पर्यावरण संरक्षण अधिनियम कब अधिनियमित हुआ? - paryaavaran sanrakshan adhiniyam kab adhiniyamit hua?

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 में कितने अध्याय हैं?
  • 2 पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 में सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण हेतु कौन कौन से संवैधानिक प्रावधान किए गए?
  • 3 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 क्या है इसके प्रमुख प्रावधानों का वर्णन कीजिए?
  • 4 पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 में सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए कौन से कार्य किए गए?
  • 5 उपभोक्ता की मुख्य समस्याएं क्या है?
  • 6 उपभोक्ता संरक्षण से आप क्या समझते हैं उपभोक्ता के मुख्य अधिकारों का वर्णन करें?
  • 7 उपभोक्ता संरक्षण 1986 क्या है?
  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 में कितने अध्याय हैं?

    इसे सुनेंरोकेंऔर 19 नवंबर 1986 को लागू किया हुआ था। इसमें चार अध्याय तथा 26 धाराएं होती हैं।

    पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 में सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण हेतु कौन कौन से संवैधानिक प्रावधान किए गए?

    संवैधानिक प्रावधान:

    • EPA को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 253 के तहत अधिनियमित किया गया था, जो अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को प्रभावी करने के लिये कानून बनाने का प्रावधान करता है।
    • संविधान का अनुच्छेद 48A निर्दिष्ट करता है कि राज्य पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने तथा देश के वनों और वन्यजीवों की रक्षा करने का प्रयास करेगा।

    भारत में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम कब लागू हुआ था?

    इसे सुनेंरोकें1986 का पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (ईपीए) भारत सरकार द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 253 के तहत अधिनियमित किया गया था। यह अधिनियम भोपाल गैस त्रासदी के बाद भारत की प्रतिबद्धता के परिणामस्वरूप जून 1972 में मानव पर्यावरण को ले कर संयुक्त राष्ट्र की बैठक, जो स्काटहोम में संपन्न हुई, का अनुसरण करते हुए आया था।

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    पर्यावरण संरक्षण कैसे होता है?

    इसे सुनेंरोकेंपर्यावरण संरक्षण का तात्पर्य है कि हम अपने चारों ओर के वातावरण को संरक्षित करें तथा उसे जीवन के अनुकूल बनाए रखें। पर्यावरण और प्राणी एक-दूसरे पर आश्रित हैं। यही कारण है कि भारतीय चिन्तन में पर्यावरण संरक्षण की अवधारणा उतनी ही प्राचीन है जितना यहाँ मानव जाति का ज्ञात इतिहास है।

    इसे सुनेंरोकेंपर्यावरण संरक्षण अधिनियम संसद द्वारा 23 मई 1986 को पारित किया गया था। और 19 नवंबर 1986 को लागू किया हुआ था। इसमें चार अध्याय तथा 26 धाराएं होती हैं। इसे पारित करने का मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र द्वारा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किए गए प्रयासों को भारत में विधि (कानून) बनाकर लागू करना है।

    उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 क्या है इसके प्रमुख प्रावधानों का वर्णन कीजिए?

    इसे सुनेंरोकेंउपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 क्या हैं उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी,कालाबाजारी, मिलावट, अधिक मूल्य पर समान को देना, कम नापतोल, वारंटी कार्ड देने के बाद भी सर्विस नहीं देना तभा हर जगह पर ठगा जाना आदि समस्याओं के समाधान के लिए ‘उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986″ बनाया गया।

    पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 में सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए कौन से कार्य किए गए?

    ईपीए अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ

    • पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और उपशमन के लिये एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की योजना बनाना और उसे क्रियान्वित करना।
    • पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार के लिये विभिन्न पहलुओं पर मानक निर्धारित करना।
    • विभिन्न स्रोतों से पर्यावरण प्रदूषकों के उत्सर्जन या निर्वहन के लिये मानक निर्धारित करना।

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    पर्यावरण संरक्षण कितने प्रकार के होते हैं?

    पर्यावरण संरक्षण के प्रकार

    • जल संरक्षण (Water Conservation) भूमिगत जल का विवेकपूर्ण उपयोग कर जल संरक्षण किया जा सकता है।
    • मृदा संरक्षण (Soil Conservation) मृदा पृथ्वी की ऊपरी परत को कहते हैं, जिसका निर्माण जलवायु ,जीव तथा भौतिक कारकों की पारस्परिक क्रियाओं के परिणाम स्वरुप होता है।
    • वन संरक्षण (Forest Conservation)

    1 पर्यावरणीय शक्तियां कितने प्रकार की होती हैं?

    इसे सुनेंरोकें➲ पर्यावरण शक्तियां दो प्रकार की होती हैं। बाह्य पर्यावरण शक्तियों में सौर ऊर्जा, प्रकाश, तापमान जलवेग, वायुवेग, ऋतु अपक्षय, जल अपरदन, गुरुत्व बला, लहरें ग्रहों का आकर्षक बल, पृथ्वी का घूर्णन क्षमता आदि शामिल हैं। आंतरिक पर्यावरण शक्तियों में भू-संचलन, भूकंप, ज्वालामुखी आदि शक्तियां शामिल हैं।

    उपभोक्ता की मुख्य समस्याएं क्या है?

    इसे सुनेंरोकेंसेवाओं के संबंध में उपभोक्ता समस्याएँ- उपभोक्ताओं को न केवल दैनिक उपयोग के उत्पादों के उपभोग के संबंध में समस्याओं का सामना करना पड़ता है, बल्कि उन्हें विभिन्न प्रकार की सेवाओं का उपयोग करते हुए भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

    उपभोक्ता संरक्षण से आप क्या समझते हैं उपभोक्ता के मुख्य अधिकारों का वर्णन करें?

    इसे सुनेंरोकेंउपभोक्ता के अधिकार 1. उन उत्पादों तथा सेवाओं से सुरक्षा का अधिकार जो जीवन तथा संपत्ति को हानि पहुँचा सकते हैं। 2. उत्पादों तथा सेवाओं की गुणवत्ता, मात्रा, प्रभाव, शुद्धता, मानक तथा मूल्य के बारे में जानने का अधिकार जिससे कि उपभोक्ता को अनुचित व्यापार पद्धतियों से बचाया जा सके।

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    भारत में पर्यावरण अधिनियम कब लागू हुआ?

    इसे सुनेंरोकेंपर्यावरण संरक्षण अधिनियम भारत की संसद द्वारा 1986 में पारित किया गया था। संविधान के अनुच्छेद 253 के तहत। यह 19 नवंबर 1986 को लागू हुआ।

    उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दो मुख्य पहलु कौन कौन से हैं?

    इसे सुनेंरोकेंउपभोक्ता संरक्षण की दूसरी कार्यविधि मानकीकरण चिह्नों (मार्क) के ज़रिए संरक्षण प्रदान करना है। उपभोक्ताओं को मानकीकरण मार्कों वाले उत्पादों को ही खरीदना चाहिए, ताकि उत्पाद की गुणवत्ता/शुद्धता सुनिश्चित की जा सके। उपभोक्ता के लिए विभिन्न मानक चिह्नों और उनके अंतर्गत आने वाले उत्पादों के बारे में जानना महत्वपूर्ण है।

    उपभोक्ता संरक्षण 1986 क्या है?

    इसे सुनेंरोकेंउपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम – उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 व्‍यापार और उद्योग के शोषण से उन लोगों के अधिकारों और हितों को बचाने के लिए बनाया गया था जो किसी न किसी प्रकार से उपभोक्‍ता है। इस अधिनियम के अनुसार कोई भी व्‍यक्ति, जो अपने प्रयोग हेतु वस्‍तुएं एवं सेवाएं खरीदता है उपभोक्‍ता है।

    पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 कब लागू किया गया?

    Detailed Solution. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम भारत की संसद द्वारा 1986 में पारित किया गया था। इसे संविधान के अनुच्छेद 253 के तहत पारित किया गया था। यह 19 नवंबर 1986 को लागू हुआ था।

    भारत में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम कब शुरू हुआ?

    पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986.

    पर्यावरण संरक्षण दिवस कब मनाया जाता है?

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    वन संरक्षण अधिनियम कब पारित किया गया?

    पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम वर्ष 1986 में अधिनियमित किया गया था। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार और उससे जुड़े मामलों के लिए प्रदान करना है। वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 भारत की संसद का एक अधिनियम है जो पौधों और जानवरों की प्रजातियों के संरक्षण के लिए अधिनियमित किया गया है।