Amit Shah on Gujarat Riots: 18 साल शिव की तरह विषपान करते मोदी...मोदी को SC की क्लीन चिट पर बोले शाह अमित शाह:दंगा होने का मूल कारण गोधरा की ट्रेन को जला देना था। 60 लोगों को... 16 दिन की बच्ची को मां की गोद में बैठे जिंदा जलते हुए मैंने देखा है। मेरे हाथ से अग्नि संस्कार किया है मैंने गोता गांव में... इसके कारण दंगे हुए... और आगे जो दंगे हुए हैं वो पॉजिटिकली मोटिवेटेड था। रिजर्वेशन का आंदोलन हुआ, दंगों में कन्वर्ट कर दिया गया। देखिए वीडियो: शाह ने बताई गुजरात दंगों की मेन वजहदंगों में मुसलमान भी तो मारे गए?अमित शाह:जिस तरह से 60 लोगों को जिंदा जला दिया गया, उसका समाज में आक्रोश था... और जब तक दंगे नहीं हुए थे तब तक भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर किसी ने इसकी (गोधरा कांड) निंदा भी नहीं की थी। कांग्रेस पार्टी का एक स्टेटमेंट नहीं... पार्लियामेंट चल रही थी... किसी ने दुख भी व्यक्त नहीं किया। 60 लोगों को जिंदा जलाने की घटना का आप भर्त्सना भी नहीं करोगे? निंदा भी नहीं करोगे? इतनी बड़ी वोट बैंक पॉलिटिक्स हो गई! सेना को देरी से क्यों बुलाया गया?जहां तक गुजरात सरकार का सवाल है हमने कोई लेटलतीफी नहीं की, जिस दिन गुजरात बंद का एलान हुआ था उसी दिन हमने सेना को बुला लिया था।गुजरात सरकार ने एक दिन की भी देरी नहीं की थी और कोर्ट ने भी इसका प्रोत्साहन किया है। क्या SIT को प्रभावित किया गया?जवाब में शाह ने कहा, 'SIT की रचना हमने नहीं की। देश की सर्वोच्च अदालत ने की। अफसर का चयन भी हमने नहीं किया, देश की सर्वोच्च अदालत ने NGO को सुनने के बाद किया। और जो अफसर रखे गए थे, वो भाजपा शासित राज्यों से नहीं थे, सेंट्रल गवर्नमेंट से लिए गए थे और तब तब सेंट्रल गवर्नमेंट बदल चुकी थी... यूपीए की आ चुकी थी।' अमित शाह ने कहा, 'जरा भी इन्फ्लुएंस नहीं हुआ... कोर्ट मॉनिटर्ड केस था, कैसे इन्फ्लुएंस होगी? इतने बड़े-बड़े वकील NGOs की तरफ से पेश होते थे।' विपक्ष कहता है कि दंगे आप करने देते हैं क्योंकि राजनीतिक फायदा होता है?आप भी वही कर रहे हो जो 2003 में मीडिया ने किया था। आपके पास इतनी बड़ी टीम है। भारतीय जनता पार्टी की कोई कम राज्यों में सरकार रही नहीं। जहां-जहां हमारी सरकार थी, वहां पहले कांग्रेस की भी सरकार रही, सपा की भी रही, बसपा की भी थी, तृणमूल कांग्रेस और कम्युनिस्टों की भी है। भारतीय जनता पार्टी का कार्यकाल और औसत दंगे और औसत हताहतों की संख्या और उनके कालखंड का आप निकाल लो। अगर हम स्पांसर करते हैं तो दंगे ज्यादा होने चाहिए। अमित शाह अगर पीछे मुड़कर देखना पड़े तो क्या मोदी जी कर सकते थे जो उन्होंने नहीं किया?अमित शाह ने जवाब में कहा, 'सबकुछ किया है। मैं तो बहुत नजदीक से देख रहा था। इतने डीटेल में शायद ही किसी मुख्यमंत्री ने काम किया था। एक थाने की स्ट्रेन्थ 100-150 होती है। एडिशनल फोर्स ले लो तो 400 होगी। और दो लाख लोगों का जमघट है, क्या कर सकते हैं आप? इसको कंट्रोल करते-करते समय लगता है।' शाह ने आगे कहा, 'फायरिंग भी हुई... 900 लोग फायरिंग में मारे गए। दूसरे दिन भी हुई है। पहले दिन तो सवाल ही नहीं था, घटना थी। दूसरे दिन भी फायरिंग हुई, तीसरे दिन भी हुई परंतु सरकार को भी व्यवस्थाएं करने में और जो स्केल बन गया, उस स्केल तक पहुंचने में थोड़ा समय लगता है।' आप होम मिनिस्टर होते तो क्या करते?अमित शाह:जो भी लोग थे उन्होंने अच्छा काम किया मगर घटना के कारण रोष इतना व्यापक मात्रा में था जिसकी भनक किसी को नहीं थी। इस बात पर हमें अदालतों में बहस हो चुकी है। मोदी जी को कोई पहली क्लीन चिट नहीं है। 'गिल साहब ने कहा, इतनी त्वरित कार्रवाई नहीं देखी'Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें गोधरा कांड में कितने मुसलमान मारे गए?गोधरा कांड
गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के कोच एस 6 पर हुए हमले के बाद ही पूरे गुजरात में दंगे शुरू हुए थे. गोधरा में भीड़ ने हिंसक हमले के बाद ट्रेन के कोच एस 6 में आग लगा दी, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी. मरने वालों में ज़्यादातर अयोध्या से अहमदाबाद लौट रहे कारसेवक थे. यह घटना 27 फ़रवरी 2002 की है.
गोधरा कांड का सच क्या है?27 फ़रवरी 2002 : गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती ट्रेन के एस-6 कोच में मुस्लिमों द्वारा आग लगाए जाने के बाद 59 कारसेवकों हिंदुओं (हिन्दुओ) की मौत हो गई। इस मामले में 1500 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। 28 फ़रवरी 2002 : गुजरात के कई इलाकों में दंगा भड़का जिसमें 1200 से अधिक लोग मारे गए।
गोधरा कांड की शुरुआत कैसे हुई?सुबह के वक्त हुई घटना
27 फरवरी की सुबह जैसे ही साबरमती एक्सप्रेस गोधरा रेलवे स्टेशन के पास पहुंची, उसके एक कोच से आग की लपटें उठने लगीं और धुएं का गुबार निकलने लगा. साबरमती ट्रेन के S-6 कोच के अंदर भीषण आग लगी थी. जिससे कोच में मौजूद यात्री उसकी चपेट में आ गए.
गोधरा कांड का मुख्य आरोपी कौन है?गोधरा कांड का प्रमुख आरोपी रफीक हुसैन भटुक साल 2002 से फरार था. 27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एक कोच में भीड़ ने आग लगा दी गई थी. इस घटना में 59 कारसेवकों की जलकर मौत हो गई थी.
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