सिविल जज का मतलब क्या होता है? - sivil jaj ka matalab kya hota hai?

अदालत के न्यायाधीश होने का मतलब है कानूनी लॉ प्रणाली के शीर्ष पर पहुंचना और उसकी रखवाली करना (guardian of the laws) । अदालत में एक न्यायाधीश सबसे शीर्ष व्यक्ति (सबसे सम्माननीय) होता है।

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यदि आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो न्यायिक सार्वजनिक सेवाओं का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो यह लेख “Judge कैसे बने” आपके लिए है। यहां आपको एक न्यायाधीश बनने की चरण-दर-चरण प्रक्रिया का हर एक पहलू मिलेगा, शुरुआत (12 वीं) से अंत तक (न्यायाधीश) न्यायालय के न्यायाधीश बनने तक|

इस लेख को आगे पढ़ने से पहले आपको अपने आप से एक सवाल पूछना होगा। क्या आप वास्तव में न्यायाधीश बनने की और झुकाव रखते हैं? अगर हाँ तो, आपको इसके बारे में भावुक (passionate) होना चाहिए। क्योंकि जब तक आप अंतिम पड़ाव तक नहीं पहुंच जाते (न्यायाधीश बनने तक), तब तक आपको बहुत सी कढ़ीनाइयों का सामना करना पड़ेगा|

“जज कैसे बने” के इस आर्टिकल में आपको ये सभी निम्नलिखित जानकारियां प्राप्त होंगी

Page Contents

  • 1 न्यायाधीश बनने के रास्ते को चुनने से पहले आपको इन दो बातों का ध्यान रखना चाहिए
  • 2 क्या अदालत के न्यायाधीश (Judge) और मजिस्ट्रेट (Magistrate) के बीच कोई अंतर है?
  • 3 न्यायाधीश बनने के लिए प्राथमिक शिक्षा क्या है
  • 4 Judicial Service Examination क्या है?
  • 5 भारतीय न्यायिक प्रणाली का ढांचा
  • 6 भारतीय Subordinate Court / District Court का ढांचा
  • 7 Judicial Service Examination उत्तीर्ण करने के बाद आपको कौन सी posting मिलेगी
  • 8 जिला और सत्र न्यायाधीश कैसे बनें (District and Session Judge – Chief Judge in District Court)
  • 9 अधीनस्थ /जिला न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है?
  • 10 न्यायालय न्यायाधीश / मजिस्ट्रेट के पास कौन से गुण और कौशल होने चाहिए? (Skills Set)
  • 11 Judge कैसे बने? न्यायिक मजिस्ट्रेट/ Judicial Magistrate [Only 2 Steps] बिना किसी अनुभव के
  • 12 एक जज का न्यायालय में क्या काम होता है? (Job Description)
  • 13 क्या जज बनना एक सही करियर विकल्प है?
  • 14 Judges की Salary जिला स्तर पर

न्यायाधीश बनने के रास्ते को चुनने से पहले आपको इन दो बातों का ध्यान रखना चाहिए

[1] यह करियर विकल्प आपके लिए तब तक एक सही करियर विकल्प नहीं होगा जब तक के आप इसके प्रति समर्पित और लगाव न हो|

ऐसा क्यूं? जैसा कि आप जानते हैं कि अदालतें भारत सरकार का हिस्सा होती हैं, इसलिए न्यायाधीश भी Government of India  के अधीन आते हैं। इसलिए हमें जज के रूप में नियुक्त करने के लिए भारत सरकार द्वारा एक  परीक्षा आयोजित की जाती है जिसे आपको उत्तीर्ण करना पड़ेगा| कोर्ट का जज बनने के लिए, जिस परीक्षा में आप compete करने जा रहे हैं वह निश्चित रूप से आसान नहीं होगा। लेकिन पास करना असंभव नहीं है। परीक्षा का विवरण “Judge कैसे बने” के इस आर्टिकल में नीचे दिया गया है।

[2] लक्ष्य तक पहुंचने का धैर्य: आम तौर पर अदालत के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने केलिए लॉ में उपलब्ध अन्य करियर विकल्पों की तुलना में थोड़ा अधिक समय लगता है, लेकिन अंत परिणाम आपकी पूरी जिंदगी बदलदेगा (काफी रोचक है कोर्ट का जज बनना)|

मतलब के आपको अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए धैर्य रखना होगा। अदालत के न्यायाधीश और मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त होने में कम से कम आपको 5-से-7 साल लगेंगे (वीं कक्षा के बाद)।

दोस्तों, मेरा मकसद आपको डराने या आपके हौसले को तोड़ने का नहीं है, लेकिन अगर आप जज कैरियर विकल्प का चयन कर रहे हैं तो आपको इन दो बातों के लिए तैयार रहना होगा, क्योंकि आज न कल आपको इनका सामना करना पड़ेगा ही| इसलिए मेने आपको सच बताया  है, जिसके लिए आपको तैयार रहना चाहिए।

इसका मतलब यह नहीं है कि आप अदालत के न्यायाधीश नहीं बन सकते हैं। यह 200% संभव है कि आप एक अदालत के सम्माननीय न्यायाधीश बन सकते हैं यहाँ तक की आप सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश /Chief Justice of India (CJI)  भी बन सकते हैं। आपको जिस चीज की आवश्यकता है वह ऊपर की दो उल्लिखित बिंदुओं को ध्यान में रखना और इसे सकारात्मक तरीके से लेना|

न्यायपालिका (Judiciary) एक बहोत बढ़ियाँ करियर विकल्प हो सकता है बस आपको अदालत के न्यायाधीश बनने की अवधि तक धीरज रखने की आवश्यकता होती है और उस अवधि में खुद को प्रेरित करते रहने की।

 

क्या अदालत के न्यायाधीश (Judge) और मजिस्ट्रेट (Magistrate) के बीच कोई अंतर है?

न्यायाधीश और मजिस्ट्रेट शब्द अक्सर एक दूसरे के लिए उपयोग किए जाते हैं और इसलिए यह दोनों एक-दूसरे से संबंधित और सामान लगते हैँ। लेकिन वे कानून परिप्रेक्ष्य से एक ही शब्द नहीं हैं।

न्यायपालिका प्रणाली (judiciary system) के अनुसार, दोनों में एक बड़ा अंतर है। एक न्यायाधीश एक मजिस्ट्रेट की तुलना में अधिक प्रशासनिक अधिकारियों और शक्ति का मालिक (अभिरक्षक) होता है।

Judge: अदालत के न्यायाधीश होने के नाते आपको सभी मामलों (प्रमुख, मामूली, संवैधानिक, आपराधिक मामलों इत्यादि) के मुकदमों को सुनना होगा और उन मामलों पर समाधान (निर्णय) प्रदान करना होगा।

Magistrate: एक मजिस्ट्रेट आम तौर पर अदालत में मामूली (छोटे अपराधों) मामलों को सुनता है। मजिस्ट्रेट केवल जिला स्तर अधीनस्थ न्यायालयों (District level Courts) में मुकदमों को सुनता है और उन पर फैसले सुनाता है| 

एक बात आमतौर पर दोनों पेशों (Judge and Magistrate) में देखी जा सकती है कि वे न्यायपालिका प्रणाली का हिस्सा हैं और दोनों के पास मामले का फैसला करने और पीड़ितों को न्याय प्रदान करने का अधिकार और जिम्मेदारी है। हमारे छोटे से मस्तिष्क में भ्रम पैदा करने का यही कारण है। इसलिए हमें दोनों एक ही व्यक्तित्व प्रतीत होते हैं।

 

न्यायाधीश बनने के लिए प्राथमिक शिक्षा क्या है

अदालत में न्यायाधीश बनने के लिए सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण आप के पास कानून में डिग्री, LLB (Bachelor of laws) होनी चाहिए। मतलब के आपको जज बनने से पहले एक लॉयर बनना पड़ेगा |

पहले के दिनों में एक लॉयर बनने के लिए आपके पास सिर्फ एक सरल अकादमिक पाठ्यक्रम विकल्प था BA LLB का | लेकिन आजकल छात्रों के पास LLB करने के लिए बहोत सारे पाठ्यक्रम मौजूद हैं, जिनको LLB integrated program के नाम से भी जाना जाता है| आप उनमे से किसी भी LLB program को चुन सकते हैं |

आपके पास LLB की डिग्री प्राप्त करने के लिए दो विकल्प हैं, यानी एक लॉयर बनने के लिए आपके पास दो अलग-अलग पथ हैं, इसलिए आप इन में से कोई भी एक रास्ते का चयन कर सकते हैं, अपनी वर्तमान योग्यता के आधार पर। LLB डिग्री के इन दोनों विकल्प के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें  

क्या मुझे अदालत के न्यायाधीश और मजिस्ट्रेट बनने के लिए कानून में LLM (Master of Laws) और PhD करना पड़ेगा?

नहीं! आपको कोर्ट में जज और मजिस्ट्रेट बनने केलिए Masters और PhD डिग्री की आवश्यकता नहीं है । हालांकि, अगर आपको विभिन्न प्रकार के कानूनों में अपना ज्ञान बढ़ाना चाहते हैं तो आपको इसके लिए अवश्य जाना चाहिए|

लेकिन आम तौर पर किसी भी जिला या राज्य स्तरीय न्यायिक सेवा परीक्षा (judicial service examination) में निर्वाचित होने के लिए कोई Masters और PhD की आवश्यक नहीं होती है।

 

Judicial Service Examination क्या है?

यदि आप LLB की पढ़ाई पूरी करने के बाद बिना किसी पूर्व अनुभव (Experience) के न्यायाधीश की कुर्सी पर  बैठना चाहते हैं तो आपको न्यायिक सेवा परीक्षा में competition लड़ना होगा जैसे कि प्रत्येक न्यायिक सेवा उम्मीदवार करता है। जिला स्तर पर न्यायधीश बनने के लिए इससे बेहतर और कोई विकल्प नहीं है।

एक fresher होने के नाते, न्यायिक सेवा परीक्षा (judicial service exam) जिला या अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Court) के न्यायाधीश बनने का एकमात्र तरीका है|

Judicial Service Exam राज्य लोक सेवा आयोग (State Public Service Commission) के नियमों के तहत आयोजित की जाती है।

जिला स्तरीय अदालत में न्यायाधीशों और मजिस्ट्रेट की खाली सीटों को पूरा करने के लिए प्रत्येक राज्य की अपनी न्यायिक परीक्षा होती है। प्रत्येक राज्य न्यायिक सेवा परीक्षा की सूची यहाँ से प्राप्त करें

जैसा कि आप अभी fresher हैं, और शायद मुकदमेबाजी और न्यायिक सेवाओं में कोई पूर्व अनुभव नहीं होगा| इसलिए आपको निचली स्तर की न्यायपालिका, यानी जिला स्तर के कोर्ट  से न्यायाधीश (District Court Judge) के रूप में अपना करियर शुरू करना होगा।

निचली अदालतों में भी बहोत सारी अलग तरह की जज की पोस्टिंग होती है| आइए “Judge कैसे बने” के इस लेख में जानें के आपको न्यायिक सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद इन निचली स्तर की अदालतों में क्या पदनाम मिलेगा?

उस सबसे पहले, आपको भारत न्यायिक प्रणाली के पदानुक्रम (Hierarchy of India Judicial system) को जानना बहोत जरुरी होगा।

 

भारतीय न्यायिक प्रणाली का ढांचा

भारतीय न्यायपालिका प्रणाली तीन-स्तरीय संरचना (three-tier structure) में कार्य करती है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय (राष्ट्रीय स्तर पर), उच्च न्यायालय (राज्य स्तर पर)और अधीनस्थ न्यायालय (जिला स्तर पर) शामिल है

सिविल जज का मतलब क्या होता है? - sivil jaj ka matalab kya hota hai?

पदानुक्रम के शीर्ष पर मौजूद अदालत को नीचे स्थित अदालत की तुलना में अधिक संवैधानिक शक्तियां और अधिकार मिले हुए हैं। उच्च न्यायालय निम्न स्तर की अदालतों को पर्यवेक्षी (supervise) करता है।

“जज कैसे बने” के इस लेख का उद्देश्य यह है की आप न्यायपालिका में किसी पूर्व अनुभव के बिना न्यायालय का न्यायाधीश कैसे बना जाये के बारे में जानकारी देना है।

और बिना किसी अनुभव के, आप उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट में नहीं जा सकते हैं, इसलिए हमारा एकमात्र विकल्प है अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Court), जिसमें के आप आपने लॉ की डिग्री पूरी करने बाद एक जज बन सकते हैं|

यदि आप उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनना चाहते हैं या आगे चल कर बनना चाहतें हैं तो, आपको इन दो लेखों को जरूर पढ़ना चाहिए। 

इन आर्टिकल्स को भी पढ़ें:

  • उच्च न्यायालय के जज बनने की पूरी प्रकिर्या को जानें
  • High Court में वकील कैसे बने  
  • Supreme Court में वकील कैसे बने (Advocate-on-Record) 
  • सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश कैसे बने

तो चलिए जानते हैं इन जिला स्तरीय अदालतों के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को और अधीनस्थ न्यायालयों के भीतर पदानुक्रम के ढांचे के बारे में|

 

भारतीय Subordinate Court / District Court का ढांचा

एक जिला स्तर पर न्यायालय और नीचे की अदालतों को अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Court) के रूप में भी जाना जाता है, जो राज्य के उच्च न्यायालय के तहत नियंत्रित है। चूंकि अधीनस्थ न्यायालय भारतीय न्यायिक प्रणाली के तीन-स्तरीय संरचना पदानुक्रम के सबसे निचले तल पर आते हैं, इसलिए इसे लोअर कोर्ट (Lower Court) भी कहा जाता है।

सिविल जज का मतलब क्या होता है? - sivil jaj ka matalab kya hota hai?

 

राजस्व न्यायालय (Revenue Court)

जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है, जिला स्तर में यह अधीनस्थ अदालत, राजस्व से संबंधित है। राजस्व न्यायालय एक जिले में उत्पन्न आय और राजस्व (सरकारी नियमों और विनियमन के तहत) आय (राजस्व) के रिकॉर्ड की गणना और संग्रह करने के लिए ज़िम्मेदार होता है।

दीवानी अदालत (Civil Court)

यह अधीनस्थ अदालत शादी, तलाक, भूमि, संपत्ति, नागरिक मामलों और उन सभी मामलों को सुनती है जिसमें कोई आपराधिक अपराध (criminal offence) न हो|

सत्र अदालत (Session Court/ Criminal Court)

जिला सत्र न्यायालय आपराधिक मामलों जैसे कि हत्या, डकैती, और किसी भी तरह के अन्य आपराधिक गतिविधियों को सुनता है।

न्यायिक सेवाओं के उम्मीदवार के रूप में आपके लिए मुख्य न्यायालय हैं; सिविल और सत्र न्यायालय, क्योंकि ये दो अदालतें हैं जहां आप न्यायिक सेवा परीक्षा को पास करने के बाद नियुक्त होंगे।

 

Judicial Service Examination उत्तीर्ण करने के बाद आपको कौन सी posting मिलेगी

सिविल कोर्ट में न्यायाधीशों के पदनाम (घटते हुए क्रम में)

  1. District and Sessions Judge/ District Judge (Chief Judge/ मुख्य न्यायाधीश)
  2. Additional District and Sessions Judge/ Additional District Judge
  3. Sub Judge

मेने एक ही पदनाम के रूप में, जिला और सत्र न्यायाधीश को क्यों बताया है|  क्योंकि कभी-कभी (ज्यादातर मामलों में) आप पाएंगे कि एक ही न्यायाधीश नागरिक मामले और साथ ही आपराधिक मामलों को सुनने के लिए ज़िम्मेदार होता है | यही कारण है कि जिला अदालत में न्यायाधीशों को जिला और सत्र न्यायाधीश के साथ नामित किया गया है।

सत्र कोर्ट में न्यायाधीशों के पदनाम (घटते हुए क्रम में)

  1. Session Judge (Chief Judge)
  2. Additional Session Judge
  3. Chief Judicial Magistrate/ Judicial Magistrate First Class (JMFC)
  4. Additional Chief Judicial Magistrate
  5. Metropolitan Magistrate
  6. Judicial Magistrate Second Class (JMSC)

न्यायिक सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आपको इस प्रकार के पदनाम मिलेंगे; जिला न्यायाधीश और सत्र न्यायाधीश की पोस्टिंग को छोड़कर।

एक जिला और सत्र न्यायाधीश एक अधीनस्थ न्यायालय में शीर्ष न्यायाधीश (जिला न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश) होता है । इसलिए यदि आप जिला स्तर की न्यायपालिका के शीर्ष तक पहुंचना चाहते हैं, तो आपको न्यायपालिका में कुछ वर्षों का अनुभव होना चाहिए। 

 

जिला और सत्र न्यायाधीश कैसे बनें (District and Session Judge – Chief Judge in District Court)

अधीनस्थ न्यायालय में उच्चतम स्थिति प्राप्त करने के लिए आपको कुछ आवश्यक मानदंडों को पूरा करना होगा।

जिला और सत्र न्यायाधीश बनने के लिए योग्यता मानदंड निम्नलिखित हैं…

  • वह कम से कम 7 वर्षों के लिए एक वकील (Advocate) रहा हो और किसी भी भारतीय कोर्ट में वकालत करता हुआ होना चाहिए| 
  • आवेदक किसी भी राज्य या केंद्र सरकार की सेवा में नहीं होना चाहिए, यानी आवेदक के पास कोई सरकारी नौकरि नहीं होनी चाहिए।
  • उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (HC Judge) के नजरों में एक काबिल वकील होना चाहिए  (प्रतिष्ठित वकील)

यह जिला स्तर की अदालत में सबसे ऊँचे स्थान पर पहुँचने का दूसरा तरीका है, जोकि आप एक वकील बनकर कुछ सालों में प्राप्त कर सकते हैं| (पहला तरीका परीक्षा द्वारा, जिसे “Judge कैसे बने” के इस आर्टिकल में ऊपर बताया गया है)

जानें एक वकील कैसे बना जाये (District और High Court में)

 

अधीनस्थ /जिला न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है?

राज्य के राज्यपाल द्वारा राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद  जिला और सत्र न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है।

उस राज्य के लोक सेवा आयोग (state public service commission) और उच्च न्यायालय के परामर्श के बाद राज्य के राज्यपाल द्वारा जिला अदालत (जिला और सत्र न्यायाधीश को छोड़कर) में अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है ।

 

न्यायालय न्यायाधीश / मजिस्ट्रेट के पास कौन से गुण और कौशल होने चाहिए? (Skills Set)

जैसा कि हम जानते हैं कि न्यायाधीश अदालत में सबसे सम्मानित और सम्माननीय व्यक्ति है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनके गुणों और क़ाबलियत ने उन्हें अन्य कानूनों के अधिकारियों से अलग बनाया है?

अदालत की शीर्ष कुर्सी पर बैढना या उस मुकाम को हासिल करना कोई आसान काम नहीं है। इसके लिए, आपको अपने अंदर कुछ गुण और क़ाबलियत को विकसित करने की जरूरत है और अदालत की उस प्रतिष्ठित कुर्सी पर बैठने के लिए आपको इसके लायक होना चाहिए।

न्यायाधीशों के पास ये 6 प्रमुख कौशल और योग्यता होनी ही चाहिए…

जिम्मेदारी (Responsibility): एक न्यायाधीश को पता होना चाहिए कि संविधान में उल्लिखित कानूनों का पालन करके वे क्या कर रहे हैं। आप जिस कुर्सी पर बैठे हैं उसकी विनम्रता और गरिमा बनाए रखें। न्यायालय में, यदि न्यायाधीश ही भ्रष्ट है (यानी अगर न्यायाधीश न्यायपालिका प्रणाली में प्राप्त स्थिति की जिम्मेदारियों को नहीं जानता है) तो नागरिक / जनता न्याय के लिए कहाँ जाएगी। इसलिए न्यायाधीश और मजिस्ट्रेट के लिए यह जानना वास्तव में महत्वपूर्ण है कि वह किन चीज़ों के लिए ज़िम्मेदार है और उनको समझें।

न्याय की समझ: जहां तक न्याय का सवाल है, न्यायाधीश संविधान में कानूनी कानूनों विश्लेषण करने के बाद और साक्ष्य (evidence) के आधार पर निर्णय लेते हैं। माननीय अदालत के न्यायाधीश द्वारा कोई भावनात्मक निर्णय नहीं दिया जा सकता है। न्यायालय में अभियोजक (prosecutor) द्वारा प्रदान किए गए साक्ष्य के आधार पर न्यायाधीश मामले को आगे बढ़ाते हैं।

विश्लेषणात्मक (Analytical): न्यायाधीश होने के नाते, आपके पास विश्लेषण कौशल होना अनिवार्य है। क्योंकि एक कोर्ट के जज के तोर पर आपको एक दिन में बहुत सारे दस्तावेजों की जांच करनी होती है। अदालत के एक सक्रिय न्यायाधीश के रूप में, आप अभियोजन पक्ष (Advocate) द्वारा प्रस्तुत सबूत / दस्तावेजों की जाँच करते हैं।

और एक न्यायाधीश के रूप में, थोड़े समय में आपको जमा किये हुए सबूतों को जांचना होता है, क्योंकि आपको एक दिन में कई केसेस की सुनवाई करनी पड़ती है। वैसे तो इस काम के लिए एक लॉ क्लर्क होता है जोकि जज को इस काम में मदद करता है|

जानें एक लॉ क्लर्क कैसे बने (Judicial Clerk)

धैर्य (Patience): धैर्य क्यों? मान लीजिए कि आपको दिन भर पूरे समय एक चीज़ के बारे में सुनना पड़े, वही आरोप प्रत्यारोप की बातें। निश्चित रूप से, न्याय की कुर्सी पर बैठना और सक्रिय रूप से और धैर्यपूर्वक सभी तर्कों को सुनना आसान नहीं है। किसी भी केस में फैसला सुनाने से पहले जज को धैर्यपूर्वक सभी बातों को सुनना पड़ता है और फिर उस पर फैसला सुनाना होता है, इसलिए एक न्यायधीश के लिए धैर्य रखना बहोत आवश्यक है|

English: भारत में जितनी भी न्यायिक प्रकिर्याएँ होती हैं वो सभी अंग्रेजी भाषा में होती हैं| भारतीय न्यायालयों की औपचारिक भाषा अंग्रेजी है, इसलिए अगर आप एक जज बनने जा रहें हैं तो आपको English आनी जरुरी है|  

Good listening and communication skills: यह कौशल ज्यादातर समय, कार्यवाही के दौरान न्यायाधीश और मजिस्ट्रेट के द्वारा उपयोग किया जाता है। आपके मन में प्रश्न होगा आखिर सुनना इतना महत्वपूर्ण कौशल कैसे है| क्योंकि जब तक आप सही से सुनेंगे नहीं तब तक आप किसी विषय पर अपना निर्णय सही से कैसे लेंगे|

अदालत में, आपको अभियोजक और अन्य मामले से संबंधित तथ्यों के प्रत्येक शब्द पर ध्यान देना होगा। क्योंकि कोई भी बार-बार एक ही शब्द को दोहराने वाला नहीं है। इसलिए यह बहोत जरुरी है के आप भी अब सुनने और बातचीत करने के कौशल को विकसित करने के लिए तैयार रहें।

तो ये कुछ गुणवत्ता और कौशल हैं जिन्हें आपको अपने अंदर लाना है अगर आप अदालत के न्यायाधीश और मजिस्ट्रेट बनना चाहते हैं, तो आपको इनकी आवश्यकता होगी। न्याय की कुर्सी पर बैठने के लिए आपको निश्चित रूप से “Judge कैसे बने” इस लेख में लिखे उपर्युक्त गुणों को प्राप्त करने की आवश्यकता है। 

 

Judge कैसे बने? न्यायिक मजिस्ट्रेट/ Judicial Magistrate [Only 2 Steps] बिना किसी अनुभव के

[Step 1] Bachelor of Laws (LLB)

सबसे पहले, आपको लॉयर बनना होगा (कोर्ट में केस लड़ने वाला नहीं), आपको आगे के चरणों का पालन करने के लिए केवल law graduation की डिग्री की आवश्यकता है। लॉयर करियर विकल्प के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें|  किसी भी कानूनी और कानून से संबंधित सेवाओं के लिए कानून में स्नातक की डिग्री होना अनिवार्य है।

कानून की डिग्री (LLB) प्राप्त करने के बाद, आपके पास दो अलग-अलग मार्ग हैं जैसा के मैंने “Judge कैसे बने” के इस आर्टिकल में पहले ही बताया है

  1. Judicial Service Exam की तयारी करके
  2. एक वकील (Advocate) बनकर कुछ सालों तक कोर्ट में वकालत का अनुभव लेने के बाद

अधिवक्ता (Advocate) बनने की पूरी जानकारी प्राप्त करें  

अदालत के न्यायाधीश बनने के लक्ष्य को हासिल करने के दो अलग-अलग तरीके हैं, आप उनमें से किसी भी मार्ग को चुन सकते हैं अपने शिक्षा के आधार पर।

[Step 2] Judicial Service Exam

न्यायाधीश बनने के लिए आपको न्यायिक सेवा परीक्षा के लिए तयारी करनी पड़ेगी, न्यायाधीश के रूप में अपनी करियर यात्रा शुरू करने का यही एकमात्र तरीका है जिससे आप सबसे कम समय में अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैँ। न्यायिक सेवा परीक्षा के योग्य होने के लिए आपको किसी भी पूर्व अनुभव की आवश्यकता नहीं है।

न्यायिक सेवा परीक्षा के पाठ्यक्रम (syllabus) के लिए,  आने वाले प्रश्नों का पैटर्न और अन्य संबंधित विवरणों की जानकारी केलिए यहां क्लिक करें

आपको केवल “जज कैसे बने” के इन दो उपरोक्त चरणों को पूरा करना होगा | सफलतापूर्वक इन दो चरणों को पूरा करने के बाद आप अंततः भारतीय न्यायिक प्रणाली का हिस्सा बन सकते हैं, एक न्यायाधीश के रूप में। 

 

एक जज का न्यायालय में क्या काम होता है? (Job Description)

अदालत में न्यायाधीश के ये सबसे आम कर्तव्यों में से है, शायद आप पहले से ही इन में से कुछ कर्तव्यों को जानते होंगे

  • मामले की प्रक्रिया और परीक्षणों के दौरान, एक न्यायाधीश को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता होती है कि मामले में पूछे जाने वाले प्रश्न मान्य और उपयुक्त हों। यदि नहीं, तो प्रश्न पूछने वाली पार्टी को ऑब्जेक्ट करें, जैसा कि आपने फिल्मों में देखा होगा न्यायाधीश हमेशा order-order करते हैं।
  • अदालत में शीर्ष स्थान धारण करने के रूप में (जज की हैसियत से), वे अदालत में सभी कानून और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं।
  • अदालत के न्यायाधीश के रूप में, आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी मुद्दे कानून प्रकिर्या के दायरे में हों| trial  और hearing सही तरह से आयोजित की जानी चाहिए।
  • वे सुनिश्चित करते हैं कि केस सुनवाई के दौरान मामले से संबंधित सभी मुद्दे शामिल हैं।
  • बिना किसी निष्पक्षता के मामले का निर्णय करना
  • मुकदमेबाजी की प्रक्रिया के दौरान प्रदान किए गए साक्ष्य (evidence) की प्रामाणिकता की जांच करना

एक अदालत में एक न्यायाधीश एक साम्राज्य के रूप में कार्य करता है जो दोनों पक्षों (आरोपी और पीड़ित) पर तटस्थ (neutral) है और यह सुनिश्चित करता है कि दोनों पक्षों के पास समान अवसर हों। 

इन आर्टिकल्स को भी पढ़ें:

  • Corporate Law क्या होता है, इसमें अपना करियर कैसे बनायें
  • जानें Cyber Lawyer (Internet Lawyer) बनने की पूरी प्रकिर्या को 

 

क्या जज बनना एक सही करियर विकल्प है?

जैसा कि आप जानते हैं कि भारत की जनसँख्या बहोत ज्यादा है| और वर्तमान में, कई cases (लाखों में) pending हैं, और कई मामलों को तो आज तक खोला ही नहीं गया है। इसलिए भारत को निश्चित रूप से बहुत से कुशल न्यायाधीशों की आवश्यकता है जिनके पास न्याय की अच्छी समझ हो ताकि भारत जैसे देश में और pending cases न हो और उन सभी लंबित मामलों को भी जल्द से जल्द हल कर सके।

हकीकत में एक न्यायाधीश बनना वाकई एक कठिन काम है, जज बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बहुत मेहनत की जरूरत है। और न्यायिक सेवा परीक्षा में सीटों / पदों भी सीमित होती हैँ।

इस प्रकार यदि आप एक न्यायाधीश बनना चाहते हैं तो न्यायिक सेवा परीक्षा में प्रतिस्पर्धा (compete) करने के लिए तैयार रहें। भले ही जज बनना थोड़ा मुश्किल है लेकिन अंतिम परिणाम अद्भुत है। एक न्यायाधीश समाज में बहोत ही सम्माननीय व्यक्ति होता है।

चूंकि न्यायिक सेवाएं भारत सरकार (Government of India) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है; इसका मतलब है कि आपको अच्छे वेतन के साथ-साथ बहुत सारी सुविधाएं भी मिलेंगी, जिसको पाना बहुत कठिन होता है।

भविष्य में, आपको उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में भी पदोन्नत (promotion) किया जा सकता है।

एक न्यायाधीश न्याय का प्रतीक होता है

 

Judges की Salary जिला स्तर पर

भारत में जिला स्तर पर जजों की तय आय 25,000 ₹/per month से लेकर 65,000 ₹/per month रखी गयी है + साथ में ढेरों सुविधाएं|

हर राज्य में आपकी महीने की तनख्वा दूसरे राज्यों से अलग हो सकती है|

जैसे के आपको पता है न्यायलय भारत सरकार के अंतर्गत आता है इसलिए आपकी सैलरी भी भारत सरकार दवारा तय की जाती है, जोकि हर नए central pay commission आने के बाद बढ़ सकती है