पेट की बीमारी कई सारी बीमारियाँ पैदा कर सकती हैं। क्या है पेट की सभी बीमारी का इलाज? जानते हैं कुछ सरल आयुर्वेदिक इलाज और कुछ दूसरे सरल उपाय जिन्हें अपनाकर हम स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। ArticleSep 1, 2021 पेट के रोग कई सारे और रोगों का कारण बन सकते हैं। क्या होते हैं पेट के रोगों के कारण और क्या है इनका इलाज? कुछ सरल उपाय जिन्हेंअपना कर हम स्वस्थ हो सकते हैं पेट के कुछ आम रोग हैं एसिडिटी, जी मिचलाना और अल्सर। जानते हैं इनके कारणों, लक्षण, ईलाज और बचने के उपायों के बारे में। साथ ही यह भी जानते हैं कि कैसे योग अपना कर और अपनी भावनाओं में बदलाव लाकर हम इन रोगों से बच सकते हैं... एसिडिटीहमारे पेट में बनने वाला एसिड या अम्ल उस भोजन को पचाने का काम करता है, जो हम खाते हैं, लेकिन कई बार पचाने के लिए पेट में पर्याप्त भोजन ही नहीं होता या फिर एसिड ही आवश्यक मात्रा से ज्यादा बन जाता है। ऐसे में एसिडिटी या अम्लता की समस्या हो जाती है। इसे आमतौर पर दिल की चुभन या हार्टबर्न भी कहा जाता है। वसायुक्त और मसालेदार भोजन का सेवन आमतौर पर एसिडिटी की प्रमुख वजह है। इस तरह का भोजन पचाने में मुश्किल होता है और एसिड पैदा करने वाली कोशिकाओं को आवश्यकता से अधिक एसिड बनाने के लिए उत्तेजित करता है। एसिडिटी बनने के कारण
एसिडिटी का तुरंत इलाज
एसिडिटी दूर रखने के लिए किन चीज़ों से बचें
उल्टी और जी मिचलानाजी मिचलाना और उल्टी आना अपने आप में कोई रोग नहीं हैं, बल्कि ये शरीर में मौजूद किसी रोग के लक्षण हैं। जी मिचलाने में ऐसा अहसास होता है कि पेट अपने आपको खाली कर देना चाहता है, जबकि उल्टी करना पेट को खाली होने के लिए बाध्य करने का काम है। शरीर में मौजूद उस बीमारी का पता लगाना और इलाज करना आवश्यक है, जिसकी वजह से उल्टी आना या जी मिचलाना जैसे लक्षण उभर रहे हैं। मरीज को आराम पहुंचाने के साथ-साथ पानी की कमी (खासकर बुजुर्गों और बच्चों में) को रोकने के लिए भी उल्टी और जी मिचलाने के लक्षणों को नियंत्रित करना बेहद महत्वपूर्ण है। उल्टी होने के कारण
उल्टी में डॉक्टर की सलाह
पेप्टिक अल्सरपेट या छोटी आंत की परत में होने वाले घाव को पेप्टिक अल्सर कहते हैं। अल्सर के कारण
अल्सर के लक्षण
अल्सर के इलाज
अल्सर से बचाव के कुछ तरीके:
Subscribe Get weekly updates on the latest blogs via newsletters right in your mailbox. योग मदद कर सकता हैसदगुरु कहते हैं एक कहावत है, इंसान साइकोसोम या मनोकाय होता है। कई रोग मनोदैहिक होते हैं। अगर दिमाग में कोई तनाव है, तो पेट में एसिडिटी होगी। दिमाग में तनाव है तो दमा हो सकता है। उसी तनाव की वजह से अलग अलग लोगों को अलग अलग तरह के रोग होते हैं। तनाव की वजह से कौन सा रोग होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उस इंसान के अंदर कौन सी चीज जन्म से ही कमजोर है। शरीर और मस्तिष्क दो अलग अलग चीजें नहीं हैं। मस्तिष्क शरीर का सूक्ष्म पहलू है। आमतौर पर जब योग की बात आती है, तो हमारा ज्यादातर काम प्राणमय कोश के स्तर पर ही होता है, क्योंकि अगर हम प्राणमय कोश या ऊर्जा शरीर को पूरी तरह से सक्रिय और संतुलित कर देंगे तो अन्नमय कोश और मनोमय कोश अपने आप ही सही तरीके से संतुलित और स्वस्थ हो जाएंगे। प्रश्न: आजकल तमाम मैनेजर और इग्जेक्युटिव वर्ग के लोग अल्सर से क्यों पीडि़त हैं ? संपादक की टिप्पणी: कुछ सरल और असरदार ध्यान की प्रक्रियाएं और योग अभ्यास जो आप घर बैठे सीख सकते हैं: नाड़ी शुद्धि, योग नमस्कार पेट संबंधी रोगों को दूर करने के लिए कौन सी क्रिया की जाती है?इसी तरह पेट संबंधी विकार दूर करने के लिए अग्निसार क्रिया का भी लाभ लिया जा सकता है। बदल कर हमारे शरीर को शक्ति देती है, जिससे हमारी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनती है।
पेट के रोग कैसे दूर करें?दूध- दूध एक सम्पूर्ण पौष्टिक आहार होने के साथ-साथ भोजन के अम्लीय प्रभाव को नष्ट करने वाला भी है. ... . हरी सब्जियां, फल और लौंग- हरी सब्जियां और फल हमारे पेट हो साफ़ करने में मदद करती हैं. ... . पानी- सुबह उठने के साथ ही पानी पीना बहुत फायदेमंद होता है. ... . समय से भोजन- ... . नारियल पानी- ... . व्यायाम- ... . कार्बोहाइड्रेट-. कुंजल क्रिया से क्या लाभ होता है?कैसे लाभकारी हैं कुंजल क्रिया?. खांसी और सर्दी से मुकाबला करती है यह उल्टी आपको खांसी से राहत दिलाने में मदद करती है और बलगम से छुटकारा दिलाती है। ... . वजन को नियंत्रित और पाचन को स्वस्थ रखती है इस तकनीक को करते समय, पेट की मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं और वसा कम हो जाती है। ... . तनाव और चिंता को कम करती है. कुंजल क्रिया कब करनी चाहिए?कुंजल क्रिया को प्रात: काल शौचादि से निवृत्त होने के बाद करना चाहिए। कुंजल क्रिया के लिए पानी में नमक या सौंफ आदि कुछ भी न मिलाएं। हृदय एवं उच्च रक्तचाप के रोगी को यह क्रिया नहीं करना चाहिए। गले, फेंफड़े में किसी भी प्रकार का कोई गंभीर रोग हो तब भी यह क्रिया ना करें।
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