रोहिणी कब से लग रही है? - rohinee kab se lag rahee hai?

रोहिणी नक्षत्र के बारे में :
रोहिणी नक्षत्र को वृष राशि का मस्तक कहा गया है। इस नक्षत्र में तारों की संख्या 5 है। भूसे वाली गाड़ी जैसी आकृति का यह नक्षत्र फरवरी के मध्य भाग में मध्याकाश में पश्चिम दिशा की तरफ रात को 6 से 9 बजे के बीच दिखाई देता है। यह कृत्तिका नक्षत्र के पूर्व में दक्षिण भाग में दिखता है।

नक्षत्रों के क्रम में चौथे स्थान पर आने वाला नक्षत्र वृष राशि के 10 डिग्री-0'-1'' से 23 डिग्री-20'-0'' के बीच है। किसी भी वर्ष की 26 मई से 8 जून तक के 14 दिनों में इस नक्षत्र से सूर्य गुजरता है। इस प्रकार रोहिणी के प्रत्येक चरण में सूर्य लगभग साढ़े तीन दिन रहता है।

रोहिणी नक्षत्र की प्रमुख बातें :

* रोहिणी के देवता ब्रह्माजी हैं,

* इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है,


* योग- सौभाग्य,

* जाति- स्त्री,

* स्वभाव से शुभ,

* रोहिणी की पहचान उसकी विशाल आंखें हैं,

* वर्ण- शूद्र है और उसका विंशोतरी दशा स्वामी ग्रह चंद्र है,

* रोहिणी नक्षत्र किसी भी स्थान के मध्यवर्ती प्रदेश को संकेत करता है। इस कारण किसी भी स्थल के मध्य भाग के प्रदेश में बनने वाली घटनाओं या कारणों के लिए रोहिणी में होने वाले ग्रहाचार को देखा जाना चाहिए।

पुराण कथा : रोहिणी चंद्र की 27 (सत्ताईस) पत्नियों में सबसे सुंदर, तेजस्वी, सुंदर वस्त्र धारण करने वाली है। ज्यों-ज्यों चंद्र रोहिणी के पास जाता है, त्यों-त्यों उसका रूप अधिक खिल उठता है। चंद्र के साथ एकाकार होकर छुप भी जाती है। रोहिणी चंद्रमा की सुंदर पत्नी है।

कैसा हैं रोहिणी का स्वरूप : रोहिणी जातक सुंदर, शुभ्र, पति प्रेम, संपादन करने वाले, तेजस्वी, संवेदनशील, संवेदनाओं से जीते जा सकने वाले, सम्मोहक तथा सदा ही प्रगतिशील होते हैं। मुंह, जीभ, तलवा, गर्दन और गर्दन की हड्डी और उसमें आने वाले अवयव इसके क्षेत्र हैं।

* इस नक्षत्र के जातक पतले, स्वार्थी, झूठे, सामाजिक, मित्राचार वाले, दृढ़ मनोबल वाले, बुद्धिशाली, पद-प्रतिष्ठा वाले, रसवृत्ति वाले, सुखी, संगीत कला इत्यादि ललित कलाओं में रस रखने वाले, देव-देवियों में आराध्य वाले मिलते हैं।

* जातक मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं। एजेंट्स, जज, फैंसी आइटमों के व्यापारी, जमीन, खेती, राजकीय प्रवृत्तियों द्वारा, साहित्य आदि से धन-वैभव और सत्ता प्राप्त करते हैं।

* जिस स्त्री का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ हो वह स्त्री सुंदर, सावधान, पवित्र, पति की आज्ञाकारिणी, माता-पिता की भक्त और सेवाभावी पुत्र-पुत्रियों से युक्त, ऐश्वर्यवान होती है।

* रोहिणी शुभ ग्रहों से युक्त या संबंधित होने के कारण नक्षत्र सूचित अंग, उपांग तथा मुंह, गले, जीभ, गर्दन, गर्दन के मणके के रोगों का प्रभाव होता है।

Nautapa 2022: प्रतिवर्ष ग्रीष्म ऋतु में नौतपा प्रारंभ होता है। इस बार नौतपा 25 मई 2022 बुधवार से प्रारंभ होगा। नौतपा की 10 खास बातें याद रखेंगे तो इससे बचकर रहेंगे।

1. सूर्य रोहिणी नक्षत्र में गोचर करने लगता है तब नौतपा प्रारंभ होता है। 15 दिनों के लिए सूर्य रोहिणी नक्षत्र में रहता है इस दौरान धरती का तापमान तेजी से बढ़ने लगता है। इन पंद्रह दिनों के पहले के 9 दिन सर्वाधिक गर्मी वाले होते हैं। इन्हीं शुरुआती नौ दिनों को नौतपा के नाम से जाना जाता है।

2. सूर्य 25 मई बुधवार को 8 बजकर 16 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा जहां वह 8 जून की सुबह 6 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। इस बार सूर्य रोहिणी में 14 दिन तक ही रहेगा।

3. नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर प्रभाव डालती है। इससे प्रचंड गर्मी होती है तो मानसून में अच्छी बारिश होने के आसार बनते हैं।

4. मान्यता है कि यदि इन नौ दिनों के दौरान ही बारिश होने लगे तो इसे नौपता का गलना माना जाता है। फिर अच्छे मानसून की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। कई ज्योतिषी मानते हैं कि यदि नौतपा के सभी दिन पूरे तपें, तो यह अच्छी बारिश का संकेत होता है।

5. ज्योतिषियों का मानाना है कि इस बार शुरुआती 6 दिनों में गर्मी के साथ ही उमस भी बहुत रहेगी। नौ दिन में से अंतिम 3 दिन हवाएं खूब तेज चलेगी। कहीं-कहीं मध्यम बारिश की संभावना है तो कहीं बौछारें भी हो सकती है। इस बार मानसून अच्‍छा होगा।

रोहिणी कब से लग रही है? - rohinee kab se lag rahee hai?

6. नौतपा के दौरान किसी भी स्थिति में बगैर कुछ खाए पिए घर से न निकलें। खुले शरीर बाहर न निकलें, टोपी पहने, कानों को ढंककर रखें और आंखों पर धूप का चश्मा जरूर लगाएं। ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। जिससे पसीना आकर शरीर का तापमान नियमित निर्धारित हो सके तथा शरीर में जल की कमी न हो। एसी से निकलते ही एकदम धूप या गर्मी में न जाएं।

7. प्रतिदिन प्याज खाएं और साथ में भी रखें। अधिक गर्मी में मौसमी फल, फलों का रस, दही, मठ्ठा, जीरा छाछ, जलजीरा, लस्सी, आम का पना पिएं या आम की चटनी खाएं। हल्का व शीघ्र पचने वाला भोजन करें। तली हुई या मसालेदार चीज़ों से दूर रहें, यह आपका पेट खराब कर सकती हैं।

8. नरम, मुलायम, सूती कपड़े पहनें जिससे हवा और कपड़े शरीर के पसीने को सोखते रहे।

9. इन सबके अलावा समय-समय पर आवश्यकता के अनुसार ग्लुकोज का सेवन करते रहें और अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल अनावश्यक न करें।

10. लू लगने के क्या लक्षण होते हैं यह पहले से ही जान लें। लू लगने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

हिंदी न्यूज़ धर्मSurya Nakshtra Parivartan 2022: सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में गोचर 25 मई 2021 को, जानें क्या परिवर्तन लाएगा यह गोचर

सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में होकर वृष राशि के 10 से 20 अंश तक रहता है तब नौतपा होता है। इन दिनों सूर्य पृथ्वी के सबसे करीब होता है। इस नक्षत्र में सूर्य करीब 15 दिनों तक रहेगा, लेकिन शुरुआती नौ दिनों म

रोहिणी कब से लग रही है? - rohinee kab se lag rahee hai?

Anuradha Pandeyकार्यालय संवाददाता,मेरठ।Wed, 11 May 2022 06:40 AM

सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में होकर वृष राशि के 10 से 20 अंश तक रहता है तब नौतपा होता है। इन दिनों सूर्य पृथ्वी के सबसे करीब होता है। इस नक्षत्र में सूर्य करीब 15 दिनों तक रहेगा, लेकिन शुरुआती नौ दिनों में गर्मी बहुत बढ़ जाती है। इसलिए इन नौ दिनों के समय को ही नौतपा कहा जाता है। इसलिए नौतपा 25 मई से 3 जून तक रहेगा।

ज्योतिषाचार्य भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के केंद्र समन्वयक आचार्य मनीष स्वामी बताते हैं कि सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में गोचर 25 मई 2021 को प्रात: 8.46 बजे से प्रारंभ होगा। सूर्य लगभग प्रत्येक 15 दिनों में एक नक्षत्र का भोग कर लेता है लेकिन रोहिणी नक्षत्र में इसके भ्रमण को नौतपा कहा जाता है। क्योंकि इस नक्षत्र में जब सूर्य आता है तो पृथ्वी के ताप में वृद्धि होती है। सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 8 जून को प्रात: 6.40 बजे तक रहेंगे। उसके बाद मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे। इस संपूर्ण भ्रमणकाल के प्रारंभिक नौ दिन अत्यधिक गर्मी वाले रहते हैं इसलिए इसे नौतपा कहा जाता है।

अच्छी बारिश के संकेत

आचार्य मनीष स्वामी बताते हैं कि सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में परिभ्रमण काल 14 दिन का रहेगा। यह समय आगामी वर्षा ऋतु के चक्र को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस वर्ष मेष संक्रांति के प्रवेश समय पर चंद्र नक्षत्र भरणी होने से रोहिणी का वास समुद्र तट पर है- तटे वृष्टि सुशोभना:। रोहिणी का वास समुद्र तट पर तथा समय का वास रजक के घर होगा। यह स्थिति वर्षा ऋतु में उत्तम वृष्टि का संकेत दे रही है। इस बार 80 फीसद से अधिक बारिश होने के योग बन रहे हैं।

नौतपा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

खगोल विज्ञान के अनुसार नौतपा सूर्य की देवता के रूप में पूजा की जाती है, केवल ज्योतिष में ही नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक मान्यता भी प्राप्त है । वैज्ञानिक मतानुसार नौतपा की अवधि के दौरान सूर्य की किरणें सीधी पृथ्वी पर आती है। इस कारण तापमान बढ़ता है। अधिक गर्मी के कारण मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है जो समुद्र की लहरों को आकर्षित करता है। इस कारण ठंडी हवाएं मैदानों की ओर बढ़ती है। चूंकि समुद्र उच्च दबाव वाला क्षेत्र होता है इसलिए हवाओं का यह रुख अच्छी बारिश का संकेत देता है।

रोहिणी कब से लग रही है? - rohinee kab se lag rahee hai?

रोहिणी नक्षत्र 2022 में कब है?

रोहिणी नक्षत्र शुक्रवार 20 अगस्त 1:52 बजे लगेगा जो 21 अगस्त को सुबह 4:39 तक रहेगा।

रोहिणी नक्षत्र कब आता है 2023?

बुधवार, 04 जनवरी 2023 यह व्रत रोहिणी नक्षत्र के दिन किया जाता हैं। इसलिए इसे व्रत को रोहिणी व्रत कहा जाता है। रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने पर रोहिणी व्रत का पारण किया जाता है। रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने के बाद मार्गशीर्ष नक्षत्र आता है।

रोहिणी कौन से महीने में आती है?

किसी भी वर्ष की 26 मई से 8 जून तक के 14 दिनों में इस नक्षत्र से सूर्य गुजरता है। इस प्रकार रोहिणी के प्रत्येक चरण में सूर्य लगभग साढ़े तीन दिन रहता है। * रोहिणी नक्षत्र किसी भी स्थान के मध्यवर्ती प्रदेश को संकेत करता है।

2022 में नौतपा कब से चालू होगा?

Nautapa 2022: नौतपा हर साल गर्मी के मौसम में आता है. इस बार नौतपा 25 मई से 2 जून तक है.