परशुराम के क्रोधित होकर यह कहने पर कि भगवान शंकर का यह धनुष कोई साधारण धनुष नहीं है लक्ष्मण ने क्या कहा? - parashuraam ke krodhit hokar yah kahane par ki bhagavaan shankar ka yah dhanush koee saadhaaran dhanush nahin hai lakshman ne kya kaha?

मुनि परशुराम क्रोधित होकर सीता स्वयंवर में पहुंचे। टूटे धनुष को देखकर राजा जनक पर अत्यंत क्रोधित होकर पूछ रहे थे - किसने धनुष खंडित किया। राजा जनक सहित ऋषि मुनि उन्हें शांत कराने लगे लेकिन उनका क्रोध बढ़ता ही जा रहा था। मुनि आपे से बाहर होकर कह रहे थे - हे, जनक, शंकरजी के धनुष को तोड़ने वाला कौन है, तू जल्दी बता शिव-धनुष किसने तोड़ा, इस भरे स्वयंवर में किसने सीता से नाता जाेड़ा..।

यह दृश्य स्थानीय कलाकार मंगलवार की रात गांव में चल रही रामलीला में प्रस्तुत कर रहे थे। रामलीला में सैकड़ों की संख्या में गांव सहित आसपास क्षेत्र के दर्शक उपस्थित थे। रामलीला के मंच पर आकर्षक वेश में स्वयंवर के दृश्य मंचन चल रहा था। स्वयंवर में श्रीराम द्वारा धनुष तोड़ने पर पहुंचे मुनि परशुराम अत्यंत क्रोधित हो धनुष तोड़ने वाले का राजा जनक से नाम पूछ थे। ऋषि परशुराम ने कहा- हे जनक, पृथ्वी पर जितना तेजा राज्य है सब उलट-पलट कर डालूंगा। जल्दी से मुझे उसका नाम बात। इस पर श्रीराम आगे आकर कहते हैं ऋषिराज शंकर के धनुष को तोड़ने वाला कोई आपका दास ही होगा। समझाने पर भी जब नहीं मानें तो लक्ष्मण आगे आए और बोले - जो करना हो सो करो, शिव धनुआ हमने तोड़ा है। ऐसे कई धनुष लड़कपन में तोड़े हैं। तभी परशुरामजी के मन में विचार किया धनुष संसार के स्वामी भगवान विष्णु के अलावा कोई नहीं तोड़ सकता।

धनुष टूटते ही आक्रोशित परशुराम परसा हाथ में लिए मंच पर आए।

रामलीला