दिमाग में टेंशन क्यों होता है? - dimaag mein tenshan kyon hota hai?

जर्मनी में मैग्डेबर्ग की ओटो वॉन गुरिके यूनिवर्सिटी में हुए एक ताजा अध्ययन में यह पता चला है कि निरंतर तनाव और कोर्टिसोल के बढ़े हुए स्तर से ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम में असंतुलन और वास्कुलर डिरेगुलेशन के कारण नेत्रों और मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

शोध दल ने यह भी पाया कि इंट्राओकुलर प्रेशर में वृद्धि, एंडोथेलियल डिसफंक्शन (फ्लैमर सिंड्रोम) और सूजन तनाव के कुछ ऐसे नतीजे हैं जिससे और नुकसान होता है.

पुराने तनाव से एक लंबे समय तक भावनात्मक दबाव का सामना करना पड़ता है, जिसमें व्यक्ति को लगता है कि उसके पास बहुत कम या कोई नियंत्रण नहीं है. प्रत्येक व्यक्ति तनाव होने पर अलग तरीके से प्रतिक्रिया करता है.

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर हार्ट केअर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. केके अग्रवाल ने कहा, "शरीर की तनाव-प्रतिक्रिया प्रणाली आमतौर पर आत्म-सीमित होती है. खतरे या तनाव के तहत, माना जाता है कि शरीर के हार्मोन का स्तर बढ़ता है और अनुमानित खतरा बीत जाने के बाद सामान्य हो जाता है, जैसे एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल के स्तर गिरते हैं, दिल की धड़कन की दर और रक्तचाप बेसलाइन स्तर पर वापस आते हैं, और अन्य सिस्टम अपनी नियमित गतिविधियों को फिर से शुरू करते हैं.

हालांकि, निरंतर तनाव की स्थिति में, व्यक्ति लगातार हमले से महसूस कर सकता है और शरीर की लड़ाई प्रतिक्रिया चालू रहती है. तनाव-प्रतिक्रिया प्रणाली की दीर्घकालिक सक्रियता और बाद में कोर्टिसोल व अन्य तनाव हार्मोन के लिए ओवर एक्सपोजर, शरीर में लगभग सभी प्रक्रियाओं को बाधित कर सकता है. इस प्रकार व्यक्ति विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं में घिर जाता है."

तनाव से स्वास्थ्य पर होने वाले कुछ प्रभावों में चिंता, अवसाद, पाचन समस्याएं, हृदय रोग, अनिद्रा, वजन बढ़ाना और ध्यान केंद्रित करने की समस्याएं शामिल हैं.

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तीव्र तनाव की प्रतिक्रिया किसी व्यक्ति के किसी दर्दनाक घटना के संपर्क में आने के शुरुआती महीने में हो सकती है. विकार में नकारात्मक मनोदशा, घुसपैठ, विघटन, बचाव और उत्तेजना के लक्षण शामिल हैं.

आईएसए नई दिल्ली शाखा के अध्यक्ष व सचिव डॉ. ओ पी यादव एवं डॉ. मेजर प्राची गर्ग ने कहा कि एएसडी का अनुभव करने वाले कुछ रोगियों को पोस्टट्रॉमेटिक तनाव विकार का अनुभव होता है, जिसका पता आघात के चार सप्ताह बाद ही चल पाता है.

डॉ. अग्रवाल ने बताया, "तनाव प्रबंधन में या तो हालात बदलना, व्याख्या बदलना या शरीर को योग के तरीके से वश में करना शामिल है, ताकि तनाव शरीर को प्रभावित न कर पाए. हर स्थिति के दो पहलू होते हैं. व्याख्या बदलने का अर्थ हालात के दूसरी तरफ देखना है.

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यह आधे गिलास पानी की तरह कुछ है, जिसे आधा खाली या आधा भरा माना जा सकता है. आध्यात्मिक चिकित्सा का अभ्यास करने का सबसे अच्छा तरीका विचारों, भाषण और कार्य में चुप्पी का अनुभव करना है."

तनाव दूर करने के कुछ सुझाव :-

- कैफीन, शराब, और निकोटीन का सेवन कम करें. कैफीन और निकोटीन उत्तेजक होने से व्यक्ति में तनाव का स्तर बढ़ाते हैं.

- दिन में कम से कम 30 मिनट के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें. यह न केवल आपको फिट रखेगा, बल्कि तनाव को भी कम करेगा.

- स्वस्थ भोजन और आहार, जैसे कि फल, सब्जियां और मल्टी-ग्रेन आदि लें. फलों और सब्जियों में उपलब्ध एंटीऑक्सिडेंट शरीर में मुक्त कणों के उत्पादन को रोकने के लिए आवश्यक हैं.

- अच्छी तरह से गहरी नींद लें. हर दिन कम से कम 7 से 8 घंटे सोएं. नींद की कमी तनाव को बढ़ा सकती है.

- अपना समय अच्छे से मैनेज करें और फालतू काम दूसरों को भी बांटें. सिस्टम को फिर से जीवंत करने के लिए कभी-कभी ब्रेक लेना महत्वपूर्ण है. आपके सिर पर ज्यादा लोड होने से बहुत अधिक तनाव होने की संभावना है.

Health Tips in hindi: हम में से कई ऐसे लोग होते हैं, जो टेंशन या तनाव में जल्दी आज जाते हैं, अगर आपके साथ ऐसा है तो आज ही सावधान हो जाएं...जानिए क्यों?

Health Tips in hindi: हर एक व्यक्ति की अपनी अपनी आदतें होती हैं. जहां कुछ लोग किसी भी बात की टेंशन (Tension) नहीं लेते हैं एक दम बेफिक्रे बनकर रहते हैं तो वहीं, कुछ लोग हर छोटी छोटी बात को अपने मन मे बैठाकर टेंशन (Tension health issue) में आ जाते हैं. हालांकि कई बार मौसम के अनुसार हर किसी के मूड में बदलाव आता है. लेकिन अगर आप लगातार किसी बात से परेशान रहते हैं और तनाव में हैं तो सावधान हो जाएं. आपको बता दें कि चिंता और तनाव विभिन्न बीमारियों का कारण बन सकता है. आज हम आपको तनाव और चिंका से होने वाली उन बीमारियों के बारे में बताएंगे जो अपने शरीर को प्रभावित करती हैं.

तनाव से होने वाली बीमारियां

त्‍वचा रोग (Skin diseases)

अगर आप तनाव में रहते हैं तो इससे सोरायसिस, मुंहासे और अन्य त्वचा रोग हो सकते हैं. अगर टेंशन में रहने वाले इंसान की स्किन पर बुरा असर होता है. कई बार परेशानी में इंसान की स्किन पर स्वेलिंग आदि भी आ जाती है.

गैस्‍ट्रोइंटेस्‍टाइनल डिसऑर्डर (Gastrointestinal disorders)

तनाव हमारी गैस्‍ट्रोइंटेस्‍टाइनल ट्रैक (जठरांत्र संबंधी मार्ग) पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. तनाव से पेट की गड़बड़ी और पेट दर्द जैसी परेशानी हो जाती हैं और इंसान भी दवाईयों पर निर्भर हो जाता है.

वजन में बदलाव (Changing weight)

अगर आप किसी कारण से लंब वक्त से तनाव में रहते हैं तो इसका असर आपके वजन पर भी सीधा पड़ता है. कई बार तनाव में रहने वाले इंसान का वजन बढ़ जाता है तो कुछ का अचानक से कम हो जाता है. तनावपूर्ण स्थिति हार्मोन बदलता है जिसका असर वजन पर होता है.

बालों का झड़ना, सिरदर्द (Loss of hair, Headaches)

तनाव का असर बालों पर भी पड़ता है. ऐसे में आपके खानपान में मौजूद पोषक तत्‍व, विटामिन कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं डालते हैं. इसलिए अगर आप अपने खूबसूरत बालों को रखना चाहते हैं तो नर्वस होना बंद करें.इतना ही नहीं तनाव में रहने वाले व्यक्ति को माइग्रेन जैसी बीमारी भी जकड़ लेती है जिससे उभरना काफी मुश्किल होता है.

हृदय रोग,एंग्जाइटी (Anxiety,Cardiovascular diseases)

अधिक तनाव में रहने वाले व्यक्ति को हृदय की समस्या सबसे अधिक होती है. जी हां तनाव का हृदय पर बुरा प्रभाव पड़ता है, लंबे वक्‍त से तनाव से ग्रसित व्‍यक्ति में हृदय रोग की समस्‍या हो सकती है. इतना ही नहीं अगर आप लगातार टेंशन में रहते हैं तो एंग्जाइटी की समस्या के शिकार भी हो जाते हैं, जो आपके लिए बहुत की खतरनाक होता है.

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दिमाग पर ज्यादा टेंशन हो तो क्या करना चाहिए?

Health Tips: तनाव दूर करने के ये हैं 5 आसान उपाय, जरूर मिलेगी....
1-तनाव को ना होने दें हावी स्ट्रैस आजकल लाइफस्टाइल का पार्ट बन गया है और हर कोई अलग अलग तरीके के तनाव को झेल रहा है. ... .
2-मन का काम जरूर करें ... .
3-क्लटर ना जमा होने दें ... .
4-योग-मेडिटेशन बहुत फायदेमंद ... .
5-बड़े काम की छोटी बातें.

टेंशन से कौन कौन सी बीमारी होती है?

स्ट्रेस लंबे वक्त तक रहे तो आपको एंग्जाइटी, डिप्रेशन और पैनिक अटैक हो सकते हैं।

दिमाग में टेंशन होने से क्या होता है?

तनाव यह डिप्रेशन एक प्रकार का मानसिक विकार है। किसी भी एक नकारात्मक विचार के दिमाग़ पर हावी हो जाने के बाद हमारी मानसिक स्थिति पर बुरा असर पड़ता है। हमारा मस्तिष्क सही से कार्य करने और किसी भी ख़ुशी के मौक़े प्रसन्न होने में असक्षम हो जाता है।

टेंशन के क्या लक्षण होते हैं?

हर समय थकान रहती है। चीजें याद ना रहना- टेंशन होने की स्थिति में व्यक्ति अपने जरूरी काम भी भूल जाता है। रोजमर्रा के काम भी उन्हें याद नहीं रहते हैं। फोकस में दिक्कत - जब व्यक्ति टेंशन का शिकार होता है तो उसे किसी भी काम को ध्यान से करने में दिक्कत होती है।