कवि के पड़ोस में कौन रहता था? - kavi ke pados mein kaun rahata tha?

माँ की बेबसी

न जाने किस अदृश्य पड़ोस से
निकल कर आता था वह
खेलने हमारे साथ
रतन, जो बोल नहीं सकता था
खेलता था हमारे साथ
एक टूटे खिलौने की तरह
देखने में हम बच्चों की ही तरह
था वह भी एक बच्चा।
लेकिन हम बच्चों के लिए अजूबा था
क्योंकि हमसे भिन्न था।

यह कविता कुँवर नारायण ने लिखी है।

एक बच्चा पड़ोस से आता था अन्य बच्चों के साथ खेलने। वह बच्चा बोल नहीं सकता था, इसलिए उसके बारे में बाकी बच्चों को बहुत कुछ मालूम नहीं था। इसलिए कवि ने उसके लिए अदृश्य पड़ोस का इस्तेमाल किया है।

वह बच्चा सामान्य बच्चों से अलग था। इसलिए वह एक अजूबा था। कवि ने उसकी तुलना एक टूटे खिलौने से की है। टूटे हुए खिलौने का एकाध पुर्जा गायब रहता है।


राख की रस्सी फसलों के त्योहार खिलौनेवाला नन्हा फनकार जहाँ चाह वहाँ राह चिट्ठी का सफर वे दिन भी क्या दिन थे माँ की बेबसी एक दिन की बादशाहत गुरु और चेला स्वामी की दादी बाघ आया उस रात बिशन की दिलेरी पानी रे पानी छोटी सी हमारी नदी चुनौती हिमालय की

थोड़ा घबराते भी थे हम उससे
क्योंकि समझ नहीं पाते थे
उसकी घबराहटों को
न इशारों में कही उसकी बातों को
न उसकी भयभीत आँखों में

बाकी बच्चे उसे ठीक से समझ नहीं पाते थे। वे उसकी घबराहटों को नहीं समझ पाते थे। वे इशारों में कही उसकी बातों को नहीं समझ पाते थे। वे उसकी डरी हुई आँखों को भी नहीं समझ पाते थे। इसलिए बाकी बच्चे उससे थोड़ा घबराते भी थे।

जितनी देर वह रहता
पास बैठी उसकी माँ
निहारती रहती उसका खेलना।
अब जैसे जैसे
कुछ बेहतर समझने लगा हूँ
उनकी भाषा जो बोल नहीं पाते हैं
याद आती रतन से अधिक
उसकी माँ की आँखों में झलकती बेबसी।

जितनी देर वह बच्चा वहाँ पर रहता उतनी देर तक उसकी माँ पास बैठी उसे निहारती रहती थी। अब जब कवि एक वयस्क हो चुका है, वह उनकी भाषा कुछ बेहतर समझने लगा है जो बोल नहीं पाते हैं। इसलिए अब कवि को रतन से ज्यादा उसकी माँ की आँखों में झलकती बेबसी याद आती है।

जब किसी माँ का बच्चा बोल नहीं पाता है तो उस माँ के मन में अथाह बेचैनी छिपी रहती है। यह बेचैनी उस माँ की आँखों से झलकती रहती है।


कविता से

प्रश्न 1: वह बच्चा कवि के पड़ोस में रहता था, फिर भी कविता अदृश्य पड़ोस से शुरु होती है। इसके कई अर्थ हो सकते हैं, जैसे

  1. कवि को मालूम नहीं था कि यह बच्चा ठीक-ठाक किस घर में रहता था।
  2. पड़ोस में रहने वाले बाकी बच्चे एक दूसरे से बातें करते थे, पर यह बच्चा बोल नहीं पाता था, इसलिए पड़ोसी होने के बावजूद वह दूसरे बच्चों के लिए अनजाना था।
  3. इन दो में से कौन सा अर्थ तुम्हें ज्यादा सही लगता है? क्या कोई और अर्थ भी हो सकता है?

उत्तर: दूसरा विकल्प सही उत्तर है

प्रश्न 2: अंदर की छटपटाहट उसकी आँखों में किस रूप में प्रकट होती थी?

  1. चमक के रूप में
  2. डर के रूप में
  3. जल्दी घर लौटने की इच्छा के रूप में

उत्तर: डर के रूप में

प्रश्न 3: जो बच्चा बोल नहीं सकता, वह किस किस बात की आशंका से घबराहट महसूस कर सकता है?

उत्तर: जो बच्चा बोल नहीं सकता उसे कई तरह की आशंकाएँ हो सकती हैं। उसे हमेशा यह डर लगा रहता है कि बाकी लोगों तक अपनी बात कैसे पहुँचाए। मुसीबत के समय वह किसी से मदद की गुहार भी नहीं लगा सकता है।

प्रश्न 4: थोड़ा घबराते भी थे हम उससे, क्योंकि समझ नहीं पाते थे उसकी घबराहटों को।

(a) रतन क्या सोचकर घबराता होगा?

उत्तर: रतन को उस बच्चे के मन की बातें पूरी तरह समझ नहीं आती थी। इसलिए रतन घबराता होगा।

(b) अपने दोस्तों से पूछकर पता करो, कौन क्या सोचकर और किस काम को करने में घबराता है। कारण भी पता करो।

उत्तर:

दोस्त/सहेली का नामकिस बात से घबराता हैघबराने का कारण
राजन इम्तिहान से फेल होने का डर
स्नेहा कुत्तों से कुत्ते के काटने का डर

भाषा के रंग

प्रश्न 1: कवि ने इस बच्चे को टूटे खिलौने की तरह बताया है। जब कोई खिलौना टूट जाता है तो वह उस तरह से काम नहीं कर पाता जिस तरह से पहले करता था। संदर्भ के अनुसार खाली स्थान भरो

उत्तर:

खिलौनाटूटने का कारणनतीजा
गाड़ी पहिया निकल जाने पर चल नहीं पाती
गुड़िया सीटी निकल जाने पर आवाज नहीं आती
गेंद हवा निकल जाने पर उछलती नहीं
जोकर चाबी निकल जाने पर ताली नहीं बजाता

प्रश्न 2: बेबस शब्द बे और वश को जोड़कर बना है। यहाँ बे का अर्थ बिना है। नीचे दिए शब्दों में यही बे छिपा है। इस सूची में तुम और कितने शब्द जोड़ सकते हो?

बेजान, बेचैन, बेसहारा, बेहिसाब

उत्तर: बेफिक्र, बेईमान, बेरहम, बेशर्म


देखने के तरीके

प्रश्न 1: इस कविता में देखने से संबंधित कई शब्द आए हैं। ऐसे छः शब्द छाँटकर लिखो।

उत्तर: निहारती, झलकती

प्रश्न 2: माँ की आँखों में झलकती उसकी बेबसी

आँखें बहुत कुछ कहती हैं। वे तरह तरह के भाव लिए होती हैं। नीचे ऐसी कुछ आँखों का वर्णन है। इनमें से कौन सी नजरें तुम पहचानते हो?

सहमी नजरें, प्यार भरी नजरें, क्रोध भरी आँखें, उनींदी आँखें, शरारती आँखें, डरावनी आँखें

उत्तर: सभी

प्रश्न 3: नीचे आँखों से जुड़े कुछ मुहावरे दिए गए हैं। तुम इनका प्रयोग किन संदर्भों में करोगे?

(a) आँख दिखाना

उत्तर: मुझे आँख दिखाने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई?

(b) नजर चुराना

उत्तर: होमवर्क पूरा न होने के कारण रोहित अपनी टीचर से नजर चुरा रहा था।

(c) आँख का तारा

उत्तर: स्नेहा अपनी माँ की आँखों का तारा है।

(d) नजरें फेर लेना

उत्तर: आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मुझसे नजरें फेर लीं।

(e) आँख पर पर्दा पड़ना

उत्तर: शर्मा जी का बेटा बहुत शरारती है फिर भी उनकी आँखों पर पर्दा पड़ गया है।

माँ

याद आती रतन से अधिक उसकी माँ की आँखों में झलकती उसकी बेबसी

प्रश्न 1: रतन की माँ की आँखों में किस तरह की बेबसी झलकती होगी?

उत्तर: रतन की माँ को यह चिंता रहती होगी कि कोई अन्य बच्चा उसे चोट न पहुँचा दे। उसे यह भी चिंता रहती होगी कि कोई उसे चिढ़ा न दे। वह अपने बेटे के भविष्य को लेकर भी चिंतित रहती होगी। लेकिन उनके मन में अपने बेटे के लिए कुछ न कर पाने की बेबसी रहती होगी।

प्रश्न 2: अपनी माँ के बारे में सोचते हुए नीचे लिखे वाक्यों को पूरा करो

(a) मेरी माँ बहुत खुश होती हैं जब

उत्तर: मैं परीक्षा में अव्वल नंबर लाता हूँ।

(b) माँ मुझे इसलिए डाँटती हैं, क्योंकि

उत्तर: देर तक सोने के चक्कर में कभी कभी मेरी स्कूल बस छूट जाती है।

(c) मेरी माँ चाहती हैं कि मैं

उत्तर: बड़ा होकर डॉक्टर बनूँ।

(d) माँ उस समय बहुत बेबस हो जाती हैं जब

उत्तर: जब मुझे तेज बुखार हो जाता है।

(e) मैं चाहता हूँ कि मेरी माँ

उत्तर: हमेशा मेरे पास रहें।


  • Prev
  • माँ की बेबसी
  • Next

कवि के पड़ोस में कौन सा लड़का रहता था?

रतन क्या सोचकर घबराता होगा? भाषा के रंग 1. कवि ने इस बच्चे को 'टूटे खिलौने' की तरह बताया है। जब कोई खिलौना टूट जाता है तो वह उस तरह से काम नहीं कर पाता जिस तरह से पहले करता था

रतन का खेलना कौन नहीं आता था?

अब उसे रतन की भाषा समझ में आने लगी है। यह भी याद आने लगा है कि कैसे उसकी माँ बेबस आँखों से अपने गुंगे बच्चे को निहारती थी। कवि कहता है कि रतन से भी ज्यादा बेबस तो उसकी माँ थी

रतन दूसरे बच्चे से कैसे बना था?

रतन देखने में अन्य बच्चों की तरह ही था, लेकिन वो बोल नहीं पाता था इस कारण वह अपने भावनाओं की अभिव्यक्ति बोलकर नहीं कर पाता था। अपनी बात नहीं कह पाता था, इसी कारण वह दूसरे बच्चों से भिन्न था। वह दूसरे बच्चों के साथ रोज खेलने आया करता था, लेकिन दूसरे बच्चे उससे थोड़ा हिचकते थे, क्योंकि वह उसके बातों को समझ नहीं पाते थे।

कविता में बच्चे को चित्रों को देखना क्यों पसंद था?

अब तक यह बात स्पष्ट रूप से समझ में आ गई थी कि कुछ बच्चे जिन्हें पढ़ना नहीं आता है वे भी किताबों में कम से कम चित्र तो देखते हैं और चित्रों को पढ़ते हैं, चित्रों पर बातचीत करते हैं । इसलिए उनके लिए वे किताबें ज़्यादा उपयोगी थीं जिनमें केवल चित्र हों और लिखा हुआ कम हो ।