साझेदारी के समापन से आप क्या समझते हैं? - saajhedaaree ke samaapan se aap kya samajhate hain?

एक व्यवसाय में कई प्रकार की क्रियाएं होती है। साझेदारी फर्म भी एक तरह का व्यवसाय ही होता है लेकिन अधिकतर लोग साझेदारी फर्म के समापन या विघटन में काफी कंफ्यूज रहते हैं तो आज के इस नए आर्टिकल में साझेदारी फर्म का समापन से संबंधित सारे डाउट एवं कांसेप्ट को आसानी से परिभाषित किया गया है।

साझेदारी फर्म का विघटन या समापन दोनों एक ही शब्द हैं, तो आगे पोस्ट में समापन की जगह पर विघटन मिले तो परेशान नहीं होना हैं।

  • साझेदारी के समापन से क्या आशय हैं?
  • साझेदारी फर्म का समापन
    • साझेदारी फर्म के समापन से आप क्या समझते हैं?
    • साझेदारी विघटन एवं फर्म के विघटन में अंतर लिखिए।

साझेदारी के समापन से क्या आशय हैं?

एक फर्म के सभी साझेदारों के संबंधों में होने वाले किसी भी परिवर्तन को साझेदारी का समापन या विघटन कहा जाता हैं। इस प्रकार जब भी एक नए साझेदार का फर्म में आगमन (प्रवेश) होता है या एक वर्तमान साझेदार अवकाश ग्रहण करता है यह उसकी किसी कारण वश मृत्यु होती है तो फर्म का पुनर्गठन होता हैं। उन सभी परिस्थितियों में जिनमें साझेदारी का पुनर्गठन होता है उनमें साझेदारी का विघटन होता हैं। साझेदारी के समापन की दशा में फर्म पुनर्गठित रूप से चलती रहती हैं।

उदाहरण के रूप में “किसी साझेदार के अवकाश ग्रहण करने अथवा मरने पर शेष साझेदार फर्म के व्यवसाय को चालू रख सकते हैं।

साझेदारी फर्म का समापन

भारतीय साझेदारी अधिनियम 1932 की धारा 39 के अनुसार जब किसी फर्म में साझेदारों के बीच की साझेदारी समाप्त हो जाती है तथा फर्म का कारोबार बंद हो जाता हैं तो उसे ‘साझेदारी फर्म का विघटन या समापन’ कहा जाता है।

साझेदारी फर्म के विघटन/समापन पर हिसाब – किताब का निपटारा करने के लिए फर्म के कुल संपत्तियों को बेचा जाता है और सभी बाहरी दायित्वों का भुगतान किया जाता हैं। इसके लिए फर्म की पुस्तक में कुछ लेखें किए जाते हैं जो कि इस प्रकार से दिए गए हैं ।

साझेदारी फर्म के समापन से आप क्या समझते हैं?

फर्म के समापन का अर्थ फर्म के व्यवसाय का बंद होना होता हैं जब सभी साझेदारों का फर्म से संबंध टूट जाता है, इसका सामान्य अर्थ सभी साझेदारों के बीच साझेदारी की समाप्ति हैं। फर्म के विघटन पर फर्म की संपत्तियों को बेचा जाता है और दायित्वों का भुगतान किया जाता है।
भारतीय साझेदारी अधिनियम 1932 की धारा 39 के अनुसार एक फर्म के सभी साझेदारों के बीच साझेदारी का विच्छेद होना है ‘फर्म का समापन’ कहलाता है।

साझेदारी फर्म के विघटन या समापन से ऐसे आशय साझेदारों के बीच व्यापार समापन तथा आर्थिक संबंधों का टूटना (विच्छेद) हैं।

साझेदारी विघटन एवं फर्म के विघटन में अंतर लिखिए।

साझेदारी के विघटन और फर्म के विघटन में निम्नलिखित अंतर होते हैं जो के नीचे के पंक्ति में इस प्रकार से दिए गए हैं –

  • साझेदारी विघटन (परिभाषा) – साझेदारी के विघटन से आशय साझेदारों के मध्य वर्तमान संबंधों में परिवर्तन से हैं जबकि फार्म का विघटन से आशय सभी साझेदारों के बीच आपसी संबंधों की पूर्ण समाप्ति से हैं।
  • व्यवसाय का चालू रहना – इसमें साझेदारी के समापन पर फर्म का व्यवसाय चालू रहता हैं जबकि फर्म के विघटन पर फर्म का व्यवसाय समाप्त/बन्द हो जाता हैं।
  • न्यायालय का हस्तक्षेप – साझेदारी के समापन की दशा में न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करता है जबकि फर्म के समापन की दशा में न्यायालय हस्तक्षेप कर सकते हैं।
  • प्रकृति – साझेदारी का विघटन ऐच्छिक होता है अर्थात यह इच्छा पर निर्भर करता हैं जबकि फर्म का विघटन ऐच्छिक और अनिवार्य दोनों हो सकता हैं।
  • प्रभाव – साझेदारी के विघटन पर यह अनिवार्य नहीं है जबकि फर्म का विघटन होने पर साझेदारी का विघटन अनिवार्य हैं।
  • लेखा पुस्तकों का बंद होना – साझेदारी के विघटन पर लेखा पुस्तकों को बंद करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है क्योंकि व्यवसाय का अंत नहीं होता है जबकि फर्म के समापन की स्थिति में फर्म की सभी लेखा पुस्तकों को बंद करना पड़ता है।
  • संपत्ति और दायित्व का निपटारा – साझेदारी के विघटन में संपत्ति और दायित्व का पुनर्मूल्यांकन किया जाता है जबकि फार्म के विघटन की दशा में संपत्तियों की वसूली की जाती है और दायित्वों का भुगतान किया जाता हैं।
  • गार्नर बनाम मर्रे का नियम 

साझेदारी की समाप्ति से आप क्या समझते हैं?

साझेदारी का विघटन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा भागीदारों के बीच संबंध समाप्त हो जाते हैं और समाप्त हो जाते हैं और सभी परिसंपत्तियों, शेयरों, खातों और देनदारियों का निपटान और निपटान होता है। भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 की धारा 39 फर्म के विघटन को परिभाषित करती है।

साझेदारी से आप क्या समझते हैं?

जब दो या दो से अधिक व्यक्ति एक व्यवसाय स्थापित करने और उसके लाभों एवं हानियों की भागीदारी के लिए सहमत होते हैं तो वे साझेदारी या भागीदारी में माने जाते हैं

साझेदारी कितने प्रकार के होते हैं?

साझेदारी दो प्रकार की होती है, पंजीकृत साझेदारी और गैर-पंजीकृत साझेदारी भारतीय साझेदारी अधिनियम, 1932, (अधिनियम) के संदर्भ में, साझेदारी के रूप में व्यवसाय शुरू करने का एकमात्र मानदंड साझेदारों के बीच एक साझेदारी डीड का निर्धारण और पालन करना होता है।

साझेदारी फर्म के विघटन से आप क्या समझते हैं?

ऐसी स्थिति में वर्तमान साझेदारी का विघटन होता है, किंतु फर्म उसी नाम से अपने क्रियाकलापों को जारी रखती है। दूसरे शब्दों में यह साझेदारी का विघटन है न कि फर्म का | साझेदारी अधिनियम 1932 की धारा 39 के अनुसार सभी साझेदारों के मध्य साझेदारी के विघटन को फर्म का विघटन कहते हैं