इन विट्रो फर्टिलाइजेशन को IVF कहा जाता है। पहले इसे टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से जाना जाता था। बता दें कि इस प्रक्रिया का प्रयोग सबसे पहले इंग्लैंड में 1978 में किया गया था। इस ट्रीटमेंट में महिला के अंडों और पुरूष के शुक्राणुओं को मिलाया जाता है। जब इसके संयोजन से भ्रूण बन जाता है, तब उसे वापस महिला के गर्भ में रख दिया जाता है। कहने को यह प्रक्रिया काफी जटिल और महंगी है, लेकिन यह प्रक्रिया उन लोगों के लिए वरदान है, जो कई सालों से गर्भधारण की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सफल नहीं हो पा रहे हैं। Show
डॉक्टर शोभा गुप्ता कहती हैं कि यह बहुत सरल तकनीक है। यह प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है, जिनमें ओवेरियन स्टिमुलेशन, महिला की ओवरी से एग निकालना, पुरूष से स्पर्म लेना, फर्टिलाइजेशन और महिला के गर्भ में भ्रूण को रखना शामिल है। IVF के एक साइकल में दो से तीन सप्ताह लग सकते हैं। फोटो साभार : TOI IVF प्रक्रिया किस प्रकार की जाती हैडॉ. शोभा गुप्ता ने बहुत सरल तरीके से आईवीएफ प्रक्रिया को समझाते हुए बताया है कि इसमें महिला की ओवरी में बनने वाले एक अंडे की जगह कई अंडे विकसित किए जाते हैं। इसके लिए कुछ इंजेक्शन दिए जाते हैं, जो पीरियड्स के दूसरे दिन से शुरू होते हैं। इन इंजेक्शनों को लगातार 10 से 12 दिनों तक बारीक सुई के जरिए लगाया जाता है। अच्छी बात है कि इस इंजेक्शन से दर्द नहीं होता है और इनके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होते हैं। महिला की बॉडी एंग बनाने के लिए जो हार्मोन रिलीज करती है, उन्हीं हार्मोन्स को थोड़ी ज्यादा मात्रा में आईवीएफ में बाहर से दिया जाता है। अल्ट्रासाउंड के जरिए देखा जाता है कि अंडे ठीक से तैयार हो रहे हैं या नहीं, कितने अंडे तैयार हो रहे हैं आदि। इस पूरी प्रक्रिया को एग स्टिमुलेशन कहते हैं। फोटो साभार : TOI ओवरी से एग निकालनाडॉक्टर शोभा गुप्ता कहती हैं कि जब सारे अंडे एक ही साइज के हो जाते हैं, तो महिला को बेहोश करके अंडे निकाल लिए जाते हैं। ओवरी से एग निकालने वाली प्रक्रिया महिला के ओव्यूलेशनन प्रक्रिया के ठीक 34 से 36 घंटों बाद की जाती है। अंडे निकालने की तकनीक के दौरान बस एक सुई का इस्तेमाल होता है। इसलिए कोई कट या ऑपरेशन होने का डर नहीं है। फोटो साभार : TOI कैसे होता है आईवीएफ, जानिए डॉक्टर से |कैसे होता है आईवीएफ, जानिए डॉक्टर से | स्पर्म लेनायदि किसी और पुरुष की बजाय पति का स्पर्म यूज किया जा रहा है, तो उसी दिन उनके भी स्पर्म लिए जाते हैं। टेस्टीक्यूलर एस्पिरेशन की मदद से भी शुक्राणु या स्पर्म लिए जा सकते हैं। स्पर्म देने के बाद डॉक्टर लैब में स्पर्म को स्पर्म फ्लूइड से अलग करते हैं। फर्टिलाइजेशन : अब पुरूष के स्पर्म को महिला के अंडों के साथ मिलाया जाता है और रातों-रात फर्टिलाइज किया जाता है। फोटो साभार : TOI भ्रूण को गर्भ में रखनायह प्रक्रिया एग लेने के 3 से 5 दिन बाद होती है। 3 से 5 दिन बाद 5 दिन के भ्रूण को महिला के गर्भ में रख दिया जाता है। आमतौर पर यह प्रक्रिया दर्द रहित होती है। हालांकि, थोड़ी ऐंठन महसूस हो सकती है। भूण रखने के बाद आप नॉर्मल लाइफ जी सकती हैं। हालांकि, अभी ओवरी का आकार पहले से बढ़ा हो जाता है, ऐसे में किसी भी असामान्य गतिविधि से बचने की कोशिश करें। फोटो साभार : TOI आईवीएफ से जुड़ी जटिलताएंमल्टीपल प्रेग्नेंसी यानि एक से ज्यादा बच्चे होना। इसमें जन्म के समय शिशु के लो बर्थ वेट और प्रीमैच्योर डिलीवरी का जोखिम बढ़ जाता है। फलोपियन ट्यूब एक लम्बी एवं पतली नली होती है जो अंडाशय से निकले अण्डों को गर्भाशय तक पहुंचाती है। ये ट्यूब शुक्राणुओं को अण्डों तक पहुँचाने का काम भी करती है। निषेचन की प्रक्रिया फलोपियन ट्यूब्स में ही होती है। निषेचन के बाद भ्रूण के लिए जरुरी पोषण एवं उचित तापमान भी फलोपियन ट्यूब ही प्रदान करता है।
फालोपियन ट्यूब्स बंद या ब्लाक है या नहीं इसकी पुष्टि कैसे होती है ?HSG टेस्ट एवं लेप्रोस्कोपी यानी दूरबीन की जाँच से ट्यूब्स बंद है या खुली या ट्यूब ब्लाक है या नहीं इस बात की पुष्टि की जाती है. इस टेस्ट के दौरान xray में दिखने वाली एक रेडियोएक्टिव डाई गर्भाशय के अन्दर सिरिंज से डाली जाती है एवं xray के ज़रिये इस बात की पुष्टि की जाती है की डाई ट्यूब के ज़रिये बहार निकली की नहीं , यदि ट्यूब में ब्लाक यानी ट्यूब बंद हो तो डाई रुकावट की वजेह से आगे नहीं बढ़ पाती और इसी वजेह से xray में साफ़ साफ़ रुकावट दिखती है . क्या HSG XRay जाँच से लेप्रोस्कोपी या दूरबीन की जाँच ज़्यादा सही होती है ?फलोपियन ट्यूब का काम केवल अण्डों और शुक्राणुओं को अपनी जगह तक पहुँचाना ही नहीं है . ट्यूब भ्रूण को शुरूआती दिनों में उचित पोषण एवं तापमान भी प्रदान करते हैं. HSG टेस्ट से ट्यूब खुली है या बंद यह पता लगाया जा सकता है, परन्तु खुली हुई ट्यूब काम करने योग्य है या नहीं यह जानकारी लेप्रोस्कोपी या दूरबीन की जांच से बेहतर तरीके से पता चलती है. क्या HSG XRay जाँच में ट्यूब खुली आये तो प्रेगनेंसी होना निश्चित है ?फल्लोपियन ट्यूब के अन्दर जो ख़ास परत होती है वो भ्रूण को भरण पोषण प्रदान करती है , कई प्रकार की इन्फेक्शन या TB की बीमारी के कारण ट्यूब की परत खराब हो जाती है, जिस वजेह से ट्यूब खुली होने के बावजूद ट्यूब अपना पूरा काम करने में सक्षम नहीं होती. इसी वजेह से प्रेगनेंसी ठहर नहीं पाती या एक्टोपिक प्रेगनेंसी होने की भी संभावना होती है . इसलिए ट्यूब के खुले होने पर भी वो हमेशा कारगर हो ये ज़रूरी नहीं है . दूरबीन जांच कैसे होती है ?दूरबीन की जांच निश्चेतना की अवस्था यानी एनेस्थीसिया देकर की जाती है . मरीज़ के पेट के हिस्से में 3 छोटे छोटे छेद किये जाते हैं और उनके ज़रिये दूरबीन क कैमरा एवं अन्य टूल्स पेट के अंदर डाले जाते हैं. इसके पश्चात डॉक्टर बड़ी स्क्रीन पर देखकर मरीज़ के शरीर के अंदरूनी अंगों की जांच सटीक कर पाते हैं . क्या दूरबीन जाँच या लाप्केरोस्कोपी के लिए एडमिट होना पड़ता है ? क्या दूरबीन जांच में दर्द होता है ?लेप्रोस्कोपी या दूरबीन जांच में मुश्किल से 15 से 20 मिनट का टाइम लगता है एवं मरीज़ 4 से 5 घंटों में घर वापस जा सकता है . कभी कभी दूरबीन जांच के साथ ही डॉक्टर कुछ और सूक्ष्म प्रक्रिया भी प्लान करते हैं जिसकी वजेह से हो सकता है मरीज़ को एक दिन के लिए अस्पताल में रखा जाय . क्या दूरबीन जाँच के बाद प्रेगनेंसी के ज्यादा चांस होते हैं ?दूरबीन जांच के ज़रिये डॉक्टर मरीज़ के प्रजनन सम्बन्धी अंगों की सटीक पुष्टि कर सकते हैं एवं ये देख सकते हैं की ट्यूब बंद है या नहीं . इसके अलावा IVF स्पेशलिस्ट ये भी देख सकते हैं की ट्यूब कारगर है या नहीं . यदि दूरबीन जांच करते वक़्त ऐसी कोई समस्या नज़र आती है जिसको ठीक किया जा सकता है तो IVF स्पेशलिस्ट लेप्रोस्कोपी करते वक़्त उसे ठीक भी कर देते हैं . किसी किसी मरीजों में, जहाँ समस्या दूरबीन जांच के वक़्त डॉक्टर ने ठीक कर दी हो , उन मरीजों में दूरबीन जांच के बाद प्रेगनेंसी होने की संभावना बढ़ जाती है . दूरबीन जाँच का खर्चा कितना होता है ?लेप्रोस्कोपी या दूरबीन जांच में तकरीबन 30 से 35 हज़ार रूपये लगते है . किन कारणों से ट्यूब बंद या ट्यूब ब्लाक हो सकती है ?ट्यूबस बंद होने का सबसे आम कारण इन्फेक्शन या संक्रमण होता है जिसे पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज भी कहा जाता है. ये संक्रमण कई बार बच्चेदानी की (TB) टी.बी से भी होता है . ट्यूब की नसबंदी या सर्जरी, या एक्टोपिक प्रेगनेंसी से भी ट्यूब बंद हो सकती है. एंडोमेट्रियोसिस या फाइब्रॉएड जैसी बिमारियों से भी ट्यूब बंद होने की संभावना होती है. क्या ट्यूब ब्लाक होने के पश्चात भी में गर्भधारण कर सकती हूँ ?एक ट्यूब के ब्लाक और एक ट्यूब के खुली होने पर, आप प्राकृतिक रूप से भी गर्भधारण कर सकती हैं , परन्तु यदि दोनों ट्यूब्स में ब्लाक है तब प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने की संभावना काफी कम हो जाती है. ऐसे में गर्भधारण हुआ भी तो एक्टोपिक प्रेगनेंसी होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है. क्या लेप्रोस्कोपी सर्जरी से बंद ट्यूब या ब्लाक ट्यूब खुल सकती है ?सर्जरी से ट्यूब खुलने की संभावना इस बात पर निर्भर करती है की ट्यूब किस हिस्से से बंद है. लेप्रोस्कोपी या दूरबीन की जांच से बंद ट्यूब खोलने का प्रयास किया जा सकता है परन्तु ये निश्चित नहीं कहा जा सकता की ट्यूब पहले जैसा काम करेगी या नहीं . ट्यूब ब्लॉक या ट्यूब बंद होने पर IUI किया जा सकता है ?नहीं. फलोपियन ट्यूब का एक मुख्य काम होता है शुक्राणुओं को अंडे तक पहुँचने देना. ट्यूब के मार्ग में रुकावट होने पर शुक्राणु अन्डो तक नहीं पहुँच पाते हैं . इसलिए ट्यूब ब्लाक होने पर IUI करवाने से कोई लाभ नहीं मिलता . बंद ट्यूब या ब्लॉक ट्यूब का क्या इलाज होता है ?ट्यूब खोलने का ऑपरेशन कितना कारगर होगा ये तो लेप्रोस्कोपी या दूरबीन की जांच से ही पता चल सकता है, ऑपरेशन से पहले ये अनुमान लगाना मुश्किल है. IVF प्रक्रिया में ट्यूब का काम IVF लैब में होता है और शरीर से बहार बने भ्रूण (ब्लास्टोसिस्ट) को गर्भ में प्रस्थापित किया जाता है, इसलिए बंद ट्यूब का इलाज सफलता पूर्वक IVF द्वारा किया जा सकता है. बंद ट्यूब खोलने की कोई दावा होती है ?यदि ट्यूब किसी इन्फेक्शन के कारण बंद आई हो तो , इन्फेक्शन का ट्रीटमेंट दवाइयों से किया जा सकता है . कुछ इन्फेक्शन दवाइयों से ठीक हो सकती है.
बंद ट्यूब या ट्यूब ब्लॉक होने के बाद IVF करवाने पर क्या सफलता दर होती है ?नि:संतानता के अनेको कारणों में से ब्लाक ट्यूब की वजह से जो दम्पति गर्भधारण नहीं कर पाते, उनमे IVF द्वारा प्रेगनेंसी होने की संभावना अधिक होती है. जिस दम्पति को ब्लाक ट्यूब की परेशानी है, सामान्यतः उनके अण्डों एवं शुक्राणुओं की क्वालिटी ठीक होती है इसलिए भ्रूण भी अच्छे बनने की पूरी संभावना होती है. यही कारण है की IVF का सक्सेस रेट बढ़ जाता है. टेस्ट ट्यूब बेबी में कितना टाइम लगता है?यह करीब एक महीने की प्रक्रिया होती है। ज्यादातर जगहों पर शुक्राणु को अंडे में प्रवेश कराने का एक ही तरीका अपनाया जाता है लेकिन कुछ क्लिनिकों में डॉक्टर भिन्न-भिन्न तरीके भी अपनाते हैं। हम आपको टेस्ट ट्यूब बेबी (test tube baby process) के स्टैंडर्ड तरीके के बारे में बताएंगे।
टेस्ट ट्यूब बेबी कराने में कितना खर्चा आता है?अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, प्राइवेट में एकबार आईवीएफ कराने का खर्च डेढ़ से दो लाख रुपए होता है।
आईवीएफ कितने दिन में होता है?आईवीएफ उपचार में, शुक्राणु और अंडे को एक प्रयोगशाला डिश में फ्यूज किया जाता है और फिर पूरे निषेचन प्रक्रिया की विशेषज्ञ द्वारा सावधानीपूर्वक निगरानी की जाती है। 3 से 5 दिनों के दौरान, सफलतापूर्वक निषेचित अंडे भ्रूण में विकसित हो जाते हैं।
टेस्ट ट्यूब बेबी के लिए कौन सी उम्र सबसे अच्छी है?40 में गर्भ की प्राकृतिक संभावना
आप इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन जैसी सहायक प्रजनन तकनीकों से अपने अवसरों को काफी बढ़ा सकते हैं। यह आपकी प्रजनन क्षमता, विशिष्ट स्थितियों और स्वास्थ्य के आधार पर संभावनाओ को 5% से 20% तक बढ़ा देता है।
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