विभिन्न देशों या राज्यों की तुलना कैसे की जा सकती है? - vibhinn deshon ya raajyon kee tulana kaise kee ja sakatee hai?

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NCERT Solution For Class 10 Social Science In Hindi Economics Chapter – 1 विकास

NCERT पाठ्यपुस्तक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. सामान्यतः किसी देश का विकास किस आधार पर निर्धारित किया जा सकता

(क) प्रति व्यक्ति आय

(ख) औसत साक्षरता दर

(ग) लोगों की स्वास्थ्य स्थिति

(घ) उपरोक्त सभी

उत्तरउपरोक्त सभी

प्रश्न 2. निम्नलिखित पड़ोसी देशों में से मानव विकास के लिहाज़ से किस देश की स्थिति भारत से बेहतर है ?

(क) बांग्लादेश

(ख) श्रीलंका

(ग) नेपाल

(घ) पाकिस्तान

उत्तर – (ख) श्रीलंका

प्रश्न 3. मान लीजिए कि एक देश में चार परिवार हैं। इन परिवारों की प्रति व्यक्ति आय ₹5,000 है। अगर तीन परिवारों की आय क्रमश: ₹4,000, 7,000 और 3,000 है, तो चौथे परिवार की आय क्या है ?

(क) ₹7,500

(ख) ₹3,000

(ग) ₹2,000

(घ) ₹6,000

उत्तर– (घ) ₹6,000

प्रश्न 4. विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए किस प्रमुख मापदंड का प्रयोग करता है ? इस मापदंड की अगर कोई है, तो सीमाएँ क्या हैं ?

उत्तर – विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए प्रति व्यक्ति आय मापदंड का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि प्रति व्यक्ति आय तुलना के लिए उपयोगी है, लेकिन इससे यह पता नहीं चलता कि यह आय लोगों में किस तरह वितरित है। दो देशों की प्रति व्यक्ति आय समान होने पर भी एक देश दूसरे से अच्छा हो सकता है। इससे देश के आर्थिक विकास का सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता। विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार देशों का वर्गीकरण करने में इस मापदंड का प्रयोग किया गया है। वे देश जिनकी 2013 में प्रति व्यक्ति आय US $12,736 प्रतिवर्ष या उससे अधिक है, उसे समृद्ध देश और वे देश जिनकी प्रति व्यक्ति आय US $1,045 प्रतिवर्ष या उससे कम है, उन्हें निम्न आय वाला देश कहा गया है।

प्रश्न 5. विकास मापने का यू०एन०डी०पी० का मापदंड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदंड से अलग है ?

उत्तर – विश्व बैंक का मापदंड प्रति व्यक्ति आय है, जबकि यू०एन०डी०पी० के मापदंड में प्रति व्यक्ति आय के अतिरिक्त शैक्षिक एवं स्वास्थ्य स्तर भी आते हैं जोकि विश्व बैंक के मापदंड से अधिक बेहतर हैं। यू०एन०डी०पी० के स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े मानक आय के साथ काफ़ी व्यापक स्तर पर विकास के माप के लिए इस्तेमाल किए जाने लगे हैं। यू०एन०डी०पी० मानव विकास रिपोर्ट इन्हीं मापदंडों के आधार पर तैयार करता है।

प्रश्न 6. हम औसत का प्रयोग क्यों करते हैं? इनके प्रयोग करने की क्या कोई सीमाएँ हैं ? विकास से जुड़े अपने उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए । 

उत्तरहम औसत का प्रयोग आय की तुलना करने के लिए करते हैं। आय की तुलना दो व्यक्तियों के बीच, दो राज्यों के बीच या फिर दो देशों के बीच हो सकती है। एक देश के लोग दूसरे देश के लोगों से कितने बेहतर हैं? इसके लिए हम औसत आय की तुलना करते हैं जोकि देश की कुल आय को कुल जनसंख्या से भाग देकर निकाली जाती है। उदाहरण के लिए अर्थशास्त्री आर्थिक विकास की दृष्टि से प्रति व्यक्ति आय या औसत आय को एक माप मानते हैं, लेकिन हो सकता है कि देश में औसत आय में वृद्धि हुई हो तथा धन और आय के वितरण से अधिक असमानताएँ आई हों, अर्थात् धनी व्यक्ति अधिक धनी हुए हैं और ग़रीब व्यक्ति और ग़रीब । इस प्रकार औसत आय धनी और निर्धन के बीच अंतर नहीं बताती है। इसे विकास का अच्छा माप नहीं माना जा सकता है।

प्रश्न 7. प्रति व्यक्ति आय कम होने पर भी केरल का मानव विकास क्रमांक महाराष्ट्र से ऊँचा है। इसलिए प्रति व्यक्ति आय एक उपयोगी मापदंड बिल्कुल नहीं है और राज्यों की

तुलना के लिए इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। क्या आप सहमत हैं? चर्चा कीजिए ।

उत्तरमहाराष्ट्र की प्रति व्यक्ति आय केरल की प्रति व्यक्ति आय से अधिक है, लेकिन मानव विकास क्रमांक में केरल महाराष्ट्र से बेहतर है। इसका कारण है कि जेब में रखा धन ज़रूरी नहीं कि वह सब वस्तुएँ और सेवाएँ खरीद सके जो एक बेहतर जीवन के लिए ज़रूरी हो सकती हैं। नागरिक कितनी भौतिक वस्तुएँ और सेवाएँ इस्तेमाल कर सकते हैं, इसके लिए आय अपने आप में संपूर्ण रूप से पर्याप्त संकेतक नहीं है। केरल में शिशु मृत्यु दर कम है, क्योंकि यहाँ स्वास्थ्य और शिक्षा की मौलिक सुविधाएँ पर्याप्त हैं जबकि महाराष्ट्र में शिशु मृत्यु दर बहुत अधिक है। –

प्रश्न 8. भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के स्रोतों का प्रयोग किया जाता है। ज्ञात कीजिए अब से 50 वर्ष पश्चात् क्या संभावनाएँ हो सकती हैं ?

उत्तरभारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के परंपरागत तथा ग़ैर-परंपरागत स्रोतों का प्रयोग किया जाता है। परंपरागत स्रोतों में कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा बिजली इत्यादि आते हैं। दूसरी ओर ग़ैर-परंपरागत स्रोतों में सौर ऊर्जा, बॉयोमास, वायु, जलीय ज्वार व लहरें, भूतापीय ऊर्जा, जीयो थर्मल ऊर्जा इत्यादि आते हैं। अब से 50 वर्ष पश्चात् ऊर्जा परंपरागत स्रोतों के समाप्त होने का खतरा है। इसलिए आने वाले समय में हमें ऊर्जा के लिए ग़ैर- परंपरागत स्रोतों पर ही निर्भर रहना पड़ेगा। ये स्रोत नवीनीकरण (Renewable) स्रोत हैं। इसलिए इनके समाप्त होने का खतरा भी नहीं बना रहता। वर्तमान समय में ऊर्जा का उपभोग इसके उत्पादन में संरक्षित भंडार से अधिक होने के कारण 50 वर्ष पश्चात् ऊर्जा की संभावनाएँ अच्छी नहीं होंगी। उदाहरण के लिए संपूर्ण विश्व के लिए ऊर्जा के संरक्षित भंडार केवल 46 वर्षों के लिए ही उपलब्ध हैं। भारत में तेल के संरक्षित भंडार केवल 50 वर्षों में ही ख़त्म हो जाएंगे। पेट्रोल तथा इससे संबंधित उत्पादों का आयात भारतीय अर्थव्यवस्था पर काफ़ी बोझ डाल रहा है। इसलिए ही ऊर्जा के नवीनीकरण साधनों के प्रयोग की आवश्यकता है। भारत में जलीय ऊर्जा की क्षमता लगभग 1,50,000 मैगावाट आँकी गई है जिसमें केवल इसके छठे भाग का ही दोहन हो सका है। इसी प्रकार वायु ऊर्जा की क्षमता 20,000 मैगावाट आँकी गई है। अतः ऊर्जा के इन क्षेत्रों में ही प्रयास किए जाने चाहिए।

प्रश्न 9. धारणीयता का विषय विकास के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है ?

                      अथवा

धारणा का मुद्दा विकास के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है ? स्पष्ट कीजिए

उत्तर – धारणीयता से हमारा अभिप्राय एक ऐसी निरंतर प्रक्रिया को धारण करना है जो भविष्य की नस्ल की उत्पादकता को हानि पहुँचाए बिना ही वर्तमान नस्ल की आवश्यकताओं की संतुष्टि को बनाए रखे। धारणीयता का विषय विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसके बिना विकास अधूरा है। जब तक देश में बेरोज़गारी, ग़रीबी, धन व आय की असमानताएँ ख़त्म नहीं होतीं तथा आर्थिक वृद्धि के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षित नहीं रहता तब तक सही अर्थों में विकास नहीं हो सकता। हम सब का भविष्य परस्पर जुड़ा हुआ है। विकास की धारणीयता तुलनात्मक स्तर पर ज्ञान का नया क्षेत्र है, इस क्षेत्र में वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री, दार्शनिक और अन्य सामाजिक, वैज्ञानिक मिलजुल कर काम कर रहे हैं। उनके अनुसार वर्तमान समय के विकास आयाम धारणीय नहीं हैं। धारणीयता के विषय का उद्गम विश्व के तीव्र औद्योगीकरण के कारण हुआ है। ऐसा समझा जा रहा है कि तीव्र औद्योगीकरण व आर्थिक वृद्धि के उद्देश्यों से प्राकृतिक साधनों का तीव्रता से ह्रास हुआ है। प्राकृतिक साधन सीमित मात्रा में होने के कारण इनके दुरुपयोग से भविष्य में विश्व के देश खतरे में पड़ जाएंगे। इसलिए ही धारणीयता का विषय विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 10. धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। यह कथन विकास की चर्चा में कैसे प्रासंगिक है ? चर्चा कीजिए ।

उत्तरहम इस कथन से एक निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि धरती के पास पर्याप्त मात्रा में प्राकृतिक संसाधन हैं। लेकिन उनका लाभ केवल एक अकेला व्यक्ति नहीं उठा सकता बल्कि सभी व्यक्ति मिलकर ही उसका लाभ उठा सकते हैं। जैसे वर्षा का पानी सभी लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने का पर्याप्त संसाधन है, लेकिन इससे एक अकेला व्यक्ति यदि लालची बन कर उसका दुरुपयोग करता है तो वह पानी उस व्यक्ति की ज़रूरतों के लिए भी काफ़ी नहीं होगा। प्राकृतिक साधन सीमित मात्रा में होने के कारण यदि इसका अकेला व्यक्ति भी अंधाधुंध दोहन करना शुरू कर दे तो यह उस लालची व्यक्ति की ज़रूरतों को भी पूरा नहीं कर पाएंगे। इसलिए यदि हम प्राकृतिक साधनों का समझदारी से प्रयोग करते हैं तो ये हमारी ज़रूरतों के लिए काफ़ी हैं परंतु यदि लालची बन कर प्रयोग करते हैं तो ये मात्र एक व्यक्ति की ज़रूरतें भी पूरा नहीं कर पाएंगे। अतः यह कथन बिल्कुल प्रासंगिक है कि धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।

प्रश्न 11. पर्यावरण में गिरावट के कुछ ऐसे उदाहरणों की सूची बनाइए जो आपने अपने आस-पास देखे हों ।

उत्तर – हम अपने आस-पास कई ऐसे उदाहरण देखते हैं जो पर्यावरण को दूषित कर रहे हैं। जैसे कूड़ा-कर्कट, तालाबों पर पशुओं को नहलाना, लकड़ी का प्रयोग करने से धुआँ निकलना, वनों का अत्यधिक कटाव, गाड़ियों का धुआँ, उद्योगों की चिमनियों से निकला धुआँ आदि बहुत से उदाहरण हैं जो पर्यावरण के अवक्रमण के कारण हैं। इसके अतिरिक्त अत्यधिक वाहनों की संख्या, उद्योगों द्वारा अपने अवशेषों को भूमि के ऊपर फेंकना, विभिन्न उद्योगों के चलने से उड़ने वाली धूल का वातावरण में फैलाव तथा वनस्पति का नाश इत्यादि कारणों से वैश्विक जलन (Global Warming) बढ़ रही है जिससे पर्यावरण में दिन-प्रतिदिन गिरावट आ रही है।

प्रश्न 12. तालिका 1.6 में दी गई प्रत्येक मद के लिए ज्ञात कीजिए कि कौन सा देश सबसे ऊपर है और कौन-सा सबसे नीचे

तालिका: वर्ष 2013 के लिए भारत और उसके पड़ोसी देशों के कुछ आँकड़े

देश

सकल राष्ट्रीय आय

( स०रा०आए० ) प्रति व्यक्तिअमेरिकी डॉलर में( 2011 क्रय शक्ति क्षमता )

जन्म के समय

संभावित आयु

(2013)

साक्षरता दर 15+

वर्ष की जनसंख्या

के लिए

2005-2012

विश्व में मानव

विकास सूचकांक

( HDI ) का क्रमांक

(2013 )

श्रीलंका

भारत

म्यांमार

पाकिस्तान

नेपाल

बांग्लादेश

9,250

5,150

3,998

4,652

2,194

2,713

74.3

66.4

65.2

66.6

68.8

70.7

91.2

62.8

92.7

54.9

57.4

57.7

73

135

150

146

145

142

स्त्रोतः मानव रिपोर्ट, 214

उत्तर – उपरोक्त तालिका से निम्नलिखित तथ्य स्पष्ट होते हैं:

(क) प्रति व्यक्ति आय: श्रीलंका की प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक है और नेपाल की प्रति व्यक्ति आय सबसे कम है।

( ख ) जन्म के समय संभावित आयुः इस इकाई में श्रीलंका सबसे ऊपर है और म्यांमार सबसे नीचे है।

(ग) साक्षरता दरः साक्षरता दर में श्रीलंका सबसे ऊपर है और पाकिस्तान सबसे नीचे है।

(घ) मानव विकास सूचकांकः इसमें श्रीलंका सबसे ऊपर है और म्यांमार सबसे नीचे है।

प्रश्न 13. नीचे दी गई तालिका में भारत में अल्प-पोषित वयस्कों का अनुपात दिखाया गया है। यह वर्ष 2001 में देश में विभिन्न राज्यों के एक सर्वेक्षण पर आधारित है। तालिका का अध्ययन करके निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए

राज्य

पुरुष %

महिला %

केरल

कर्नाटक

मध्य प्रदेश

22

32

42

18

36

38

सभी राज्य

34

32

स्त्रोत: आई.एच.आर.डी. 211 पृ० 269

(क) केरल और मध्य प्रदेश के लोगों के पोषण की तुलना कीजिए।

(ख) क्या आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि देश के एक तिहाई लोग अल्पपोषित क्यों हैं, यद्यपि यह तर्क दिया जाता है कि देश में पर्याप्त खाद्य है? अपने शब्दों में विवरण दीजिए।

उत्तर– 

(क) मध्य प्रदेश की तुलना में केरल में वयस्कों का पोषणिक स्तर बेहतर है। क्योंकि केरल में केवल 22 प्रतिशत पुरुष तथा 18 प्रतिशत महिलाएँ ही अल्पपोषिकता की शिकार हैं जबकि मध्य प्रदेश में 42 प्रतिशत पुरुष और 38 प्रतिशत महिलाएँ अल्प- पोषिकता की शिकार हैं।

(ख) देश में एक तिहाई लोग अल्प-पोषित हैं। देश में पर्याप्त अनाज होने के बावजूद भी इसका वितरण सही ढंग से नहीं होता है। कई ग्रामीण इलाकों में राशन की दुकानें ठीक तरह से नहीं चलती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आर्थिक स्थिति ऐसी है कि वे दुकानों से राशन भी नहीं खरीद पाते हैं। उन्हें पौष्टिक भोजन नहीं मिलता है जिससे वे अल्प-पोषिकता का शिकार होते हैं। भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर माना जाता है, लेकिन आज भीकई ऐसे लोग हैं, जिन्हें दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती है। आज भी भारत की 21.9 प्रतिशत जनसंख्या ग़रीबी रेखा के नीचे रहती है ।

NCERT पाठ्यपुस्तक प्रश्नोत्तर

आओ इन पर विचार करें:

प्रश्न 1. अलग-अलग लोगों की विकास की धारणाएँ अलग क्यों हैं? नीचे दी गई व्याख्याओं में कौन-सी अधिक महत्त्वपूर्ण है और क्यों ?

(क) क्योंकि लोग भिन्न होते हैं।

(ख) क्योंकि लोगों के जीवन की परिस्थितियाँ भिन्न हैं।

उत्तर – व्याख्या 

(ख) अधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि अलग-अलग हैं तथा लोगों की विकास की धारणाएँ अलग-अलग हैं तथा लोगों के जीवन की परिस्थितियाँ भिन्न हैं। लोग जीवन की

परिस्थितियों के आधार पर ही विकास के लक्ष्य निर्धारित करते हैं।

प्रश्न 2. क्या निम्न दो कथनों का एक अर्थ है, कारण सहित उत्तर दीजिए ?

(क) लोगों के विकास के लक्ष्य भिन्न होते हैं ।

(ख) लोगों के विकास के लक्ष्यों में परस्पर विरोध होता है।

उत्तर – इन दोनों कथनों का एक अर्थ नहीं हो सकता है, क्योंकि अलग-अलग लोगों के विकास के लक्ष्य भिन्न हो सकते हैं और दूसरी तरफ एक के लिए जो विकास है वह दूसरे के लिए विकास न हो । यहाँ तक कि वह दूसरे के लिए विनाशकारी भी हो सकता है। उदाहरण के लिए अधिक बिजली पाने के लिए उद्योगपति ज्यादा बाँध चाहते हैं। लेकिन बाँध बनाने के लिए ज़मीन जलमग्न हो सकती है और उन लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है जो वहाँ रहते हैं वह बेघर हो जाएंगे इसलिए वे इसका विरोध कर सकते हैं।

प्रश्न 3. ऐसे कुछ उदाहरण दीजिए जहाँ आय के अतिरिक्त कुछ अन्य कारक हमारेजीवन के महत्त्वपूर्ण पहलू हैं।

उत्तर – आय के अतिरिक्त लोग बराबरी का व्यवहार, स्वतंत्रता, सुरक्षा और दूसरों से मिलने की इच्छा भी रखते हैं। ये अधिक आय और अधिक उपयोग से अधिक महत्त्वपूर्ण हो सकते हैं। क्योंकि जीने के लिए भौतिक वस्तुएँ ही पर्याप्त नहीं होतीं । द्रव्य या उससे खरीदी जा सकने वाली भौतिक वस्तुएँ, एक कारक है जिस पर हमारा जीवन निर्भर है। लेकिन हमारा जीवन ऊपर लिखी अभौतिक चीज़ों पर भी निर्भर करता है। इसलिए लोगों के विकास के लक्ष्य केवल बेहतर आय के ही नहीं होते, बल्कि जीवन में अन्य महत्त्वपूर्ण चीज़ों के बारे में भी होते हैं।

प्रश्न 4. ऊपर दिए गए खंड के कुछ महत्त्वपूर्ण विचारों को अपनी भाषा में समझाइए ।

उत्तर – सुझावः इस गतिविधि के लिए विद्यार्थी इस पाठ का अध्ययन करें और इस गतिविधि को करने की कोशिश करें। विद्यार्थी अपने अध्यापक की सहायता भी ले सकते हैं।

प्रश्न 5. निम्नलिखित स्थितियों पर चर्चा कीजिए:

( क ) दाहिनी ओर दिए गए चित्र को देखिए । इस प्रकार के क्षेत्र के विकासात्मक लक्ष्य क्या होने चाहिएँ ?

उत्तर:— दिए गए चित्र इस प्रकार के क्षेत्र को दर्शा रहा है, जिसमें एक तरफ तो ऊँची-ऊँची इमारतें हैं तथा दूसरी तरफ़ झुग्गी-झोंपड़ियों में रह रहे लोग । ऊँची इमारतें विकास कर रही हैं लेकिन यह विकास नहीं है। विकास, सकल घरेलू उत्पाद की दर को बढ़ाना नहीं है, बल्कि विकास तभी हो सकता है जब इन झुग्गी-झोंपड़ियों में रह रहे लोगों के जीवन स्तर को भी ऊँचा उठाया जाए। विकास के लिए अत्यधिक औद्योगीकरण करके इन झुग्गी-झोंपड़ियों की अवनति करना विकास नहीं कहा जा सकता। आज पर्यावरण अवक्रमण वैश्विक चिंता का विषय है जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। इसलिए विकास के लक्ष्य ऐसे हों जिससे विकास तो हो पर इससे परिवेश को हानि न पहुँचे। साथ ही वर्तमान विकास, भावी पीढ़ी की आवश्यकताओं के साथ किसी प्रकार का समझौता न करे । विकास के लिए हमें झुग्गी- झोंपड़ी में रह रहे लोगों के जीवन स्तर को भी उठाना होगा। केवल सकल घरेलू उत्पाद की बढ़ोतरी पर ही वास्तविक विकास नहीं हो सकता।

विभिन्न देशों या राज्यों की तुलना कैसे की जा सकती है? - vibhinn deshon ya raajyon kee tulana kaise kee ja sakatee hai?

(ख) इस अख़बार की रिपोर्ट देखिए और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए। एक जहाज़ ने 500 टन तरल ज़हरीले अवशेष एक शहर के खुले कूड़े घर और आस- पास के समुद्र में डाल दिए । यह अफ्रीका देश के, आइवरी कोस्ट में अबिदजान शहर में हुआ । इन खतरनाक ज़हरीले अवशेषों से निकलने वाले धुएँ से लोगों ने जी मितलाना, चमड़ी पर दरारें पड़ना, बेहोश होना, दस्त लगना इत्यादि की शिकायतें कीं। एक महीने के बाद 7 लोग मारे गए, 20 अस्तपाल में भरती हुए और विषाक्तता के कारण 26,000 लोगों का इलाज किया गया । पेट्रोल और धातुओं से संबंधित एक बहुराष्ट्रीय कंपनी ने आइवरी कोस्ट की एक स्थानीय कंपनी को अपने जहाज़ से जहरीले पदार्थ फेंकने का ठेका दिया था ।

(i) किन लोगों को लाभ हुआ और किन को नहीं ?

(ii) इस देश के विकास के लक्ष्य क्या होने चाहिए ?

उत्तर – (i) इससे अफ्रीका के आइवरी कोस्ट निवासियों को बहुत हानि हुई। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। संपूर्ण रूप से देखा जाए तो इससे हमारा पर्यावरण दूषित हुआ

है जो किसी के लिए लाभदायक नहीं है। इसका प्रभाव प्रत्येक वर्ग पर पड़ेगा, चाहे वह धनी है या निर्धन।

(ii) इस देश के विकासात्मक लक्ष्य यह होने चाहिए कि अत्यधिक औद्योगीकरण के साथ-साथ निर्धन वर्ग का ध्यान रखा जाना चाहिए। इस देश को धारणीय विकास की प्रक्रिया अपनानी चाहिए, जिससे विकास तो हो लेकिन उसका पर्यावरण पर कोई प्रभाव न पड़े।

(ग) आपके गाँव या शहर या स्थानीय इलाके के विकास के लक्ष्य क्या होने चाहिए ?

उत्तर – सुझाव: इस गतिविधि के लिए विद्यार्थी गाँवों या शहरों या स्थानीय इलाके की गतिविधियों का जायजा लें और इनके लक्ष्य निर्धारित करें।

प्रश्न 6. तीन उदाहरण दीजिए, जहाँ स्थितियों की तुलना के लिए औसत का इस्तेमाल किया जाता है।

उत्तर – निम्नलिखित स्थितियों में हम तुलना के लिए औसत का इस्तेमाल करते हैं:

(क) दो राज्यों के लोगों की आर्थिक स्थिति की तुलना के लिए।

(ख) दो देशों की आर्थिक स्थिति की तुलना करने के लिए ।

(ग) दो बल्लेबाज़ों के खेल स्तर की तुलना ।

प्रश्न 7. आप क्यों सोचते हैं कि औसत आय विकास को समझने का एक महत्त्वपूर्ण मापदंड है ? व्याख्या कीजिए ।

उत्तर – औसत आय विकास को समझने का एक महत्त्वपूर्ण मानक है, क्योंकि इससे हमें यह पता चल जाता है कि औसत व्यक्ति क्या कमा रहा है। इसलिए हम एक देश के लोगों की दूसरे देशों के लोगों की आर्थिक स्थिति से तुलना करने के लिए औसत आय का प्रयोग करते हैं। लेकिन इसकी एक सीमा भी है कि हरेक देश की जनसंख्या दूसरे से भिन्न होती है। इससे हमें यह पता नहीं चलता कि लोगों में आय किस तरह से वितरित है।

प्रश्न 8 प्रति व्यक्ति आय के माप के अतिरिक्त, आय के कौन-से अन्य लक्षण हैं जो दो या दो से अधिक देशों की तुलना के लिए महत्त्व रखते हैं

उत्तर – प्रति व्यक्ति आय के माप के अलावा दो या दो से अधिक देशों की तुलना करने के लिए अन्य लक्षण भी हैं । जैसे: स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रदूषण मुक्त वातावरण आदि ।

प्रश्न 9. मान लीजिए कि रिकॉर्ड ये दिखाते हैं कि किसी देश की आय समय के साथ बढ़ती जा रही है। क्या इससे हम इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि अर्थव्यवस्था के सभी भाग बेहतर हो गए हैं? अपना उत्तर उदाहरण सहित दीजिए।

उत्तर – किसी देश में आय के लगातार बढ़ने से यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि उस देश की स्थिति बेहतर हो गई है, क्योंकि हो सकता है कि अर्थव्यवस्था में प्रति व्यक्ति वास्तविक आय में लगातार वृद्धि हो रही हो, परंतु इसका अधिकांश भाग समाज के कुछ ही हाथों में केंद्रित हो जाता हो । यदि किसी अर्थव्यवस्था में आय के बढ़ने के साथ-साथ धनिक वर्ग अधिक धनी हो रहा हो और ग़रीब वर्ग अधिक ग़रीब हो रहा हो तो हम यह नहीं कह सकते कि देश में आर्थिक प्रगति हुई है।

प्रश्न 10. विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार मध्य आय वाले देशों की प्रति व्यक्ति आय ज्ञात कीजिए।

उत्तर – मध्य आय वाले देशों की प्रति व्यक्ति आय US$ 1,045 प्रति वर्ष थी ।

प्रश्न 11. एक अनुच्छेद लिखिए कि भारत को एक विकसित देश बनने के लिए क्या करना या प्राप्त करना चाहिए।

उत्तर – भारत को एक विकसित देश बनने के लिए अपनी आर्थिक विकास की दर को ऊँचा उठाना पड़ेगा तथा धारणीय विकास की नीति अपनानी होगी। ऊँची विकास दर का अर्थ होता है रोज़गार की ज्यादा संभावनाएँ, अधिक विकास, आदमी और गृहिणी के हाथों में ज्यादा पैसा, उपभोक्ताओं के पास चुनाव के ज्यादा अवसर । ऐसे में सरकार को लाभप्रद योजनाओं  से खुद को आश्रित करना चाहिए । बेहतर शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ और अपने नागरिकों का जीवन स्तर ऊपर उठाना उसका लक्ष्य होना चाहिए।

प्रश्न 12. तालिका 1.3 और 1.4 के आँकड़ों को देखिए । क्या महाराष्ट्र बिहार से साक्षरता दर आदि से उतना ही आगे है जितना कि प्रति व्यक्ति आय के विषय में ?

     तालिका 1.3 : चयनित राज्यों की प्रति व्यक्ति आय

राज्य

2012 – 2013 के लिए प्रति व्यक्ति आय ( रुपयों में )

महाराष्ट्र

केरल

बिहार

1,04,000

88,500

27,200

तालिका 1.4 महाराष्ट्र केरल और बिहार के कुछ तुलनात्मक आँकड़े

राज्य

शिशु मृत्यु दरप्रति 1000 व्यक्ति (2012)

साक्षरता दर (2011 )

निवल उपस्थिति अनुपात

( प्रति 100 व्यक्ति ) उच्चतर ( आयु 14 तथा 15 वर्ष ) 2009-10

महाराष्ट्र

केरल

बिहार

25

12

43

82

94

62

64

78

35

उत्तर – हाँ, उपरोक्त तालिकाओं में दिए गए आंकड़ों से पता चलता है कि महाराष्ट्र बिहार से साक्षरता दर में उतना ही आगे है जितना कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में ।

प्रश्न 13. ऐसे दूसरे उदाहरण सोचिए जहाँ वस्तुएँ और सेवाएँ व्यक्तिगत स्तर की अपेक्षा सामूहिक स्तर पर उपलब्ध कराना अधिक सस्ता है।

उत्तर – स्कूल के प्रत्येक विद्यार्थी को अलग-अलग किताबें खरीदनी पड़ें तो वे महंगी पड़ेंगी। यदि सामूहिक स्तर पर सभी विद्यार्थियों को किताबें उपलब्ध कराई जाएँ तो वे सस्ती पड़ेंगी ।

प्रश्न 14. अच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं की उपलब्धता क्या केवल सरकार द्वारा इन सुविधाओं के लिए किए गए व्यय पर ही निर्भर करती है ? अन्य कौन-से

कारक प्रासंगिक हो सकते हैं?

उत्तरअच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं की उपलब्धता केवल सरकार के खर्च परनिर्भर नहीं रहनी चाहिए बल्कि इसके लिए स्वयंसेवी संगठनों, निजी कंपनियों तथा धनी

लोगों को भी आगे आना चाहिए। यदि यह वर्ग अपनी आय का थोड़ा सा हिस्सा भी स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च करते हैं, तो सरकार के खर्च के बोझ को कम किया जा सकता है ।

प्रश्न 15. तमिलनाडु में ग्रामीण क्षेत्रों के 75 प्रतिशत लोग राशन की दुकानों का प्रयोग करते हैं, जबकि झारखंड में केवल 8 प्रतिशत ग्रामीण निवासी इसका प्रयोग करते हैं ।

कहाँ के लोगों का जीवन बेहतर होगा और क्यों ?

उत्तर – झारखंड के लोगों का जीवन स्तर बेहतर है, क्योंकि झारखंड के केवल 8 प्रतिशत लोग राशन की दुकानों पर निर्भर हैं, जबकि तमिलनाडु में 75 प्रतिशत लोग राशन की दुकानों पर निर्भर हैं अर्थात् वे आत्मनिर्भर नहीं हैं।

विभिन्न देशों या राज्य की तुलना कैसे करें?

देशों की तुलना करने के लिए उनकी आय सबसे महत्वपूर्ण विशिष्टता समझी जाती है। जिन देशों की आय अधिक है उन्हें कम आय वाले देशों से अधिक विकसित समझा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि आय अधिक है तो व्यक्ति आवश्यकताओं की वस्तुओं को खरीद सकने में सक्षम है। परंतु देशों के बीच तुलना करने के लिए देश की कुल आय उपयुक्त माप नहीं है।

विभिन्न देशों की तुलना करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या है?

विभिन्न देशों के विकास के स्तर की तुलना करने के लिए, उनकी आय को सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक माना जाता है। उच्च आय वाले देश कम आय वाले अन्य देशों की तुलना में अधिक विकसित हैं। देशों के बीच तुलना के लिए, हम प्रत्येक देश की प्रति व्यक्ति आय पर विचार करते हैं।

विभिन्न देशों के विकास की तुलना का मुख्य आधार क्या है?

विकसित देशों की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार औद्योगिक विकास होता है वहीँ विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि और मत्स्य पालन होता है.

हम औसत का प्रयोग क्यों करते हैं इसका प्रयोग करने की क्या कोई सीमाएं है?

हम औसत का प्रयोग इसलिए करते हैं क्योंकि दो देशों की आर्थिक स्थिति को जाने का यह सबसे अधिक सरल मापदंड हैं। किसी देश की आय को यदि उसकी कुल जनसंख्या से विभाजित कर दिया जाए तो हमें उसकी औसत आय प्राप्त हो जाती हैं। इसी प्रकार औसत विभिन्न विषयों के बारे में प्राप्त की जा सकती हैं