ट्रेन बिजली से कैसे चलता है? - tren bijalee se kaise chalata hai?

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आप ने सवाल किया है ट्रेन कितने वाट के से पारित होता है तो देखे माकपा की ओर से 125 के वही की 2 फेस अप्रैल को दी जाती है तीन फेस नहीं हुए केशव स्टेशन 132 के वहीं के स्टेप स्टॉर्म करके 25k वही बनाते हैं एवं रेलवे कैसे करें जो बिजली बोर्ड सेक्स के तोहफे सप्लाई करता है धन्यवाद

aap ne sawaal kiya hai train kitne watt ke se paarit hota hai toh dekhe makpa ki aur se 125 ke wahi ki 2 face april ko di jaati hai teen face nahi hue keshav station 132 ke wahi ke step storm karke 25k wahi banate hain evam railway kaise kare jo bijli board sex ke tohfe supply karta hai dhanyavad

आप ने सवाल किया है ट्रेन कितने वाट के से पारित होता है तो देखे माकपा की ओर से 125 के वही क

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दोस्तों अगर पटरियों के ऊपर लगा बिजली का तार रेलगाड़ी पर गिर जाए तो रेलगाड़ी में बैठे यात्रियों का क्या हाल होगा। बता दें कि उनके साथ ऐसा कुछ भी नहीं होगा। आखिर उनको कोई करंट क्यों नहीं लगेगा।

दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम जानेंगे कि चलती ट्रेन पर अगर बिजली का तार गिर जाए तो क्या होगा? आइए जानते हैं।

दोस्तों जैसा कि हम जानते हैं कि विद्युत रेलगाड़ी एक विद्युत मोटर के द्वारा संचालित होती हैं और आपको यह भी पता है कि कोई भी मोटर चलाने के लिए आपको उसमें कम से कम दो पेज देना होता है एक पावर और एक न्यूट्रल।

रेलगाड़ी की केस में एक पेज तारों के ऊपर से मिलता है जबकि दूसरा अर्थ रेल की पटरी से मिलता है इसलिए आपने देखा होगा कि बिजली के जितने भी खंभे पटरी के किनारे पर लगे होते हैं उनसे एक लोहे का तार आकर रेलवे की पटरी से जुड़ा होता हैं।

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बदलते विज्ञान और टेक्नोलॉजी ने रेलवे को भाप के इंजन से बिजली के इंजन तक लाकर पहुंचा दिया है। नई-नई तकनीक ने रेल इंजनों में काफी बड़े बदलाव लाए हैं। वर्तमान स्थिति में खुद बिजली की सहायता से दौड़ने वाले इंजन अब बिजली भी पैदा कर रहे हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि जब ट्रेन तेज गति से पटरी पर गुजरती है, तो जैसे ही कहीं ढलान आता है एक विशिष्ट प्रक्रिया के माध्यम से थ्री फेस इंजन बिजली का निर्माण करने लगते हैं। मंडल के पास फिलहाल एक महीने में 1 करोड़ 20 लाख रुपए की बिजली उत्पन्न करने का आंकड़ा उपलब्ध है। गत 2 वर्ष पहले तक केवल 50 थ्री फेस के इंजन मंडल के पास थे, लेकिन अब इसमें बड़ी संख्या में वृद्धि हुई है।


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प्रति वर्ष 400 करोड़ का बिल
नागपुर मंडल अंतर्गत रोजाना 128 यात्री गाड़ियां एवं ढाई सौ के करीब मालगाडिय़ों दौड़ती हैं। लगभग हर गाड़ी में इलेक्ट्रिक इंजन ही लगा होता है। जो ओएचई के माध्यम से ट्रेनों को सरपट दौड़ाने के लिए मदद करता है। एक अधिकृत जानकारी के अनुसार रेलवे को प्रति वर्ष 400 करोड़ रुपये बिजली के बिल का भुगतान करना पड़ता है। जो रेल प्रशासन की आमदनी पर असर डालते हैं, लेकिन इंजन विद्युत उत्पादन कर नागपुर मंडल को राहत प्रदान कर रहे हैं।
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इस तरह पैदा होती है बिजली
विशेषज्ञों के अनुसार गाड़ी को रोकने के लिए ब्रेक के पास एक विशेष प्रकार का मोटर लगाया गया है। जब कोई एक्सप्रेस गाड़ी तेज ढलान से सरपट गुजरती है, तो ब्रेक के पास थ्री फेस इंजन में मोटर युक्त मशीन बिजली पैदा करना शुरू कर देती है। इसके लिए लोको पायलट ढलान पर गाड़ी को ब्रेक लगाते हुए हैडल को उलटा करता है, जिससे ब्रेक प्वाइंट पर लगा मोटर उल्टी दिशा में घूमने लगता है। यह मोटर उल्टी दिशा में घूमने हुए सीधे घूम रहे रेल चक्कों से उर्जा प्राप्त करता है। गाड़ी की रफ्तार भी नियंत्रित होती है और जितनी तेजी से चक्के घूमते हैं, उतनी ही तेजी से बिजली पैदा होती है। यह बिजली इंजन से लगे पेंटों के माध्यम से सीधे ओएचई में वापस जाती है। उदाहरण के तौर पर इस तरह समझा जा सकता है िक जैसे साइकिल में पहियों के पास मोटरयुक्त डायनोमो लगा होने से साइकिल के हैंडल पर लगी लाइट के बल्ब विद्युत आपूर्ति मिलते ही रोशनी देने लगते हैं। ठीक उसी तरह से रेलवे के पहिये भी बिजली पैदा कर रहे हैं।
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कई जगह पर ढलान मौजूद :-
नागपुर मंडल अंतर्गत तिगांव, चि चोड़ा, इटारसी, बुटीबोरी, वर्धा आदि जगहों पर रेल पटरी ढलान पर है। बताया गया कि आमला से इटारसी की ढलान पर गुजरते ही 3523 यूनिट बिजली का निर्माण किया जाता है। भविष्य में रेलवे द्वारा और भी एक्सप्रेस गाड़ियों में इन इंजनों को लगाया जाने वाला है।

जगह-जगह होती है खर्च
विशेषज्ञों ने बताया कि रेल इंजनों से पैदा होने वाली बिजली ओएचई के माध्यम से विद्युत तारों में भेज दी जाती है, जिसे विशेष तकनीक के द्वारा जगह-जगह खर्च किया जाता है। इससे संबंधित अधिकारियों के अनुसार जिस वक्त इंजन बिजली जनरेट करता है। उस वक्त विद्युत तारों की तुलना में सप्लाई होनेवाला करंट ज्यादा रहता है। एक ही फेस में करंट सप्लाई होने से किसी तरह का शॉर्ट-सर्किट नहीं होता है। यह प्रक्रिया ठीक उसी तरह रहती है, जिस तरह नदियों का पानी समंदर में जा कर समा जाता है।

ट्रेन बिजली से कैसे चलती है?

विद्युत्‌-कर्षण-तंत्र में विद्युत्‌ मोटरों द्वारा चालित लोकोमोटिव (locomotive) गाड़ी को खींचता है। रेल की लाइन के साथ ऊपर में एक विद्युत्‌ लाइन होती हैं, जिससे चालक गाड़ी एक चलनशील बुरुश द्वारा संपर्क करती है। रेल की लाइन, निगेटिव लाइन का काम देती है और शून्य वोल्टता पर होती है।

ट्रेन में कौन सा करंट होता है?

भारतीय रेल में 110 वोल्ट की बिजली की सप्लाई क्यों होती है जबकि घरों में 220 वोल्ट की सप्लाई होती है?

ट्रेन कितने वोल्ट से चलती है?

भारत में ट्रेन के परिचालन के लिए 25 हजार वोल्ट की बिजली का इस्तेमाल होता है.

ट्रेन क्या चीज से चलता है?

अधिकतर आधुनिक गाड़ियों डीजल इंजन या बिजली के इंजन जिन्हें रेलगाड़ी के ऊपर से जा रहे बिजली के तारों से बिजली मिलती है, द्वारा चलाई जाती हैं पर 19 वीं सदी के मध्य से 20 वीं शताब्दी तक यह भाप के इंजनों से चलती थीं।