राजा राममोहन राय ने कौन कौन से सामाजिक कार्य किए? - raaja raamamohan raay ne kaun kaun se saamaajik kaary kie?

1. राजा राममोहन राय का जन्म 22 मई, 1772 को पश्चिम बंगाल में हुगली जिले के राधानगर गांव में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई। वे बचपन से ही मेधावी थे। उन्होंने 15 साल की उम्र तक बांग्ला, पारसी, अरबी और संस्कृत भाषा सीख ली थी। राजा राममोहन ने राय ईस्ट इंडिया कंपनी के राजस्व विभाग में नौकरी की थी, जहां वे जॉन डिग्बी के सहायक के रूप में काम करते थे। वहां वे पश्चिमी संस्कृति एवं साहित्य के संपर्क में आए। उन्होंने जैन विद्वानों से जैन धर्म का अध्ययन किया और मुस्लिम विद्वानों की मदद से सूफीवाद की शिक्षा ली।

2. आधुनिक भारत के निर्माता कहे जाने वाले महान समाज सुधारक राजा राममोहन राय ने केवल सती प्रथा जैसी कुरीति खत्म नहीं की बल्कि लोगों के सोचने-समझने का ढंग बदल दिया। उन्होंने लोगों की सोच में बदलाव लाने का अथक प्रयास किया।

3. राजा राममोहन राय मूर्तिपूजा और रूढ़िवादी हिंदू परंपराओं के विरूद्ध थे। वह सभी प्रकार की सामाजिक धर्मांधता और अंधविश्वास के खिलाफ थे। लेकिन उनके पिता रूढ़िवादी हिंदू ब्राह्मण थे। इससे पिता और पुत्र में मतभेद पैदा हो गया और वे घर छोड़कर चले गए।

4. राजा राममोहन राय ने समाज की कुरीतियों जैसे सती प्रथा, बाल विवाह के खिलाफ खुल कर संघर्ष किया। उन्होंने गवर्नर जनरल लार्ड विलियम बेंटिक की मदद से सती प्रथा के खिलाफ कानून बनवाया। उनका कहना था कि सती प्रथा का वेदों में कोई स्थान नहीं है। धुन के पक्के राजा राममोहन राय ने अपनी भाभी को सती होते देखा था। इस दर्दनाक घटना ने उन पर ऐसा असर डाला कि उन्होंने इस अमानवीय प्रथा को खत्म करने की ठान ली। उन्होंने घूम-घूम कर लोगों को उसके खिलाफ जागरूक किया।

5. उन्होंने 1814 में आत्मीय सभा का गठन कर समाज में सामाजिक और धार्मिक सुधार शुरू करने का प्रयास किया।

6. उन्होंने महिलाओं के फिर से शादी करने, संपत्ति में हक समेत महिला अधिकारों के लिए अभियान चलाया। उन्होंने सती प्रथा और बहुविवाह का जोरदार विरोध किया।

7. उन दिनों समाज की कुरीतियों में काफी पिछड़ापन था और संस्कृति के नाम पर लोग अपनी जड़ों की ओर देखते थे, जबकि राजा राममोहन राय यूरोप के प्रगतिशील एवं आधुनिक विचारों से प्रभावित थे। उन्होंने इस नब्ज को समझा और जड़ को ध्यान में रखकर वेदांत को नया अर्थ देने की चेष्टा की।

8. राजा राममोहन राय ने खासकर स्त्री-शिक्षा का बहुत समर्थन किया। उन्होंने देश के पिछड़ेपन को महसूस करते हुए यह समझ लिया था कि आधुनिक शिक्षा खासकर अंग्रेजी, गणित एवं विज्ञान के अभाव में देश का भविष्य अंधकारपूर्ण ही रहेगा। इसके लिए उन्होंने अपने पैसे से कॉलेज शुरू किया, जहां अंग्रेजी एवं विज्ञान की पढ़ाई होती थी।


9. उस समय किसी हिंदू के लिए समुद्र पार करने या विदेश जाने की मनाही थी लेकिन राममोहन राय ने इस मान्यता को भी खारिज कर दिया। वह उन शुरुआती कुछ लोगों में थे जिन्होंने इस ‘दकियानूसी’ मान्यता की अनदेखी की और इंग्लैंड की यात्रा की।

10. जीवन भर समाज से संघर्ष करने वाले राममोहन राय भले ही इस दुनिया में नहीं रहे हों लेकिन जब भी आधुनिक भारत की चर्चा होगी तो उनका नाम सदैव बड़े सम्मान से लिया जाता रहेगा। आधुनिक भारत के निर्माता राजा राममोहन राय ऐसे बहुआयामी समाजसेवी थे जिन्होंने अकेले दम पर सदियों से रूढ़ियों में जकड़े भारतीय समाज के सुधार के लिए विभिन्न क्षेत्रों में काम किया। राजा राममोहन राय का 27 सितंबर, 1833 को ब्रिस्टल के समीप स्टाप्लेटन में निधन हो गया।

- आरके.

राजा राममोहन रॉय
राजा राममोहन राय ने कौन कौन से सामाजिक कार्य किए? - raaja raamamohan raay ne kaun kaun se saamaajik kaary kie?
जन्म ल. 22 May 1772
मृत्यु 27 सितम्बर 1833 (उम्र 61)
राष्ट्रीयता भारतीय
व्यवसाय सामाजिक और धार्मिक सुधारक; ब्राह्मण राजकुमार, लेखक
प्रसिद्धि कारण बंगाल पुनर्जागरण, ब्रह्म सभा(सामाजिक, राजनीतिक सुधार)
हस्ताक्षर

राजा राममोहन राय ने कौन कौन से सामाजिक कार्य किए? - raaja raamamohan raay ne kaun kaun se saamaajik kaary kie?

राजा राममोहन रॉय (22 मई 1772 - 27 सितंबर 1833) को भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत और आधुनिक भारत का जनक कहा जाता है। इनके पिता का नाम रमाकांत तथा माता का नाम तारिणी देवी था।भारतीय सामाजिक और धार्मिक पुनर्जागरण के क्षेत्र में उनका विशिष्ट स्थान है। वे ब्रह्म समाज के संस्थापक, भारतीय भाषायी प्रेस के प्रवर्तक, जनजागरण और सामाजिक सुधार आंदोलन के प्रणेता तथा बंगाल में नव-जागरण युग के पितामह थे। उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम और पत्रकारिता के कुशल संयोग से दोनों क्षेत्रों को गति प्रदान की। उनके आन्दोलनों ने जहाँ पत्रकारिता को चमक दी, वहीं उनकी पत्रकारिता ने आन्दोलनों को सही दिशा दिखाने का कार्य किया

जीवनी[संपादित करें]

राजा राममोहन राय का जन्म बंगाल में 1772 में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।[1] 15 वर्ष की आयु तक उन्हें बंगाली, संस्कृत, अरबी तथा फ़ारसी का ज्ञान हो गया था। किशोरावस्था में उन्होने काफी भ्रमण किया। उन्होने 1809-1814 तक ईस्ट इंडिया कम्पनी के लिए भी काम किया। उन्होने ब्रह्म समाज की स्थापना की तथा विदेश (इंग्लैण्ड तथा फ़्रांस) भ्रमण भी किया।[2]

कुरीतियों के विरुद्ध संघर्ष[संपादित करें]

राजा राममोहन राय ने ईस्ट इंडिया कंपनी की नौकरी छोड़कर अपने आपको राष्ट्र सेवा में झोंक दिया। भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के अलावा वे दोहरी लड़ाई लड़ रहे थे। दूसरी लड़ाई उनकी अपने ही देश के नागरिकों से थी। जो अंधविश्वास और कुरीतियों में जकड़े थे। राजा राममोहन राय ने उन्हें झकझोरने का काम किया। बाल-विवाह, सती प्रथा, जातिवाद, कर्मकांड, पर्दा प्रथा आदि का उन्होंने भरपूर विरोध किया। धर्म प्रचार के क्षेत्र में अलेक्जेंडर डफ्फ ने उनकी काफी सहायता की। देवेंद्र नाथ टैगोर उनके सबसे प्रमुख अनुयायी थे। आधुनिक भारत के निर्माता, सबसे बड़ी सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलनों के संस्थापक, ब्रह्म समाज, राजा राम मोहन राय सती प्रणाली जैसी सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह भी अंग्रेजी, आधुनिक चिकित्सा प्रौद्योगिकी और विज्ञान के अध्ययन को लोकप्रिय भारतीय समाज में विभिन्न बदलाव की वकालत की। यह कारण है कि वह "मुगल सम्राट 'राजा के रूप में भेजा गया था।[3]

पत्रकारिता[संपादित करें]

राजा राममोहन राय ने 'ब्रह्ममैनिकल मैग्ज़ीन', 'संवाद कौमुदी', मिरात-उल-अखबार ,(एकेश्वरवाद का उपहार) बंगदूत जैसे स्तरीय पत्रों का संपादन-प्रकाशन किया। बंगदूत एक अनोखा पत्र था। इसमें बांग्ला, हिन्दी और फारसी भाषा का प्रयोग एक साथ किया जाता था। उनके जुझारू और सशक्त व्यक्तित्व का इस बात से अंदाज लगाया जा सकता है कि सन् 1821 में अँग्रेज जज द्वारा एक भारतीय प्रतापनारायण दास को कोड़े लगाने की सजा दी गई। फलस्वरूप उसकी मृत्यु हो गई। इस बर्बरता के खिलाफ राय ने एक लेख लिखा।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • बी आर अम्बेडकर
  • केशवचन्द्र से
  • ज्योतिराव गोविंदराव फुले

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "याद आए कवि नजरूल व राजा राम मोहन राय". दैनिक जागरण. 22 मई 2018. मूल से 12 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 जून 2018.
  2. "आधुनिक भारत के निर्माता कहे जाने वाले राजा राम मोहनराय का मनाया 246वां जन्मदिन" (22 मई 2018). पंजाब केसरी. मूल से 12 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 जून 2018.
  3. पारीक, मोहित (22 मई 2018). "राजा राममोहन राय: मुगलों ने बनाया 'राजा', सती प्रथा के खिलाफ उठाई आवाज". आज तक. मूल से 12 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 जून 2018.

राजा राममोहन राय के समाज सुधार के कौन कौन से कार्य किए?

राजा राम मोहन राय ने सुधारवादी धार्मिक संघों को सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन के साधन के रूप में देखा। उन्होंने 1815 में आत्मीय सभा, 1821 में कलकत्ता यूनिटेरियन एसोसिएशन और 1828 में ब्रह्म सभा की स्थापना की जो बाद में ब्रह्म समाज बन गई।

राजा राममोहन राय ने सामाजिक सुधार में क्या योगदान दिया?

राजा राममोहन राय ने समाज की कुरीतियों जैसे सती प्रथा, बाल विवाह के खिलाफ खुल कर संघर्ष किया। उन्होंने गवर्नर जनरल लार्ड विलियम बेंटिक की मदद से सती प्रथा के खिलाफ कानून बनवाया। उनका कहना था कि सती प्रथा का वेदों में कोई स्थान नहीं है। धुन के पक्के राजा राममोहन राय ने अपनी भाभी को सती होते देखा था।

राजा राममोहन राय के सामाजिक विचार कौन कौन से हैं?

राजा राममोहन राय के सामाजिक विचार.
(1) मूर्ति पूजा का विरोध.
(2) सती प्रथा का विरोध.
(3) नारी स्वातन्त्र्य एवं नारी के समर्थक.
(4) जाति प्रथा का विरोध.

राजा राममोहन राय ने कौन से समाज की स्थापना की थी?

उन्होने 1809-1814 तक ईस्ट इंडिया कम्पनी के लिए भी काम किया। उन्होने ब्रह्म समाज की स्थापना की तथा विदेश (इंग्लैण्ड तथा फ़्रांस) भ्रमण भी किया।