Vaibhav Laxmi Vrat (वैभव लक्ष्मी व्रत) कब से शुरू करें 2022? यहाँ जाने जरूरी नियम, व्रत की कथा, व्रत को शुरू करने के लिए शुभ दिन, पूजा विधि, कौन कौन कर सकता है ये व्रत। जीवन हर समय खुशहाल रहे एवं जीवन में कभी भी पैसे की कमी ना हो, इसके लिए हर कोई चाहता है कि मां लक्ष्मी उनका साथ
दें। मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए वैभव लक्ष्मी व्रत किया जाता है; मान्यताओं के अनुसार लक्ष्मी माता को इस व्रत के जरिए प्रसन्न किया जाता है ताकि मां लक्ष्मी उन पर अपनी कृपा बनाए रखें। हिंदू धर्म में पूजा पाठ और तीज त्योहार का भी विशेष महत्व रखते हैं शायद ही ऐसा कोई दिन होगा जब कोई खास पूजा या सहयोग ना हो और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हर व्रत और अनुष्ठान का अपना-अपना महत्व है। बाकी उपवास की तरह वैभव लक्ष्मी व्रत भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि कहते हैं कि घर परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए यदि कोई व्रत सबसे ज्यादा सहायक सिद्ध होता है तो वह वैभव लक्ष्मी का
व्रत ही है। पौराणिक कथा के अनुसार एक समय की बात है कि किसी शहर में कई लोग रहते थे जो कि अपने अपने कामों में व्यस्त रहते थे किसी को भी किसी दूसरे व्यक्ति के साथ कोई मतलब नहीं था। भजन कीर्तन, दया माया परोपकार जैसे संस्कारों का भी एक तरह से विनाश ही हो चुका था और शहर में बुराइयां बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। शराब, जुआ, चोरी चकारी डकैती जैसे गुना शहर में आम होने लगे थे। परंतु फिर भी उस शहर में कुछ ऐसे लोग भी रहते थे जो कि बहुत अच्छे आचरण वाले थे। इन्हीं में से एक शीला नाम की स्त्री थी जो धार्मिक प्रकृति और संतोष सभा वाली थी उसके पति का नाम विवेक की था जो कि काफी सुशील था। शीला और उसका पति कभी भी किसी बुराई को नहीं करते थे बल्कि हर समय भगवान की ही पूजा अर्चना करते रहते थे; शहर के लोग भी उन्हें काफी पसंद करते थे। देखते ही देखते शीला के पति की अच्छी संगति बुराई में बदल गई क्योंकि वह बुरे लोगों के साथ रहने लगा था। जल्द से जल्द अमीर होना चाहता था और इसीलिए वह गलत रास्ते पर चल पड़ा और एक दिन ऐसा आया कि उसकी हालत भिखारी में बदल गई। शीला का पति बहुत ज्यादा बुराइयों में फंस चुका था, जिस वजह से शीला हर समय चिंतित रहती थी। फिर भी उसका भगवान पर अटूट विश्वास था। एक दिन उसके द्वार पर एक मांझी खड़ी थी उसके चेहरे पर काफी अलौकिक तेज था और उसकी आंखों से ऐसा लग रहा था जैसे अमृत बह रहा हो। उसका चेहरा और प्यार देखकर शीला ने अपने मन की सारी व्यथा उन्हें सुना दी। तब उन्होंने शीला को कहा कि वह वैभव लक्ष्मी व्रत करें इससे उसे अवश्य फायदा होगा और यह व्रत व हरे शुक्रवार करें। उसने शीला को सारी व्रत विधि समझा दी। शीला ने 21 शुक्रवार तक लगातार इस व्रत को फोन किया जिससे मां लक्ष्मी की कृपा उस पर बरस पड़ी और उसका पति एक अच्छे आदमी में बदल गया एवं कड़ी मेहनत करने लगा; जिस वजह से देखते ही देखते उनका जीवन सुधर गया और घर में सुख शांति छा गई। वैभव लक्ष्मी व्रत को शुरू करने के लिए शुभ दिनवैभव लक्ष्मी व्रत को शुक्रवार के दिन किया जाता है क्योंकि यह दिन दुर्गा एवं संतोषी माता का दिन माना जाता है और मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से पूजा अर्चना करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वह सदैव अपनी कृपा बनाए रखती हैं। शुक्रवार का दिन ही सबसे शुभ दिन मानते हुए ज्यादातर लोग इसी दिन से वैभव लक्ष्मी व्रत की शुरुआत करते हैं। वैभव लक्ष्मी व्रत को कौन कौन कर सकता है?इस व्रत को पुरुष एवं स्त्री दोनों ही पूरा कर सकते हैं। सुहागिन स्त्रियां तो विशेष रूप से यह व्रत रखती है क्योंकि वह इससे शुभकारी मानती हैं। श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार 11 या 21 शुक्रवार तक लगातार वैभव लक्ष्मी का व्रत किया जाता है अर्थात हर एक शुक्रवार यह व्रत श्रद्धा पूर्वक पूरा किया जाता है। वैभव लक्ष्मी व्रत की पूजा विधि
Check-एकादशी व्रत कैसे करें वैभव लक्ष्मी व्रत के दौरान क्या–क्या खाया जाता है?इस व्रत के दौरान पूर्ण रूप से फलों का प्रयोग किया जाता है और इसके अलावा निबंध लिखित वस्तुओं का सेवन किया जाता है:
वैभव लक्ष्मी व्रत से जुड़े हुए नियम
कौन–कौन लोग मां लक्ष्मी का व्रत रखते हैं?
विशेष रूप से यह है उपवास मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करके मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए रखा जाता है और इसमें कोई बंदिश नहीं है कि कोई एक वर्ग भी व्रत रख सकता है और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करके घर में सुख शांति प्राप्त कर सकता है। Also check- Hindu calendar वैभव लक्ष्मी का व्रत कौन से महीने से शुरू करना चाहिए?Mahalaxmi Vrat Katha In Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ हो जाते हैं और अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक चलते हैं। धन की देवी लक्ष्मी को समर्पित ये व्रत 16 दिन के होते हैं।
वैभव लक्ष्मी व्रत कब से शुरू करें 2022 me?इस साल भाद्रपद शुक्ल की अष्टमी तिथि यानी की 3 सितंबर 2022 से महालक्ष्मी व्रत का आगाज हो जाएगा. ये व्रत सोलह दिन तक चलते है. व्रत का समापन अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन होता है, यानी की इस साल महालक्ष्मी व्रत 17 सितंबर 2022 को समाप्त होंगे. इस व्रत को करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है.
वैभव Laxmi पूजा कितने बजे करनी चाहिए?वैभव लक्ष्मी व्रत के शाम के समय करना लाभकारी माना जाता है। शाम के समय स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद मंदिर या साफ सुथरी जगह पर एक चौकी रखकर लाल कपड़ा बिछाएं और उसमें मां लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित कर लें।
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