दुख का अगिकार कहानी आपको क्या प्रेरणा देती है - dukh ka agikaar kahaanee aapako kya prerana detee hai

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Home/ India/Hindi/3. दुख का अधिकार कहानी आपको क्या प्रेरणा देती है। दुकानदारों का उस बुढ़िया की मजबूरी पे ठहाके लगाना, व्यंग्य कसना कहाँ तक उचित था?

3. दुख का अधिकार कहानी आपको क्या प्रेरणा देती है। दुकानदारों का उस बुढ़िया की मजबूरी पे ठहाके लगाना, व्यंग्य कसना कहाँ तक उचित था?

Question

3. दुख का अधिकार कहानी आपको क्या प्रेरणा देती है। दुकानदारों का उस बुढ़िया की मजबूरी पे ठहाके लगाना, व्यंग्य कसना कहाँ तक उचित था? अगर आप उनकी जगह होते तो आप बुढ़िया के साथ कैसा व्यवहार करते । 130
-140 शब्दों में लिखें।​

Hindi Gerda 1 year 2021-07-20T07:47:48+00:00 2021-07-20T07:47:48+00:00 -2

Answers ( )

  1. दुख का अगिकार कहानी आपको क्या प्रेरणा देती है - dukh ka agikaar kahaanee aapako kya prerana detee hai

    Answer:

    Correct option is

    A

    10

    Given, 2x−5=3(x−5)

    ⇒2x−5=3x−15.

    Transpose x terms on one side, we get

    ⇒3x−2x=−5+15

    ⇒x=10.

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Gerda

दुख का अगिकार कहानी आपको क्या प्रेरणा देती है - dukh ka agikaar kahaanee aapako kya prerana detee hai

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Class 9 Hindi – B Dukh ka Adhikar Extra Questions. myCBSEguide has just released Chapter Wise Question Answers for class 09 Hindi – B. There chapter wise Practice Questions with complete solutions are available for download in myCBSEguide website and mobile app. These test papers with solution are prepared by our team of expert teachers who are teaching grade in CBSE schools for years. There are around 4-5 set of solved Hindi Extra questions from each and every chapter. The students will not miss any concept in these Chapter wise question that are specially designed to tackle Exam. We have taken care of every single concept given in CBSE Class 09 Hindi – B syllabus and questions are framed as per the latest marking scheme and blue print issued by CBSE for class 09.

CBSE Class 9 Hindi Ch – 1

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Important Questions for Class 9 Hindi – B

  1. दुःख का अधिकार पाठ के आधार पर बताइए बुढ़िया के बेटे का नाम क्या था?

  2. खरबूजे बेचने आई महिला फफक-फफक कर क्यों रोए जा रही थी? दुःख का अधिकार पाठ के आधार पर बताइए।

  3. लेखक ने बुढ़िया के दुःख का कारण किस प्रकार पता लगाया? दुःख का अधिकार पाठ के आधार पर बताइए।

  4. किस आधार पर हमारे समाज में व्यक्ति का स्तर निर्धारित किया जाता है? दुःख का अधिकार पाठ के आधार पर बताइए।

  5. भगवाना के इलाज और उसकी मृत्यु के बाद घर की आर्थिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा?

  6. भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?

  7. इस पाठ का शीर्षक दुःख का अधिकार कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए।

  8. यशपाल जी की कहानी दुःख का अधिकार में दुख मनाने का अधिकार सबको क्यों नहीं है?

Ch-1 दुःख का अधिकार


Answer

  1. बुढ़िया के बेटे का नाम भगवाना था।
  2. खरबूजे बेचने आई महिला इसलिए फफक-फफककर रोए जा रही थी क्योंकि एक दिन पहले ही उसका जवान बेटा साँप के डसने से चल बसा था। उसके घर में पोते-पोती और बीमार बहू के लिए कुछ भी खाने को न था। शोक मनाने की जगह खरबूजे बेचने की विवशता और बेटे की मृत्यु के दुख के कारण वह फफक-फफक कर रोए जा रही थी।
  3. लेखक ने बुढ़िया के दुःख का कारण आस-पड़ोस की दुकानों से पूछकर पता लगाया था।
  4. हमारे समाज में व्यक्ति की पोशाक देखकर उसका स्तर निर्धारित किया जाता है। उसकी पहचान उसकी पोशाक से होती है, क्योंकि वही उसे अधिकार व दर्जा दिलाती है।
  5. भगवाना के इलाज में ही घर का आटा और अनाज तक खत्म हो गया था। उसकी मृत्यु के बाद उसके लिए कफ़न के इंतजाम में छोटे-मोटे आभूषण तक बिक गए। अब उसके घर में खाने के भी लाले पड़ गए। इस तरह घर की आर्थिक स्थिति बिल्कुल खराब हो गई थी।
  6. भगवाना शहर के पास डेढ़ बीघा जमीन पर हरी तरकारियाँ तथा खरबूजे उगाया करता था। वह रोज ही उन्हें सब्जी-मण्डी या फुटपाथ पर बैठकर बेचा करता था। इस प्रकार वह कछियारी करके अपने परिवार का निर्वाह करता था।
  7. इस पाठ का शीर्षक दुःख का अधिकार सटीक एवं सार्थक है। लेखक यह कहना चाहता है कि यद्यपि दुःख प्रकट करना हर व्यक्ति का अधिकार है। परन्तु हर कोई ऐसा कर नहीं सकता। एक ओर सम्पन्न महिला है और उस पर कोई जिम्मेदारी नहीं है। उसके पास पुत्र-शोक मनाने के लिए डॉक्टर हैं, सेवा-कर्मी हैं, साधन हैं, धन है, समय है। परन्तु गरीब लोग अभागे हैं, वे चाहे तो भी शोक प्रकट करने के लिए आराम से दो आँसू नहीं बहा सकते। उनके सामने खड़ी भूख, गरीबी और बीमारी नंगा नाच करने लगती है। अतः दुःख प्रकट करने का अधिकार गरीबों को नहीं है।
  8. दुःख की अनुभूति समाज का प्रत्येक वर्ग करता है परन्तु दुःख मनाने का अधिकार सबको नहीं है वह केवल सम्पन्न वर्ग को ही प्राप्त है क्योंकि उसके पास शोक मनाने के लिए सहूलियत भी है और समय भी। गरीब वर्ग की विवशता न तो उन्हें दु:ख मनाने की सुविधा प्रदान करती है न अधिकार। वे तो अपने परिवार के पालन पोषण के लिए रोजी-रोटी की उलझन में ही उलझे रहते हैं। अतः दुःख मनाने का भी एक अधिकार होता है।

Class 9 Hindi – B Chapter Wise Important Question

Sprash

  1. Dukh ka Adhikar ( दुःख का अधिकार)
  2. Everest Meri Shikhar Yatra (एवेरेस्ट मेरी शिखर यात्रा)
  3. Tum Kab Jaoge Atithi (तुम कब जाओगे अतिथि)
  4. Kichad ka Kavya (कीचड़ का काव्य)
  5. Dharm ki Aad (धर्म की आड़)
  6. Shukra Tare Ke Saman (शुक्र तारे के समान)
  7. Raidas (रैदास)
  8. Rahim (रहीम)
  9. Aadmi Nama (आदमी नामा)
  10. Ek Phool ki Chah (एक फूल की चाह)
  11. Agnipath (अग्निपथ)
  12. Arun Kamal (अरुण कमल)

Sanchayan

  1. Gillu (गिल्लू)
  2. Smriti (स्मृति)
  3. kallu kumhar ki unakoti (Deleted)
  4. Mera Chota sa Niji Pustakalaya (Deleted)
  5. Hamid kha (हामिद खां)
  6. Diye jal uthe (दिए जल उठे)

दुख का अगिकार कहानी आपको क्या प्रेरणा देती है - dukh ka agikaar kahaanee aapako kya prerana detee hai


दुख का अधिकार कहानी आपको क्या प्रेरणा देती है?

अतः दुःख प्रकट करने का अधिकार गरीबों को नहीं है। दुःख की अनुभूति समाज का प्रत्येक वर्ग करता है परन्तु दुःख मनाने का अधिकार सबको नहीं है वह केवल सम्पन्न वर्ग को ही प्राप्त है क्योंकि उसके पास शोक मनाने के लिए सहूलियत भी है और समय भी। गरीब वर्ग की विवशता न तो उन्हें दु:ख मनाने की सुविधा प्रदान करती है न अधिकार

दुख का अधिकार का मूल भाव क्या है?

'दुःख का अधिकार' कहानी 'यशपाल' द्वारा रचित कहानी सर्वश्रेष्ठ कहानियों में से एक है। ... इस पाठ अर्थात कहानी का मूल भाव ये है कि इसमें लेखक ने बताया है कि दुख करने के भी अधिकार होते हैं। कहानी में एक गरीब बुढ़िया है जिसका जवान बेटा दो दिन पूर्व मर गया है और उसकी बहू व बच्चे भूख से तड़प रहे हैं।

मनुष्य के दुख इस कहानी के कहानीकार कौन है?

दुख का अधिकार-यशपाल

इस पाठ का शीर्षक दुख का अधिकार कहाँ तक सार्थक है?

Answer: इस पाठ का शीर्षक 'दु:ख का अधिकार' पूरी तरह से सार्थक सिद्ध होता है क्योंकि यह अभिव्यक्त करता है कि दु:ख प्रकट करने का अधिकार व्यक्ति की परिस्थिति के अनुसार होता है। यद्यपि दु:ख का अधिकार सभी को है। गरीब बुढ़िया और संभ्रांत महिला दोनों का दुख एक समान ही था।