सत्यनारायण की कथा कब नहीं करनी चाहिए? - satyanaaraayan kee katha kab nahin karanee chaahie?

सत्य ही भगवान हैं और नारायण सबसे बड़े आराध्य हैं। सत्यनारायण का व्रत उत्तर भारत में कई घरों में किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के नारायण रूप की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि हर महीने की पूर्णिमा को सत्यनारायण की पूजा करने का विधान है। इस बार यह तिथि 8 फरवरी यानी आज है। सनातनी हिंदुओं के यहां कोई भी पुण्यकार्य का अवसर होने पर सबसे पहले घरो में सत्यनारायण की कथा करने की परंपरा पिछले कई सालों से चली आ रही है। जो लोग रामायण या भागवत कथा जैसे लंबे आयोजन करने में समर्थ नहीं होते हैं, वे सत्यनारयण की कथा कर लेते हैं।

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श्री सत्यनारायण व्रत पूजा विधि
श्री सत्यनारायण की कथा को एकादशी या पूर्णिमा के दिन किया जाता है। इस व्रत के पीछे मूल उद्देश्य सत्य की पूजा करना है। इस व्रत में भगवान शालिग्राम का पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाले उपासक को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान सत्यनारायण का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। उसके बाद सूर्यदेव को नमस्कार कर संकल्प लें कि मैं अपने सभी कष्टों को दूर करने के निमित्त और पापों से मुक्ति पाने के उद्देश्य से यह व्रत कर रहा हूं। इस संकल्प के बाद पत्र, पुष्प आदि से सूर्य का पूजन करना चाहिए। पूरा दिन निराहार रहकर सायंकाल में भगवान विष्णु का पूजन, अर्चन और स्तवन करें। इस दिन किसी योग्य पंडित से सत्यनारायण की कथा का श्रवण करना चाहिए। फिर भगवान शालिग्राम का अभिषेक, पूजन और अर्चन कर अपने सामर्थ्य के अनुसार दान आदि देना चाहिए।

श्री सत्यनारायण व्रत कथा
एक बार ऋषि नारद ने भगवान विष्णु से पूछा कि भगवन्, इस मृत्युलोक में हर मानव दुखी प्रतीत होता है। क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे इन मनुष्यों के सभी कष्ट दूर हो जाएं। भगवान नारायण ने नारद से कहा कि वत्स, न केवल मृत्युलोक में अपितु स्वर्ग लोक में भी एक ऐसा व्रत है जिससे सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। नारायण ने बताया कि श्री सत्यनारायण का व्रत विधि विधान के साथ करने से सुख की प्राप्ति होती है और मनुष्य को सद्गति मिलती है। सत्य को जो भी उपासक भगवान समझकर व्रत के रूप में इसका पालन करता है, उसे सभी लौकिक सुखों की अनुभूति होती है।

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श्री सत्यनारायणजी की आरती
जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
सत्यनारायण स्वामी, जन-पातक-हरणा॥ जय लक्ष्मी… ॥

रत्न जड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि राजे।
नारद करत नीराजन, घंटा वन बाजे॥ जय लक्ष्मी… ॥

प्रकट भए कलि कारण, द्विज को दरस दियो।
बूढ़ो ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो॥ जय लक्ष्मी… ॥

दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी।
चंद्रचूड़ एक राजा, तिनकी बिपति हरी॥ जय लक्ष्मी…॥

वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्हीं।
सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर स्तुति किन्हीं॥ जय लक्ष्मी…॥

भाव-भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धर्‌यो।
श्रद्धा धारण किन्ही, तिनको काज सरो॥ जय लक्ष्मी…॥

ग्वाल-बाल संग राजा, बन में भक्ति करी।
मनवांछित फल दीन्हों, दीन दयालु हरि॥ जय लक्ष्मी…॥

चढ़त प्रसाद सवायो, कदली फल मेवा।
धूप-दीप-तुलसी से, राजी सत्यदेवा॥ जय लक्ष्मी..॥

सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे।
तन-मन-सुख-संपति मनवांछित फल पावै॥ जय लक्ष्मी…॥

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अगर आप भी घर में सुख समृद्धि बनाए रखना चाहती हैं तो सत्यनारायण की कथा आपके लिए विशेष रूप से फलदायी है। जानें इसके महत्व के बारे में   

हिंदू धर्म में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। खासतौर पर जब आप किसी विशेष अवसर पर विष्णु जी का पूजन पूरी श्रद्धा भाव से करते हैं तब विष्णु भगवान की विशेष कृपा दृष्टि प्राप्त होती है। इसलिए मुख्य रूप से महीने की एकादशी, बृहस्पतिवार और पूर्णिमा तिथि को विष्णु जी का पूजन किया जाता है। इसी पूजन के दौरान लोग सत्यनारायण की कथा भी पढ़ते और सुनते हैं। पुराणों में सत्यनारायण व्रत कथा का बहुत ज्यादा महत्व बताया गया है।

ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस कथा को सुनते हैं उनकी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। भगवान सत्यनारायण को भगवान विष्णु जी का ही रूप माना जाता है। शास्त्रों में सत्यनारायण की पूजा का अर्थ है सत्य की नारायण के रूप में पूजा करना। किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले जैसे शादी के पहले या बाद या फिर मनोकामनाएं पूरी होने के बाद सत्यनारायण भगवान की पूजा की जाती है। भगवान सत्यनारायण का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है। स्कन्द पुराण में भगवान विष्णु ने नारद को इस व्रत का महत्व बताया है। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें घर में सत्यनारायण की कथा कराने के फायदों और इसके नियमों के बारे में। 

सत्यनारायण भगवान की कथा के नियम

यदि आप घर मन सत्यनारायण जी की कथा करती हैं तो यह आपके लिए कई तरह से फायदेमंद हो सकता है। सत्यनारायण कथा का पाठ और वाचन मन में शांति जगाता है और श्रद्धा का भाव जगाता है। लेकिन इस कथा के लिए आप कुछ नियमों का पालन जरूर करें जिससे विष्णु जी की पूर्ण कृपा दृष्टि प्राप्त हो सके। आइए जानें सत्यनारायण भगवान की कथा के नियम। 

केले के पत्तों का मंडप

सत्यनारायण की कथा कब नहीं करनी चाहिए? - satyanaaraayan kee katha kab nahin karanee chaahie?
 

सत्यनारायण भगवान का पूजन करने के लिए केले के पत्तों का मंडप बनाएं एक चौकी ले लें। उसमे लाल कपड़ा बिछा दें। लाल कपड़े की जगह आप केले के पत्तों का ही प्रयोग कर सकती हैं। चौकी पर केले का पत्ता बिछाएं। उस पत्ते पर सत्य नारायण भगवान की तस्वीर, गणेश जी की प्रतिमा एवं कलश रखें। 

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कलश की करें पूजा 

सत्यनारायण कथा में कलश का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन कलश स्थापना करके उसकी पूजा की जाती है। सत्यनारायण कथा में सबसे पहले कलश की करें, फिर गणेश जी की, उसके बाद सत्य नारायण देव की पूजा कर कथा की शुरुआत करनी चाहिए। इस पूजन में कलश एवं एक नारियल जरूर रखें। ऐसा माना जाता है कि नारियल का फल श्री फल होता है इसलिए यह लक्ष्मी जी का फल माना जाता है जो विष्णु जी को अत्यंत पसंद होता है। 

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पंचामृत और पंजीरी का प्रसाद 

भगवान के भोग के लिए पंजीरी, पंचामृत, केला और तुलसी अवश्य रखें। सत्यनारायण की पूजा (सत्यनारायण पूजा में इस तरह करें मंदिर का डेकोरेशन) में केले का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन पंचामृत के रूप में दही में मेवे मिलाकर भोग तैयार करें और उसी से विष्णु विष्णु जी को स्नान कराएं और भोग लगाएं। केले को इस कथा में मुख्य माना जाता है क्योंकि  इस पर गुरु ग्रह का प्रभाव होता है जो विष्णु स्वरूप ही है। इसलिए केले का फल भगवान सत्यनारायण को पसंद है। इस पूजा में केले का फल अवश्य चढ़ाया जाना चाहिए। 

शालिग्राम की पूजा करें 

सत्यनारायण की पूजा में शालिग्राम की पूजा भी अवश्य होती है उन्हें दूध से नहलाया जाता है। दूध और केले से प्रसाद बनाया जाता है। व्यावहारिक दृष्टि से दूध शुद्ध और सात्विक होता है। इस दिन चावल का प्रयोग नहीं होता है और इस दिन गेहूं का दान करना अच्छा होता है।

सत्यनारायण कथा का महत्व और लाभ 

सत्यनारायण की कथा कब नहीं करनी चाहिए? - satyanaaraayan kee katha kab nahin karanee chaahie?

इनकी पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि व्रत करने से भगवान विष्णु हमारे सारे कष्टों को हर लेते है। घर की शांति और सुख- समृद्धि के लिए भगवान सत्यनारायण की पूजा विशेष लाभकारी होती है। यह पूजा विवाह के लिए और वैवाहिक जीवन (सुखी दांपत्य जीवन के उपाय)को सफल बनाने के लिए भी लाभकारी है। विवाह के पहले और बाद में सत्यनारायण की पूजा करना काफी शुभ होता है। लंबी आयु एवं अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी सत्यनारायण जी की कथा और पूजा करना विशेष लाभकारी होता है। सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने के लिए परिवार के साथ- साथ अन्य भक्तों को भी शामिल करें। इससे जीवन में सुख -समृद्धि आती है। इसके साथ ही आप जितने ज्यादा लोगों में कथा का प्रसाद वितरण करती हैं ये उतना ही ज्यादा लाभकारी होता है। 

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किस दिन करें सत्यनारायण कथा 

सत्यनारायण की कथा में यह बताया गया है कि सत्य का जीवन में कितना महत्व है। सत्य का पालन न करने पर किस तरह की समस्या आ सकती है। इसलिए जीवन में सत्य का पालन पूरी निष्ठा से निभाना चाहिए। मुख्य रूप से सत्यनारायण भगवान की कथा और पूजा हर महीने की पूर्णिमा तिथि को करने से विष्णु जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। वैसे गुरुवार के दिन भी भगवान सत्यनारायण की कथा करना फलदायी माना जाता है। 

यदि आप भी घर में सुख समृद्धि चाहती हैं तो सत्यनारायण की कथा अवश्य कराएं। लेकिन इस कथा को पूरी श्रद्धा भाव से नियमों का पालन करते हुए करना ज्यादा लाभकारी माना जाता है। 

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Image Credit: Freepik

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सत्यनारायण की कथा कौन से दिन करनी चाहिए?

श्री सत्यनारायण की कथा को एकादशी या पूर्णिमा के दिन किया जाता है। इस व्रत के पीछे मूल उद्देश्य सत्य की पूजा करना है। इस व्रत में भगवान शालिग्राम का पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाले उपासक को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान सत्यनारायण का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए

सत्यनारायण भगवान की पूजा कब करनी चाहिए?

प्रायः पूर्णमासी को इस कथा का परिवार में वाचन किया जाता है। अन्य पर्वों पर भी इस कथा को विधि विधान से करने का निर्देश दिया गया है। इनकी पूजा में केले के पत्ते व फल के अतिरिक्त पंचामृत, पंचगव्य, सुपारी, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, दूर्वा की आवश्यकता होती जिनसे भगवान की पूजा होती है।

क्या हम किसी भी दिन सत्यनारायण पूजा कर सकते हैं?

सत्यनारायण पूजा किसी भी दिन किसी भी कारण से की जा सकती है। यह किसी भी उत्सव तक सीमित पूजा नहीं है, लेकिन पूर्णिमा (पूर्णिमा का दिन) इस पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस पूजा को शाम के समय करना अधिक उचित माना जाता है।

सत्यनारायण की कथा कब करनी चाहिए 2022?

प्रत्येक माह की पूर्णिमा तिथि को सत्यनारायण व्रत रखा जाता है, लेकिन कभी-कभी यह व्रत चतुर्दशी तिथि में भी रखा जाता है क्योंकि चन्द्रोदय कालिक एवं प्रदोषव्यापिनी पूर्णिमा ही व्रत के लिए ग्रहण करनी चाहिए.