NCERT Solutions for Class 9 Hindi Chapter 8 रहीम are provided here with simple step-by-step explanations. These solutions for रहीम are extremely popular among class 9 students for Hindi रहीम Solutions come handy for quickly completing your homework and preparing for exams. All questions and answers from the NCERT Book of class 9 Hindi Chapter 8 are provided here for you for free. You will also love the ad-free experience on Meritnation’s NCERT Solutions. All NCERT Solutions for class 9 Hindi are prepared by experts and are 100% accurate. Show View NCERT Solutions for all chapters of Class 9 रहीम का जन्म लाहौर (अब पाकिस्तान) में 1556 ई. में हुआ था। उनके पिता बैरम खान हुमायूँ के सबसे भरोसेमंद प्रमुखों में से एक थे। हुमायूँ की मृत्यु के बाद, बैरम खान ने तेरह वर्षीय अकबर का राज्याभिषेक किया। अब्दुर्रहीम खानखाना अपनी रचनाओं के कारण आज भी जीवित हैं। अकबर के नवरत्नों में वे अकेले ऐसे रत्न थे जिनका कलम और तलवार पर समान अधिकार था। रहीम का जीवन परिचय पढ़े।
अर्थ: रहीम के दोहे जब चीजें गलत हो जाती हैं, तो वह काम नहीं करती, भले ही कोई बहुत कोशिश करे। जैसे दूध को पीटने से मक्खन नहीं निकलता। अर्थात मनुष्य को सोच समझकर व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि यदि किसी कारणवश कुछ बिगड़ जाता है तो ऐसा करना कठिन होता है, क्योंकि एक बार दूध टूट जाने पर बहुत प्रयास करने के बाद भी मक्खन का माखन नहीं हो पाएगा।
अर्थ: जैसे ही कोई कुछ मांगता है, आंखों का मान, सम्मान और प्यार चला जाता है।मांगने वाले व्यक्ति का अभिमान चला गया, उसकी इज्जत चली गई, और उसकी आँखों से प्यार की भावना चली गई। ये तीनों तब चले गए जब उन्होंने कहा कि यह कुछ देता है, यानी जब भी आप किसी से कुछ मांगते हैं। यानी भिक्षा मांगना अपने आप को अपनी ही नजरों से गिरा देना है, इसलिए कभी भीख मांगने जैसा कोई काम न करें। पढ़े कबीर के दोहे
अर्थ: रहीम दास जी कहते है खीरा को सिर से काटकर नमक लगाना चाहिए। अगर किसी के मुंह से कड़वी आवाज निकले तो उसे भी उसी तरह सजा मिलनी चाहिए।
अर्थ: रहीम दास जी कहते है जो कुछ नहीं चाहता वह राजाओं का राजा है। क्योंकि उन्हें कुछ नहीं चाहिए, उन्हें परवाह नहीं है और मन पूरी तरह से लापरवाह है।
अर्थ: रहीम दास जी कहते है जो लोग गरीबों का भला करते हैं वे सबसे बड़े होते हैं। सुदामा कहते हैं, कृष्ण के साथ दोस्ती भी एक आध्यात्मिक अभ्यास है।
अर्थ: रहीम दास जी कहते है दीपक के किरदार की तरह एक बेटे का किरदार भी कुछ ऐसा ही है। दोनों पहले प्रकाश प्रदान करते हैं, लेकिन जैसे-जैसे वे बढ़ते हैं, अंधेरा होता जाता है। Rahim Ke Dohe In Hindi 11 से 20रहीम के दोहे और उनका अर्थ rahim ke dohe with meaning
अर्थ: रहीम दास जी कहते है बड़े को देखते समय छोटों को बाहर नहीं निकालना चाहिए। क्योंकि जहां काम छोटा है वहां कुछ भी बड़ा नहीं किया जा सकता है। तलवार सुई के काम को कैसे कर सकती है ।
अर्थ: रहीम दास जी कहते है जब लोग छोटे उद्देश्यों के लिए महान कार्य करते हैं, तो उनकी प्रशंसा नहीं होती है। जब हनुमान जी ने तोधोलागिरी को उठाया तो उन्हें ‘गिरिधर’ नहीं कहा गया क्योंकि वे राज्य में पहाड़ लाए थे, लेकिन जब श्री कृष्ण ने पहाड़ उठाया, तो उन्हें ‘गिरिधर’ कहा गया, क्योंकि उन्होंने सभी की रक्षा के लिए पहाड़ उठाया था।
अर्थ: रहीम दास जी कहते है माली को आते देख कलियाँ कहती हैं कि आज उसने फूल चुन लिए, लेकिन कल हमारी भी बारी आएगी, क्योंकि कल हम भी खिलेंगे और फूल बनेंगे।
अर्थ: रहीम दास जी के अनुसार एक को साधने से सब सधते हैं। सब को साधने से सभी के जाने की आशंका रहती है। वैसे ही जैसे किसी पौधे के जड़ मात्र को सींचने से फूल और फल सभी को पानी प्राप्त हो जाता है और उन्हें अलग-अलग सींचने की जरूरत नहीं होती है।
अर्थ: रहीम दास जी कहते है जो व्यक्ति किसी से कुछ माँगने जा रहा है, वह मर चुका है, लेकिन उससे पहले वे लोग जिनका मुँह से नहीं निकलता है, वे मर जाते हैं। पढ़े सूरदास के पद
अर्थ: रहीम दास जी कहते है कुछ दिन रहने वाली विपदा अच्छी होती है। क्योंकि इसी दौरान यह पता चलता है कि दुनिया में कौन हमारा हित या अनहित सोचता है। रहीम के दोहे अर्थ सहित Rahim ke Dohe with meaning
अर्थ: रहीम दास जी कहते है खजूर के पेड़ की भाँति बड़े होने का कोई फायदा नहीं है। खजूर के रूप में यह बहुत बड़ा होता है, लेकिन इसका फल इतना दूर होता है कि इसे तोड़ना मुश्किल होता है।
अर्थ: रहीम दास जी कहते है अपने दुख को अपने मन में ही रखनी चाहिए। दूसरों को सुनाने से लोग सिर्फ उसका मजाक उड़ाते हैं परन्तु दुख को कोई बांटता है।
रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर। जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर॥ अर्थ : रहीम दास जी कहते है जब बुरे दिन आए तो चुप बैठ जाना चाहिए, क्योंकि अच्छे दिन आने पर बात बनते देर नहीं लगती।
अर्थ : रहीम दास जी कहते है मन से अहंकार को दूर कर कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे सुनने में दूसरों को भी खुशी मिले और उन्हें भी खुशी मिले।
अर्थ: रहीम दास जी कहते है जब तक मन, मोती, फूल, दूध और रस सरल और सामान्य रहते हैं, वे अच्छे लगते हैं, लेकिन एक बार फटने और लाखों उपाय करने के बाद, वे कभी भी अपने प्राकृतिक रूप में नहीं लौटते। Rahim Ke Dohe In Hindi 21 से 30
भावार्थ : रहीम दास जी कहते है नीच विचारों वाले लोगों से न तो प्रेम और न ही शत्रुता अच्छी होती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई कुत्ता काटता या चाटता है, तो दोनों को विरोधी नहीं माना जाता है।
अर्थ : प्रेम का धागा कभी नहीं टूटना चाहिए क्योंकि एक बार टूट जाने पर वह जुड़ता नहीं और बंधा भी तो गांठ बन ही जाता है। अर्थात पहले जैसे सम्भन्ध नहीं रह जाते पढ़े तुलसीदास के दोहे
अर्थ: इस दोहे में रहीम ने पानी को तीन अर्थों में प्रयोग किया है। पानी का पहला अर्थ मनुष्य के संदर्भ में है जब इसका मतलब विनम्रता से है। रहीम कह रहे हैं कि मनुष्य में हमेशा विनम्रता (पानी) होना चाहिए। पानी का दूसरा अर्थ आभा, तेज या चमक से है जिसके बिना मोती का कोई मूल्य नहीं। पानी का तीसरा अर्थ जल से है जिसे आटे (चून) से जोड़कर दर्शाया गया है। रहीम का कहना है कि जिस तरह आटे का अस्तित्व पानी के बिना नम्र नहीं हो सकता और मोती का मूल्य उसकी आभा के बिना नहीं हो सकता है, उसी तरह मनुष्य को भी अपने व्यवहार में हमेशा पानी (विनम्रता) रखना चाहिए जिसके बिना उसका मूल्यह्रास होता है।
अर्थ रहीम कहते हैं धन्य हैं वे पुरुष जो दूसरों पर उपकार करते हैं। उन पर रंग उसी तरह निकलता है जैसे मेहंदी बांटने वाले को अलग से रंग लगाने की जरूरत नहीं पड़ती।
अर्थ रहीम कहते हैं कि किसी बड़ी वस्तु को देखकर छोटी वस्तु को नहीं फेंकना चाहिए। जहा एक छोटे सी सुई उपयोगी है, एक गरीब तलवार क्या कर सकती है
रहीम के अनुसार बड़े को छोटा कहने से बड़े का बड़प्पन नहीं घटता, क्योंकि गिरिधर (कृष्ण) को मुरलीधर कहने से कृष्ण की महिमा में नहीं घट जाती है।
अर्थ रहीम के अनुसार शरीर को सुख और दुख सहना चाहिए क्योंकि इस भूमि पर सर्दी, गर्मी और बारिश तीन मौसम की मार पड़ती है
अर्थ रहीम के अनुसार कौए और कोयल के रंग एक जैसे होते हैं। लेकिन उनके बोलने के गुणों मे अंतर होता है
अर्थ रहीम के अनुसार मन की उदासी को मन में छिपाकर रखना चाहिए। दूसरो के दुख को सुनकर भले ही लोग उसे स्वीकार कर लें लेकिन उसे बांटने से कम करने वाला कोई नहीं है पढ़े नीति के दोहे
अर्थ रहीम के अनुसार पत्थर पानी में रहकर भी नरम नहीं होता, वही मूर्ख की स्थिति होती है, ज्ञान प्राप्त करने के बाद भी उसे कुछ भी समझ में नहीं आता है। कहने कहने का अर्थ है मूर्ख ज्ञान प्राप्त करने के बाद भी मूर्खता वाली हरकते करता है Rahim Ke Dohe In Hindi 31 से 40
रहीम दास जी कहते है राम हिरण के पीछे चले गए और सीता का अपहरण कर लिया गया क्योंकि यह होना ही था – उस पर हमारा कोई नियंत्रण में नहीं होती इसलिए राम सोने के मृग के पीछे गए और सीता को लंका ले गए।
भावार्थ : यदि आपका प्रियजन सौ बार रूठ हो जाए, तब भी क्रोधित प्रियजन मनाना चाहिए, क्योंकि मोती की माला टूट जाए तो इन मोतियों को बार-बार पिरो लिया जाता है ।
अर्थ: रहीम का कहना है कि जो अच्छे स्वभाव के इंसान हैं, बुरी संगत भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। चंदन के पेड़ पर जहरीले सांपों का कोई जहरीला प्रभाव नहीं हो सकता, भले ही वह उसके चारों ओर लिपटा हो।
अर्थ:- रहीमदास जी कहते है आग धीमी गति से जलने से बुझती है और बुझने पर फिर नहीं जलती। प्रेम की आग एक ऐसी आग है जो बुझने के बाद फिर जल उठती है।
अर्थ रहीमदास जी कहते देने वाला भगवान है जो हमें दिन-रात दे रहा है। लेकिन लोग समझते हैं कि मैं दे रहा हूं, इसलिए दान देते समय मेरी आंखें अनजाने में शर्म से नीचे गिर जाती हैं।
अर्थ रहीमदास जी कहते है हृदय की गली बहुत सकरी होती है इसमें दो लोग नहीं ठहर सकते है या तो आप इसमें अहंकार को बसा ले या फिर इस्वर को
अर्थ रहीमदास जी कहते है इस दुनिया में बहुत मुश्किल है अगर आप सत्य का साथ देते है है दुनिया आप से नाराज रहेंगे अगर आप इस दुन्या में झूठ बोलते है तो आपको कभी भगवान नहीं मिलेंगे। Rahim Das ke Dohe with Meaning
अर्थ रहीमदास जी कहते है इन आँखों में काजल और सुरमा लगाना व्यर्थ है जो लोग इन आँखों में ईश्वर को बसाते है वे लोग धन्य होते है
अर्थ रहीमदास जी कहते है संकट में फंसे सांप, सबसे परेशान घोड़े, पीड़ित महिला, क्रोध की आग में जलने वाले राजा,कुटिल व्यक्ति और तेज धार वाले हथियार से हमेशा दूरी बनाकर रखनी चाहिए।इन्हे पलटे देर नहीं लगती ये आपका अहित भी कर सकते है इनसे आपको सावधान रहना चाहिए। पढ़े बिहारी के दोहे
अर्थ रहीमदास जी कहते हैजिनके पास सम्पति होती है उनके पास मित्र भी आपने आप बहुत बन जाते है लेकिन सच्चे मित्र तो वे ही हैं जो विपत्ति की कसौटी पर कसे जाने पर खरे उतरते हैं। अर्थात विपत्ति में जो साथ देता है वही सच्चा मित्र है। Rahim Ke Dohe In Hindi 41 से 50
अर्थ रहीमदास जी कहते है दो विपरीत सोच वाले व्यक्तियों की आपस में नहीं बनती हैबेर के पेड़ पर काँटे लगें तो केले का पेड़ कोमल होता है। हवा के झोंके के कारण बेर की शाखाएँ चंचलता से हिलती हैं, तो केले के पेड़ का हर हिस्सा फट जाता है।
अर्थ रहीमदास जी कहते है की समय आने पर ही फल ही फल मिलता है और समय बीत जाने पर पत्ते झड़ जाते है कहने का अर्थ है सदा एक से दिन नहीं रहते है कभी अच्छे और कभी बुरे
अर्थ रहीमदास जी कहते है इस दोहे मे पानी को तीन अर्थ है पानी का पहला अर्थ मनुष्य की विनम्रता है पानी का एक और अर्थ है आभा, चमक या चमक जिसके बिना मोती बेकार है। पानी का तीसरा अर्थ है पानी से है
अर्थ रहीमदास जी कहते है अगर आप किसी काम को लगन से करने की कोशिश करेंगे तो आप अवश्य सफल होंगे क्योकि लगन से नारायण को भी बस में भी किया जा सकता है।
अर्थ रहीमदास जी कहते है जैसे गहरे कुएँ से बाल्टी भरकर पानी निकाला जा सकता है, वैसे ही अच्छे कर्मों से किसी के भी दिल में अपने लिए प्यार पैदा किया जा सकता है रहीम के दोहे और उनके अर्थ
अर्थ रहीमदास जी कहते है तलवार लोहे अथवा लोहार की नहीं होती तलवार उस वीर की कहलाएगी जो शौर्य से शत्रु को मारकर अपना जीवन समाप्त कर लेता है।
अर्थ रहीमदास जी कहते है जहा कुछ प्राप्त हो सकता है, उससे ही कुछ अपेक्षा करना उचित है।क्योकि सूखा तलाब किसी की प्यास नहीं बुझा सकता है
अर्थ रहीमदास जी कहते है ज़रा सोचिए कि कितना जीवन बचा है और कितना व्यर्थ गया है क्योंकि माया, प्रेम और मोह संसार के क्षणिक सुख है लेकिन आध्यात्मिक सुख स्थायी सुख है
अर्थ रहीमदास जी कहते है स्वर्ग का सुख और कल्पवृक्ष की छाया नहीं चाहिए मुझे वह ढाक का पेड़ बहुत पसंद है जहां मैं अपने प्रीतम के गले में हाथ डालकर बैठ सकता हूं।
Rahim Ke Dohe In Hindi 51 से 60
अर्थ रहीमदास जी कहते है इज्जत धन से बड़ी होती है
अर्थ रहीमदास जी कहते है आँखों में एक और छवि कैसे बस सकती है जिसमें प्रिय की सुंदर छवि बसती है
अर्थ रहीमदास जी कहते है बड़े लोग अपनी बड़ाई खुद नहीं करते
अर्थ रहीमदास जी कहते है बिगड़ी हुई बात कभी नहीं बनती है जैसे फटे दूध को लाख मथकर भी मक्खन नहीं निकलता
अर्थ रहीमदास जी कहते है अगर विश्वास टूट जाता है तो उसे वापस नहीं किया जा सकता।अगर वापस रिश्ता बनता है लेकिन एक गाँठ बन जाएगी।
अर्थ रहीमदास जी कहते है गरीब भाइयों के बीच रहना अच्छा नहीं है
रहीम के दोहे अर्थ सहित (Rahim Ke Dohe)अर्थ रहीमदास जी कहते है जैसे पत्थर पानी में रहने पर भी नरम नहीं होता, जैसे मूर्ख की स्थिति होती है, ज्ञान प्राप्त करने के बाद भी उसे कुछ भी समझ में नहीं आता है।
अर्थ रहीमदास जी कहते है निच प्रवति वाले व्यक्ति का साथ छोड़ दें वह कोयले की तरह है। यह गर्म रहता है यह शरीर को जला देता है, और जब यह ठंडा हो जाता है, तब भी यह शरीर को काला कर देता है।
अर्थ रहीमदास जी कहते है मछली का प्रेम धन्य होता है वह अपने प्रेमी से अलग होकर उसके लिए अपनी जान दे देती है
अर्थ रहीमदास जी कहते है जो व्यक्ति उत्तम चरित्र के होते है उन पर बुरे लोगो का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है उदारण में रहीम ने चन्दन के पेड़ का लिया है उसपर विष का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है जबकि काफी सर्प चिपके रहते है Rahim Ke Dohe In Hindi 61 से 70
अर्थ रहीमदास जी कहते है संगीत की ध्वनि से मोहित होकर, हिरण अपने शरीर को शिकारी को सौंप देता है। और मनुष्य धन से अपना जीवन खो देता है। लेकिन वे लोग भी जानवर से मर गए, जो संतुष्ट होने पर भी कुछ नहीं देते।
अर्थ रहीमदास जी कहते हैआदर से जब शिव ने विष निगल लिया तो वे जगदीश कहलाए, लेकिन आदर के अभाव में राहु ने अमृत पीकर उनका सिर काट दिया गया ।
अर्थ रहीमदास जी कहते है कुछ दिन की विपत्ति अच्छी होती है इसमें आपको अच्छा बुरा अपने पराये का पता चल जाता है
अर्थ रहीमदास जी कहते है पेड़ न तो अपना फल खाते हैं और न ही तालाब अपना पानी खुद पीता है। इसी तरह अच्छे और सज्जन व्यक्ति वे होते हैं जो दूसरों के काम के लिए धन जमा करते हैं।
अर्थ रहीमदास जी कहते है जिस प्रकार यह भूमि ठंड, गर्मी और बारिश का सहन करती है, उसी तरह व्यक्ति को सुख और दुख की आदत डालनी चाहिए।
जो रहीम मन हाथ है, तो मन कहुं किन जाहि। अर्थ रहीमदास जी कहते है जिसके मन पर नियंत्रण है, उसका शरीर कहीं भी नहीं जा सकता, भले ही वह सबसे बड़ी बुराइयों को प्राप्त कर ले। जैसे पानी में परावर्तन से शरीर भीगता नहीं है। यानी मन को साधना से शरीर स्वत: स्वस्थ हो जाता है।
अर्थ रहीमदास जी कहते है ग़रीबों की नज़र सब पर पड़ती है, मगर ग़रीब को कोई नहीं देखता। जो प्यार से गरीबों की परवाह करता है, उनकी मदद करता है,वह उनके लिए दीनबंधु भगवान के समान हो जाता है।
अर्थ रहीमदास जी कहते कि जिंदगी में जब बुरे दिन आते हैं तो हर कोई उसे पहचानना भूल जाता है। उस समय, यदि आप दयालु लोगों से सम्मान और प्यार प्राप्त करना जारी रखते हैं, तो धन खोने का दर्द कम हो जाता है।
अर्थ रहीमदास जी कहते कि बड़े लोग वही होते है जिनको अहंकार नहीं होता है यह सोचना गलत है कि एक अमीर आदमी बड़ा होता है आदमी बड़ा वह होता है उसे कभी किसी चीज पर गर्व नहीं होता है। सुख-दुख में सबकी सहायता करता है, सबका भला सोचता है, अर्थात् सारे जगत् का भार वहन करता है, वह शेषनाग कहलाने योग्य है। Rahim Ke Dohe In Hindi 71 से 80
रहीमदास जी कहते कि जिसके पास बुद्धि नहीं है और जिसे शिक्षा पसंद नहीं है, जिसने धर्म और दान नहीं किया है और इस दुनिया में आकर प्रसिद्धि नहीं पाई है; वह व्यक्ति व्यर्थ और पृथ्वी पर एक बोझ बनकर पैदा हुआ है । एक अनजान व्यक्ति और एक जानवर के बीच सिर्फ पूंछ का अंतर है। यानी यह व्यक्ति बिना पूंछ वाला जानवर है
अर्थ: रहीमदास जी कहते कि दान करते समय स्वार्थ, मित्रता आदि के बारे में नहीं सोचना चाहिए। राजा शिव ने अपने शरीर का दान दिया और दधीचि ऋषि ने अपनी हड्डियों का दान किया। इसलिए परोपकार में अपने प्राणों की आहुति देने में संकोच नहीं करना चाहिए।
अर्थ: रहीमदास जी कहते हैं कि मनुष्य को सदैव अपना मन धन, यौवन और संतान में नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि जरूरत पड़ने पर उनमें से कोई भी आपका साथ नहीं देगा! अपना मन भगवान की भक्ति में लगाएं क्योंकि मुश्किल की घड़ी में वही आपका साथ देगा।
अर्थ: रहीमदास जी कहते कि मनुष्य जो मांगता है वह देने से हर कोई इंकार करता है और कोई उसे नहीं देता। उस व्यक्ति में सेलोग अपना साथ भी छोड़ देते है। उस व्यक्ति से खुश रहना बेहतर है जो पूछता है कि भगवान स्वयं किस पर उदार है।
अर्थ: रहीम दास जी कहते हैं कि मनुष्य को तब तक कहीं पर रहना चाहिए जब तक उसके पास सम्मान और सेवा है। जब आप नोटिस करें कि आपके सम्मान में कमी आ रही है, तो आपको तुरंत वहां से निकल जाना चाहिए। अन्य पढ़ेTulsidas Ke Dohe बिहारी के दोहे Vrind ke Dohe |