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उच्चारण की गति को क्या कहते है?इस दृष्टि से व्यंजनों को दो वर्गों में विभक्त किया जाता है - घोष और अघोष। जिन व्यंजनों के उच्चारण में स्वरतंत्रियों में कंपन होता है, उन्हें घोष या सघोष कहा जाता हैं। दूसरे प्रकार की ध्वनियां अघोष कहलाती हैं। स्वरतंत्रियों की अघोष स्थिति से अर्थात जिनके उच्चारण में कंपन नहीं होता उन्हें अघोष व्यंजन कहा जाता है।
उच्चारण से आप क्या समझते हैं?उच्चारण- मुख से अक्षरों को बोलना उच्चारण कहलाता है। सभी वर्णो के लिए मुख में उच्चारण स्थान होते हैं। यदि वर्णों का उच्चारण शुद्ध न किया जाए, तो लिखने में भी अशुद्धियाँ हो जाती हैं, क्योंकि हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है। इसे जैसा बोला जाता है, वैसा ही लिखा भी जाता है।
उच्चारण कितने प्रकार के होते हैं?उच्चारण के अंतर्गत प्रधानतया तीन बातें आती हैं :. (1) ध्वनियों, विशेषतया स्वरों में ह्रस्व दीर्घ का भेद,. (2) बलात्मक स्वराघात,. (3) गीतात्मक स्वराघात।. शब्दों के उच्चारण में अक्षरों पर जो जोर धक्का लगता है उसे क्या कहते हैं?शब्दों के उच्चारण में अक्षरों पर जो जोर (धक्का) लगता है, उसे आघात या बल कहते हैं। ध्वनि, कंपन की लहरों से बनती है। यह बल अथवा आघात (झटका) उन ध्वनिलहरों के छोटी-बड़ी होने पर निर्भर होता है। 'मात्रा' का उच्चारण काल के परिमाण से संबंधित रहता है और 'आघात' का स्वर-कंपन की छुटाई-बड़ाई के परिमाण से।
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