प्रवास के प्रतिकर्ष कारकों के नाम - pravaas ke pratikarsh kaarakon ke naam

Tuesday, September 28, 2021

सवाल: प्रवास के किन्हीं दो प्रतिकर्ष कारकों को लिखिए?

प्रवास के मुख्यत: दो प्रतिकर्ष कारक निम्नलिखित है:- मुख्य प्रयुक्त कारणों से जो लोग अपने जन्म स्थान, निवास स्थान को छोड़ने के लिए मजबूर हो जाते हैं वह व्यक्ति प्रतिकर्ष कारक कहलाते हैं। अपकर्ष कारक:- जो व्यक्ति धार्मिक स्थल, रमणीय स्थल, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सुविधाओं के कारण व्यक्ति दूसरी ओर आकर्षित होता है तो उससे अपकर्ष कारक कहते हैं।

प्रवास के प्रतिकर्ष कारकों के नाम - pravaas ke pratikarsh kaarakon ke naam

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प्रवास के प्रतिकर्ष कारक और अपकर्ष कारक

Solution

  1. प्रवास के प्रतिकर्ष कारक-प्रतिकर्ष कारक लोगों को स्थान को छोड़ने के लिए बाध्य करते हैं, जहाँ वह लम्बे समय से रह रहे होते हैं।
  2. बेरोजगारी, जीवनयापन की निम्न दशाएँ, राजनीतिक अस्थिरता व उपद्रव, प्रतिकूल जलवायु, प्राकृतिक आपदाएँ, महामारियाँ व जल की कमी, ऊबड़-खाबड़ उच्च भूमियाँ लोगों के प्रतिकर्ष का कारण बनती हैं। अपकर्ष कारक – रोजगार के बेहतर अवसर, जीवनयापन की अच्छी दशाएँ, शांति व सुरक्षा, अनुकूल जलवायु, जल की उपलब्धता, समतल उपजाऊ भूमि, शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं का विकास आदि ऐसे कारक किसी स्थान पर आप्रवास का कारण बनते हैं। विश्व के ऐसे स्थान लोगों को स्थायी रूप से बसने के लिए आकर्षण का केन्द्र होते हैं।

Concept: जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक

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प्रवास के प्रतिकर्ष कारक और अपकर्ष कारक में अन्तर

प्रवास के प्रतिकर्ष कारक और अपकर्ष कारक में अन्तर

यहाँ पढ़िए प्रवास के प्रतिकर्ष कारक और अपकर्ष कारक में अन्तर, "प्रतिकर्ष कारक वे होते हैं किनके कारण लोग अपने मूल स्थान से पलाान करते हैं जबकि अपकर्ष कारक प्रवासियों को आकर्षित करते हैं।

प्रवास के प्रतिकर्ष कारक और अपकर्ष कारक में अन्तर

प्रतिकर्ष कारकअपकर्ष कारक
प्रतिकर्ष कारक वे कारण होते हैं जिनके कारण लोग अपना निवास स्थान / उद्गम स्थान छोड़ते हैं जैसे बाढ़, भूकंप, मूलभूत सुविधाओं का अभाव आदि। अपकर्ष कारक ऐसे कारक होते हैं जो विभिन्न स्थान के लोगों को आकर्षित करते हैं जैसे शिक्षा के अवसर, स्वास्थ्य सुविधाएं रोजगार के अवसर आदि।
गाँव में आजीविका प्राप्त नहीं कर पाने वाली जनसंख्या की गणना अधिशेष जनसंख्या के रूप में की जाती है। यह जनसंख्या नगरों की ओर प्रवास करती है। नगरों में उद्योग, परिवहन, संचार व्यापार तथा वाणिज्य आदि की बेहतर सुविधायें लोगों को प्रवास के लिए प्रेरित करती हैं।
बेरोजगारी, आजीविका के साधनों की कमी, कृषि के कम उत्पादन आदि के कारण भुखमरी आदि प्रतिवर्ष के लिए प्रमुख कारक है। अपकर्ष कारक वह स्वैच्छिक प्रवास है जब लोग नगरों को सुविधाओं-अजीविका के बेहतर साधनों से प्रेरित होकर प्रवास करते है।
ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि पर बढ़ती जनसंख्या के दबाव के कारण जीविकोपार्जन के साधनों की कमी के कारण लोग बेहतर स्थानों की ओर प्रवास करते है। नगरों में अच्छे अवसरों, शिक्षा तथा मनोंरजनों के साधनों के कारण लोग चुम्बक की तरह आकषिर्त होते हैं।

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अंतर स्पष्ट कीजिए :

प्रवास के प्रतिकर्ष कारक और अपकर्ष कारक


प्रवास के प्रतिकर्ष कारक और अपकर्ष कारक में निम्नलिखित अंतर हैं:-

प्रतिकर्ष कारक अपकर्ष कारक
  1. जब लोग जीविका के साधन उपलब्ध न होने के कारण गरीबी तथा बेरोज़गारी के कारण नगरों की ओर प्रवास करते हैं तो इसे प्रतिकर्ष कारक कहा जाता है।

  2. प्रतिकर्ष कारक के कारण लोग अपने उद्गम स्थान से दूसरे स्थान की ओर जाते हैं।

  1. नगरीय सुविधाओं तथा आर्थिक परिस्थितियों के कारण जब लोग नगरों की ओर प्रवास करते हैं तो इसे अपकर्ष कारक कहा जाता है।
  2. अपकर्ष कारक के कारण लोग गन्तव्य स्थान को आकर्षक बनाते हैं।


निम्नलिखित में से कौन-सा एक प्रतिकर्ष कारक नहीं है?

  • जलाभाव

  • बेरोज़गारी

  • चिकित्सा/शैक्षणिक सुविधाएँ

  • महामारियाँ


C.

चिकित्सा/शैक्षणिक सुविधाएँ


विश्व में जनसंख्या के वितरण और घनत्व को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।


विश्व में जनसंख्या के वितरण की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह बड़ा असमान तथा अव्यवस्थित है। अनुमान है कि विश्व की 90% जनसंख्या पृथ्वी के केवल 10% भाग पर निवास करती है, जबकि केवल 10% जनसंख्या धरातल का 90% भाग घेरे हुए है। जनसंख्या के वितरण और घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक - किसी भी देश अथवा प्रदेश की जनसंख्या के वितरण को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं:-

  1. भौगोलिक कारक-
    1. धरातल :- जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने में धरातल की विभिन्नता सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है। ऊबड़ - खाबड़ तथा ऊंचे पर्वतीय प्रदेशों में जनसंख्या कम आकर्षित होती है। वहाँ जनसंख्या विरल पाई जाती है क्योंकि वहाँ पर मानव निवास की अनुकूल परिस्थितियां उपलब्ध नहीं होतीं, कृषि के लिए उपजाऊ मिट्टी का अभाव होता है, यातायात के साधनों का विकास आसानी से नहीं हो पाता, कृषि फसलों के लिए वर्धनकाल छोटा होता है, जलवायु कठोर होती है। भारत के हिमालय पर्वतीय प्रदेश, उत्तरी अमेरिका के रॉकीज़ पर्वतीय प्रदेश तथा दक्षिणी अमेरिका के एंडीज़ पर्वतीय प्रदेशों में जनसंख्या के कम पाए जाने का यही कारण है। इसी प्रकार मरुस्थलीय भू-भागों में जलवायु कठोर तथा जीवन-यापन के पर्याप्त साधन न होने के कारण जनसंख्या कम पाई जाती है। थार मरुस्थल, सहारा मरुस्थल तथा अटाकामा मरुस्थल आदि में इसी कारण जनसंख्या कम है।
      इसके विपरीत मैदानी भागों में जनसंख्या सघन पाई जाती है। विश्व की 90% जनसंख्या मैदानों में रहती है। वहाँ कृषि के लिए उपजाऊ मिट्टी, यातायात एवं संचार के साधनों का विकास तथा उद्योग - धंधों की स्थिति जनसंख्या को आकर्षित करती है। प्रारंभ में मनुष्य ने अपना निवास - स्थान इन्हीं नदियों की घाटियों में बनाया । वहाँ उसके लिए जल की आपूर्ति तथा कृषि करने के लिए उपजाऊ मिट्टी मिल जाती थी । यही कारण है कि नदियों की घाटियों में ही विश्व की प्राचीन सभ्यताएँ विकसित हुई हैं। इन्हें सभ्यता का पालना भी कहा जाता है। भारत में सतलुज गंगा के मैदान, म्यांमार में इरावती के मैदान, चीन में यांग-टी-सीक्यांग के मैदान, ईरान-इराक में दज़ला फरात तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में मिसीसिपी के मैंदानों में जनसंख्या सघन मिलती है।
    2. जलवायु :- जलवायु का जनसंख्या के वितरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है। अनुकूल तथा आरामदेय जलवायु में कृषि, उद्योग तथा परिवहन एवं व्यापार का विकास अधिक आसानी से होता है। विश्व में मध्य अक्षांश जलवायु की दृष्टि से अनुकूल है। इसलिए विश्व की अधिकांश जनसंख्या इन्हीं प्रदेशों में निवास करती है। इसके विपरीत अत्यधिक ठंडे प्रदेश जैसे ध्रुवीय प्रदेश मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। इसलिए शीत प्रदेशों में जनसंख्या विरल पाई जाती है। इसी प्रकार शुष्क मरुस्थलीय प्रदेशों की जलवायु ग्रीष्म ऋतु में झुलसाने वाली होती है तथा शीत ऋतु में ठिठुराने वाली । यही कारण है कि विश्व के मरुस्थलों; जैसे सहारा, थार, कालाहारी, अटाकामा तथा अरब के मरुस्थलों में जनसंख्या विरल है।
    3. मृदा :- मनुष्य की पहली आवश्यकता है - भोजन । भोजन हमें मिट्टी से मिलता है। मिट्टी में ही विभिन्न कृषि फसलें पैदा होती हैं। इसलिए विश्व के जिन क्षेत्रों में उपजाऊ मिट्टी है, वहाँ जनसंख्या अधिक पाई जाती है। भारत में सतलुज गंगा के मैदान, संयुक्त राज्य अमेरिका में मिसीसिपी के मैदान, पाकिस्तान में सिंध के मैदान, मिस्र में नील नदी के मैदान आदि में उपजाऊ मिट्टी की परतें हैं जिससे अधिकांश लोग वहाँ आकर बस गए हैं।
    4. वनस्पति :- वनस्पति भी जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करती है। उदाहरणार्थ, भूमध्य-रेखीय क्षेत्रों में सघन वनस्पति (सदाबहारी वनों) के कारण यातायात के साधनों का विकास कम हुआ है। आर्द्र जलवायु के कारण मानव-जीवन अनेक रोगों से ग्रसित रहता है इसलिए यहाँ की जनसंख्या विरल है। इसके विपरीत जिन क्षेत्रों में वनस्पति आर्थिक उपयोग वाली होती है वहाँ मानव लकड़ी से. संबंधित अनेक व्यवसाय आरंभ कर देता है; जैसे टैगा के वनों का आर्थिक महत्त्व है इसलिए वहाँ जनसंख्या अधिक पाई जाती है। वनस्पति विहीन क्षेत्रों (मरुस्थलों) में भी जनसंख्या विरल है।
  2. मानवीय कारक -
    1. कृषि :- विश्व में जो क्षेत्र कृषि की दृष्टि से अनुकूल हैं, वहाँ जनसंख्या का अधिक आकर्षण होता है। वहाँ लोग प्राचीन समय से ही अधिक संख्या में निवास करते आ रहे हैं। प्रेयरीज़ तथा स्टेपीज़ प्रदेश कृषि के लिए उपयुक्त हैं इसलिए वहाँ जनसंख्या का घनत्व अधिक है। भारत में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा तथा पंजाब में जनसंख्या का घनत्व अधिक है। इसी प्रकार चीन में यांग-टी-सीक्यांग की घाटी कृषि के लिए सर्वोत्तम वातावरण उपलब्ध कराती है इसलिए यहाँ जनसंख्या का केंद्रीकरण अधिक हुआ है।
    2. नगरीकरण :- नगर जनसंख्या के लिए चुंबक का कार्य करते हैं। बीसवीं शताब्दी में नगरीकरण की प्रवृत्ति के कारण नगरों की जनसंख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। नगरों में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, व्यापार आदि की अधिक सुविधाएँ सुलभ हैं इसलिए जनसंख्या का जमघट नगरों में अधिक देखने को मिलता है। न्यूयार्क, लंदन, मास्को, बीजिंग, शंघाई, सिडनी, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई आदि नगरों में जनसंख्या में तीव्र वृद्धि हो रही है। कई नगरों में जनसंख्या की विस्फोटक स्थिति के कारण मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण स्वास्थ्य पर कुप्रभाव डालने वाली समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
    3. औद्योगीकरण :- जिन क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना अधिक हुई है तथा औद्योगिक विकास तीव्र हुआ
      है, वहाँ जनसंख्या का आकर्षण बढ़ा है। जापान, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका का उत्तरी-पूर्वी भाग, जर्मनी का रूर क्षेत्र तथा यूरोपीय देशों में औद्योगिक विकास के कारण जनसंख्या में तीव्र वृद्धि हुई है। भारत में पिछले दो दशकों से दिल्ली, मुंबई तथा हुगली क्षेत्र में औद्योगिक विकास के कारण जनसंख्या बड़ी तेजी से बड़ी है।
    4. परिवहन :- परिवहन की सुविधाओं का भी जनसंख्या के वितरण पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। जिन क्षेत्रों में यातायात की अधिक सुविधाएँ है वहाँ जनसंख्या का अधिक आकर्षण होता है। महासागरीय यातायात के विकास के कारण कई बंदरगाह विश्व के बड़े नगर बन चुके हैं। वहाँ अन्य यातायात के साधन भी विकसित हो जाते हैं। सिंगापुर, शंघाई, सिडनी, मुंबई, न्यूयार्क आदि बंदरगाहों के रूप में विकसित हुए थे, लेंकिन आज इन नगरों में रेल, सड़क तथा वायुयातायात की सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
    5. राजनीतिक कारक :- राजनीतिक कारक भी कुछ सीमा तक जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करते
      हैं। सरकार की जनसंख्या नीति मानव के बसाव को अनुकूल तथा प्रतिकूल बना सकती है। रूस सरकार साइबेरिया में जनसंख्या वृद्धि को प्रोत्साहित करके उनको पारितोषिक देती है। फ्रांस में जनसंख्या वृद्धि के लिए करों में रियायतें दी जाती हैं जबकि चीन,भारत तथा जापान में जनसंख्या की विस्फोटक स्थिति है। चीन में एक बच्चा होने के बाद सरकार ने दूसरे बच्चे के जन्म देने पर प्रतिबंध लगा रखा है। भारत में भी जनसंख्या को नियंत्रित करने के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन पिछले एक दशक से चीन की जनसंख्या में वृद्धि-दर निरंतर कम हो रही है जबकि भारत में वृद्धि-दर 2 प्रतिशत से भी अधिक है। वह दिन निकट ही है जब भारत की जनसंख्या विश्व में सबसे अधिक हो जाएगी ।
  3. आर्थिक कारक- जिन क्षेत्रों में खनिज पदार्थों के भंडार मिलते हैं, वहाँ खनन व्यवसाय तथा उद्योगों की स्थापना के कारण जनसंख्या अधिक आकर्षित होती है। ब्रिटेन में पेनाइन क्षेत्र, जर्मनी में रूर क्षेत्र, संयुक्त राज्य अमेरिका में अरप्लेशियन क्षेत्र, रूस के डोनेत्स बेसिन तथा भारत के छोटा नागपुर के पठार में जनसंख्या का केंद्रीकरण वहाँ की खनिज संपदा की ही देन है।


निम्नलिखित में से किस महाद्वीप में जनसंख्या वृद्धि सर्वाधिक है?

  • अफ्रीका

  • एशिया

  • दक्षिण अमेरिका

  • उत्तर अमेरिका


जनांकिकीय संक्रमण की तीन अवस्थाओं की विवेचना कीजिए।


जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत का उपयोग किसी क्षेत्र की जनसंख्या के वर्णन तथा भविष्य की जनसंख्या के पूर्वानुमान के लिए किया जा सकता है। यह सिद्धांत हमें बताता है कि जैसे ही समाज ग्रामीण अशिक्षित अवस्था से उन्नति करके नगरीय औद्योगिक और साक्षर बनता है तो किसी प्रदेश की जनसंख्या उच्च जन्म-दर और उच्च मृत्यु-दर से निम्न जन्म-दर व निम्न मृत्यु दर में बदल जाती है। ये परिवर्तन तीन अवस्थाओं में होते हैं-

  1. प्रथम अवस्था :- उच्च प्रजननशीलता में उच्च मर्त्यता होती है क्योंकि लोग महामारियों और भोजन की अनिश्चित आपूर्ति से पीड़ित थे। जीवन - प्रत्याशा निम्न होती है, अधिकांश लोग अशिक्षित होते हैं और उनके प्रौद्योगिकी स्तर निम्न होते हैं।
  2. द्वितीय अवस्था :- द्वितीय अवस्था के प्रारंभ में प्रजननशीलता ऊँची बनी रहती है किंतु यह समय के साथ घटती जाती है। स्वास्थ्य संबंधी दशाओं व स्वच्छता में सुधार के साथ मर्त्यता में कमी आती है।
  3. तीसरी अवस्था :- तीसरी अवस्था में प्रजननशीलता और मर्त्यता दोनों घट जाती हैं। जनसंख्या या तो स्थिर हो जाती हैया मंद गति से बढ़ती है। जनसंख्या नगरीय और शिक्षित हो जाती है व उसके पास तकनीकी ज्ञान होता है। ऐसी जनसंख्या विचारपूर्वक परिवार के आकार को नियंत्रित करती है।


निम्नलिखित में से कौन-सा एक विरल जनसंख्या वाला क्षेत्र नहीं है?

  • अटाकामा

  • भूमध्यरेखीय प्रदेश

  • दक्षिण-पूर्वी एशिया

  • ध्रुवीय प्रदेश


प्रवास के प्रतिकर्ष कारक कौन कौन से हैं बताओ?

Solution. प्रवास के प्रतिकर्ष कारक-प्रतिकर्ष कारक लोगों को स्थान को छोड़ने के लिए बाध्य करते हैं, जहाँ वह लम्बे समय से रह रहे होते हैं। बेरोजगारी, जीवनयापन की निम्न दशाएँ, राजनीतिक अस्थिरता व उपद्रव, प्रतिकूल जलवायु, प्राकृतिक आपदाएँ, महामारियाँ व जल की कमी, ऊबड़-खाबड़ उच्च भूमियाँ लोगों के प्रतिकर्ष का कारण बनती हैं

प्रवास के दो प्रमुख कारक क्या है?

प्रवास एक व्यक्ति के रूप मे, परिवार, विशाल समूह के रूप मे होता है। घरेलु पलायन या आतंरिक पलायन- यानि देश के भीतर के लोगों का एक से दूसरे खंड मे आवाजावी होना। अंतराष्ट्रीय पलायन -लोगों का एक देश से दूसरे देश मे आवाजावी होना। घुमंतू लोगो को मानव पलायन नहीं माना जाता है, क्योंकि ये एक स्थान मे बसने का इरादा नहीं रखते।

प्रतिवर्ष कारक क्या है?

जब लोग जीविका के साधन उपलब्ध न होने के कारण गरीबी तथा बेरोज़गारी के कारण नगरों की ओर प्रवास करते हैं तो इसे प्रतिकर्ष कारक कहा जाता हैप्रतिकर्ष कारक के कारण लोग अपने उद्गम स्थान से दूसरे स्थान की ओर जाते हैं।

प्रवास के अपकर्ष कारक क्या हैं उदाहरण दीजिए?

प्रवास के कुछ अपकर्ष कारक बेहतर आर्थिक अवसर, बेहतर रहने की स्थिति, सुखद जलवायु, सामाजिक शांति, राजनीतिक स्थिरता, जीवन और संपत्ति की सुरक्षा, बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं आदि हैंउदाहरण के लिए, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र बेहतर आर्थिक अवसर प्रदान करता है, यही वजह है कि बहुत से लोग वहां पलायन करते हैं