राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों के बारे में आप क्या जानते हैं? - raashtrapati kee aapaatakaaleen shaktiyon ke baare mein aap kya jaanate hain?

भारत के राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां की व्याख्या

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राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों के बारे में आप क्या जानते हैं? - raashtrapati kee aapaatakaaleen shaktiyon ke baare mein aap kya jaanate hain?


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भारत के राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां की व्याख्या

अनुच्छेद 72 एक विशेष संवैधानिक अधिकार है जो अन्य कानूनों से ऊपर हैं। अदालत से दया याचिकाओं के निपटारे की अवधि में नहीं जा सकते हैं।

# क्षमा ( pardon ) - अपराधी के पूर्ण रूप से क्षमादान# प्रविलंबन (Reprieve) – द‌‍ण्डादेश का अस्थाई निलंबन।# विराम (Respite ) - विशेष कारणों से न्यून दण्डादेश प्रदान करना।# परिहार (Remissions ) –दण्डादेश (Sentence) की प्रकृतिक में परिवर्तन किए बिना उसकी मात्रा कम करना।# लघुकरण (Commutation ) - एक प्रकार के दण्ड  के स्थान पर दूसरे प्रकार का वैकल्पिक दण्ड देना उसकी प्रकृति लघु हो।

·    मौत की सजा पाये कैदी राष्ट्रपति एवं राज्यपाल द्वारा दया याचिका के  अस्वीकृति की एक प्रति प्राप्त करने के हकदार हैं।

·   फांसी की तारीख के बीच 14 दिन का अंतराल होना चाहिए।दया याचिका की अस्वीकृति का संचार प्राप्त होने एवं  से इसके अनुसार कैदी को फांसी के लिए मानसिक रूप से खुद को तैयार करने की अनुमति होगी ताकी वह फांसी की सजा स्वीकार कर ले।

·    फांसी की निर्धारित तिथि के पर्याप्त सूचनाओं के बिना न्यायिक उपचार का लाभ उठाने से कैदियों को रोका जाएगा।

·    एक ऐसी प्रक्रिया होनी चाहिए जिसके अनुसार  कैदियों एवं उनके परिवारों के बीच मानवता और न्याय हेतु अंतिम बैठक का प्रावधान होना चाहिए।

·    मौत की सजा पाए कैदियों की उचित चिकित्सा देखभाल के साथ नियमित रूप से मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

·    संविधान के अनुसार  जेल अधीक्षक कैदी के फांसी का वारंट जारी होने के बाद सरकारी डॉक्टरों और मनोचिकित्सकों द्वारा मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर कैदी की शारीरिक एवं मानसिक हालात को जांच कर संतुष्ट होने के बाद ही उसे फांसी दी जाएगी।

·    यह यह आवश्यक है कि प्रासंगिक दस्तावेजों की प्रतियां दया याचिका बनाने में सहायता करने के लिए जेल अधिकारियों द्वारा 1 सप्ताह के भीतर कैदी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

·    सर्वोच्च न्यायालय ने फांसी के बाद कैदी का पोस्टमार्टम अनिवार्य कर दिया है।


 भारत के राष्ट्रपति की आपात शक्तियां

भारत के राष्ट्रपति को आपातकालीन से संबंधित तीन प्रकार की शक्तियां प्राप्त है।

1. राष्ट्रीय आपात : - 

जब हमारे देश में किसी भी प्रकार के  युद्ध या बाह्य आक्रमण हो या कोई सशस्त्र विद्रोह हो या उसे उत्पन्न स्थितियों हो  तो इस स्थिति  में राष्ट्रपति आपात की उद्घोषणा कर सकता है।  आपात की घोषणा मंत्रिमंडल के लिखित परामर्श पर ही राष्ट्रपति द्वारा की जा सकती है यह 44 वें संविधान संशोधन के द्वारा यह प्रावधान कर दिया है । और  उसके बाद यह व्यवस्था ही भी दी गई है  , कि आपात की उद्घोषणा के 1 महीने के भीतर ही संसद के दोनों सदन नो लोकसभा तथा राज्यसभा द्वारा दो तिहाई बहुमत से उसका अनुमोदन आवश्यकता है। यदि लोकसभा भंग रहती है तो राज्यसभा द्वारा 1 महीने के भीतर उसका अनुमोदन हो जाना चाहिए। 2/3 बहुमत से संसद के दोनों सदनों द्वारा उक्त आपातकाल को 6 माह के लिए बढ़ाया जा सकता है।  1 माह के बाद उद्घोषणा समाप्त हो जाएगी यदि संसद एक सदन द्वारा पारित होने तथा संसद के दूसरे सदन द्वारा अनुमोदित न होने की स्थिति में

·    राष्ट्रीय आपात के दौरान लोकसभा अपनी कार्यविधि  एक एक  वर्ष के लिए बढ़ा सकती है। लेकिन उद्घोषणा समाप्त होने पर 6 मई माह के भीतर लोकसभा के चुनाव कराना आवश्यक है।

·     20वां और 21वा अनुच्छेद को छोड़कर भाग 3 के अन्य मौलिक अधिकार स्थगित रहेगा भारत में यह 44वें संविधान संशोधन के तहत।

·  संविधान अनुसार  राष्ट्रीय आपात पूरे देश में या देश के किसी भाग में लागू किया जा सकता है। जब हमारे देश में आपातकाल की स्थिति आती है तो इस आपातकाल के दौरान राज्य विधानमंडल स्थगित या भंग नहीं होता। हमारे भारत संविधान के  इस अनुच्छेद 352 के  खण्ड (ख) के इस उपबंधों केतहतलोकसभा केन्यूनतम 1/10 वां भाग सदस्य सत्र न रहने पर लोकसभा अध्यक्ष को  या राष्ट्रपति को सूचना दे सकती है आपातकाल समाप्त करने के लिए प्रस्ताव लाने की। जिसके कारण 14 दिन के भीतर सदन का विशेष अधिवेशन बुलाना आवश्यक होता है यह सूचना मिलने पर ।

विधेयक जिन पर राष्ट्रपति की पूर्व अनुशंसा आवश्यक है

कुछ विधेयक ऐसे हैं, जिन्हें केवल राष्ट्रपति की अनुशंसा पर ही संसद में लाया जा सकता है। यथा

·    किसी राज्य की सीमाओं अथवा नाम को परिवर्तित करने हेतु विधायक (अनुच्छेद 3) में स्थित है।

·    धन विधेयक जिसकी विस्तृत चर्चा अनुच्छेद 110 में हैं।

·    वित्त विधेयक (प्रथम श्रेणी) , जिनका संबंध यद्यपि अनुच्छेद 110 में हो, परंतु उसमें अन्य प्रावधान भी हो ।

·    जो यद्यपि साधारण विधेयक हैं परंतु जिसमें भारत की संचित निधि से धनआहरण किया जाना है, ऐसे विधेयक पर विचार किया जा सकता है और विधेयक के पारित होने की प्रक्रिया द्वितीय वाचनकहतेहैं

·    अनुच्छेद 311 से संबंधित विधान।

·    कर आरोपण (Taxation) की वस्तुओं से संबंधित कोई भी विधेयक, जिसमें राज्य की रूचि है, अथवा कृषि आय  इत्यादि को पुनः परिभाषित करने के लिए लाया गया विधायक।

·    राज विधेयक जो व्यापार वाणिज्य आदि की स्वतंत्रता को बाधित करते हो [अनुच्छेद 19 (1)] ।

·    जिन विधेयक पर राष्ट्रपति की  पूर्व अनुशंसा आवश्यक है, उसकी संविधानिकता पर न्यायालय में कोई प्रश्न नहीं उठाया जा सकता ,  भले ही विधान में किए जाने के बाद उन राष्ट्रपति की अनुशंसा मिले या ना मिले।

 राष्ट्रपति शासन - अनुच्छेद 356

·    राष्ट्रपति अपने विचार विवेक से या राज्यपाल के प्रतिवेदन पर , अपने  राष्ट्र किसी भी राज्य के  संविधानिक तंत्र  की विफलता की घोषणा कर सकता है। राष्ट्रपति की इस घोषणा का संसद द्वारा 2 महीने के भीतर साधारण बहुमत से अनुमोदन करना आवश्यक है।

·     राष्ट्रपति  को मंत्रिपरिषद से परामर्श लेना आवश्यक नहीं है, राष्ट्रपति शासन लागू करने  के लिए । उघोषणा का नवीनीकरण  संसद द्वारा एक बार में 6 माह के लिए साधारण बहुमत से किया जा सकता है। राष्ट्रपति शासन की अधिकतम अवधि 3 वर्ष से आगे बढ़ाई जा सकती है।

·      संविधानिक तंत्र की विफलता के लिए घोषणा प्रत्येक राज्य में अलग-अलग करना आवश्यक है।

·     राष्ट्रपति शासन के दौरान राष्ट्रपति को उच्च न्यायालय के अधिकारों को हस्तगत करने अथवा उससे संबंधित संविधानिक प्रावधानों को स्थगित अथवा परिवर्तित करने का अधिकार नहीं है।

 वित्तीय आपात अनुच्छेद 360

·    भारत अथवा इसके क्षेत्र के किसी भाग में वित्तीय स्थायित्व संकट पड़ने पर राष्ट्रपति वित्तीय आपात की उद्घोषणा  कर सकती है।

·    राष्ट्रपति द्वारा वित्तीय आपात की उद्घोषणा का 2 महीने के भीतर संसद द्वारा साधारण बहुमत से अनुमोदन होना आवश्यक है।

·    वित्तीय आपात की अधिकतम अवधि निश्चित नहीं है।

·    वित्तीय आपात की स्थिति में संघ तथा राज्य सरकार के पदाधिकारियों (न्यायाधीश सहित) का वेतन तत्व तथा भत्ता घटाया जा सकता है।

·    वित्तीय आपात में राज्य विधान मंडल द्वारा पारित सभी धन विधेयक पर राष्ट्रपति की अनुमति लेना आवश्यक है।

·    भारत संविधान में वित्तीय आपात का उपबंध संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिया गया है।

·    भारत में संविधान लागू होने से लेकर आज तक वित्तीय आपात की घोषणा की आवश्यकता नहीं पड़ी है।

राष्ट्रीय आपात से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

# अब तक तीन बार राष्ट्रपति आपात (अनुच्छेद 352) की उद्घोषणा हुई है।

1.  26 अक्टूबर , 1962 से 10 जनवरी , 1968 तक - चीनी आक्रमण।

2.   3 दिसंबर 1971 - पाकिस्तानी आक्रमण।

3.   25 जून 1975 से 27 मार्च 1977 तक आंतरिक गड़बड़ी।

# राष्ट्रपति मंत्रिमंडल के परामर्श के अनुसार कार्य करेगा - 42वां संविधान संशोधन।

# भारत के राष्ट्रपति द्वारा अब तक दो बार वीटो शक्ति का प्रयोग  किया गया है:-

1.        ज्ञानी जैल सिंह द्वारा पोस्टल बिल को अनुमति न देकर।

2.        सांसदों को 1 वर्ष के कार्यकाल के बाद ही पेंशन योग्य मान लिया जाने संबंधी विधेयक पर हस्ताक्षर न करके ,  आर. वेंकटरमन  द्वारा।

# चरण सिंह राजीव गांधी तथा चंद्रशेखर को राष्ट्रपति ने स्वविवेक के आधार पर सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया।

# 1977 में नीलम संजीवा रेड्डी निर्विरोध राष्ट्रपति बने।

# 1969 में वी.वी. गिरी दूसरे दौर की मतगणना के बाद राष्ट्रपति बने।

भारत की वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद 14 वें नंबर के राष्ट्रपति है।

                   भारत के उपराष्ट्रपति एम. बेंकैंया नायडू 13 वें नंबर के उपराष्ट्रपति है।                          भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15वें नंबर के प्रधानमंत्री हैं ।                    AacademysIAS//www.aacademys.com


राष्ट्रपति आपातकालीन शक्ति क्या है?

आपातकालीन शक्तियां –अनुच्छेद 352 – देश में युद्ध बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में राष्ट्रपति को यह शक्ति प्राप्त है कि पूरे भारत या किसी एक भाग की सुरक्षा खतरे में है, तो वह पूरे भारत या किसी भाग में आपातकाल घोषणा कर सकता है। हालांकि अगर यह 1 माह के बाद संसद से अनुमोदित ना हो, तो स्वत: समाप्त हो जाती है

राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों के कितने प्रकार हैं?

भारतीय राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां: राष्ट्रीय आपात, राष्ट्रपति शासन और वित्तीय आपातकाल

राष्ट्रपति की शक्तियां क्या है?

राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग होता है। उसके हताशा से ही कोई कानून बनता है। राष्ट्रपति लोकसभा का प्रथम सत्र को संबोधित करता है तथा संयुक्त अधिवेशन बुलाकर अभी भाषण देने की शक्तियां प्राप्त है। राष्ट्रपति को संसद सत्र आहूत, सत्रावसान करना एवं लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी रखता है।

आपातकालीन शक्तियां कौन से देश से ली गई है?

Notes: भारत में आपातकाल का सिध्दांत जर्मनी के संविधान से लिया गया है। यह संविधान के भाग 18 में है। इसके अनुसार जब आंतरिक अथवा बाह्य कारणों से देश की सुरक्षा को खतरा हो तो राष्ट्रपति पूरा देश अपने हाथ में ले सकता है।