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स्वतंत्र भारत के लोगों में पश्चिमी प्रभाव , औद्योगीकरण तथा जनसंख्या विस्फोट के परिणामस्वरूप तृष्णा जाग गई जिसने देश में विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों को जन्म दिया । निरंतर बढते जल प्रदूषण के प्रति सरकार का ध्यान 1960 के दशक में गया और वर्ष 1963 में गठित समिति ने जल प्रदूषण निवारण व नियंत्रण के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की सिफारिश की । वर्ष 1969 में केंद्र सरकार द्वारा एक विधेयक तैयार किया गया जिसे संसद में पेश करने से पहले इसके उद्देश्यों व कारणों को सरकार द्वारा इस प्रकार बताया गया , “ उद्योगों की वृद्धि तथा शहरीकरण की बढती प्रवृति के फलस्वरूप हाल में वर्षों में नदी तथा दरियाओं के प्रदूषण की समस्या काफी आवश्यक व महत्त्वपूर्ण बन गयी है । इसमें चार अध्याय तथा 26 धाराएं हैं । पर्यावरण संरक्षण अधिनियम संसद द्वारा 23 मई 1986 को पारित किया गया पर्यावरणीय कानून व नियम निम्नलिखित हैंपर्यावरण की गुणवत्ता के संरक्षण हेतु सभी आवश्यक कदम उठाना । पर्यावरण प्रदूषण के निवारण , नियंत्रण और उपशमन हेतु राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की योजना बनाना और उसे क्रियान्वित करना । पर्यावरण की गुणवत्ता के मानक निर्धारित करना । पर्यावरण सुरक्षा से संबंधित अधिनियमों के अंतर्गत राज्य - सरकारों , अधिकारियों और संबंधितों के काम में समन्वय स्थापित करना । ऐसे क्षेत्रों का परिसीमन करना , जहां किसी भी उद्योग की स्थापना अथवा औद्योगिक गतिविधियां संचालित न की जा सकें । आदि । उक्त - अधिनियम का उल्लंघन करने वालों के लिए कठोर दंड का प्रावधान है । केन्द्रीय सरकार की पर्यावरण के संरक्षण और सुधार के लिये उपाय करने की शक्ति - अधिकारियों की नियुक्ति तथा उनकी शक्तियाँ और कृत्य निर्देश देने की शक्ति राष्ट्रीय हरित अधिकरण को अपील पर्यावरण प्रदूषण का निवारण , नियंत्रण और उपशमन उद्योग चलाने , संक्रिया करने वाले व्यक्तियों द्वारा मानकों से अधिक पर्यावरण प्रदूषकों का उत्सर्जन या निस्सारण न होने देना परिसंकटमय पदार्थों को हाथ लगाने वाले व्यक्तियों द्वारा प्रक्रिया सम्बन्धी रक्षोपायों का पालन किया जाना कुछ मामलों में प्राधिकरणों और अभिकरणों को जानकारी का दिया जाना प्रवेश और निरीक्षण की शक्तियाँ नमूने लेने की शक्ति और उसके सम्बन्ध में अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया पर्यावरण प्रयोगशालाएँ सरकारी विश्लेषकों की रिपोर्ट अधिनियमों तथा नियमों , आदेशों और निर्देशों के उपबंधों के उल्लंघन के लिये शास्ति , कम्पनियों द्वारा अपराध धारा 3 के अधीन गठित प्राधिकरण के सदस्यों , अधिकारियों और कर्मचारियों का लोकसेवक होना इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों का संसद के समक्ष रखा जाना पर्यावरण प्रदूषण का विनियमन करने के लिये नियम Download PDFपीडीएफ डाउनलोड करें और इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें
❊Information पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के मुख्य उद्देश्यों तथा प्रावधानों का उल्लेख कीजिए। Explain the main objects and provisions of the Environment (Protection) Act, 1986.Last updated Oct 13, 2022 पर्यावरण अधिनियम के मुख्य उद्देश्य – तेजी से बढ़ती जनसंख्या एवं औद्योगिक विकास के परिणामस्वरूप पर्यावरण को लगातार क्षति हो रही है। वनों की अंधाधुंध कटाई, कारखानों का जहरीला धुआँ एवं रेडियोऐक्टिव किरणों का विकिरण पर्यावरण को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। जल, भूमि तथा वायुमण्डल को इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1972 में स्टॉकहोम में एक घोषणा की जिसमें भारत ने भी हस्ताक्षर किये तथा उसी के परिणामस्वरूप भारत में इस अधिनियम को पारित किया गया है। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 निम्नलिखित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए पारित किया गया है
ओजोन क्षरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये (Write a short note on Ozone deplation) अधिनियम के मुख्य प्रावधान (Main Provisions of the Act)
1.अधिनियम का विस्तार (Scope of the Act)इस अधिनियम को पूरे भारत वर्ष में लागू किया गया है। केन्द्रीय सरकार को यह अधिकार है कि वह इस अधिनियम को लागू करने की तिथि का नोटीफिकेशन करे। 2. परिभाषायें (Definition)अधिनियम में पर्यावरण तथा पर्यावरण प्रदूषण को परिभाषित कर उसकी सीमाओं को निश्चित कर दिया गया है। 3. केन्द्रीय सरकार की सामान्य शक्तियाँ (General powers of the Central Government)अधिनियम की धारा 3 में केन्द्रीय सरकार को उन उपायों को लागू करने की शक्ति प्रदान की गयी है जिनके द्वारा प्रदूषण के निवारण तथा नियंत्रण के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके। केन्द्रीय सरकार इस हेतु अधिकारियों की नियुक्ति तथा नियमों का निर्माण कर सकती है। 4. पर्यावरण सम्बन्धी प्रयोगशालायें (Environmental Laboratories)केन्द्रीय सरकार पर्यावरण के सम्बन्ध में प्रयोगशालाओं का गठन कर सकती है। इसके साथ ही केन्द्रीय सरकार विश्लेषक की भी नियुक्ति कर सकती है। विश्लेषक की रिपोर्ट को साक्ष्य के रूप में ग्रहण करने के लिए अधिनियम में प्रावधान किये गये हैं। हरितगृह या हरित पौध गृह प्रभाव क्या है? इसके विरुद्ध किये जा रहे सुरक्षात्मक उपायों की विवेचना कीजिए।(What is Green House Effect? Discuss various developments which are taken against it, as preventive measures.) 5. दण्ड (Penalty)अधिनियम में विहित प्रावधानों का उल्लंघन करने पर दण्डित करने के प्रावधानों को भी उल्लेखित किया गया है। ये दण्ड प्रावधान कम्पनी तथा शासकीय कार्यालयों पर भी लागू होते हैं। 6. नियम बनाने की शक्ति (Power to make rules)अधिनियम को सुचारू रूप से लागू करने के लिए अधिनियम में केन्द्रीय सरकार को नियम बनाने की शक्ति भी प्रदान की गयी है। कौन सा एक पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के अधीन गठित किया गया है?देश में भूजल प्रबंधन और विकास के नियमन और नियंत्रण के लिए पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 3 की उप-धारा (3) के तहत केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) के रूप में केंद्रीय भूजल बोर्ड का गठन किया गया था।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 कब लागू किया गया?Detailed Solution. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम भारत की संसद द्वारा 1986 में पारित किया गया था। इसे संविधान के अनुच्छेद 253 के तहत पारित किया गया था। यह 19 नवंबर 1986 को लागू हुआ था।
पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य क्या है?पर्यावरण संरक्षण का मुख्य उद्देश्य भविष्य के लिए पर्यावरण या प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना है। इस सदी में हम लोग विकास के नाम पर पर्यावरण को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं। अब हम ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं कि हम पर्यावरण संरक्षण के बिना इस ग्रह पर लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम कब निर्धारित किया गया था इस अधिनियम को रखने की क्या आवश्यकता थी?पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (Paryavaran Sanrakshan Adhiniyam 1986) संसद द्वारा 23 मई 1986 को पारित किया गया था। और 19 नवंबर 1986 को लागू किया हुआ था। इसमें चार अध्याय तथा 26 धाराएं होती हैं।
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