मापन क्या है मापक प्रदर्शन करने की विधियों का उल्लेख कीजिए? - maapan kya hai maapak pradarshan karane kee vidhiyon ka ullekh keejie?

मापन क्या है मापक प्रदर्शन करने की विधियों का उल्लेख कीजिए? - maapan kya hai maapak pradarshan karane kee vidhiyon ka ullekh keejie?



  • आत्मनिष्ठ - ये विधियां व्यक्ति के अनुभव तथा धारणा पर निर्भर है। जीवन इतिहास, प्रश्नावली साक्षात्कार तथा आत्मकथा लेखन।
  • वस्तुनिष्ठ - बाह्य व्यवहार का अध्ययन करने में वस्तुनिष्ठ विधियों का प्रयोग किया जाता है। नियंत्रित निरीक्षण मापन समाजमिति तथा शारीरिक परीक्षण
  • प्रक्षेपण - इन विधियों में उत्तेजक प्रस्तुत किये जाते हैं। व्यक्ति अपने अचेतन व्यवहार की अभिव्यक्ति करता है।
  • प्रासंगिक, अन्तर्बोध, बाल सम्प्रत्यय, वाक्यपूर्ति, कहानी रचना आदि।

प्रक्षेपण विधियां Projective Method-

अ. स्याही धब्बा परीक्षण Ink-Blot Test -

  • प्रवर्तक - हरमन रोर्शा ने 1921 ई. में स्विट्जरलैण्ड में
  • परीक्षण सामग्री - कुल 10 कार्ड, जिसमें 5 काले रंग, 2 काले व लाल रंग, और 3 कार्ड पर अनके रंग की स्याही के धब्बे।

उपयोगिताः-

  • इस परीक्षण के माध्यम से परीक्षार्थी के ज्ञानात्मक, क्रियात्मक एवं भावात्मक पक्षों को मापा जाता है।
  • इसका प्रयोग मानसिक रोगों के निदान, उपचार तथा बाल निर्देशन में भी होता है।
  • क्रो एवं क्रो के अनुसार धब्कों की व्याख्या करके परीक्षार्थी अपने व्यक्तित्व का सम्पूर्ण चित्र प्रस्तुत कर देता है।

ब. प्रसंगात्मक अंतर्बोधThematic Apperception Test  -

  • प्रवर्तकः मुर्रे एवं मॉर्गन, 1935
  • कुल 30 कार्ड 
  • 10 कार्ड पुरुषों के , 10 कार्ड महिलाओं के 
  • 10 कार्ड दोनों के 
  • 14 वर्ष से अधिक आयु के बालकों के लिए
  • उस परीक्षण के माध्यम से व्यक्ति की निराशा, आवश्यकता, काम-सम्बन्धी समस्या, रूचि, अभिरूचि आदि समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। इसी आधान पर उसे उचित निर्देशन और मार्गदर्शन दिया जाता है।

स. बाल प्रसंगात्मक परीक्षण Children Apperception Test C.A.T.-

  • लियोपोल्ड बैलक ने 1948 ई. में
  • 3-11 वर्ष की आयु के मध्य के बालकों के व्यक्तित्व का माप करने हेतु
  • 10 चित्र, सभी चित्र जानवरों के 
  • भारत में कोलकाता में (उमा चौधरी) 
  • इस परीक्षण में योगदान अर्नेस्ट क्रिस ने दिया।
  • बच्चों को चित्र दिखाकर कहानी लिखने को कहा जाता है।

वाक्य या कहानी पूर्ति परीक्षण Sentence or Story Completion Test (SCT) -

  • प्रवर्तकः एबिंघास पाइने व टेण्डलर
  • यह विधि लिखित होने के कारण शिक्षित व्यक्तियों के लिए ही उपयोगी है।

खेल व नाटक विधि Play and Drama Method -

  • प्रवर्तकः जे.एल. मेरिनो

स्वतंत्र शब्द साहचय्र परीक्षण -

  • गाल्टन ने 1879 में

मापन क्या है मापक प्रदर्शन करने की विधियों का उल्लेख कीजिए? - maapan kya hai maapak pradarshan karane kee vidhiyon ka ullekh keejie?

अच्छे मापन उपकरण की विशेषताएं क्या हैं? | Qualities of a Good Measuring Tool in Hindi

मापन तथा मूल्याकन शिक्षा प्रक्रिया का एक अत्यन्त आवश्यक तथा अभिन्न अंग है। शिक्षा प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में छात्रों की विभिन्न योग्यताओं एवं उपलब्धि का भापन व मूल्यांकन करना होता है। मापन तथा मूल्याकन के लिए कुछ उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। किसी भी अच्छे मापन उपकरण में कुछ मूलभूत विशेषताएं का होना अत्यन्त आवश्यक आवश्यक हैं। इसीलिए किसी मापन उपकरण का चयन करते समय इन विशेषताओं का ध्यान रखना अत्यन्त आवश्यक है। यदि कोई मापन उपकरण इन विशेषताओं से युक्त होता है तब ही उसे एक अच्छा मापेन उपकरण कहा जा सकता है।

मापन उपकरण की विशेषताओं को दो भागों – (i) व्यावहारिक विशेषताएँ (Practical characteristics) (ii) तकनीकी विशेषताएँ (Technical characteristics) में बाँटा जा सकता है। व्यावहारिक विशेषताओं के अन्तर्गत वे विशेषताएँ आती है जो मापन उपकरण के व्यावहारिक उपयोग से सम्बन्धित होती है। यदि दिये गये उद्देश्यों तथा दी गई परिस्थितियों में किसी मापन उपकरण को सुगमता व सुविधाजनक ढंग से प्रयोग में लाया जा सकता है तो मापन उपकरण को व्यावहारिक विशेषताओं से युक्त परीक्षण कहते हैं। इनके अन्तर्गत मापन उपकरण की उद्देश्यपूर्णता, व्यापकता, सुगमता, मितव्ययता आदि विशेषताएँ आती हैं। तकनीकी विशेषताओं के अन्तर्गत मापन उपकरण के निर्माण तथा उस पर प्राप्त परिणामों के त्रुटि रहित होने से सम्बन्धित विशेषताएँ आतीं हैं। यदि मापन उपकरण की रचना प्रमापीकृत विधियों के अनुरूप की गई है, तो परीक्षण पर प्राप्त परिणामों के त्रुटिरहित होने के प्रति सुनिश्चित हुआ जा सकता है। ऐसी स्थिति में परीक्षण को तकनीकी विशेषताओं से युक्त परीक्षण कहा जाता है। इसके अन्तर्गत वस्तुनिष्टता, विश्वसनीयता, वैधता, विभेदकता आदि विशेषताएँ आती हैं।

यहाँ यह स्मरणीय होगा कि परीक्षण की ये सभी विशेषताएँ एक दूसरे से पूर्णतया पृथक-पृथक न होकर परस्पर सम्बन्धित होती हैं । उदाहरण के लिए यदि कोई परीक्षण वैध होता है तो वह विश्वसनीय भी होता है। इसी प्रकार से बस्तुनिष्ठ परीक्षण की वैधता व विश्वसनीयता विषयनिष्ठ परीक्षण से अधिक होती है। परीक्षण की विभिन्न विशेषताओं को चित्र 8 में स्पष्ट किया गया है।

कुछ लेखक मापन उपकरण की व्यावहारिक विशेषताओं को मात्र एक शीर्षक व्यावहारिकता (Practicability) में रखते हैं तथा व्यावहारिक विशेषता व तकनीकी विशेषता नाम से विशेषताओं मे कोई विभेद नहीं करते हैं ।

  • ऐसे विद्वान तथा लेखक प्रायः किसी अच्छे मापन उपकरण की निम्न प्रमुख विशेषताओं की चर्चा करते हैं :- (अच्छे मापन उपकरण की विशेषताएं)
  • आगे किसी अच्छे परीक्षण की इन बारह विशेषताओं (Characteristics) का वर्णन संक्षेप में प्रस्तुत किया जा रहा है-
  • शिक्षक शिक्षण – महत्वपूर्ण लिंक

ऐसे विद्वान तथा लेखक प्रायः किसी अच्छे मापन उपकरण की निम्न प्रमुख विशेषताओं की चर्चा करते हैं :- (अच्छे मापन उपकरण की विशेषताएं)

  1. वैधता (Validity)                                                
  2. संतुलन (Balance)
  3. सक्षमता (Efficiency)
  4. वस्तुनिष्टता (Objectivity)
  5. विशिष्टता (Specificity)
  6. कठिनता (Difficulty)
  7. विभेदकता (Discrimination)
  8. विश्वसनीयता (Reliability)
  9. न्याययुक्तता (Fairness)
  10. गतिशीलता (Speediness)
  11. व्यावहारिकता (Practicability)
  12. प्रमापीकरण (Standardization )

आगे किसी अच्छे परीक्षण की इन बारह विशेषताओं (Characteristics) का वर्णन संक्षेप में प्रस्तुत किया जा रहा है-

  1. वैघता (Validity) – परीक्षण की यह विशेषता बताती है कि कोई दिया गया परीक्षण मापन के उद्देश्यों को किस सीमा तक पूरा करता है । यदि कोई परीक्षण मापन के उद्देश्य को पूर्ण करता है तो उस परीक्षण को वैध परीक्षण (Valid Test) कहा जाता है तथा परीक्षण की इस विशेषता को वैधता (Validity) कहा जाता है।
  2. संतुलन (Balance) – परीक्षण की यह विशेषता उसमें सम्मिलित किये गये प्रश्नों से सम्बन्ध रखती है। यदि परीक्षण में सम्मिलित किये गये प्रश्न समस्त पाठ्यवस्तु में ठीक ढंग से वितरित हैं तो परीक्षण को एक संतुलित परीक्षण (Balance Test) कहा जाता है।
  3. सक्षमता (Efficiency)- परीक्षण का यह गुण परीक्षण की रचना करने में, प्रशासन करने में परीक्षण का अंकन करने में तथा परीक्षार्थी के द्वारा परीक्षण का उत्तर देने में लगे समय से सम्बन्धित होता है। यदि परीक्षण कम समय में तैयार किया जा सकता है, प्रशासित किया जा सकता है, अंकन किया जा सकता है तो परीक्षण को एक सक्षम परीक्षण (Efficient Test) कहा जाता है।
  4. वस्तुनिष्ठता (Objectivity) – परीक्षण का यह गुण उसके अंकन से सम्बन्धित होता है। यदि परीक्षण में सम्मिलित किये गये प्रश्न स्पष्ट होते हैं तथा उनका एक ही निश्चित उत्तर होता है, तो परीक्षण का अंकन करना सरल तथा त्रुटिरहित होने के साथ साथ परीक्षक की विषयनिष्ठता से मुक्त हो जाता है। ऐसे परीक्षण को वस्तुनिष्ठ परीक्षण (Objective Test) कहा जाता है।
  5. विशिष्टता (Specificity) – परीक्षण की यह विशेषता वस्तुनिष्ठता की पूरक होती है। यदि परीक्षण इस प्रकार का है कि परीक्षण से अनभिज्ञ छात्र कम अंक पाते हैं तथा अन्य छात्र अधिक अंक पाते हैं तो परीक्षण को विशिष्ट परीक्षण (Specific Test) कहा जाता है।
  6. कठिनता (Difficulty) – परीक्षण की यह विशेषता परीक्षण में सम्मिलित किये गये प्रश्नों के कठिनाई स्तर से होती है यदि परीक्षण छात्रों की दृष्टि से न तो अत्यधिक कठिन है और न ही अत्यधिक सरल है तो उसे उपयुक्त सरलता वाला प्रश्न कहा जाता है। अत्यधिक सरल या अत्यधिक कठिन परीक्षण ठीक नहीं माने जाते हैं।
  7. विभेदकता (Discrimination) – परीक्षण की यह विशेषता उसके द्वारा श्रेष्ठ व कमजोर छात्रों में ठीक ढंग से अन्तर स्पष्ट करने से सम्बन्धित होती है यदि परीक्षण से प्राप्त प्राप्तांकों का वितरण काफी बड़ा होता है, विशेषकर ऐसे छात्रों के लिये, जो परीक्षण के द्वारा मापी जा रही योग्यता में भिन्न-भिन्न होते हैं, तो परीक्षण को एक विभेदक परीक्षण (Discrimination Test) कहा जाता है।
  8. विश्वसनीयता (Reliability) – परीक्षण की यह विशेषता परीक्षण से प्राप्त प्राप्तांकों की विश्वसनीयता को बताती है। यदि परीक्षण किसी व्यक्ति को बार-वार एक ही प्राप्तांक प्रदान करता है तो परीक्षण का विश्वसनीय परीक्षण (Reliable Test) कहा जाता है।
  9. न्याययुक्तता (Fairness) – परीक्षण की यह विशेषता उसके द्वारा छात्रों को अपनी सही योग्यता के प्रदर्शन करने के अवसरों के प्रदान करने से सम्बन्धित होती है यदि परीक्षण के द्वारा सभी छात्रों को अपनी वास्तविक योग्यता के प्रदर्शन के उपयुक्त तथा समान अवसर प्राप्त होते हैं तो परीक्षण को न्याययुक्त परीक्षण (Fair Test) कहा जाता है।
  10. गतिशीलता (Speediness) – परीक्षण की यह विशेषता परीक्षण में सम्मिलित किये गये प्रश्नों की संख्या से सम्बन्ध रखती है। यदि परीक्षण में प्रश्नों की संख्या इतनी है कि दिये गये समय में छात्र प्रश्नों को पूरा कर लेते हैं तथा उनके काम करने की गति का कोई अवांछित प्रभाव नहीं पड़ता है तो परीक्षण को उचित परीक्षण माना जाता है।
  11. व्यवहारिकता (Practicability) – परीक्षण की यह विशेषता परीक्षण के व्यावहारिक पक्ष से सम्बन्ध रखती है। इसके अन्तर्गत प्रशासन में सुगमता, अंकन में सुगमता, व्याख्या में सुगमता तथा अल्पमूल्य में उपलब्धता जैसे कारक आते हैं।
  12. प्रमापीकरण (Standardization)- परीक्षण की यह विशेषता परीक्षण की रचना विधि से संबन्धित है। यदि परीक्षण की रचना पद विश्लेषण के आधार पर की गई है तथा परीक्षण के मानक उपलब्ध होते हैं तो परीक्षण को प्रमापीकृत परीक्षण (Standardized Test) कहते हैं। मानक वे संदर्भ बिन्दु होते हैं जिनके आधार पर परीक्षण पर प्राप्त अंकों की व्याख्या की जाती है। यदि परीक्षण के लिए मानक उपलब्ध होते हैं तो प्राप्ताको की व्याख्या करना सरल हो जाता है।

वस्तुनिष्ठता, विश्वसनीयता, वैधता तथा मानकों का सम्बन्ध क्रमशः मापन की व्यक्तिगत ऋ्रुटियों, मापक की चर त्रटियों, मापन की स्थिर त्रुटियों तथा मापन की व्याख्यात्मक त्रुटियों से है। इन चारों विशेषताओं को ही परीक्षण की मुख्य तकनीकी विशेषताओं के रूप में स्वीकार किया जाता है। इसलिए मापन तथा मूल्यांकन के छात्रों के लिए इन चारों विशेषताओं का विस्तृत ज्ञान अति आवश्यक तथा महत्वपूर्ण है। अतः इन चारों की विस्तृत चर्चा आगामी चार अध्यायों में प्रस्तुत की जा रही है। अन्य सभी विशेषताएं मुख्यतः परीक्षण के निर्माण से सम्बन्धित हैं जिनकी चर्चा परीक्षा निर्माण के अध्याय के अन्तर्गत की गई है।

शिक्षक शिक्षण – महत्वपूर्ण लिंक

  • मापन के स्तर | मापन के प्रकार | Levels of Measurement in Hindi
  • मापन के आवश्यक तत्व | Essential Elements of Measurement in Hindi
  • मूल्यांकन का अर्थ | मूल्यांकन का प्रत्यय | Concept and meaning of Evaluation in Hindi
  • शैक्षिक मापन तथा मूल्यांकन के उद्देश्य | मापन तथा मूल्यांकन का महत्व
  • मापन तथा मूल्यांकन के कार्य | Functions of Measurement and Evaluation in Hindi
  • मूल्यांकन प्रक्रिया के सोपान | Steps of Evaluation Process in Hindi
  • मापन की त्रुटियाँ | Errors of Measurement in Hindi
  • संरचनात्मक तथा योगात्मक मूल्यांकन | Formative and Summative Measurement in Hindi
  • सामान्यीकृत मापन किसे कहते हैं? | इप्सेटिव मापन किसे कहते हैं? | Normative Measurement in Hindi | Ipsative Measurement in Hindi
  • निकष संदर्भित मापन तथा मानक संदर्भित मापन | निकष सन्दर्भित तथा मानक सन्दर्भित मापन की तुलना
  • सतत्- आन्तरिक मूल्यांकन | Continuous-Internal Evaluation in Hindi
  • ग्रेड प्रणाली | ग्रेड प्रणाली के लाभ | Grading System in Hindi | Merits of Grading System in Hindi
  • मूल्यांकन कार्यक्रम के निर्माण के सोपान | Preparation of Evaluation Programme in Hindi

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मापक क्या है मापक प्रदर्शित करने की विधियों का वर्णन करें?

मानचित्र पर मापक दर्शाने की तीन विधियाँ प्रचलित हैं - (i) कथानामक विधि (Statement Method) (ii) प्रदर्शक भिन्न विधि ((Representative Fraction or R.F. Method) iii) आलेखी या रैखिक विधि (Graphical Method) कथानामक विधि इस विधि में मापक को शब्दों में बोलकर या कहकर व्यक्त किया जाता है, जैसे 1 से. मी.

मापन से आप क्या समझते हैं मापन के प्रकारों का वर्णन कीजिए?

मापन मूलतः तुलना करने की एक प्रक्रिया है। इसमें किसी भौतिक राशि की मात्रा की तुलना एक पूर्वनिर्धारित मात्रा से की जाती है। इस पूर्वनिर्धारित मात्रा को उस राशि-विशेष के लिये मात्रक कहा जाता है। उदाहरण के लिये जब हम कहते हैं कि किसी पेड़ की उँचाई १० मीटर है तो हम उस पेड़ की उचाई की तुलना एक मीटर से कर रहे होते हैं

मापनी प्रदर्शित करने की कौन कौन सी विधियां हैं?

मापनी व्यक्त करने की तीन विधियाँ है.
कथन विधी.
आलेखी विधी.
निरूपक भिऩन विधी (R.F.).

मापनी क्या है मापनी व्यक्त करने की विधि विस्तार से लिखो?

दूसरे शब्दों में, मापनी, मानचित्र पर दिखाए गए संपूर्ण पृथ्वी या इसके किसी आंशिक भाग के साथ मानचित्र के संबंध को दर्शाता है। इस संबंध को मानचित्र पर किन्हीं दो स्थानों के बीच की दूरी एवं धरातल पर उन्हीं दोनों स्थानों के बीच की वास्तविक दूरी के अनुपात के रूप में भी व्यक्त कर सकते हैं।