शिक्षा क्या है शिक्षा के उद्देश्य का उल्लेख करें? - shiksha kya hai shiksha ke uddeshy ka ullekh karen?

शिक्षा मनुष्य के भीतर अच्छे विचारों का निर्माण करती है, मनुष्य के जीवन का मार्ग प्रशस्त करती है। बेहतर समाज के निर्माण में सुशिक्षित नागरिक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इंसानों में सोचने की शक्ति होती है इसलिए वो सभी प्राणियों में श्रेष्ठ है लेकिन अशिक्षित मनुष्य की सोच पशु के समान होती है। वो सही गलत का फैसला नहीं कर पाता। इसलिए शिक्षा मानव जीवन के लिए ज़रूरी है, जो उसे ज्ञानी बनाती है।

भारतीय संस्कृति में प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में चार लक्ष्य माने गए हैं जिन्हें पुरुषार्थ की संज्ञा दी जाती है – धर्म , अर्थ , काम , मोक्ष। इन चारों में से मोक्ष सबसे अधिक पवित्र एवं महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का चरम उद्देश्य मोक्ष की प्राप्ति होती है। अतः शिक्षा ही मोक्ष की प्राप्ति का एकमात्र साधन माना गया है।

लेकिन शिक्षा का उद्देश्य मात्र शिक्षित होना नहीं होता, बल्कि शिक्षा के कई अन्य मकसद होते हैं, जिसे कई शिक्षाके विद्वानों ने अलग-अलग तरीके से परिभाषित किया है।

चलिए आपको बताते हैं उनकी नज़र में शिक्षा के उद्देश्यों के बारे में:

महात्मा गांधी – “शिक्षा से मेरा का तात्पर्य बालक और मनुष्य के शरीर, मन तथा आत्मा के सर्वांगीण एवं सर्वोत्कृष्ट विकास से है।”

स्वामी विवेकानंद – “मनुष्य की अंतर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति ही शिक्षा है।”

राधा मुकुन्द मुखर्जी – “प्राचीन काल में शिक्षा मोक्ष के लिए आत्म ज्ञान का साधन थी, इस प्रकार शिक्षा जीवन के अंतिम उद्देश्य यानि मोक्ष प्राप्ति का साधन मानी जाती थी।”

जॉन डुई – “शिक्षा व्यक्ति के उन सभी भीतरी शक्तियों का विकास है जिससे वह अपने वातावरण पर नियंत्रण रख कर अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह कर सकें।”

पेस्टालॉजी – “शिक्षा मानव की संपूर्ण शक्तियों का प्राकृतिक प्रगतिशील और सामंजस्यपूर्ण विकास है।”

राष्ट्रीय शिक्षा आयोग 1964-66 – “शिक्षा राष्ट्र के आर्थिक, सामाजिक विकास का शक्तिशाली साधन है। शिक्षा राष्ट्रीय संपन्नता एवं राष्ट्र कल्याण की कुंजी है।”

दुनिया की प्रगतिवादी विचारों ने बच्चों के अधिकारों के दृष्टिकोण से स्कूली शिक्षा को अनिवार्य बना दिया है। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के मुताबिक, शिक्षा के व्यापक लक्ष्य हैं जैसे- बच्चों के भीतर विचार और कर्म की स्वतंत्रता विकसित करना, दूसरों के कल्याण और उनकी भावनाओं के प्रति संवेदनशीलता पैदा करना, और बच्चों को नई परिस्थितियों के प्रति लचीले और मौलिक ढंग से पेश आने में मदद करना। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिससे उनके भीतर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भाग लेने की, और मौलिक अभिव्यक्ति की प्रवृत्ति, तथा सौन्दर्यबोध की समझ विकसित हो और साथ ही आर्थिक प्रक्रियाओं व सामाजिक बदलाव की ओर कार्य करने व उसमें योगदान देने की क्षमता भी विकसित हो सके।

वैदिक काल में शिक्षा का उद्देश्य आदर्श और महान था। लेकिन समय के साथ-साथ शिक्षा के उद्देश्यों में भी परिवर्तन होता रहा वैदिक काल में जहां शिक्षा अध्यात्म , संगीत, वेद उपनिषद, राजनीति, रणकौशल, आदि पर आधारित हुआ करती थी। मध्यकाल में शिक्षा का उद्देश्य धर्म के प्रचार – प्रसार के लिए हो गया। वहीं आधुनिक काल में शिक्षा का उद्देश्य पुनः बालक के सर्वांगीण विकास पर आधारित हो गया।

इस शिक्षा में बालक के मस्तिष्क के विकास की ही नहीं बल्कि उसके शारीरिक विकास पर भी ध्यान दिया जाता है। आधुनिक पाठ्यक्रम में बालक के हर एक रूचि को ध्यान में रखा जाता है अथवा उसके सर्वांगीण विकास पर विशेष बल दिया जाता है। जिसमें चरित्र निर्माण, व्यक्तित्व का विकास, नागरिक और सामाजिक कर्तव्यों का पालन, सामाजिक सुख और कौशल की उन्नति, राष्ट्रीय संस्कृति का संरक्षण और प्रसार शामिल है।

अलग-अलग काल में व्यक्तियों ने अलग-अलग तरीके से जीवन में शिक्षा के उद्देश्य को समझाने का प्रयास किया है। शिक्षा के कई अन्य सार्थक उद्देश्य भी हो सकते हैं। शिक्षा भी मनुष्यों को दो अलग प्रजातियों में बांटती है, शिक्षित व अशिक्षित व्यक्ति में। मनुष्य का व्यक्तित्व बताता है कि वह किस तरह से शिक्षित हुआ है। शिक्षा लक्ष्य प्राप्ति के लिए एक उत्तम साधन है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से शिक्षित होने की बात करें तो यह भी उसी दिशा में जाती है जैसा की शिक्षाविदों ने बताया है। विज्ञान भी जीवन की उत्पत्ति एवं सुखद अंत या फिर जीवन एवं मृत्यु से जुड़े सबसे जटिल सवालों के जवाब खोजने में लगा है।

आज शिक्षा का बाजारीकरण होने के कारण सभी वर्ग के बच्चों के लिए शिक्षा प्राप्त करना कठिन हो गया है, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के बच्चे करियर बनाने के लिए जिस क्षेत्र में जाना चाहते हैं वो वहां तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।

वैसे तो शिक्षा पर सबका समान अधिकार माना जाता है लेकिन हकिक़त इसके विपरीत है। ऐसे में इस मुद्दें पर हर संभव प्रयास करने की ज़रूरत है जिससे हर जाति और वर्ग में शिक्षा का समान वितरण संभव हो सके।

शिक्षा का व्यक्तिगत उद्देश्य भी हो सकता है यदि मानव व्याक्तिगत रूप से स्वयं में आत्मशांति के लक्ष्य को पूर्ण कर लेता है तो यह, शिक्षा का एक उचित पड़ाव होगा।

वहीं शिक्षा का सामाजिक उद्देश्य कहता है कि समाज प्रत्येक मनुष्य का है। समाज में रहकर वह अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकता है एवं अच्छी तरह से अपने समाज को शिक्षित कर सकता है।

शिक्षा के आम उद्देश्यों में चरित्र निर्माण भी अहम भूमिका निभाता है। अच्छी शिक्षा ग्रहण कर हम एक अच्छे चरित्र का निर्माण कर सकते हैं, यदि मनुष्य का चरित्र अच्छा होगा तो स्वभाव भी अपने आप निर्मल हो जाता है, और यह मदद करता है उज्ज्वल भविष्य व अच्छा समाज बनाने में।

शिक्षा से कौशल और हुनर से सुख समृद्धि प्राप्त होती है यदि सुखी जीवन व्यतीत करना है तो हमारे अंदर कौशल की आवश्यकता है, जिसे शिक्षा के बिना हासिल करना संभव नहीं है। आज कौशल प्राप्त करने के लिए अनेक साधन हैं किन्तु पहले यह वंशानुगत हुआ करता था। शिक्षा का वंशानुगत प्रसार ही आज जाति भेद, बड़ा-छोटा, ऊंच-नीच जैसी अनेक भिन्नता निर्माण कर चुका है।

ऐसे में शिक्षा के महत्त्व को देखते हुए इसे और अधिक व्यापक बनाने की आवश्यकता है। शिक्षा को जन-जन तक फैलाने के लिए तीव्र प्रयासों की आवश्यकता है। इक्कीसवीं सदी में भारत का हर नागरिक शिक्षित हो, इसके लिए सभी ज़रूरी कदम उठाने होंगे। सर्वशिक्षा अभियान को प्रभावी तरीके से लागू करने की आवश्यकता है। तभी हमारा देश पूर्ण रूप से सुशिक्षित राष्ट्र कहलाएगा।

शिक्षा क्या है शिक्षा के उद्देश्य का उल्लेख करें? - shiksha kya hai shiksha ke uddeshy ka ullekh karen?
Krishna Mishra

About Author: Krishna Mishra has a total work experience of 2 years in the corporate world. He is a Software Engineer and has been working with STEM Learning for the last 2 months.

शिक्षा क्या है शिक्षा के उद्देश्य लिखिए?

शिक्षा मनुष्य के भीतर अच्छे विचारों का निर्माण करती है, मनुष्य के जीवन का मार्ग प्रशस्त करती है। बेहतर समाज के निर्माण में सुशिक्षित नागरिक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इंसानों में सोचने की शक्ति होती है इसलिए वो सभी प्राणियों में श्रेष्ठ है लेकिन अशिक्षित मनुष्य की सोच पशु के समान होती है।

शिक्षा के चार उद्देश्य क्या है?

(1) बालकों की रुचियों का विकास करना। (2) अच्छी आदतों को विकसित करना। (3) विचार शक्ति का विकास करना। (4) सामाजिक दृष्टिकोण को विकसित करना।

शिक्षा का अर्थ क्या है?

shiksha ka arth paribhasha prakriti svarup;शिक्षा का तात्पर्य जीवन में चलने वाली ऐसी प्रक्रिया-प्रयोग से है जो मनुष्य को अनुभव द्वारा प्राप्त होते है एवं उसके पथ-प्रदर्शक बनते है। यह प्रक्रिया सीखने के रूप मे बचपन से चलती है एवं जीवनपर्यन्त चलती रहती है। जिसके कारण मनुष्य के अनुभव भण्डार में लगातार वृद्धि होती रहती है।