वाष्प दाब के अपेक्षित और नमन से आप क्या समझते हैं? - vaashp daab ke apekshit aur naman se aap kya samajhate hain?

chemistry March 9, 2019 January 5, 2019

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(relative lowering of vapour pressure in hindi) वाष्प दाब में आपेक्षिक अवनमन क्या है , वाष्प दाब का अवनमन , सूत्र : यह किसी विलयन का अणु संख्यक गुण है जिसका अध्ययन हम आगे करने जा रहे है।

वाष्प दाब : जब किसी द्रव को ताप दिया जाता है तो यह द्रव और निश्चित ताप पर द्रव अवस्था से वाष्प अवस्था में परिवर्तित होने लग जाता है , द्रव और वाष्प की साम्यावस्था की स्थिति में वाष्प द्वारा द्रव की सतह पर डाला गया दाब , द्रव का वाष्प दाब कहलाता है। किसी द्रव का वाष्पदाब मान का द्रव की प्रकृति तथा द्रव को दिए गये ताप पर निर्भर करता है।

वाष्प दाब में आपेक्षिक अवनमन : जब किसी विलायक में कोई अवाष्पशील पदार्थ मिला दिया जाता है तो बने विलयन का वाष्प दाब , शुद्ध विलायक से कम होता है।

इसे हम निम्न उदाहरण द्वारा समझ सकते है –

माना एक शुद्ध द्रव है , जब इसे ताप दिया जाता है तो निश्चित ताप पर यह वाष्प अवस्था में बदलने लगता है और इस द्रव की वाष्प साम्यावस्था की स्थिति में द्रव की तरह पर दाब डालती है , चूँकि यह शुद्ध अवस्ता में है इसलिए द्रव की सतह पर केवल विलायक के कण उपस्थित है।

वाष्प दाब के अपेक्षित और नमन से आप क्या समझते हैं? - vaashp daab ke apekshit aur naman se aap kya samajhate hain?

लेकिन जब इसमें कोई अवाष्पशील पदार्थ मिला दिया जाता है और इसे उतना ही ताप दिया जाता है तो हम पाते है कि इसका वाष्पदाब कम हो जाता है क्यूंकि इसकी सतह पर अब अवाष्पशील पदार्थ के कण भी उपस्थित है इसलिए वाष्प कम बनती है और इसलिए इस विलयन की सतह पर वाष्प द्वारा डाला गया दाब का मान भी कम हो जाता है।

अर्थात शुद्ध अवस्था में वाष्प दाब का मान अधिक होता है लेकिन अवाष्पशील विलेय घोलने पर इसका वाष्पदाब कम हो जाता है या इसके वाष्प दाब में कमी हो जाती है या इसके वाष्प दाब में अवनमन हो जाता है , इसे ही वाष्प दाब का आपेक्षिक अवनमन कहते है।

वाष्पदाब में आपेक्षिक अवनमन का मान मिलाये गए अवाष्पशील पदार्थ की सांद्रता या मात्रा पर निर्भर करता है तथा इसकी प्रकृति पर निर्भर करता है , चूँकि यह विलयन में उपस्थित विलेय की संख्या या सांद्रता पर निर्भर करता है इसलिए इस गुण को अणु संख्यक गुण कहते है।

गणितीय सूत्र

अब हम गणितीय रूप देखते है कि किस प्रकार वाष्प दाब का आपेक्षिक अवनमन होता है और इसके लिए सूत्र क्या होता है –

माना एक विलयन है जिसमें विलायक के मोल भिन्न x1 है , तथा विलेय के मोल भिन्न x2 है। जब विलायक शुद्ध अवस्था में होता है तो इसका वाष्प दाब p1o है , लेकिन चूँकि यहाँ यह शुद्ध अवस्था में नही है इसलिए विलायक का वाष्पदाब p1 है जो निम्न सूत्र द्वारा दिया जाता है –

p1=x1p1o

माना शुद्ध विलायक में विलेय पदार्थ मिलाने से वाष्प दाब में आपेक्षिक अवनमन हो जाता है जो ∆p1 है तो इसे निम्न प्रकार व्यक्त किया जा सकता है –

वाष्प दाब में आपेक्षिक अवनमन = शुद्ध विलायक का वाष्प दाब – विलयन में विलायक का वाष्प दाब

∆p1=p1o-p1

∆p1=p1o-p1ox1 

विषयसूची

  • 1 वाष्प दाब से आप क्या समझते है?
  • 2 वाष्प दाब के अपेक्षित और नमन से क्या समझते हैं?
  • 3 ग किसी अवाष्पशील पदार्थ के मिलाने से किसी द्रव का वाष्ट दाब कम क्यों हो जाता है?`?
  • 4 द्रव का वाष्प में बदलना क्या कहलाता है?
  • 5 कम दाब तथा उच्च ताप पर जल का वाष्पीकरण तेजी से क्यों होता है?
  • 6 किसी तरल का वाष्प में बदलने की प्रक्रिया क्या कहलाती है?

वाष्प दाब से आप क्या समझते है?

इसे सुनेंरोकेंपरिभाषा – किसी निश्चित ताप पर साम्यावस्था में द्रव की सतह पर वाष्प द्वारा लगाया गया दाब उस द्रव का वाष्प दाब(vapour pressure in hindi) कहलाता है। साम्यावस्था(Equilibrium) – जब किसी पात्र में द्रव को रखकर पात्र को बंद कर दिया जाता है तब द्रव वाष्प बनकर द्रव से बाहर निकलने लगता है।

वाष्प दाब के अपेक्षित और नमन से क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंजब कोई अवाष्पशील पदार्थ किसी शुद्ध विलायक में मिश्रित कर दिया जाता है तो विलायक के वाष्पदाब में कमी आ जाती है। जिसे वाष्पदाब में आपेक्षिक अवनमन (relative lowering vapour pressure in hindi) कहते हैं। वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन एक अणुसंख्यक गुणधर्म है।

ग किसी अवाष्पशील पदार्थ के मिलाने से किसी द्रव का वाष्ट दाब कम क्यों हो जाता है?`?

इसे सुनेंरोकेंकिसी द्रव या विलायक में अवाष्पशील पदार्थ मिलाने पर द्रव के अणुओं की यह निर्गामी प्रवृत्ति घट जाती है; क्योंकि विलेय पदार्थ द्रव के अणुओं पर एक प्रकार का अवरोध उत्पन्न करता है; अत: द्रव का वाष्प दाब घट जाता है; इसलिए विलयन का वाष्प दाब विलायक के वाष्प दाब से सदा कम रहता है।

वाष्पन की गुप्त ऊष्मा क्या है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : किसी पदार्थ के एक किलोग्राम को इसके क्वथनांक पर द्रव अवस्था से गैसीय अवस्था में बदलने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को ही वाष्पन की गुप्त ऊष्मा कहते है। उदाहरण : जल की वाष्पन की गुप्त ऊष्मा 2260 kJ/kg होता है।

किसी पदार्थ को द्रव में डालने से क्या बनता है?

इसे सुनेंरोकेंअधिक घुला हुआ ठोस उससे कभी भी निकल कर अलग हो जा सकता है। घुलनेवाले पदार्थ को विलेय (solute) और घुलानेवाले पदार्थ को विलयाक (solvent) कहते हैं। जब गैसें या कोई ठोस किसी द्रव में घुलता है, तब द्रव को विलायक एवं गैस या ठोस को विलेय कहते हैं।

द्रव का वाष्प में बदलना क्या कहलाता है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : द्रव का वाष्प में बदलने की क्रिया को “वाष्पीकरण” कहते है।

कम दाब तथा उच्च ताप पर जल का वाष्पीकरण तेजी से क्यों होता है?

इसे सुनेंरोकेंताप बढ़ने पर अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है तथा कम दाब पर द्रव के अनु सुगमता से पृष्ठ छोड़ सकते हैं। अतः कम दाब तथा उच्च ताप पर वाष्पीकरण तेजी से हो जाता है।

किसी तरल का वाष्प में बदलने की प्रक्रिया क्या कहलाती है?

इसे सुनेंरोकेंरसायन विज्ञान में द्रव से वाष्प में परिणत होने कि क्रिया ‘वाष्पीकरण’ कहलाती है। धरती के मौजूद किसी तत्त्व या यौगिक का द्रव अवस्था से गैस अवस्था में परिवर्तन ही वाष्पीकरण (Vaporization या vaporisation) कहलाता है।

वाष्प दाब के आपेक्षिक अवनमन से आप क्या समझते हैं?

विलयन के वाष्प दाब में अवनमन एवं शुद्ध विलायक के वाष्पदाब के अनुपात को वाष्पदाब में आपेक्षिक अवनमन कहते है। वाष्प दाब में आपेक्षिक अवनमन के लिए राउल्ट का नियम : किसी अवाष्पशील एवं विद्युत अनअपघट्य ठोस विलेय पदार्थ को शुद्ध विलायक में घोलने पर विलायक के वाष्प दाब का आपेक्षिक अवनमन विलेय की मोल भिन्न के बराबर होता है।

वाष्प दाब से आप क्या समझते हैं?

वाष्प दाब या साम्यावस्था वाष्प दाब, एक वाष्प जो उसके गैर वाष्प चरण के साथ साम्यावस्था मे हो, का दाब होता है। सभी द्रवों और ठोसों की अपनी अवस्था से गैस अवस्था और हर गैस की अपनी अवस्था से वापस मूल अवस्था (द्रव या ठोस अवस्था) में संधनित होने की प्रवृति होती है।

वाष्प दाब में अवनमन की सहायता से विलेय का अणुभार कैसे ज्ञात किया जाता है?

Solution : अवाष्पशील विलेय ठोस के लिए विलयन का आपेक्षिक वाष्प दाब अवनमन, विलेय की मोल भिन्न के समान होता है <br> `(P_(A)^(0) - P_(A))/P_(A)^(0) = x_(B)` <br> `x_(B) = n_(B)/(n_(A)+n_(B)) = (W_(B)/M_(B))/(W_(A)/M_(A) + W_(B)/M_(B))` <br> यहाँ `n_(B)` = विलेय के मोलों की संख्या, `n_(A)` = विलायक के मोलों की संख्या है एवं ...