ऐन फ्रैंक ने डायरी लिखने की आवश्यकता क्यों अनुभव की होगी? - ain phraink ne daayaree likhane kee aavashyakata kyon anubhav kee hogee?

Diary Ke Panne Class 12 Question Answer ,

Diary Ke Panne Class 12 Question Answer Hindi Vitan 2 Chapter 4 , डायरी के पन्ने के प्रश्न उत्तर कक्षा 12 हिन्दी वितान 2 पाठ 4 , 

Diary Ke Panne Class 12 Question Answer

डायरी के पन्ने कक्षा 12 के प्रश्न उत्तर

Note –

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प्रश्न 1 .

“यह 60 लाख लोगों की तरफ से बोलने वाली एक आवाज है । एक ऐसी आवाज जो किसी संत या कवि की नहीं बल्कि एक साधारण लड़की की है”। इल्या इहरनबुर्ग की इस टिप्पणी के संदर्भ में ऐन फ्रैंक की डायरी के पठित अंशों पर विचार करें ?

उत्तर –

यह बात बिल्कुल सही है कि यह डायरी किसी संत या कवि की नहीं बल्कि एक साधारण सी लड़की की हैं जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नरकीय जीवन जीया। भूख , भय , आतंक , अकेलेपन और लाचारी को बहुत करीब से देखा व झेला और अपनी आपबीती को इस डायरी में सिलसिलेवार लिखा ।

हालाँकि उस वक्त यह डायरी ऐन फ्रैंक ने अपने अज्ञातवास में खाली समय काटने के उद्देश्य से लिखी थी। मगर बाद में इसी डायरी के माध्यम से लोगों को तत्कालीन परिस्थितियों व यहूदियों पर हुए अत्याचारों को जानने व समझने का मौका मिला।शायद पूरे विश्व इतिहास में यह एकमात्र ऐसी डायरी है जो नाजी सैनिकों द्वारा यहूदियों पर किए गए अत्याचारों का एक प्रमाणिक दस्तावेज है।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों को अनगिनत यातनाएं सहनी पड़ी। यह एकमात्र ऐसा समुदाय था जो इस युद्ध में सबसे अधिक प्रभावित हुआ। उन्हें अपनी जान बचाने के लिए अज्ञातवास में सबसे छुप कर अभाव व अनेक कष्टों के साथ अपना जीवन जीना पड़ा। इस युद्ध के दौरान लाखों यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया गया।

ऐन फ्रैंक की डायरी में मानवीय संवेदनाएं , अकेलेपन , किशोर अवस्था के सपने , भय , आतंक , भूख -प्यास , प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता ,  पारवारिक समस्याओं , महिलाओं की पीड़ा आदि का विस्तार से वर्णन पढ़ने को मिलता है। उस समय ये लोग दिन में तो क्या रात में भी प्राकृतिक दृश्यों का आनंद नहीं ले सकते थे। हर समय उन्हें नाजी सैनिकों द्वारा पकड़े जाने का डर सताता रहता था।

ऐन ने इस डायरी में न सिर्फ अपने परिवार की व्यथा लिखी बल्कि 60 लाख यहूदी परिवारों की पीड़ा को लिखा क्योंकि वो सभी लोग लगभग ऐन व उसके परिवार की जैसी ही पीड़ा से गुजर रहे थे। ऐसे में ऐन उन सभी 60 लाख यहूदी परिवारों का प्रतिनिधत्व करती हैं। 

इसीलिए इल्या इहरनबुर्ग की यह टिप्पणी “यह 60 लाख लोगों की तरफ से बोलने वाली एक आवाज है जो किसी संत या कवि की नहीं बल्कि एक साधारण लड़की की है” , बिलकुल सही हैं।

प्रश्न 2.

“काश कोई होता जो मेरी भावनाओं को गंभीरता से समझ पाता। अफसोस ऐसा व्यक्ति मुझे अभी तक नहीं मिला”। क्या आपको लगता है कि ऐन के इस कथन में उसके डायरी लेखन का कारण छिपा है ?

उत्तर –

ऐन फ्रैंक का डायरी लिखने का कारण ही उसका अकेलापन था। हालाँकि उसने लगभग 2 वर्ष का अज्ञातवास सात लोगों के बीच बिताया लेकिन उनमें से किसी ने भी , कभी भी , उसकी भावनाओं को समझने का प्रयास नही किया।

बल्कि परिवार के कुछ सदस्य उसके हर काम में कुछ न कुछ मीन मेख निकल कर उस पर टीका-टिप्पड़ी करते थे। हालाँकि पीटर उसे एक अच्छे दोस्त की तरह प्यार करता था मगर वह भी उसके किशोर मन की भावनाओं को नही समझ पाया।

उसके माता -पिता और बड़ी बहन ने भी कभी उसकी भावनाओं को गंभीरतापूर्वक जानने की कोशिश नहीं की जिस वजह से उसे अकेलेपन महसूस होता था और उसकी भावनाएं आहत होती थी। अपने अकेलेपन को बांटने व अपने दिल की बात कहने के लिए उसने डायरी लेखन का सहारा लिया।

प्रश्न 3.

“प्रकृति प्रदत्त प्रजनन शक्ति के उपयोग का अधिकार बच्चे पैदा करें या ना करें अथवा कितने बच्चे पैदा करें। इसकी स्वतंत्रता स्त्री से छीन कर हमारी विश्व व्यवस्था ने न सिर्फ स्त्री को व्यक्तित्व विकास के अनेक अवसरों से वंचित किया है बल्कि जनांधिक्य की समस्या भी पैदा की है”। ऐन की डायरी के 13 जून 1944 के अंश में व्यक्त विचारों के संदर्भ में इस कथन का औचित्य ढूढें ?

उत्तर –

ऐन 13 जून 1944 के अपने पत्र में कहती है कि बच्चे पैदा करें या ना करें अथवा कितने बच्चे पैदा करें , यह अधिकार महिलाओं का होना चाहिए क्योंकि यह अधिकार प्रकृति ने महिलाओं को दिया हैं ।

मगर शुरू से ही पुरुषों ने अपने शारीरिक बल के आधार पर महिलाओं पर शासन किया।उसका शोषण किया , उसके सारे अधिकार उससे छीन लिये और महिलाओं भी अब तक अपने अधिकारों के प्रति जागरूक व शिक्षित न होने के कारण अपने ऊपर होने वाले अन्याय को चुपचाप सहती आयी है।

ऐन चाहती है कि महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर ही सम्मान व अधिकार दिए जाय क्योंकि मानव जाति का अस्तित्व बिना महिलाओं के सम्भव नही हैं। महिलाएं ही मानव जीवन की निरंतरता को बनाए रखने के लिए अथाह पीड़ा सहती हैं। वो एक सैनिक के बराबर ही बहादुर होती हैं।

लेकिन ऐन ये भी कहती हैं कि औरतों को बच्चे जनने चाहिए क्योंकि प्रकृति ऐसा चाहती है। वह उन लोगों की निंदा करती है जो समाज में महिलाओं को सम्मान नहीं देते हैं , उनके योगदान की सराहना नही करते हैं।

ऐन भविष्य को लेकर बहुत आशावान हैं। उन्हें उम्मीद है कि अगली सदी तक महिलायें शिक्षित होकर अपने अधिकारों के प्रति ज्यादा जागरूक होगी और समाज में अपनी स्थिति को ज्यादा सम्मानीय बनायेंगी।

हालाँकि पहले की अपेक्षा अब महिलाओं की स्थिति में काफी परिवर्तन आया है। शिक्षा ने महिलाओं को अपने  हक व अधिकारों के प्रति जागरूक किया है। आज वो हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के समान अवसर व स्वतन्त्रता चाहती हैं। अब उन्हें समाज में बराबरी का हक दिया जाने लगा हैं।

प्रश्न 4.

ऐन की डायरी अगर एक ऐतिहासिक दौर की जीवंत दस्तावेज है , तो उसके साथ ही उसके निजी सुख-दुख और भावात्मक उथल-पुथल का भी। इन पृष्ठों में दोनों का फर्क मिट गया है। इस कथन पर विचार करते हुए अपनी सहमति या असहमति तर्कपूर्ण व्यक्त करें ? 

अथवा

“ऐन की डायरी उसकी निजी भावात्मक उथल-पुथल का दस्तावेज भी है”। इस कथन की विवेचना कीजिए ?

उत्तर –

ऐन की डायरी , हिटलर के शाशनकाल में यहूदियों पर हुए अत्याचारों का एक जीवंत व प्रामाणिक दस्तावेज है। इस डायरी के माध्यम से ऐन ने जहाँ एक ओर अपने अकेलेपन , दुःख , मानवीय संवेदनाएं , किशोर अवस्था के सपने , भूख -प्यास , प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता ,  महिलाओं की पीड़ा का चित्रण किया है।

वही दूसरी ओर हर वक्त यहूदियों के मन में नाजी सैनकों का भय , आतंक , अत्याचार का भी वर्णन किया है। इस डायरी में अज्ञातवास में अभावग्रस्त जिंदगी व एक सीमित जगह में कैद होने जाने की व्यथा व प्रकृति ने सुंदर नजारों को भी न देख पाने का मार्मिक चित्रण हैं।

ऐन को लगभग दो वर्षों तक गुप्त आवास में छुप कर रहना पड़ा। इन दो वर्षों में उनके जीवन में भयंकर उथल-पुथल मची रही । उन्हें कई कठिनाइयों का समाना करना पड़ा।  यहां तक की उन्हें अपने व्यक्तित्व की पहचान के लिए भी संधर्ष करना पड़ा। इस कठिन दौर में उन्होंने जो कुछ देखा व भोगा , उसका उनके मन पर गहरा प्रभाव पड़ा।

अज्ञातवास के दौरान उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन , पारिवारिक जीवन और सामाजिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने का प्रयास किया । लेकिन उनके परिवार में उनके मन की बात व दिल की कोमल भावनाओं को समझने वाला कोई नही था। इसीलिए वो अपने सुख – दुःख को अपनी गुड़िया किट्टी को सम्बोधित करते हुए एक डायरी में लिख देती थी।

यही बात सिद्ध करती है कि ऐन की डायरी अगर एक ऐतिहासिक दौर का जीवंत दस्तावेज है तो साथ ही उसके निजी सुख – दुख का प्रमाण भी है।

प्रश्न 5.

ऐन ने अपनी डायरी किट्टी (एक निर्जीव गुड़िया) को संबोधित चिठ्ठी की शक्ल में लिखने की क्यों जरूरत महसूस हुई होगी ?

उत्तर –

ऐन बहुत ही भावुक , संवेदनशील व अंतर्मुखी लड़की थी। वह अपने परिवार की सबसे छोटी सदस्य थी। घर में उसे कोई भी गंम्भीरतापूर्वक नहीं लेता था। न कोई उसके द्वारा किये गये कार्यों की सरहना करता और न ही उसे किसी कार्य को करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था । उल्टा सब उसके कार्यों में मीन – मेख निकालते रहते थे। पीटर ऐन का अच्छा दोस्त था मगर वह भी उनकी दिल की कोमल भावनाओं को नही समझता था।

वह खुद कहती भी है कि “काश कोई तो होता , जो मेरी भावना को गंभीरता से समझ पाता , अफसोस ऐसा व्यक्ति अब तक नहीं मिला” । उनकी एक इसी बात से उनके अकेलेपन का पता चलता हैं।

इसलिए उन्होंने अपने दिल की बात कहने के लिए एक निर्जीव मगर प्यारी सी गुड़िया का सहारा लिया और उससे ही चिट्ठी के रूप में अपनी भावनाएं व्यक्त की क्योंकि गुड़िया बिना कुछ बोले उनके दिल के हर बात चुपचाप सुन लेती थी।

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प्रश्न 6. 

ऐन फ्रैंक की डायरी के आधार पर उनके व्यक्तित्व की विशेषताओं बताइये ?

उत्तर –

ऐन फ्रैंक की डायरी के आधार पर उनके व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषतायें हैं। 

  1. ऐन बहुत ही भावुक व अंतर्मुखी लड़की थी।
  2. वह अपनी उम्र से कही अधिक परिपक्व , समझदार व चिंतनशील थी।
  3. ऐन हमेशा रचनात्मक कार्यों में सक्रिय रहती थी। डायरी लिखना , नई – नई केश सज्जा करना आदि।
  4. वो बहुत ही संवेदनशील लड़की थी। वह पीटर के साथ अपनी भावनाओं को भी खुलकर व्यक्त करती थी।
  5. वह एकांतप्रिय स्वभाव की किशोरी थी।
  6. ऐन महिला सशक्तिकरण व शिक्षा की पक्षधर थी। वो उन पुरुषों की भी निंदा करती हैं जो महिलाओं का सम्मान नही करते हैं।
  7. ऐन मानवाधिकारों की हिमायती थी।

         प्रश्न 7.

ऐन फ्रैंक की डायरी को एक महत्वपूर्ण दस्तावेज क्यों माना जाता है ?

उत्तर –

ऐन फ्रैंक की डायरी वाकई में हिटलर व नाजी सैनिकों द्वारा यहूदियों पर ढाये गए जुल्मों का एक जीवंत दस्तावेज है।लाखों यहूदियों की तरह ऐन फ्रैंक का परिवार भी नस्लवाद व नफरत का शिकार हुआ। उन्हें अपना जीवन व अस्तित्व बचाने के लिए अपना घर तक छोड़कर 2 वर्ष तक अज्ञातवास में रहना पड़ा।

इस डायरी में 12 जून 1942 से लेकर 1 अगस्त 1944 तक की धटनाओं का सिलसिलेवार वर्णन हैं । यह डायरी इतिहास के सबसे आतंकप्रद और दर्दनाक अध्याय के साक्षात अनुभव को बयान करती है। यह डायरी एक ऐसी लड़की की हैं जिसने भय , आतंक , अभाव , भूख ,प्यार , मानवीय संवेदनाएं , बाहरी दुनिया से अलग-थलग पड़ जाने की पीड़ा , युद्ध की विभीषिका  , अकेलापन , सभी को अपने ऊपर झेला व उसका साक्षात अनुभव किया।

प्रश्न 8.

डायरी के पन्ने के आधार पर पीटर (ऐन फ्रैंक का मित्र) की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ?

उत्तर –

डायरी के पन्ने के आधार पर पीटर (ऐन फ्रैंक का मित्र) की निम्नलिखित विशेषतायें हैं। 

  1. पीटर सीधा – सादा  , सरल व आत्मीय लड़का था।
  2. वह अंतर्मुखी था। उसे अपने जीवन में किसी का भी हस्तक्षेप पसंद नही था।
  3. वह शांतिप्रिय व सहनशील था।
  4. वह एक सहृदय दोस्त था।
  5. वह अक्सर धर्म व खाने के बारे में बातें करता था।
  6. वह अंधविश्वासों का विरोध करता था।
  7. वह बेहद संयमी था जो ऐन की आपत्तिजनक बातें भी सुन लेता था।
  8. वह दृढ़ निश्चयी स्वभाव का लड़का था जो अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद साबित करने में लगा रहता था।

प्रश्न 9. 

ऐन फ्रैंक ने अपनी डायरी में किट्टी को क्या-क्या जानकारी दी थी ?

उत्तर-

ऐन फ्रैंक ने अपनी डायरी में किट्टी के माध्यम से ही 12 जून 1942 से लेकर 1 अगस्त 1944 तक की सारी जानकारियों दुनिया वालों को दी हैं क्योंकि उन्होंने किट्टी को सम्बोधित करते हुए ही सारे पत्र लिखे हैं। जिसे बाद में एक किताब की शक्ल दे दी गई।  यानि इस किताब में लिखी हर एक बात ऐन ने अपनी एक मात्र प्रिय दोस्त किट्टी (गुड़िया) के माध्यम से ही दी हैं।   

प्रश्न 10. 

डायरी के पन्ने के आधार पर औरतों की शिक्षा और मानवाधिकारों के बारे में ऐन के विचारों को अपने शब्दों में लिखिए ?

अथवा 

महिलाओं के अधिकारों और जीवन शैली के बारे में ऐन के विचारों की समीक्षा जीवन मूल्यों के आधार पर कीजिए ?

उत्तर –

अपने एक पत्र में ऐन महिला सशक्तिकरण व महिलाओं के अधिकारों के बारे में भी खुलकर अपनी राय व्यक्त करती हैं। वो कहती हैं कि बच्चे को जन्म देने की पीड़ा दुनिया की सबसे बड़ी पीड़ा है।

इस पीड़ा को झेल कर महिलाएं मनुष्य जाति को न सिर्फ जीवित रखे हैं बल्कि इस संसार को निरंतरता भी दे रही हैं। वो महिलाएं को उन सैनिकों के बराबर ही बहादुर मानती हैं जो युद्ध भूमि में अथाह तकलीफ , यंत्रणा व मानसिक यातना झेलते हैं।

ऐन चाहती है कि महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर ही सम्मान व अधिकार दिए जाय। लेकिन ऐन ये भी कहती हैं कि औरतों को बच्चे जनने चाहिए क्योंकि प्रकृति ऐसा चाहती है। वो उन लोगों की भी निंदा करती है जो समाज में महिलाओं को सम्मान नहीं देते हैं । उन्हें दूसरे दर्जे का व्यक्ति समझते हैं।

ऐन भविष्य को लेकर आशावान हैं। उन्हें उम्मीद है कि अगली सदी तक सभी महिलायें शिक्षित होकर अपने अधिकारों के प्रति ज्यादा सतर्क व जागरूक होगी। और समाज में अपनी स्थिति को ज्यादा सम्मानीय बनायेंगी।

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प्रश्न 11. 

ऐन फ्रैंक ने अपनी डायरी में नारी स्वतंत्रता की जो कल्पना की है। आज उस स्थिति में कितना परिवर्तन आया है ?

उत्तर –

ऐन कल्पना करती हैं कि अगली सदी तक सभी महिलायें शिक्षित होंगी और अपने अधिकारों के प्रति ज्यादा सतर्क व जागरूक होगी। वो समाज में बराबरी का दर्जा हासिल कर लेंगी।

अगली सदी में उन्हें सिर्फ बच्चा जनने का साधन नही समझा जायेगा। बल्कि उनको हर क्षेत्र में आगे बढ़ने को भी प्रोत्साहित किया जायेगा , उनके काम को सम्मान दिया जायेगा।

ऐन का वह सपना बहुत हद तक साकार भी हुआ हैं । आज समय बदल चुका है। पूरी दुनिया में महिला शिक्षा व उनके व्यक्तित्व विकास पर जोर दिया जा रहा हैं। उन्हें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए समाज व सरकारों द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा हैं।

उन्हें अपने जीवन के निर्णय स्वयं लेने की स्वतन्त्रता भी दी जा रही हैं। यानि पहले की तुलना में आज महिलाओं की स्थिति काफी बेहतर है लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी हैं।

प्रश्न 12. 

भारतीय नारी जीवन के संदर्भ में उन जीवन मूल्यों का उल्लेख कीजिए , जो हमें सहज ही प्राप्त होते हैं। पुरुष समाज नारी के योगदान को महत्व क्यों नहीं दे देता हैं ?

उत्तर –

प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में नारी को त्याग व ममता की मूर्ति समझा जाता हैं। उसका अपना कोई व्यक्तिगत जीवन नहीं होता हैं। उसका जीवन बच्चों व परिवार की देखभाल के लिए समर्पित माना जाता हैं। उसे बचपन से ही अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं को मारकर दूसरों के लिए जीना सिखाया जाता हैं।

आज भी काफी लोग (खासकर पुरुष वर्ग) यह नही चाहते हैं कि महिलाएं उनकी बराबरी करें , अपने अधिकारों की पैरवी करें। वो चाहते हैं कि महिलाओं को दबा कर ही रखा जाय ताकि उनका वर्चस्व कायम रहे और कोई उन्हें चुनौती भी न दे सके । इसीलिए समाज नारी के योगदान को महत्व नहीं दे देता हैं।

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ऐनफ्रैंक ने डायरी लिखने की आवश्यकता क्यों अनुभव की होगी?

उत्तर: हमें लगता है कि अकेलापन ही ऐन फ्रैंक के डायरी लेखन का कारण बना। यद्यपि वह अपने परिवार और वॉन दंपत्ति के साथ अज्ञातवास में दो वर्षों तक रही लेकिन इस दौरान किसी ने उसकी भावनाओं को समझने का प्रयास नहीं किया। पीटर यद्यपि उससे प्यार करता है लेकिन केवल दोस्त की तरह।

ऐनी ने डायरी में लिखना क्यों शुरू किया?

एनी फ्रैंक द्वितीय विश्‍वयुद्ध के दौरान अत्‍याचार के शिकार हुए लाखों यहूदियों में से एक है। एनी और उसका परिवार दो वर्षों तक अपने पिता की दुकान में ऊपरी भाग में छुपा रहा। वहीं उसने अपनी डायरी लिखी। एनी फ्रैंक की मृत्‍यु एक यातना शिविर में हुई, उस समय वह 15 वर्ष की थी।

ऐन फ्रैंक की डायरी को एक महत्वपूर्ण दस्तावेज क्यों माना जाता है?

ऐन फ्रैंक की डायरी एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज है। यह डायरी दो साल के अज्ञातवास के दौरान लिखी गई। 12 जून, 1942 को उसके जन्मदिन पर सफ़ेद व लाल कपड़े की जिल्द वाली नोटबुक उसे उपहार के तौर पर मिली थी। तभी से उसने एक गुड़िया किट्टी को संबोधित करके लिखनी शुरू की।

ऐन फ्रैंक ने अपनी डायरी किसे संबोधित की है और क्यों?

ऐन ने अपनी डायरी में सम्बोधन के लिए अपनी गुड़िया किट्टी को चुना है, परिवार या बाहर के किसी व्यक्ति को नहीं। इस तरह वह स्वयं से ही बातें करती है। अगर कोई दूसरा उसकी भावनाओं और विचारों को जानने वाला होता तो शायद उसे डायरी लिखने की जरूरत ही नहीं पड़ती।