पंडित अलोपीदीन मुक्त होकर क्यों गिर पड़े? - pandit alopeedeen mukt hokar kyon gir pade?

पंडित अलाउद्दीन मूर्छित होकर क्यों गिर पड़े?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. पंडित अलोपदीन मूर्छित होकर इसलिए गिर पड़े क्योंकि मुंशी दरोगा मुंशी वंशीधर ने उन्हें हथकड़ी लगाने का आदेश दिया था।

अलोपीदीन के खिलाफ मुकदमा शीघ्र ही समाप्त क्यों हो गया?

इसे सुनेंरोकेंमुकदमा शीघ्र ही समाप्त हो गया। डिप्टी मजिस्ट्रेट ने अपनी तजवीज़ में लिखा, पंडित अलोपीदीन के विरुद्ध दिए गए प्रमाण निर्मूल और भ्रमात्मक हैं। वह एक बड़े भारी आदमी हैं। यह बात कल्पना के बाहर है कि उन्होंने थोड़े लाभ के लिए ऐसा दुस्साहस किया हो।

नमक का दरोगा कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व हैं कौन से दो पहलू पक्ष उभर कर आते हैं लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंकहानी में पंडित आलोपीदीन के दो पहलू नज़र आते है| एक ईमानदारी का पर व्यापारी का| पंडित आलोपीदीन व्यापार को चलाने के लिए अच्छे और बुरे तरीकों का प्रयोग करते है| वह एक भ्रष्ट, धूर्त, स्वार्थी व्यक्ति दिखाई देते हैं। दूसरा पक्ष एक ऐसे व्यक्ति का है, जो ईमानदारी, आदर्श और दृढ़ चरित्र वाले लोगों का सम्मान करता है।

नमक का दरोगा कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन से दो पहलू पक्ष उभर कर आते हैं?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : ‘नमक का दारोगा’ कहानी में पंडित आलोपीदीन के व्यक्तित्व के पक्ष के दो पहलू उभरकर आते हैं। पंडित आलोपीदीन एक व्यापारी हैं। अपने व्यापार को चलाने के लिए वे हर अच्छे-बुरे तरीका का प्रयोग करते हैं। वंशीधर को अपने मार्ग से हटाने के लिए वे सारे हथकंडे प्रयोग में लाते हैं।

मुंशी वंशीधर के पिता ने नौकरी में वादे को क्या नाम दिया?

इसे सुनेंरोकेंमुंशी वंशीधर के पिता ने नौकरी में पद को पीर का मजार का नाम दिया था। मुंशी बंशीधर के पिता एक अनुभवी पुरुष थे और जब मुंशी वंशीधर रोजगार की खोज में निकले, तो वह अपने बेटे को समझाने लगे कि नौकरी में पद की ओर ध्यान मत देखना। यह तो पीर का मजार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए।

मुंशी वंशीधर के पिता ने नौकरी में उद्योग को क्या नाम दिया?

इसे सुनेंरोकेंमुंशी वंशीधर के पिता ने नौकरी में पद को पीर का मजार का नाम दिया था। मुंशी बंशीधर के पिता एक अनुभवी पुरुष थे और जब मुंशी वंशीधर रोजगार की खोज में निकले, तो वह अपने बेटे को समझाने लगे कि नौकरी में पद की ओर ध्यान मत देखना। यह तो पीर का मजार है।

पंडित अलोपीदीन के नमक की गाड़ियां कहां क्यों किसने रोकी थी?

इसे सुनेंरोकेंपंडित अलोपीदीन इलाके के सबसे प्रतिष्ठित जमींदार थे। लाखों रुपयों का व्यापार था। वंशीधर ने जब जाँच किया तब पता चला कि गाड़ियों में नमक के बोरे हैं। उन्होंने गाड़ियाँ रोक लीं।

अलोपीदीन मूर्छित होकर क्यों गिर पड़े?

' धर्म ने धन को पैरों तले कुचल डाला। अलोपीदीन ने एक हृष्ट-पुष्ट मनुष्य को हथकड़ियाँ लिए हुए अपनी तरफ़ आते देखा। चारों ओर निराश और कातर दृष्टि से देखने लगे। इसके बाद एकाएक मूर्छित होकर गिर पड़े

पंडित अलोपीदीन कौन थे?

पंडित अलोपीदीन इस इलाके के सबसे प्रतिष्ठित ज़मींदार थे. लाखों रुपए का लेन-देन करते थे, इधर छोटे से बड़े कौन ऐसे थे जो उनके ऋणी न हों. व्यापार भी बड़ा लम्बा-चौड़ा था. बड़े चलते-पुरजे आदमी थे.

नमक का दरोगा कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व में कौन से दो पहलू उभर कर आते हैं?

'नमक का दारोगा' कहानी में पंडित आलोपीदीन के व्यक्तित्व के पक्ष के दो पहलू उभरकर आते हैंपंडित आलोपीदीन एक व्यापारी हैं। अपने व्यापार को चलाने के लिए वे हर अच्छे-बुरे तरीका का प्रयोग करते हैं। वंशीधर को अपने मार्ग से हटाने के लिए वे सारे हथकंडे प्रयोग में लाते हैं

कहानी के अंत में अलोपीदीन ने वंशीधर को मैनेजर नियुक्त करने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं?

उत्तर: कहानी के अंत में अलोपीदीन द्वारा वंशीधर को नियुक्त करने का कारण तो स्पष्ट रूप से यही है कि उसे अपनी जायदाद का मैनेजर बनाने के लिए एक ईमानदार मिल गया।