छात्रों के वर्गीकरण से आप क्या समझते हैं ? वर्गीकरण की आवश्यकता एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए। छात्रों का वर्गीकरण (Classification of Students)विद्यालय में विभिन्न आयु, क्षमता, रुचि एवं योग्यता के बालक पढ़ने आते हैं। इनका वर्गीकरण करना आवश्यक है। छात्रों के वर्गीकरण से शिक्षण प्रक्रिया सुचारु रूप से चलती है, अन्यथा अनेक बाधाएँ उत्पन्न होती हैं। छात्र-वर्गीकरण की आवश्यकता एवं महत्व (Need and Importance of Classification of Students)श्री ए० आर० शर्मा के अनुसार वर्गीकरण की आवश्यकता तथा महत्व निम्नलिखित हैं— 1. यदि बालकों के बैठाने के लिए बड़े कमरे की व्यवस्था कर भी दी जाए तो पीछे बैठने वाले बालकों को अध्यापक का कथन सुनने तथा श्यामपट पर लिखे हुए को भली प्रकार देखने में कठिनाई होगी। इसलिए कक्षा में कम से कम छात्रों का होना आवश्यक है तथा यह वर्गीकरण द्वारा ही सम्भव है। 2. एक ही कक्षा में यदि बहुत अधिक बालक हों तो उन्हें एक ही स्थान पर बैठाकर पढ़ाने में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जैसे–कमरे में स्थान का अभाव तथा अनुशासनहीनता उत्पन्न होना। इसलिए इन कक्षाओं को छोटे-छोटे वर्गों में बाँटना आवश्यक है। 3. कक्षा में अधिक बालक होने पर अध्यापक प्रत्येक बालक पर ध्यान नहीं दे पाएगा तथा उनकी रुचि, उन्नति तथा कार्य विधि पर दृष्टि नहीं रख सकेगा, परिणामस्वरूप उनके सर्वांगीण विकास में सहयोग नहीं दे पायेगा। अतः कक्षाओं को छोटे-छोटे वर्गों में बाँटते हैं। 4. बालक की शिक्षा में अध्यापक द्वारा व्यक्तिगत रुचि लेने और अन्य बालकों के साथ सामूहिक रूप में कक्षा अध्ययन से जो लाभ प्राप्त होते हैं, उन दोनों में मधुर सामंजस्य स्थापित करने के लिए वर्गीकरण करना अति आवश्यक हो जाता है। 5. वर्गीकरण की सबसे बड़ी आवश्यकता इसलिए कि यदि एक ही कक्षा में विभिन्न प्रकार की योग्यता, रुचि, मानसिक आयु के विद्यार्थी हुए तो उस कक्षा में किसी भी शिक्षण विधि का प्रयोग नहीं किया जा सकता और अध्यापक के लिए उस कक्षा को प्रगति के पक्ष पर ले जाना असम्भव हो जाता है, क्योंकि यदि वह अधिक योग्यता वाले बालकों को ध्यान रखकर पढ़ाएँ तो कम योग्यता के बालक और भी पिछड़ जायेंगे और यदि कम योग्यता वाले बालकों के स्तर को ध्यान में रखकर पढ़ायें तो अधिक योग्यता वाले बालक उससे किसी प्रकार का लाभ नहीं उठा सकेंगे। छात्रों के वर्गीकरण के आधार (Basis of Students Classification)विभिन्न आयु तथा योग्यता वाले छात्रों को वर्गों में बाँटने के प्रमुख आधार ये हैं- 1. आयु-कुछ विद्वानों का कथन है कि छात्रों को आयु के अनुसार वर्गों में विभाजित करना चाहिए। 2. विशेष योग्यता- विशेष योग्यता का अर्थ है किसी विशेष विषय में प्रवीणता के आधार पर छात्रों का वर्गों में वर्गीकरण किया जाए। 3. मानसिक आयु-कुछ शिक्षाशास्त्रियों के अनुसार मानसिक आयु के आधार पर छात्रों को वर्गों में बाँटना चाहिए। 4. हैडो का मत-किस्टर हैडो के अनुसार, “प्रत्येक जूनियर विद्यालय में कम से कम दो धारायें (Streams) प्रचलित होती हैं, जबकि सीनियर विद्यालयों में तीन धारायें प्रचलित होती हैं। जूनियर विद्यालय की A धारा में उत्कृष्ट बुद्धि के ” बालक होते हैं, जबकि B धारा में वे बालक होते हैं, जो सामान्य बुद्धि के होते हैं। माध्यमिक विद्यालय में A धारा उत्कृष्ट बालक, B धारा में सामान्य और C धारा में निम्न स्तर के बालक होते हैं। “ 5. यौन भेद- बालक तथा बालिकाओं के वर्ग लिंग भेद के आधार पर बनाए जाते हैं। लिंग के आधार पर भी वर्ग बनाए जाते हैं। लड़कियों तथा लड़कों को शिक्षा अलग-अलग दी जाती है। आजकल सह-शिक्षा का प्रचलन है। इसके निम्नलिखित लाभ हैं-
वर्गों का आकार- सामान्यतः एक वर्ग में 35 से 40 तक छात्र होने चाहिएँ। उच्च कक्षाओं में 40 से 50 तक छात्र होने चाहिएँ । वर्गीकरण से लाभ (Advantages of Classification)छात्रों को वर्गीकृत करने से अनेक लाभ हैं, जो इस प्रकार हैं-
वर्गीकरण से हानियाँ (Disadvantages of Classification)वर्गीकरण से लाभों के साथ-साथ हानियाँ भी हैं, ये इस प्रकार हैं-
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Disclaimer Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: You may also likeAbout the authorइस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद.. छात्रों के वर्गीकरण से आप क्या समझते हैं?3. छात्रों का वर्गीकरण तथा शिक्षा के सोपान-सब माध्यमिक तथा प्राथमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों का वर्गीकरण शिक्षा सोपानों (Stages) के अनुसार निम्नलिखित हैं- (क) पूर्व बेसिक सोपान (Stage)-शिशु शिक्षा | (ख) जूनियर बेसिक (प्राइमरी) सोपान कक्षा 1 से 5 तक। (ग) सीनियर बेसिक (जूनियर हाई स्कूल) सोपान-कक्षा 6 से 8 तक।
वर्गीकरण पद्धति क्या है?Solution : वर्गीकरण पद्धति (classification system) जीवों को उनके लक्षणों की असमानता और समानता के आधार पर समूह तथा उपसमूहों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया है। प्रारम्भिक पद्धतियाँ कृत्रिम थों। उसके पश्चात् प्राकृतिक तथा आतिवृतीय वर्गीकरण पद्धतियों का विकास हुआ।
वर्गीकरण की पांच विशेषताएं क्या है?Video Solution: पाँच जगत वर्गीकरण की विशेषता बताइए। UPLOAD PHOTO AND GET THE ANSWER NOW! Step by step video & image solution for [object Object] by Biology experts to help you in doubts & scoring excellent marks in Class 11 exams.
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. वर्गीकरण और उदाहरण क्या है?वर्गीकरण(Classification) वर्गीकरण का सामान्य अर्थ है, किसी वस्तु(अक्षर/शब्द/संख्या) को उसके रंग, आकार, लक्षण या किसी अन्य गुण के आधार पर किसी वर्ग या समुह में रखना। जैसे - शेर की बात करें तो इसे हम चार पैर वाले जानवरों के समुह में रख सकते हैं। मासाहारी जानवारों के समुह में रख सकते हैं।
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