मार्च, 1930 ई. में गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाया। सविनय अवज्ञा आन्दोलन का अर्थ है - 'विनम्रतापूर्वक आज्ञा या कानून की अवमानना करना।" गाँधी जी ने इस आन्दोलन के अन्तर्गत गुजरात में स्थित दांडी नामक स्थान से समुद्र तट तक पैदल यात्रा की, जिसमें हजारों लोगों ने उनका साथ दिया । वहाँ उन्होंने स्वयं नमक बनाकर 'नमक कानून' तोड़ा। Show
सविनय अवज्ञा आन्दोलन के प्रारम्भ होने के कारणसविनय अवज्ञा आन्दोलन निम्नलिखित परिस्थितियों को देखते हुए प्रारम्भ किया गया था -
सविनय अवज्ञा आन्दोलन का आरम्भ एवं प्रगतिसविनय अवज्ञा आन्दोलन गाँधी जी की दांडी यात्रा से आरम्भ हुआ तथा वहीं से यह आन्दोलन सारे देश में फैल गया। अनेक स्थानों पर लोगों ने सरकारी कानूनों का उल्लंघन किया। सरकार ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन को दबाने के लिए गाँधी जी सहित अनेक आन्दोलनकारियों को जेलों में बन्द कर दिया, परन्तु आन्दोलन की गति में कोई अन्तर नहीं आया। इसी दीच गाँधी जी और तत्कालीन वायसराय में एक समझौता हुआ, जिसके अनुसार गाँधी जी ने दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेना तथा आन्दोलन बन्द करना स्वीकार कर लिया। इस तरह 1931 ई. में सविनय अवज्ञा आन्दोलन कुछ समय के लिए रुक गया। सविनय अवज्ञा आन्दोलन का अन्त1931 ई. में लंदन में दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भी भारतीय प्रशासन के लिए उचित हल न निकल सका। निराश होकर गाँधी जी भारत लौट आये और उन्होंने अपना आन्दोलन फिर से आरम्भ कर दिया। सरकार ने आन्दोलन के दमन के लिए आन्दोलनकारियों पर फिर से अत्याचार करने आरम्भ कर दिय। सरकार के इन अत्याचारों से आन्दोलन की गति कुछ धीमी पड़ गयी। काँग्रेस ने 1933 ई. में इस आन्दोलन को बन्द कर दिया। सम्बंधित प्रश्न
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