✹ भारत में प्रमाणीकरण चिन्ह का अध्धयन :-भारत में राज्य द्वारा लागू प्रमाणीकरण चिन्ह निम्नलिखित प्रकार है - Show
1. आई एस आई चिन्ह ( ISI Mark ) :-भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करने वाले औद्योगिक उत्पादों पर लगाया जाता है । 2. एफपीओ चिन्ह ( FPO Mark ) :-भारत में प्रसंस्कृत सभी फल उत्पादों पर इस चिन्ह का लगाया जाना अनिवार्य है जो यह प्रमाणित करता है कि यह उत्पाद स्वच्छ "खाद्य-सुरक्षित" वातावरण में विनिर्मित किया गया है । 3. एगमार्क ( Agmark ) :-सभी खाद्य कृषि उत्पादों पर लगाया जाता है । 4. भारत स्टेज चिन्ह :-भारत स्टेज उत्सर्जन मानकों के अनुसार विनिर्मित ऑटोमोबाइल वाहनों पर यह प्रमाणित करने के लिए लगाया जाता है कि यह वाहन इस सीमा तक प्रदूषण नहीं फैलाता है । 5. बीआईएस हॉलमार्क :-स्वर्ण आभूषणों की परिशुद्धता को प्रमाणित करता है । 6. इंडिया ऑर्गेनिक :-ऐसी कृषि खाद उत्पादों को प्रमाणित करता है , जो ऑर्गेनिक तरीके से नेशनल स्टैंडर्ड फॉर ऑर्गेनिक प्रोडक्टस 2000 के मानकों के अनुसार उत्पादित किए जाते है । 7. इको मार्क ( Ecomark ) :-भारतीय मानव ब्यूरो द्वारा जारी चिंह ऐसे उत्पादों पर लगाया जाता है जो प्रदूषण नहीं फैलाते । India GK की Free PDF यहां से Download करें ✻ भारत में प्रमाणीकरण चिन्ह PDF Downloadपीडीएफ को देखें :-सभी बिषयवार Free PDF यहां से Download करें हिन्दी विषय सूची
मानक भाषा
प्रथम सोपान- 'बोली'पहले स्तर पर भाषा का मूल रूप एक सीमित क्षेत्र में आपसी बोलचाल के रूप में प्रयुक्त होने वाली बोली का होता है, जिसे स्थानीय, आंचलिक अथवा क्षेत्रीय बोली कहा जा सकता है। इसका शब्द भंडार सीमित होता है। कोई नियमित व्याकरण नहीं होता। इसे शिक्षा, आधिकारिक कार्य–व्यवहार अथवा साहित्य का माध्यम नहीं बनाया जा सकता। द्वितीय सोपान- 'भाषा'वही बोली कुछ भौगोलिक, सामाजिक–सांस्कृतिक, राजनीतिक व प्रशासनिक कारणों से अपना क्षेत्र विस्तार कर लेती है, उसका लिखित रूप विकसित होने लगता है और इसी कारण से वह व्याकरणिक साँचे में ढलने लगती है, उसका पत्राचार, शिक्षा, व्यापार, प्रशासन आदि में प्रयोग होने लगता है, तब वह बोली न रहकर 'भाषा' की संज्ञा प्राप्त कर लेती है। तृतीय सोपान- 'मानक भाषा'यह वह स्तर है जब भाषा के प्रयोग का क्षेत्र अत्यधिक विस्तृत हो जाता है। वह एक आदर्श रूप ग्रहण कर लेती है। उसका परिनिष्ठित रूप होता है। उसकी अपनी शैक्षणिक, वाणिज्यिक, साहित्यिक, शास्त्रीय, तकनीकी एवं क़ानूनी शब्दावली होती है। इसी स्थिति में पहुँचकर भाषा 'मानक भाषा' बन जाती है। उसी को 'शुद्ध', 'उच्च–स्तरीय', 'परिमार्जित' आदि भी कहा जाता है।
महत्त्वपूर्ण क़दम
भारतीय हिन्दी परिषदभाषा के सर्वागीण मानकीकरण का प्रश्न सबसे पहले 1950 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग ने ही उठाया। डॉ. धीरेन्द्र वर्मा की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई, जिसमें डॉ. हरदेव बाहरी, डॉ. ब्रजेश्वर शर्मा, डॉ. माता प्रसाद गुप्त आदि सदस्य थे। धीरेन्द्र वर्मा ने 'देवनागरी लिपि चिह्नों में एकरूपता', हरदेव बाहरी ने 'वर्ण विन्यास की समस्या', ब्रजेश्वर शर्मा ने 'हिन्दी व्याकरण' तथा माता प्रसाद गुप्त ने 'हिन्दी शब्द–भंडार का स्थिरीकरण' विषय पर अपने प्रतिवेदन प्रस्तुत किए। केन्द्रीय हिन्दी निदेशालयकेन्द्रीय हिन्दी निदेशालय ने लिपि के मानकीकरण पर अधिक ध्यान दिया और देवनागरी लिपि तथा 'हिन्दी वर्तनी का मानकीकरण' (1983 ई.) का प्रकाशन किया। विश्व हिन्दी सम्मेलनउद्देश्य—संयुक्त राष्ट्र की भाषाओं में हिन्दी को स्थान दिलाना व हिन्दी का प्रचार–प्रसार करना। विश्व हिन्दी सम्मेलन
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख
मानकीकरण क्या है भारत में?Answer: मानकीकरण - तकनीकी मानकों का विकास करना एवं उन पर सहमत होना मानकीकरण कहलाता है।
मानकीकरण का चिन्ह क्या है?आईएसआई (भारतीय मानक ब्यूरो का पिछला नाम), भारत में औद्योगिक उत्पादों के लिए एक प्रमाणीकरण चिह्न है। भारत में बेचे जाने वाले उत्पादों को प्रमाणित करने के लिए आईएसआई चिन्ह अनिवार्य है। आईएसआई संस्थान 6 जनवरी, 1947 को अस्तित्व में आया।
23 वस्तुओं के मानकीकरण का क्या अर्थ है विभिन्न उत्पादों के मानकीकरण को प्रतीक चिन्हों से प्रदर्शित कीजिए?Solution : उत्पादों के मानकीकरण के अंतर्गत सरकार उत्पादों के लिए न्यूनतम मानक को बनाए रखने के लिए आग्रह करती है। यह वस्तुओं के उत्पादन, वितरण तथा बिक्री के मानक, निर्धारित करती है। न्यूनतम मानक बनाए रखने के लिए सरकार ने विभिन्न संस्थाओं की स्थापना की है।
एगमार्क कौन जारी करता है?केन्द्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय ने कृषि उत्पादों के एगमार्क गुणवत्ता प्रमाणीकरण के लिए आवेदनों के प्रसंस्करण के लिए ऑनलाइन सॉफ्टवेर लांच किया है। इसे कृषि मंत्री राधामोहन सिंह द्वारा लांच किया गया। एगमार्क (AGMARK) एक प्रमाणचिह्न है जो भारत में कृषि/खाद्य उत्पादों पदार्थों पर लगाया जाता है।
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