लंदन. इंग्लैंड का ओल्डहैम जनरल हॉस्पिटल। अस्पताल के बाहर फोटोग्राफर्स और पत्रकारों की भीड़। अस्पताल के कॉरिडोर में भारी पुलिस बल। दरअसल यहां उस बच्ची का जन्म होने वाला था, जिसे बाद में 'बेबी ऑफ द सेंचुरी' कहा गया। दिन था- 25 जुलाई 1978। इस दिन दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी लुइस जॉय ब्राउन का जन्म हुआ था। जन्म हाेते ही उनकी 60 से ज्यादा जांचें की गईं, ताकि यह पता चल सके कि वह सामान्य बच्चों जैसी ही हैं। अब अगले सप्ताह वे अपना 40वां जन्मदिन मनाने जा रही हैं। अपनी ऑटोबायोग्राफी में उन्होंने बताया है कि लोग उस समय उनके माता-पिता को हजारों पत्र भेजते थे, जिसमें अधिकांश नफरत भरे होते थे। उन्होंने बताया कि एक बार उन्हें एक ऐसा पत्र मिला जो खून में सना था। उस समय के धार्मिक नेता और अधिकांश लोग इसे गलत और अप्राकृतिक मानते थे। Show नफरत भरे संदेशों के कारण मां लुइस को बाहर नहीं ले जाती थीं: लुइस बताती हैं कि एक बार उन्हें किसी ने टूटी हुई टेस्ट ट्यूब भेजी थी। उन्हें कई धमकी भरे पत्र भी भेजे गए। लोगों ने प्लास्टिक के भ्रूण तक भेजे। वे बताती हैं कि एक बार एक पार्सल आया, जिस पर केवल लुइस ब्राउन, टेस्ट ट्यूब बेबी, ब्रिस्टल, इंग्लैंड लिखा हुआ था। इसे सैन फ्रैंसिस्को से भेजा गया था। इसे मां ने खोला। इसके अंदर एक छोटा बॉक्स था, जिसके अंदर लाल रंग से सना हुआ एक कागज का टुकड़ा था, जिसके साथ टेस्ट ट्यूब बेबी वॉरेंटी कार्ड लिखा हुआ एक और कार्ड था। एक अन्य बुकलेट भी भेजी गई थी, जिसमें सुझाव दिया गया था कि टेस्ट ट्यूब बेबी को टॉयलेट बाउल या फिश टैंक में भी रख सकती हैं। वे कहती हैं कि ऐसे नफरत भरे संदेशों के कारण मेरी मां लेस्ली मुझे कहीं बाहर ले जाने में भी डरती थीं। जब उनसे पूछा गया- तुम आखिर एक टेस्ट ट्यूब में आई कैसे?: वहीं, करीब 9 साल तक मां न बन पाने के कारण लेस्ली के लिए यह तकनीक एक वरदान थी। लुइस कहती हैं कि हर महिला को मां बनने का अधिकार है, उसके लिए ऐसी तकनीक किसी वरदान से कम नहीं है। लुइस की छोटी बहन नताली ब्राउन भी टेस्ट ट्यूब बेबी हैं। उनका जन्म लुइस से चार साल बाद हुआ था। मई 1999 में नताली जब खुद मां बनीं तो वो दुनिया की पहली ऐसी महिला रहीं जो खुद तो आईवीएफ से जन्मी, लेकिन उनका बच्चा सामान्य तरह से हुआ। शुरुआत में स्कूल में लुइस को काफी ताने सहने पड़ने थे, एक बार स्कूल में उनसे किसी ने पूछा कि तुम आखिर एक टेस्ट ट्यूब में आई कैसे? हालांकि, लुइस आज अपने दोनों बच्चों के साथ खुश हैं और जगह-जगह पर साक्षात्कार और लेखों के जरिए लोगों को इसके लिए जागरूक कर रही हैं। आज लुइस एक शिपिंग अॉफिस में काम करती हैं। उनके दो बेटे हैं, दोनों का ही जन्म सामान्य है। लुइस ने साल 2004 में नाइट क्लब के बाउंसर वेस्ले मुलिंडर से शादी की। अब दुनिया में 80 लाख से ज्यादा टेस्ट ट्यूब बेबी: लुइस के जन्म के बाद से आज तक दुनिया में 80 लाख टेस्ट ट्यूब बेबी जन्म ले चुके हैं। वर्तमान में करीब 5 लाख बच्चे प्रतिवर्ष दुनिया में इस तकनीक से जन्म लेते हैं। भारत में 6 अगस्त 1986 को पहली टेस्ट ट्यूब बेबी हर्षा चावड़ा का जन्म हुआ था। उन्होंने दो साल पहले एक बेटे को जन्म दिया है।
कनुप्रिया अग्रवाल उर्फ: डॉ मुखोपाध्याय की निगरानी में भारत में पहली टेस्ट ट्यूब बेबी. डॉ सुभाष का दावा और शोध कार्य तो इतिहास में दफन हो चुका था. यह मामला दफन ही रहता अगर उनकी डायरी और शोध कार्य से संबंधित पेपर डॉ आनंद कुमार के हाथ नहीं लगते. डॉ सुभाष के शोध कार्य से जुड़े दस्तावेज पढ़ने के बाद डॉ आनंद कुमार ने माना कि जो श्रेय उन्हें मिल रहा है, उसके असली हकदार वे नहीं बल्कि सुभाष मुखोपाध्याय हैं. क्योंकिउन्होंने 1978 में आइवीएफ सिस्टम से जिस लड़की दुर्गा के जन्म कराने का दावा किया था, वह दावा बिल्कुल सही था. 2001 आते-आते डॉ मुखाेपाध्याय के दावे काे अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिल गयी, लेकिन बिंडबना देखिए-इस दावे काे सच मानने के बाद इस खुशी काे महसूस करने के लि ए डॉ सुभाष दुनिया में नहीं थे. 16 साल पहले ही डॉ सुभाष मुखाेपाध्याय दुखित मन से, उदास-निराश-हताश हाे कर इस दुनिया से उठ चुके थे. यहां गाैर करने की बात यह है कि डॉ मुखाेपाध्याय की निगरानी में 3 अक्तूबर 1978 काे दुर्गा (भारत में पहली टेस्ट ट्यूब बेबी, दुनिया की दूसरी) का जन्म हुआ, उससे ठीक 67 दिन पहले ब्रिटेन में रॉबर्ट एडवर्ड आैर पैट्रिक स्टेपटाे की निगरानी में दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी लुईस जाेय ब्राउन का जन्म हुआ था. इसके जनक रॉबर्ट एडवर्ड काे 2010 का मेडिसीन में नाेबेल पुरस्कार दिया गया. डॉ मुखाेपाध्याय आैर रॉबर्ट एडवर्ड ने आइवीएफ पर लगभग साथ-साथ काम किया था. काश, डॉ मुखाेपाध्या य काे थाेड़ा प्राेत्साहन मिला हाेता, ताे शायद दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी के जनक हाेने का श्रेय डॉ मुखाेपाध्याय काे (यानी भारत के वैज्ञानिक काे) जाता आैर नाेबेल पुरस्कार रॉबर्ट एडवर्ड की जगह डॉ मुखाेपाध्याय काे मिलने की संभावना बनती. डॉ मुखाेपाध्याय की माैत की घटना इतनी चाैंकानेवाली थी कि उनकी जीवनी पर प्रसिद्ध निर्देशक तपन सिन्हा ने एक डॉक्टर की माैत नामक फिल्म (पंकज कपूर, शबाना आजमी) बनायी, जिसे कई राष्ट्रीय पुरस्कार मिले.
टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक का जनक कौन है?विश्व में पहले टेस्ट ट्यूब बेबी को पैदा कराने वाले डॉ. राबर्ट एडवर्ड, जिन्हें आइवीएफ तकनीक का जनक माना जाता है, उन्हें 2010 में मेडिसिन में नोबल पुरस्कार मिला। वास्तविकता यह है कि डॉ. मुखोपाध्याय और एडवर्ड ने आइवीएफ पर लगभग साथ-साथ कार्य आरंभ किया था।
दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी कौन थी?दिन था- 25 जुलाई 1978। इस दिन दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी लुइस जॉय ब्राउन का जन्म हुआ था।
भारत के प्रथम टेस्ट ट्यूब बेबी कौन है?लुइस के 67 दिन बाद ही कोलकाता के डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय ने देश की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी को अवतरित कर दिया था। दुर्गा पूजा के दिन हुई, इसलिए दुर्गा कहने लगे, बाद में नाम रखा कनुप्रिया अग्रवाल।
कनुप्रिया अग्रवाल कौन है?दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी 25 जुलाई 1978 में लुइस ब्राउन के रूप आई थी। लुइस के 67 दिन बाद कोलकाता के डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय ने भारत की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी को अवतरित कर दिया था। यह बच्ची दुर्गा पूजा के दिन हुई थी इसलिए दुर्गा के नाम से जानी जाने लगी थी लेकिन बाद में इसे कनुप्रिया अग्रवाल नाम दिया गया।
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