-कवि कहता है कि समय बीत जाने पर अथवा अवसर खो देने पर पश्चात्ताप करना या दु:ख प्रकट करना व्यर्थ है। समय रहते अपने अधिकार के प्रति सजग होना लाभदायक होता है । जो व्यक्ति समयानुकूल आचरण करता है अथवा अपने दायित्व का निर्वाह सही ढंग से करता है तो उससे समाज को एक नई शक्ति मिलती है। इसीलिए कवि लोगों से आग्रह करता है कि तुम अपने कर्म या आचरण से लोगों के मन की गाँठ खोल दो, ताकि वह भी सामान्य मानव बन सके । Manav Bano class 7 Hindi 

Read more- Click here

Watch Video – Click here

Varsha Bahar Class 7  Poem in Hindi

Sona class 7 Saransh in Hindi

Post Views: 317

Reader Interactions

HomeClass 7 HindiBihar Board Class 7th Hindi Book | N.C.E.R.T. Hindi Chapter 1 | All Question Answer | मानव बनो (शिवमंगल सिंह 'सुमन') | बिहार बोर्ड कक्षा 7वीं हिंदी | क्लास 7 का हिंदी किताब अध्याय 1 | सभी प्रश्नों के उत्तर

मानव बनो शीर्षक कविता के कवि कौन हैं? - maanav bano sheershak kavita ke kavi kaun hain?
S.M. STUDY POINT
पाठ से :

प्रश्न 1. 'मानव बनो' शीर्षक कविता के कवि कौन हैं? 

उत्तर – शिव मंगल सिंह 'सुमन' । 

प्रश्न 2. मानव बनने के लिए हमें कौन-कौन से कार्य करने चाहिए ? 

उत्तर- मानव बनने के लिए हमें न तो किसी के समक्ष अपनी पीड़ा या दुर्बलता प्रकट करनी चाहिए और न ही किसी के आगे हाथ फैलाना या कुछ माँगना चाहिए | हमें स्वाभिमानपूर्ण आचरण से संसार में भूचाल (परिवर्तन) लाने का प्रयास करना चाहिए । सभी को स्वाभिमानी की भाँति जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए । 

प्रश्न 3. कवि के अनुसार व्यक्ति की सबसे बड़ी भूल क्या है ? 

उत्तर – कवि के अनुसार व्यक्ति की सबसे बड़ी भूल किसी पर निर्भर होना है। व्यक्ति को आत्मनिर्भर होना चाहिए, क्योंकि परमुखापेक्षी व्यक्ति को सदा अपमानित जीवन व्यतीत करना पड़ता है। ·

प्रश्न 4. अर्थ स्पष्ट कीजिए:

(क) अब अश्रु दिखलाओ नहीं,

अब हाथ फैलाओ नहीं,

उत्तर- कवि किसी को न तो अपना दुःख, पीड़ा, कष्ट या मजबूरी प्रकट करने की सलाह देता है और न ही किसी के समक्ष गिड़गिड़ाने अथवा हाथ फैलाने की इजाजत देता है । कवि मानव को हर स्थिति में स्वाभिमानी की भाँति सारी मज़बूरियों को सहते हुए शेर की भाँति दहाड़ते रहने अर्थात् स्वाभिमानपूर्ण वचनों से संसार को चकित करने का संदेश देता है। कवि के अनुसार ऐसा काम वही कर सकता है, जिसमें स्वाभिमान होता है अथवा मानवता के भाव से ओत-प्रोत होता है। इसीलिए कवि हमें मानव बनने के लिए प्रेरित करता है ।

(ख) अब हाथ मत अपने मलो, जलना अगर ऐसे जलो, 

अपने हृदय की भस्म से, कर दो धरा को उर्वरा ।

उत्तर- कवि कहता है कि समय बीत जाने पर अथवा अवसर खो देने पर पश्चात्ता करना या दुःख प्रकट करना व्यर्थ है। समय रहते अपने अधिकार के प्रति सजग होना लाभदायक होता है। जो व्यक्ति समयानुकूल आचरण करता है अथवा अपने दायित्व का निर्वाह सही ढंग से करता है तो उससे समाज को एक नई शक्ति मिलती है। इसीलिए कवि लोगों से आग्रह करता है कि तुम अपने कर्म या आचरण से लोगों के मन की गाँठ खोल दो, ताकि वह भी सामान्य मानव बन सके।

पाठ से आगे :

प्रश्न 1. मानव बनने की बात, जो कवि द्वारा बताई गई है, इसके अतिरिक् आप मानव में और कौन-कौन सा गुण देखना चाहेंगे?

उत्तर – मानव बनने की बात, जो कवि द्वारा बताई गई है, इसके अतिरिक्त मैं मानव को कष्टसहिष्णु, परोपकारी, कर्मठ, ईमानदारी आदि गुणों से सम्पन्न देखना चाहूँगा । 

प्रश्न 2. अगर कोई समस्या आपके सामने आती है, तो इस समस्या का समाधान आप कैसे करते हैं? उदाहरण सहित समझाइए ।

उत्तर – यदि कोई समस्या मेरे सामने आती हैं, तो उस समस्या का समाधान मैं धैर्यपूर्वक प्रत्युत्पन्नमतित्व से करता हूँ। जैसी समस्या होती है, उसी के अनुरूप समाधान का उपाय करूँगा। माना कि मेरे घर का चापाकल खराब हो गया है और उसे बनवाने में दो-तीन दिन लग जाएँगे । ऐसी हालत में मैं निकटतम कुएँ से घर के लिये पानी ला दूँगा । इतना पानी ला दूँगा कि घर की महिलाएँ नहा-धो भी लें और कपड़ा भी फींच लें । बर्तन साफ करने और भोजन बनाने में भी उन्हें कोई कठिनाई न हो, इतना पानी ला दूँगा । यह काम मैं विद्यालय जाने के पहले और विद्यालय से लौटने के बाद करूँगा । यह काम मैं इसलिए करूँगा ताकि पिताजी को कठिनाई न हो । इस बीच चापाकल बनवाने का भी प्रयास करता रहूँगा ।

प्रश्न 3. 'मानव होने का अर्थ है अपने जीवन पर खुद अधिकार ।" इस विचार का तर्कपूर्ण समीक्षा कीजिए ।

उत्तर – कवि का कथन बिल्कुल सच है, क्योंकि वही व्यक्ति संसार में मान्यवर होता है या महान पद पर आसीन होता है जो स्वाभिमानी होता है। ऐसा व्यक्ति कर्मठ, ईमानदार, कष्टसहिष्णु, संयमी तथा नम्र होता है। ऐसे व्यक्ति की आवश्यकताएँ सीमित होती हैं । वह फिजूलखर्च नहीं होता, जिस कारण इन्हें किसी के समक्ष हाथ फैलाने की जरूरत नहीं होती। वह पूर्ण आत्मनिर्भर एवं मानवीय गुणों से पूर्ण होता है।

व्याकरण :

प्रश्न 1. 'हाथ फैलाना' एक मुहावरा है, जिसका अर्थ होता है - कुछ माँगना । इस प्रकार शरीर के विभिन्न अंगों से जुड़े अनेक मुहावरे हैं। किन्हीं पाँच मुहवरों को लिखकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए ।

उत्तर :

(i) नाक का बाल होना ( बहुत प्यारा) – सचिन तेंदुलकर भारतीयों का ही नहीं विदेशियों के भी नाक का बाल हैं । 

(ii) कान देना (ध्यान देना)– रमेश शिक्षक की बातों पर कान नहीं देता । 

(iii) नाक रगड़ना (खुशामद करना) — स्वार्थपूर्ति के लिए कुछ लोग नेताओं के आगे नाक रगड़ते रहते हैं ।

(iv) आँखें लाल होना ( क्रोधित होना ) – पुत्र को शैतानी करते देख पिता की आँखें लाल हो गईं ।

(v) दाँत निपोड़ना (लाचारी प्रकट करना ) – भिखारी दाँत निपोड़कर भीख माँगते फिरता है ।

प्रश्न 2. इन शब्दों के विपरीतार्थक शब्द लिखिए :

उत्तर :

(क) फैलाना – समेटना

(ख) प्यार - तिरष्कार 

(ग) मानव - दानव

(घ) भूल - सही 

1 मानव बनो शीर्षक कविता के कवि कौन हैं ?`?

शिवमंगल सिंह 'सुमन'​

मानव बनो कविता के कवि कौन थे?

मानव बनो कविता का प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 7 प्रश्न 1. 'मानव बनो शीर्षक कविता के कवि कौन हैं ? उत्तर: शिव मंगल सिंह “सुमन”।

नचिकेता कौन था उत्तर?

नचिकेता ऋषि वाजश्रवस के पुत्र थे। ऋषि वाजश्रवस आरुणि - उद्दालक ऋषि के उत्तराधिकारी एवं ऋषि वाजश्रवा के औरस पुत्र थे, जिन्होंने सर्वस्व दक्षिणावाला "विश्वजित्" यज्ञ किया था। रुष्ट होकर पिता वाजश्रवस ने पुत्र नचिकेता को यम को दान कर दिया।

मानव बनने की बात जो कभी द्वारा बताई गई है इसके अतिरिक्त आप मानव में और कौन कौन सा गुण देखना चाहेंगे?

मानव बनने की बात कवि ने बताई है, उसके अलावा हम मानव में अनेक गुण देखना चाहेंगे। इन गुणों में मानव के अंदर परोपकार का गुण होना चाहिए। उसे सदैव दूसरों की भलाई के विषय में सोचना चाहिए। मानव सत्य का पालन करने वाला हो और अहिंसा प्रेमी हो।