Q.65: निम्न बिन्दुओं पर ट्रांसफार्मर का वर्णन कीजिए : Show Answer: (1) ट्रांसफार्मर:- ट्रांसफार्मर वह युक्ति है, जो प्रत्यावर्ती विभवान्तर को घटा अथवा बढ़ा देता है। यह अन्योन्य प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है। ट्रांसफार्मर के प्रकार:- ट्रांसफार्मर दो प्रकार के होते हैः- (1) उच्चायी ट्रांसफार्मर:- वह ट्रांसफार्मर जो प्रत्यावर्ती विभवान्तर को बढ़ा देता है, उच्चायी ट्रांसफार्मर कहलाता है। इसका परिणमन अनुपात 1 से अधिक होता है। इसकी प्राथमिक कुण्डली में फेरो की संख्या कम व द्वितीयक कुण्डली फेरो की संख्या अधिक होती है। (2) अपचायी ट्रांसफार्मर:- वह ट्रांसफार्मर जो प्रत्यावर्ती विभवान्तर को घटा देता है, अपचायी ट्रांसफार्मर कहलाता है। इसकी द्वितीयक कुण्डली में फेरो की संख्या कम तथा प्राथमिक कुण्डली में फेरो की संख्या अधिक होती है। (2) नामांकित चित्र: (3) सिद्धान्त:- जब प्राथमिक कुण्डली के सिरो पर प्रत्यावर्ती विद्युतवाहक बल Ep लगाया जाता है तथा द्वितीयक कुण्डली के सिरो पर प्रत्यावर्ती विद्युतवाहक बल ES हो तथा प्राथमिक कुण्डली में फेरो की संख्या N1 तथा द्वितीयक कुण्डली में फेरो की संख्या N2 हो। तब फैराडे के द्वितीय
नियम से प्राथमिक कुण्डली के सिरो पर विद्युतवाहक यहां r एक नियतांक है, जिसे ट्रांसफार्मर का परिणमन अनुपात कहते है। (1) यदि r का मान 1 से अधिक हो तो ट्रांसफार्मर उच्चायी होगा। (2) यदि r का मान 1 से कम हो तो ट्रांसफार्मर अपचायी होगा। (4) अनुप्रयोग:- (1) प्रत्यावर्ती धारा की प्रबनता को घटाने में (2) वेल्डिंग कार्य में। (3) रात्रि लेम्प में। (4) विद्युत शक्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने में। Solution : `(i)` नामकिंत चित्र-<img src="https://d10lpgp6xz60nq.cloudfront.net/physics_images/SHV_HIN_PHY_XII_SP_C04_E02_058_S01.png" width="80%"> <img src="https://d10lpgp6xz60nq.cloudfront.net/physics_images/SHV_HIN_PHY_XII_SP_C04_E02_058_S02.png" width="80%"><br> `(ii)` सिद्धान्त -यह विधुत -चुम्बकीय प्रेरण के सिंद्धात पर कार्य करता है । <br> आदर्श ट्रांसफार्मर की प्रथमिक कुण्डली में प्रेरित विधुत वाहक बल , `E_(p)=-n_(p)(Deltaphi)/(Deltat)` एवं द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित विधुत वाहक बल , <br> `E_(s)=-n_(s)(Deltaphi)/(Deltat)` <br> यहाँ `n_(p)` तथा `n_(s)` क्रमश : प्रथमिक एवं द्वितीयक कुण्डली में फेरो की संख्या है, `E_(p)` तथा `E_(s)` इन कुण्डलियो में क्रमश : प्रेरित वि. वा. बल और `(Deltaphi)/(Deltat)` इन कुण्डलियो में फ्लक्स परिवर्तन की दर है। <br> अतः `(E_(s))/(E_(p))=(n_(s))/(n_(p))` <br> परन्तु आदर्श ट्रांसफार्मर के लिए <br> निर्गत शक्ति `=` निवेशी शक्ति <br> अर्थात `E_(s)xxI_(s)=E_(p)xxI_(p)` [`:'` शक्ति `=` वि. वा. बल `xx` धारा] <br> [यहाँ `I_(p)=` प्रथमिक कुण्डली में धारा एवं `I_(s)=` द्वितीयक कुण्डली में धारा ] <br> `:. (I_(p))/(I_(s))=(E_(s))/(E_(p))` <br> अतः `(I_(p))/(I_(s))=(E_(s))/(E_(p))=(n_(s))/(n_(p))=k` <br> `(iii)` परिणमन अनुपात का सूत्र `(I_(p))/(I_(s))=(E_(s))/(E_(p))=(n_(s))/(n_(p))=k` <br> ट्रासंफार्मर में ऊर्जा क्षय -ट्रांसफार्मर में ऊर्जा क्षय, उनके कारण एवं उन्हें कम करने के उपाय निम्ननुसार है- <br> `(i)` ताम्र हानि - ट्रांसफार्मर की प्रथमिक एवं द्वितीयक कुण्डली में धारा प्रवाहित होने पर इन कुण्डलियो के प्रतिरोध के कारण उनमे जूल के प्रभाव से ऊष्मा उत्पन होती है अर्थात विधुत ऊर्जा का एक भाग उष्मीय ऊर्जा के रूप में क्षय हो जाता है । इस दोष को ताम्र हानि कहते है। <br> उपाय- इसे कम करने के लिए आवश्यकतानुसार कुण्डलियो में मोठे तारो का उपयोग किया जाता है। <br> `(ii)` लोह हानि- क्रोड में भवर धाराओं के कारण ऊष्मा के रूप में ऊर्जा हास को लोह हानि कहते है। <br> उपाय- इस क्षय को कम करने के लिए कॉर्ड पटलित बनाया जाता है। <br> `(iii)` शैथिल्य हानि - प्रत्यावर्ती धारा के कारण क्रोड के बार -बार चुंबकित और विचुंबकित होने की क्रिया में ऊर्जा हास को शैथिल्य हानि कहते है। <br> उपाय- इस दोष को कम करने के लिए नर्म लोहे का क्रोड प्रयुक्त करते है। <br> `(iv)` चुम्ब्कीय फ्लक्स क्षरण - प्रथमिक कुण्डली के समस्त फ्लक्स का द्वितीयक कुण्डली से संबद्ध न होना ही फ्लक्स क्षरण कहलाता है । <br> `(v)` भिनभिनाहट ध्वनि के कारण हानि- प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित होने के कारण ट्रांसफॉर्मर की कोड कम्पन करने लगती है जिससे भिनभिनाहट की ध्वनि उत्पन्न होती है । विधुत -ऊर्जा का एक छोटा सा भाग इस ध्वनि के रूप में क्षय हो जाता है । <br> उपाय -इस ध्वनि को कम करने के लिए कुशन पैडिंग तथा आयल बेरियर्स का उपयोग किया जाता है। ट्रांसफार्मर क्या है तथा इसका सिद्धांत समझाइए?यह किसी एक विद्युत परिपथ (circuit) से अन्य परिपथ में विद्युत प्रेरण द्वारा धारा की आवर्ती को बिना बदले विद्युत उर्जा स्थान्तरित करता है। ट्राँसफार्मर प्रत्यावर्ती धारा(AC)के साथ कार्य कर सकता है, एकदिश धारा (direct current) के साथ नहीं। ट्राँसफार्मर एक-फेजी, तीन-फेजी या बहु-फेजी हो सकते है।
ट्रांसफार्मर किसे कहते हैं रचना तथा कार्यविधि का वर्णन कीजिए इसमें पटलित लौह क्रोड़ का क्या महत्व है ?`?ट्रांसफार्मर की सचित्र रचना, सिद्धांतर एवं कार्यविधि का वर्णन कीजिए | ट्रांसफार्मर के क्रोड पटलित बनाने का कार्य कारण है ? UPLOAD PHOTO AND GET THE ANSWER NOW! Step by step solution by experts to help you in doubt clearance & scoring excellent marks in exams.
ट्रांसफार्मर क्या है Class 12?उच्चायी तथा अपचायी ट्रांसफॉर्मर में अन्तर उल्लेखित कीजिए। ट्रांसफॉर्मर में ऊर्जा क्षय के कारणों का उल्लेख कीजिए।
ट्रांसफार्मर से क्या तात्पर्य है?परिणमन अनुपात से क्या तात्पर्य है ?
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