नागौर भारत के राजस्थान राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय नागौर है।[1][2] परिचय[संपादित करें]
इतिहास[संपादित करें]यह क्षेत्र प्राकऐतिहासिक है, किंतु नागौर की प्रसिद्धि मध्ययुगीन है। सपादलक्ष अर्थात् सांभर एवं नागौर चौहानों के मूल स्थान थे। भारत में तुर्को के आगमन के साथ ही नागौर उनकी शक्ति का केन्द्र बन गया। नागौर महाराणा कुम्भा के अधीन भी रहा। पन्द्रहवीं-सोलहवीं शताब्दी में गुजरात के मुस्लिम शासकों की नागौर की राजनीति में दिलचस्पी रही। सन् 1534 ई. में गुजरात के शासक बहादुरशाह द्वितीय ने नागौर पर थोड़े समय के लिए अधिकार कर लिया था। सम्राट अकबर के समय में नागौर मुग़ल साम्राज्य का अंग था। 1570 ई. में अकबर ने नागौर में दरबार लगाया था, जिसमें अनेक राजपूत राजाओं ने अकबर से मिलकर उसकी अधीनता स्वीकार कर ली थी। राजस्थान में अजमेर के बाद नागौर ही सूफी मत का प्रसिद्ध केन्द्र रहा। यहाँ पर ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती के शिष्य शेख हमीदुद्दीन नागौरी (1192-1274 ई.) ने अपने गुरु के आदेशानुसार सूफी मत का प्रचार-प्रसार किया। यद्यपि इनका जन्म दिल्ली में हुआ था लेकिन इनका अधिकांश समय नागौर में ही बीता। इन्होंने अपना जीवन एक आत्मनिर्भर किसान की तरह गुजारा और नागौर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थिति सुवाल नामक गाँव में खेती की। वे पूर्णतः शाकाहारी थे एवं अपने शिष्यों से भी शाकाहारी रहने को कहते थे। इनकी ग़रीबी को देखकर नागौर के प्रशासक ने इन्हें कुछ नकद एवं ज़मीन देने की पेशकश की, जिसको इन्होंने अस्वीकार कर दिया। हमीदुद्दीन नागौरी समंवयवादी थे इन्होंने भारतीय वातावरण के अनुरूप सूफी आन्दोलन को आगे को आगे बढ़ाया। नागौर में चिश्ती सम्प्रदाय के इस सूफी संत की मजार आज भी याद दिला रही है। इस मजार पर मुहम्मद बिन तुग़लक़ ने एक गुम्बद का निर्माण करवाया था जो 1330 ई. में बनकर पूर्ण हुआ। नागौर को सूफी मत के केन्द्र के रूप में पुनर्स्थापित करने की दिशा में यहाँ के सूफी संत ख्वाजा मखदूम हुसैन नागौरी (15वीं शताब्दी) का नाम उल्लेखनीय है। 16 वीं शताब्दी में नागौर में राजपूत शाक्ति के उदय के बावजूद भी नागौर सूफी सम्प्रदाय का केन्द्र बना रहा। अकबर के दरबारी शेख मुबारक के पिता एवं अबुल फ़जल के दादा शेख ख़िज़्र नागौर में ही आकर बस गये थे। नागौर की प्राचीन इमारतों में अतारिकिन का विशाल दरवाज़ा प्रसिद्ध है, जिसे 1230 ई. में इल्तुतमिश ने बनवाया था। जाटों का रोम[संपादित करें]नागौर को जाटों का रोम(Rome,Italy) कहा जाता है । यह मुख्य रूप से नागवंशी , और महान संतों और सुधारकों से बड़ी संख्या में जाट कुलों की उत्पत्ति का स्थान है ।
जाट इतिहास[संपादित करें]संत श्री कान्हाराम ने लिखा है कि.... नागौर नागों की मूल राजधानी रही है। प्राचीन काल में यहाँ पानी की झील थी। जिसमें नागवंशियों का जलमहल था। पहले शिशुनाग (शेषनाग) और बाद में वासुकि नाग यहाँ राजा था। शिशुनाग जलमहल में निवास करता था। ईसा की चौथी शताब्दी में यहाँ नागों द्वारा दुर्ग का निर्माण किया गया था। इस दुर्ग का नाम नागदुर्ग। कालांतर में नागदुर्ग शब्द ही नागौर बना। मध्यकाल में नागौर के चारों ओर तीन सौ से चार सौ किमी के क्षेत्र में नाग गणों के गणराज्य फैले हुये थे। नाग+गण = नागाणा । इस क्षेत्र को नागाणा बोला गया। इन गण राज्यों में 99 प्रतिशत नागवंश से निकली जाट शाखा के थे। आज नागौर के चारों और 400-500 किमी तक फैली जाट जाति अकारण नहीं है। इसका ठोस कारण प्राचीन गणराज्य है। नागौर कई बार बसा और उजड़ा, उजड़ने के कारण इसका नाम नापट्टन भी पड़ा। नागौर किले का माही दरवाजा भी नागवंशी परंपरा का उदाहरण है। इसके प्रस्तर खंडों पर नाग-छत्र बना हुआ है। नागौर का एक नाम अहिछत्रपुर भी है जिसका उल्लेख महाभारत में है। महाभारत युद्ध में अहिछत्रपुर के राजाओं ने भी भाग लिया था। अहिछत्रपुर का अर्थ है 'नागों की छत्रछाया में बसा हुआ पुर (नगर)'। यहाँ नागौर की धरती पर नाग वंश की जाट शाखा के राव पदवी धारी जाटों ने 200 वर्ष तक राज किया था। पर्यटन[संपादित करें]
नागौर जिले में धार्मिक स्थल[संपादित करें]
वन, वनस्पति और जीव[संपादित करें]नागौर जिला वन संसाधनों में गरीब है। पहाड़ियों सहित कुल क्षेत्रफल 240.92 किमी 2 बताया गया है , जो जिले के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 1.3 प्रतिशत है। कम वर्षा और अन्य भौगोलिक बाधाएं इसके लिए जिम्मेदार हैं। कम रेत के टीलों पर उगने वाली कम जड़ी-बूटियों और घास को छोड़कर जिले का पश्चिमी भाग प्राकृतिक वनस्पति आवरण से विभाजित है। हालाँकि, जिले के दक्षिण-पूर्वी भाग और लाडनूं और डीडवाना की उत्तरी तहसील के हिस्से में जिले के उत्तर-पश्चिम भाग की तुलना में बहुत अधिक हरियाली है। खेज्रीकपेड़ आमतौर पर जिले में पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों का उपयोग चारे के रूप में किया जाता है। यह गोंद भी देता है। व्यावसायिक महत्व के अलावा इस पेड़ को पवित्र माना जाता है। मिट्टी के कटाव को रोकने में भी पेड़ महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जिले में पाई जाने वाली अन्य सामान्य प्रजातियाँ बाबुल , नीम , शीशम , पीपल , रोहिरा , कलसी, धनगूड, अकरा आदि हैं। रोहिरा और शीशम के पेड़ लकड़ी प्रदान करते हैं और फर्नीचर बनाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। धनगूड का प्रयोग आमतौर पर चारपाई बनाने के लिए किया जाता है। एक सामान्य झाड़ी-कोहरा इसकी जड़ों और टहनियों से निर्माण सामग्री प्रदान करता है। भूगोल[संपादित करें]नागौर 27.2°N 73.73°E पर स्थित है । इसकी औसत ऊंचाई ३०२ मीटर (९९० फीट) है। नागौर सात जिलों बीकानेर, चुरू, सीकर, जयपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर के बीच स्थित है। नागौर 17,718 किमी 2 (6,841 वर्ग मील) में फैले विशाल भूभाग के साथ राजस्थान का पांचवा सबसे बड़ा जिला है, इसका भौगोलिक विस्तार मैदान, पहाड़ियों, रेत के टीले का एक अच्छा संयोजन है और इस तरह यह महान भारतीय थार रेगिस्तान का एक हिस्सा है। जलवायु[संपादित करें]गर्म गर्मी के साथ नागौर का मौसम शुष्क रहता है। गर्मियों में रेत के तूफान आम हैं। जिले की जलवायु अत्यधिक शुष्कता, तापमान के बड़े बदलाव और अत्यधिक अनियमित वर्षा पैटर्न द्वारा चिह्नित है। जिले में अधिकतम तापमान 117F दर्ज किया गया है जिसमें 32F न्यूनतम दर्ज किया गया तापमान है। जिले का औसत तापमान 74 °F (23 °C) है। सर्दियों का मौसम नवंबर के मध्य से मार्च की शुरुआत तक रहता है। बारिश का मौसम अपेक्षाकृत छोटा होता है, जो जुलाई से मध्य सितंबर तक होता है। जिले में दस रैंगेज स्टेशन हैं, अर्थात् - नागौर, खिनवसर, डीडवाना, मेड़ता, पर्वतसर, मकराना, नवा, जयल, डेगाना और लाडनूं। जिले में औसत वर्षा 36.16 सेमी और 59% सापेक्ष आर्द्रता है। जनसंख्या और क्षेत्र[संपादित करें]जिले में 1624 राजस्व सम्पदा (गांव) शामिल हैं, जिनमें से मेड़ता, डीडवाना, मकराना, परबतसर और कुचामन जिले के प्रमुख शहर हैं। जिले का कुल क्षेत्रफल 17,718 वर्ग किमी है, जिसमें से 17,448.5 वर्ग किमी ग्रामीण और 269.5 वर्ग किमी शहरी है। 2011 की जनगणना के अनुसार, जिले की जनसंख्या 33,07,743 (6,37,204 शहरी और 26,70,539 ग्रामीण आबादी) है, जो राज्य की कुल जनसंख्या का 4.82% है और जनसंख्या की दशकीय वृद्धि 19.20% (2001-2011) है। ) पूरे राजस्थान के 200 के मुकाबले जिले में जनसंख्या का घनत्व 187 है। जिले के 17,58,624 व्यक्ति साक्षर हैं, जिनमें से 13,75,421 ग्रामीण और 3,83,203 शहरी हैं, जो इसे कुल जनसंख्या का 62.80% बनाता है। इस साक्षर जनसंख्या में 77.20% पुरुष और 47.80% महिलाएं हैं।
नागौर मेला[संपादित करें]नागौर पशु मेला-[संपादित करें]यह पशु मेले के दौरान भारी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है जिसे नागौर पशु मेला, नागौर के नाम से जाना जाता है।
आवागमन[संपादित करें]हवाई अड्डासबसे नजदीकी हवाई अड्डा जोधपुर विमानक्षेत्र है। यह जगह नागौर से 135 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रेल मार्गनागौर का सबसे बङा रेल्वे स्टेशन मेड़तारोड़ का है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन नागौर में है। सड़क मार्गनागौर के लिए सीधी बस-सेवा है। दिल्ली, अहमदाबाद, अजमेर, आगरा, जयपुर, जैसलमैर और उदयपुर से बस-सेवा की सुविधा उपलब्ध है। पुरातत्व रुचि के स्थान[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
नागौर जिले में टोटल कितने गांव है?नागौर जिले में 1607 गांव है।
नागौर जिले की सबसे बड़ी तहसील कौनसी है?नागौर जिला. नागौर की प्रसिद्ध मिठाई कौन सी है?मिठाई के थे शौकिन, नागौर आगमन पर की थी रसमाधुरी की तारीफ
' मित्तल परिवार ने बताया कि यह नागौर की खास मिठाई रसमाधुरी है। उन्होंने रसमाधुरी की खूब तारीफ की।
नागौर जिले का पुराना नाम क्या है?नागौर का एक नाम अहिछत्रपुर भी है जिसका उल्लेख महाभारत में है। महाभारत युद्ध में अहिछत्रपुर के राजाओं ने भी भाग लिया था।
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