भारत के सबसे पहले स्वतंत्रता सेनानी कौन थे? - bhaarat ke sabase pahale svatantrata senaanee kaun the?

75th independence day 2021 : मंगल पांडे के बारे में

स्वतंत्रता संग्राम के महानायक मंगल पांडे का जन्म एक सामान्य ब्राह्मण परिवार में 19 जुलाई 1827 को आज के उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) के बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम दिवाकर पांडे ( Diwakar Pandey ) और माता का नाम श्रीमती अभय रानी ( Smt. Abhya Rani ) था। मंगल पांडे का परिवार काफी गरीब था, जिसके कारण युवावस्था में ही वे घर संभालने और दो जून की रोटी के लिए अंग्रेजों की फौज में नौकरी करने को मजबूर थे।

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मंगल पांडे 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए। वे बैरकपुर की सैनिक छावनी में 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री की पैदल सेना में एक सिपाही थे।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

अंग्रेजी हुकुमत की बर्बरता और इसाई मिस्नरियों द्वारा किए जा रहे धर्मान्तर के खिलाफ लोगों में नफरत बढ़ती जा रही थी। ईस्टी इंडिया कंपनी ( East India Company ) की बंगाल इकाई की सेना में ‘एनफील्ड पी.53’ राइफल में नई कारतूसों का जब इस्तेमाल शुरू हुआ तो मामला काफी बिगड़ गया।

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दरअसल, इन कारतूसों को बंदूक में डालने से पहले मुंह से खोलना पड़ता था। इस बीच ये खबर चारों ओर फैल गई कि इन कारतूसों को बनाने में गाय और सूअर की चर्बी का प्रयोग किया जाता है। ऐसे में हर भारतीय नागरिक के मन में ये भाव आ गया कि अंग्रेज हिन्दुस्तानियों का धर्म भ्रष्ट करने पर अमादा है, क्योंकि ये हिन्दू और मुसलमानों दोनों के लिए नापाक है।

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इसी कड़ी में जब 9 फरवरी 1857 को जब ‘नया कारतूस’ देशी पैदल सेना को बांटा गया तब मंगल पांडे ने उसे लेने से साफ मना कर दिया। इससे नाराज अंग्रेज अफसरों ने उनके हथियार छीन लिए जाने व वर्दी उतार लेने का आदेश दिया। इसपर मंगल पांडे ने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया।

29 मार्च 1857 को जब अंग्रेज अफसर मेजर ह्यूसन ( British officer Major Hughson ) उनकी राइफल छीनने के लिए आगे बढ़े तो उन्होंने उनपर हमला कर दिया। इसके बाद से यहीं से मंगल पांडे ने बैरकपुर छावनी में 29 मार्च 1857 को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल बजा दिया।

भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम

आपको बता दें कि मंगल पांडे ने अग्रेज अफसर पर हमला करने से पहले अपने अन्य साथियों का आह्वान किया, लेकिन जब किसी ने साथ नहीं दिया तो उन्होंने अपनी ही रायफल से मेजर ह्यूसन की हत्या कर दी। इसके बाद पांडे ने एक और अंग्रेज अधिकारी लेफ्टिनेन्ट बॉब ( British officer Lieutenant Bob ) की हत्या कर दी। जिसके बाद अंग्रेज सिपाहियों ने मंगल पांडे को पकड़ लिया।

मंगल पांडे पर कोर्ट मार्शल का मुकदमा चलाया गया और फिर उन्हें 6 अप्रैल 1857 को फांसी की सजाई गई। फैसले के अनुसार उन्हें 18 अप्रैल 1857 को फांसी दी जानी थी, पर ब्रिटिश सरकार ने मंगल पांड को निर्धारित तारीख से दस दिन पहले ही 8 अप्रैल 1857 को फांसी दे दी।

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भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई मंगल पांडे ने छेड़ी थी। उनके द्वारा किए गए विद्रोह के ठीक एक महीने बाद ही 10 मई 1857 को मेरठ की सैनिक छावनी में भी बगावत शुरू हो गई और देखते ही देखते संपूर्ण भारत में फैल गया। जब मंगल पांडे की शहादत की खबर लोगों तक पहुंची तो और भी आक्रोश भड़क गया। इसका परिणाम यह हुआ कि 90 साल बाद 1947 को भारत आजाद हुआ। शहीद मंगल पांडे के सम्मान में भारत सरकार ने 5 अक्टूबर 1984 को एक डाक टिकट जारी किया था।