मापनी को व्यक्त करने की कितनी विधियां है *? - maapanee ko vyakt karane kee kitanee vidhiyaan hai *?

मापनी को निर्धारित करने की विभिन्न विधियाँ वायव फोटो की व्याख्या के लिए क्षेत्रों एवं उनकी लम्बाइयों के विषय में जानकारी आवश्यक होती है, जिसके लिए फोटो की मापनी की जानकारी अवश्य होनी चाहिए। वायव फोटो की मापनी की संकल्पना मानचित्रों की मापनी के समान ही है। वायंव फोटों पर किन्हीं दो स्थानों के बीच की दूरी एवं उनकी वास्तविक धरातल पर दूरी के मध्य अनुपात को मापक कहते हैं। इसे इकाई समतुल्यता के रूप में अभिव्यक्त किया जा सकता है; जैसे 1 =1,000 फुट या 12,000 इंच या निरूपक भिन्न 1/12,000. वायव फोटो की मापनी को निर्धारित करने की निम्नलिखित तीन विधियाँ प्रयोग में लाई जाती हैं

(1) प्रथम विधि : फोटो एवं धरातलीय दूरी के मध्य सम्बन्ध स्थापित करना
यह विधि तब उपयोगी होती है जब वायव फोटो में कोई अतिरिक्त जानकारी उपलब्ध है; जैसे—धरातल पर दो पहचानने योग्य बिन्दुओं की दूरी, तो एक ऊर्ध्वाधर फोटो की मापनी सरलता से प्राप्त हो जाती है। यदि वायव फोटो पर मापी गई दूरी (Dp) के साथ धरातल (Dg) की संगत से दूरी ज्ञात हो तो वायव फोटो की मापनी को इन दोनों के अनुपात अर्थात् Dp/Dg में मापा जाएगा।

(2) द्वितीय विधि : फोटो दूरी एवं मानचित्र दूरी में सम्बन्ध स्थापित करना
विधि का उपयोग तब किया जाता है जब जिस क्षेत्र के फोटो में मापनी की गणना करनी है उस क्षेत्र को मानचित्र उपलब्ध हो। दूसरे शब्दों में, मानचित्र एवं वायव फोटो पर पहचाने जाने वाले दो बिन्दुओं के बीच की दूरी हमें वायव फोटो (Sp) की मापनी की गणना करने में सहायता प्रदान करती है। इन दोनों दूरियों के बीच के सम्बन्ध को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है
(फोटो मापनी : मानचित्र मापनी) (फोटो दूरी : मानचित्र दूरी)
अतएव
फोटो मापनी (Sp) = फोटो दूरी (Dp) : मानचित्र दूरी (Dm) x मानचित्र मापनी कारक (mst)

(3) तृतीय विधि : फोकस दूरी (f) एवं वायुयान की उड़ान ऊँचाई (H) के बीच सम्बन्ध स्थापित करना
चित्र के अनुसार ऊर्ध्वाधर फोटो में कैमरे की फोकस दूरी (f) तथा वायुयान की उड़ान (H) को सीमान्त जानकारी के रूप में लिया जाता है।
फोटो मापनी सूत्र को ज्ञात करने के लिए चित्र का उपयोग निम्न प्रकार से किया जा सकता है
फोकस दूरी (f) : उड़ान ऊँचाई (H) = फोटो दूरी (Dp) : धरातलीय दूरी (Dg)

इसे सुनेंरोकेंमानचित्र में प्रदर्शित किन्ही दो बिन्दुओं के बीच की दूरी तथा उन बिन्दुओं के बीच की धरातल पर वास्तविक दूरी के मध्य के अनुपात को उस मानचित्र की मपनी कहतें हैं। Explanation: मापनी विधियों में निर्धारण मापनी, सामाजिक दूरी मापनी, अभिवृति मापनी, मूल्य-मापनी आदि मुख्य रूप से आती है। …

सरल मापनी कैसे बनाते हैं?

इसे सुनेंरोकेंअब सरल मापनी बनाने के लिये 6 इन्च लम्बी एक सरल रेखा खींचिये तथा इसे 6 समान भागों में विभाजित कीजिये। यह रेखा धरातल के 30 मील को प्रदर्शित करती है अत: इसका प्रत्येक प्राथमिक भाग 5 मील की दूरी प्रदर्शित करेगा। बायीं ओर के पहले भाग को 5 गौण भागों में विभाजित कीजिये। प्रत्येक गौण भाग 1 मील की दूरी प्रदर्शित करेगा।

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मापनी क्या है मापनी व्यक्त करने की विधि विस्तार से लिखो?

इसे सुनेंरोकेंदूसरे शब्दों में, मापनी, मानचित्र पर दिखाए गए संपूर्ण पृथ्वी या इसके किसी आंशिक भाग के साथ मानचित्र के संबंध को दर्शाता है। इस संबंध को मानचित्र पर किन्हीं दो स्थानों के बीच की दूरी एवं धरातल पर उन्हीं दोनों स्थानों के बीच की वास्तविक दूरी के अनुपात के रूप में भी व्यक्त कर सकते हैं।

सिंपल स्केल क्या है?

सरल या सादा तराजू: वे दो इकाइयों या एक इकाई और उसके उप-विभाजन तक पढ़ते हैं या मापते हैं , उदाहरण के लिए सेंटीमीटर (सेमी) और मिलीमीटर (मिमी)। जब पहले दशमलव तक माप की आवश्यकता होती है, उदाहरण के लिए 2.3 मीटर या 4.6 सेमी आदि।

साधारण मापनी पर कितनी ना पर दिखाई जा सकती हैं?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर–प्रथम, साधारण मापक में एक साथ माप की केवल दो इकाइयाँ ही प्रकट की जा सकती हैं, जबकि विकर्ण मापक में नाप की तीन इकाइयाँ एक साथ प्रदर्शित की जा सकती हैं। द्वितीय, साधारण मापक में इकाई के दसवें भाग तक ही प्रकट किया जा सकता है, जबकि विकर्ण मापक में इकाई के सौवें भाग तक की सूक्ष्म दूरी पढ़ी जा सकती है।

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सरल मापनी क्या है?

इसे सुनेंरोकें(3) सरल मापनी ( Plain Scale ) – इसके बाद छोटी दूरियों को पढ़ने के लिए मापनी के बाईं ओर के प्रथम प्राथमिक भाग को समान गौण भागों (Secondary Divisions) में बाँट दिया जाता है जो धरातल की छोटी दूरियों को दर्शाते हैं। रेखा के प्राथमिक एवं गौण भागों पर धरातलीय दूरियों को अंकित किया जाता है।

मापनी को निर्धारित करने की विभिन्न विधियां कौन कौन सी है?

Solution

  • प्रथम विधि – फोटो एवं धरातलीय दूरी के बीच संबंध स्थापित करना : यदि वायव फोटो में कोई अतिरिक्त जानकारी उपलब्ध है, जैसे-धरातल पर दो।
  • द्वितीय विधि – फोटो दूरी एवं मानचित्र दूरी में संबंध स्थापित करना : धरातल पर विभिन्न बिंदुओं के बीच की दूरी हमेशा ज्ञात नहीं होती है।

निरूपक भिन्न विधि को सार्वत्रिक विधि क्यों कहा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर- प्र० 2 (i) का उत्तर देखें। उत्तर- निरूपक भिन्न विधि को सार्वत्रिक विधि कहे जाने के कारण- निरूपक भिन्न मानचित्र पर दी गई दूरी तथा धरातल पर उन्हीं दूरियों के बीच के अनुपात को व्यक्त करती है। मापनी में व्यक्त इकाइयों के उपयोग ने इस विधि को सबसे उपयुक्त बना दिया है।

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स्केल कितने प्रकार के होते हैं?

Full size scale | समान्य पैमाना

  • Reducing scale | छोटी माप के लिए पैमाना
  • Enlarging scale | बड़ी माप के लिए पैमाना
  • मापन क्या है परिभाषा?

    इसे सुनेंरोकेंकिसी भौतिक राशि का परिमाण संख्याओं में व्यक्त करने को मापन कहा जाता है। मापन मूलतः तुलना करने की एक प्रक्रिया है। इसमें किसी भौतिक राशि की मात्रा की तुलना एक पूर्वनिर्धारित मात्रा से की जाती है। इस पूर्वनिर्धारित मात्रा को उस राशि-विशेष के लिये मात्रक कहा जाता है।

    मापनी व्यक्त करने की विधियां कौन कौन सी है?

    मापनी व्यक्त करने की तीन विधियाँ है.
    कथन विधी.
    आलेखी विधी.
    निरूपक भिऩन विधी (R.F.).

    मापने की कितनी विधियां है?

    मापनी विधियों में निर्धारण मापनी, सामाजिक दूरी मापनी, अभिवृति मापनी, मूल्य-मापनी आदि मुख्य रूप से आती है।

    मापन कितने प्रकार के होते हैं?

    मापन के ये चार स्तर (प्रकार)-.
    नामित मापन (Nominal Measurement),.
    क्रमित मापन (Ordinal Measurement),.
    अन्तरित मापन (Interval Measurement), तथा.
    अनुपातिक मापन (Ratio Measurement) है।.

    साधारण मापनी पर कितने प्रकार के माप दिखाए जा सकते हैं?

    1. साधारण मापक-यह सबसे सरल मापक है। इस मापक में दो इकाइयाँ एक साथ प्रदर्शित की जाती हैं; जैसे–मील एवं फर्लाग, गज एवं फुट, किमी एवं हेक्टोमीटर तथा डेकामीटर एवं मीटर आदि।