Show ब्यूरो/अमर उजाला, मुनिकीरेती । पर्यावरण को बचाने में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हर क्षेत्र में बढ़ रही महिलाओं की भागीदार महिला सशक्तीकरण का प्रमाण है। चाहे वह पर्यावरण संरक्षण का क्षेत्र हो या स्वच्छ भारत मिशन, महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा बढ़ चढ़कर काम कर रही हैं। बुधवार को चौदहबीघा में आयोजित अमर उजाला की ओर से मिशन अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स अभियान के तहत पौधरोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ समाजसेवी रामी सेमवाल ने किया। इस दौरान महिलाओं ने पौधरोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया। इस दौरान उन्होंने क्षेत्र में जनजागरुकता रैली निकालकर लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया। रामी सेमवाल ने कहा कि पर्यावरण को बचाने में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसका एक उदाहरण चिपको आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली गौरा देवी भी है। पर्यावरण को बचाने के लिए गौरा देवी ने सर्व प्रथम 1974 में अपनी महिला टीम के साथ पेड़ों पर चिपककर 2500 देवदार के वृक्षों को कटने से बचाया। इस अवसर पर यशोदा नेगी, सरोज बाला, प्यारी सेमवाल, राजेश्वरी डबराल, सोबती रावत, विमला असवाल, असरफी डोभाल, विश्वेश्वरी चमोली, गुड्डी नौटियाल, राखी चौहान, किरन रमोला, आशा राणा, बसंती नेगी, वीरा रावत, विंद्रा कलूड़ा मौजूद थे। - वर्तमान में पर्यावरण संरक्षण एक चुनौती बन गया है। धीरे-धीरे वन संपदा समाप्त होती जा रही है, जोकि पृथ्वी पर रहने वाले जीवों के लिए भविष्य में खतरा बन सकता है। इसको बचाने के लिए हम सब को प्रयास करना होगा। - सरला नेगी, गृहिणी - सरला भट्ट गृहिणी फॉलो करें और पाएं ताजा अपडेट्सलेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| पर्यावरण बचाने में इन महिलाओं का बड़ा योगदान, एक ने तो जान तक गंवाई
आज पूरा विश्व पर्यावरण दिवस मना रहा है. पर्यावरण के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए हर साल 5 जून को यह दिन मनाया जाता है. पर्यावरण संरक्षण करने के लिए कई आंदोलन किए गए. बावजूद इसके आज प्रदूषण अपने चरम पर है. पर्यावरण संरक्षण में भारतीय महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई है. आइए जानते हैं आखिर कौन सी थीं वो भारतीय महिलाएं और कौन से अंदोलन करके उन्होंने
पर्यावरण संरक्षण करने में अपना अहम योगदान दिया है.
खेजड़ली आंदोलन-
खेजड़ली आंदोलन- यहां गांव की ही एक महिला अमृता देवी ने सिपाहियों के पेड़ काटने का विरोध किया और अपनी तीनों बेटियों के साथ पेड़ पर लिपट गई. वृक्ष बचाते हुए इस महिला ने अपने प्राणों की आहुति तक दे दी थी. इसके बाद इस खबर के गांव में फैलते ही 363 लोगों ने भी वृक्ष संरक्षण हेतु अपने प्राणों की आहुति दे दी. इस घटना को रिचर्ड बरवे द्वारा सम्पूर्ण विश्व में पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण देते हुए प्रचारित भी किया गया.
चिपको आंदोलन-
चिपको आंदोलन- इस आंदोलन को ईको फेमिनिस्ट आंदोलन कहकर भी बुलाया जाता है. ऐसा इसलिेए क्योंकि इसकी कार्यकर्ताएं अधिकांश महिलाएं ही थीं. बता दें, गौरा देवी नाम की एक महिला के नेतृत्व में 26 मार्च 1974 को रेणी के वृक्ष काटने आए लोगों को चमोली गांव की महिलाओं ने यह कहकर भगा दिया कि 'जंगल हमारा मायका है, हम इसे कटने नहीं देंगे'.
नवधान्या आंदोलन-
नर्मदा बचाओ आंदोलन-
नर्मदा बचाओ आंदोलन- 2006 में राजस्थान के राजसमन्द जिले के पिपलन्तरी गांव मे पुत्री के जन्म पर 111 पौधे लगाने का नियम बनाया और इस योजना की उपलब्धियों को देखते हुए 2008 में इस गांव को निर्मल गांव का पुरस्कार भी मिला. |