मनरेगा को 100 दिन रोजगार योजना क्यों कहते हैं - manarega ko 100 din rojagaar yojana kyon kahate hain

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा / MNREGA) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे2 oct 2009 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया। यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है जो प्रतिदिन 220 रुपये की सांविधिक न्यूनतम मजदूरी पर सार्वजनिक कार्य-सम्बंधित अकुशल मजदूरी करने के लिए तैयार हैं। 2010-11 वित्तीय वर्ष में इस योजना के लिए केंद्र सरकार का परिव्यय 40,100 करोड़ रुपए था।

मनरेगा को “वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा में वृद्धि के उद्देश्य से शुरू किया गया था, जिनके वयस्क सदस्य अकुशल मैन्युअल काम करने के लिए स्वयंसेवक हैं”। मनरेगा का एक अन्य उद्देश्य है टिकाऊ संपत्तियां बनाना (जैसे सड़कों, नहरों, तालाबों और कुएं)। आवेदक के निवास के 5 किमी के भीतर रोजगार प्रदान किया जाना है, और न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाना है। यदि आवेदन करने के 15 दिनों के भीतर काम प्रदान नहीं किया जाता है, तो आवेदक बेरोजगारी भत्ता के हकदार हैं। इस प्रकार, मनरेगा के तहत रोजगार एक कानूनी हकदार है।

मनरेगा मुख्य रूप से ग्राम पंचायतों (जीपी) द्वारा लागू किया जाना है। ठेकेदारों की भागीदारी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जल संचयन, सूखा राहत, और बाढ़ नियंत्रण के लिए आधारभूत संरचना बनाने जैसे श्रम-केंद्रित कार्यों को प्राथमिकता दी जाती है।

लाभार्थी:

ग्रामीण अकुशल व्यस्क

लाभ:

क वित्तीय वर्ष के भीतर 100 दिन गारंटीकृत भुगतान कार्य

आवेदन कैसे करें

एक इच्छुक अपने संबंधित ब्लॉक में इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। उन्हें केवल आधार कार्ड और बैंक खाते के विवरण की आवश्यकता होती है, दस्तावेजों को जमा करने के बाद उन्हें नौकरी कार्ड मिलेगा और अब वे मनरेगा के तहत नौकरी पाने में सक्षम होंगे।

केंद्रसरकार की ओर से चलाई जा रही महात्मा गांधी नरेगा योजना पर आश्रित रहने वाले श्रमिकों को अब सीमित रोजगार की जगह पूरे साल यानि 365 दिन तक रोजगार दिलवाने के उद्देश्य से उन्हें खास तरह की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसको लेकर हाल ही में 24 जून को शासन सचिवालय ने आदेश जारी करते हुए वर्ष 2014-15 में 100 दिन का रोजगार पूरा करने वाले श्रमिकों का चयन करने के निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार की ओर से ग्रामीण इलाकों में मनरेगा पर आश्रित ऐसे श्रमिकों के कौशल विकास के लिए ‘प्रोजेक्ट लाइफ’ नाम से योजना तैयार की गई है। इसके सौ दिन पूरा करने वाले श्रमिक जिस काम में उसकी रुचि है उसके लिए सरकार उन्हें ट्रेनिंग दिलवाएगी। इसको लेकर ब्लॉकवार ग्राम पंचायत वार श्रमिकों का सर्वे कर उनसे उनकी रुचि वाले कार्य पूछे जाएंगे।

ग्रामरोजगार सहायक करेंगे सर्वे : जिलेमें कार्यरत ग्राम रोजगार सहायक या जहां रोजगार सहायक नहीं हैं वहां कनिष्ट लिपिक प्रोजेक्ट लाइफ के संबंध में निर्धारित प्रपत्र में प्रत्येक योग्य परिवार का घर-घर जाकर युवक-युवतियों को सभी प्रशिक्षण के विकल्प समझाते हुए एक सप्ताह में यानि 15 जुलाई तक सर्वे करेंगे। इसके बाद 20 जुलाई तक सर्वे प्रपत्रों की नरेगा सॉफ्ट पर फीडिंग अपलोडिंग की जाएगी। वहीं योग्य श्रेणी के युवाओं को जुटाने, उनकी काउंसलिंग में प्रशिक्षण से संबंधित कार्य योजना तैयार करने प्रशिक्षण में पूर्ण सहयोग करेंगे। सभी ग्राम रोजगार सहायक कार्यक्रम अधिकारी की ओर से आयोजित प्रशिक्षण में निश्चित रूप से भाग लेंगे। उन्हें एक दिन में कम से कम 5 परिवारों का सर्वे प्रपत्र भरते हुए पंचायत का सर्वेक्षण निर्धारित समय में पूरा करना होगा।

प्रोजेक्टको लेकर वर्कशॉप का आयोजन

प्रोजेक्टलाइफ मनरेगा को लेकर गुरुवार को कलेक्ट्रेट सभागार में पंचायत समिति के सभी बीडीओ एमआईएस मैनेजर कंप्यूटर ऑपरेटर्स की वर्कशॉप आयोजित की गई। इस दौरान सीईओ जवाहर चौधरी एक्सईएन मनरेगा हरिकिशन ने प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देते हुए सर्वे की प्रक्रिया और श्रमिकों के चयन को लेकर आवश्यक जानकारी दी। साथ ही प्रोजेक्ट का सर्वे सही ढंग से करने की बात कही। इस मौके प्रशिक्षण समन्वयक आईईसी कॉर्डिनेटर वोराराम जीनगर, एमआईएस मैनेजर दिनेश चौधरी, जसवंतपुरा बीडीओ राकेश पुरोहित, सायला बीडीओ गोपालसिंह, रानीवाड़ा बीडीओ कुंदनमल, जालोर बीडीओ सुखराम विश्नोई, भीनमाल बीडीओ प्रदीप मायला आहोर बीडीओ बाबूसिंह राजपुरोहित सहित नरेगा शाखा के अधिकारी कार्मिक मौजूद थे।

इनको दी जाएगी ट्रेनिंग

मनरेगाके तहत वित्तीय वर्ष में 100 दिन का कार्य पूरा करने वाले परिवार के इच्छुक युवा सदस्यों में से एक सदस्य को ट्रेनिंग दी जाएगी। जिसकी उम्र 18 से 35 वर्ष हो, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति महिला सदस्य की अधिकतम उम्र सीमा 45 वर्ष तय की है। यह सूची मनरेगा के सॉफ्ट नामक साइट पर उपलब्ध है प्रत्येक ब्लॉक के लिए ग्राम पंचायतवार डाउनलोड की जा सकेगी। युवा सदस्य की शैक्षणिक योग्यता (अगर कोई हो तो) की जानकारी किस प्रकार के कौशल विकास के लिए वह इच्छुक हैं की जानकारी के लिए परिवार वार सर्वे प्रपत्र तैयार किया गया है जो नरेगा सॉफ्ट एमआईएस पर उपलब्ध है।

केंद्रकी अच्छी योजना

^वित्तीयवर्ष 2014-15 में 100 दिन का रोजगार पूरा करने वाले मनरेगा श्रमिकों के लिए प्रोजेक्ट लाइफ योजना शुरू की गई है। इससे नरेगा पर आश्रित रहने वाले श्रमिकों का चयन कर उनकी रुचि के अनुसार प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। जिससे सीमित रोजगार की जगह उन्हें पूरे साल भर का रोजगार मिल सके। इसके लिए मनरेगा के सभी अधिकारियों कार्मिकों को प्रशिक्षण दिया गया है। इसके बाद पंचायत स्तर पर रोजगार सहायक घर-घर जाकर सर्वे कर श्रमिकों का चयन करेंगे। -जवाहरचौधरी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद जालोर

क्या है योजना का मुख्य उद्देश्य

ऐसेपरिवार जिन्होंने वित्तीय वर्ष 2014-15 में मनरेगा के तहत 100 दिन का कार्य किया है, उनमें से एक इच्छुक युवा सदस्य का चयन कर उसे ट्रेनिंग देकर ट्रेंड किया जाएगा। ऐसे श्रमिकों ग्रुप बनाकर उन्हें यांत्रिक कृषि तकनीक या निर्माण कार्यों को समूह में कार्य करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके अलावा अगर परिवार अपनी निजी भूमि पर सामूहिक रूप से सिंचाई, कृषि या बागवानी का प्रबंधन कर अपनी जमीन की उत्पादकता बढ़ाना चाहता है तो उन्हें उसके लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। रोजगार के लिए प्रशिक्षण दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के तहत दिया जाएगा। जबकि स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण आरएसर्अटीआई के तहत राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की ओर से कार्य-योजना तैयार कर श्रमिकों को ग्रुप में संगठित कर प्रशिक्षित करना योजना का मुख्य उद्देश्य रहेगा।

जालोर. मनरेगाकी प्रोजेक्ट लाइफ योजना के बारे में विकास अधिकारियों कार्मिकों को जानकारी देते सीईओ एक्सईएन।