मालती किस कहानी का पात्र है - maalatee kis kahaanee ka paatr hai

इस लेख में आप पढ़ेंगे गोदान के प्रमुख पात्र मालती का चरित्र चित्रण। लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें ताकि इस विषय पर आप गहराई से समझ पा सके।

– प्रेमचंद ने अपने पात्रों के चरित्र पर प्रकाश आरंभ में डाला है।

– दूसरी महिला जो ऊंची एड़ी का जूता पहने हुए हैं , और जिनकी मुख छवि पर हंसी फूटी पड़ी है ‘ मिस मालती ‘ है।

– आप इंग्लैंड से डॉक्टरी पढ़ आई है और अब प्रेक्टिस करती है। आप नवयुग की साक्षात प्रतिमा है , झिझक या संकोच का कहीं नाम नहीं।

मेकअप मे प्रवीण, बला की हाजिरजवाब , पुरुष मनोविज्ञान की अच्छी जानकार।

– वह हंसती है इसलिए कि उसे इसकी भी कीमत मिलती है , उसका चहकना और चमकना इसलिए नहीं कि वह चहकने को ही जीवन समझती है।

बाहर से तितली और भीतर से मधुमक्खी ( मालती का चरित्र )

– उसके पिता लकवा मारने के कारण अपंग हैं , उनकी आय कुछ नहीं है। परिवार में वही जो कुछ अपने डॉक्टरी व्यवसाय से अर्जित करती है उसी से परिवार का काम चलता है , फिर दो – दो बहने हैं जिनके शिक्षा का भार उसी के दुर्बल कंधों पर है।

– कुछ तो व्यस्तता के कारण दिन-रात परिश्रम से थक जाने के कारण तथा कुछ घर के नीरस वातावरण के कारण उसका क्लबों सभा सोसाइटी में जाकर मनोरंजन करना स्वभाविक है।

– वह मेहता के व्यक्तित्व से प्रभावित हो उनसे प्रेम करने लगती है। अपने प्रणय भाव को व्यक्त करती है परंतु मेहता उसकी प्रस्ताव को ठुकरा देता है।

– एक और अपमान का बदला लेने की भावना तथा दूसरी ओर मेहता के प्रति स्पर्धा भाव उत्पन्न हुआ होगा।

– पुरुष जाति से अपमान का बदला लेने तथा मेहता से स्वयं को ऊंचा सिद्ध करने की भावना ने उसके व्यक्तित्व को ‘तितली’ तथा ‘मधुमक्खी’ का समेकित रूप प्रदान किया।

– मालती को तितली कहने के पीछे लेखक का यह भी अभिप्राय है कि वह आधुनिक जागरूक नागरिक है ,स्वाभिमानी है ,चतुर है ,हाजिर जवाब है ,उसके विचार परंपरागत ना होकर आधुनिक है रूढ़ि भंजक है।

– जब ओंकारनाथ सिद्धांत प्रियता की दुहाई देते हैं तो मालती कहती है

” पत्र नहीं चलता तो बंद कर दीजिए अपना पत्र चलाने के लिए आपको विदेशी वस्तुओं के प्रचार का कोई अधिकार नहीं है।

अगर आप मजबूर हैं तो सिद्धांत का ढोंग छोड़िए। “

मेहता जब कहता है 

“मैं जिस आधार पर जीवन भवन खड़ा करना चाहता हूं वह अस्थिर है। ” 

इससे मालती के आत्म सम्मान को ठेस लगती है।

– यह झूठा आरोप है तुमने मुझे सदैव परीक्षा की दृष्टि से देखा है कभी प्रेम की आंखों से नहीं ——मालती

– मुझे वह प्रेम नहीं मिला जो मुझे स्थिर और और चंचल बनाता अगर तुमने मेरे सामने उसी तरह आत्मसमर्पण किया होता , जैसे मैंने तुम्हारे सामने किया है तो तुम आज मुझ पर यह आछेप न रखते।

– यहीं से मालती के जीवन में नया मोड़ आता है, और ‘तितली’ से ‘मधुमक्खी’ बनने की और अग्रसर होती है।

– मालती भारतीय नारी की गौरवशाली परंपरा का अनुकरण करते हुए ‘सेवा’ , ‘त्याग’ का मार्ग अपनाती है।

– आलोचकों ने मालती के इस परिवर्तन को और स्वाभाविक बताया मगर यदि मालती वाचाल होती , तो वह शुरू में ही पिता और बहनों को छोड़कर अपना वैवाहिक जीवन बिता सकती थी।

– अतः प्रेमचंद का मालती के संबंध में यह कथन की मालती “बाहर से तितली और भीतर से मधुमक्खी है” पूर्णता संगत है।

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मालती जोशी
मालती किस कहानी का पात्र है - maalatee kis kahaanee ka paatr hai

राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविंड ने पद्मश्री पुरस्कार को श्रीमती को प्रस्तुत किया।

मालती जोशी एक हिन्दी लेखिका हैं, जिन्हें २०१८ में साहित्य तथा शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदानों के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया।[1]

मालती जोशी का जन्म ४ जून १९३४ को औरंगाबाद में हुआ था। आपने आगरा विश्वविद्यालय से वर्ष १९५६ में हिन्दी विषय से एम.ए. की शिक्षा ग्रहण की। अब तक अनगिनत कहानियां, बाल कथायें व उपन्यास प्रकाशित कर चुकी हैं। इनमें से अनेक रचनाओं का विभिन्न भारतीय व विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी किया जा चुका है। कई कहानियों का रंगमंचन रेडियो व दूर दर्शन पर नाट्य रूपान्तर भी प्रस्तुत किया जा चुका है। कुछ पर जया बच्चन द्वारा दूरदर्शन धारावाहिक सात फेरे का निर्माण किया गया है तथा कुछ कहानियां गुलज़ार के दूरदर्शन धारावाहिक किरदार में तथा भावना धारावाहिक में शामिल की जा चुकी हैं। इन्हें हिन्दी व मराठी की विभिन्न व साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित व पुरस्कृत किया जा चुका है। मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा वर्ष १९९८ के भवभूति अलंकरण सम्मान से विभूषित किया जा चुका है। मालती जोशी जी कि कहानियां मन को छूने वाली होती हैं। अपनी कहानियों के बारे में, वे कहती हैं,

'

जीवन की छोटी-छोटी अनुभूतियों को, स्मरणीय क्षणों को मैं अपनी कहानियों में पिरोती रही हूं। ये अनुभूतियां कभी मेरी अपनी होती हैं कभी मेरे अपनों की। और इन मेरे अपनों की संख्या और परिधि बहुत विस्तृत है। वैसे भी लेखक के लिए आप पर भाव तो रहता ही नहीं है। अपने आसपास बिखरे जगत का सुख-दु:ख उसी का सुख-दु:ख हो जाता है। और शायद इसीलिये मेरी अधिकांश कहानियां "मैं” के साथ शुरू होती हैं।'

मालती जोशी का पता है स्नेहबंध, ५०-दीपक सोसाइटी, चूना भट्टी- कोलार रोड, भोपाल

यह भी देखें[संपादित करें]

  • हिन्दी गद्यकार

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • मालती जोशी (wikisource)
  • मालती जोशी

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "भोपाल की मालती जोशी समेत मप्र की चार हस्तियों को पद्मश्री सम्मान". दैनिक भास्कर. २६ जनवरी २०१८. मूल से 25 फ़रवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 फरवरी 2018.

मालती पात्र क्या है?

मालती जोशी एक हिन्दी लेखिका हैं, जिन्हें २०१८ में साहित्य तथा शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदानों के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविंड ने पद्मश्री पुरस्कार को श्रीमती को प्रस्तुत किया। जीवन की छोटी-छोटी अनुभूतियों को, स्मरणीय क्षणों को मैं अपनी कहानियों में पिरोती रही हूं।

मालती के पति का नाम क्या है?

उत्तर ⇒ महेश्वर मालती का पति है जो एक पहाड़ी गाँव में सरकारी डिस्पेंसरी में डॉक्टर है। उनका जीवन यंत्रवत है।

मालती के पिता का क्या नाम है?

उनके पिता वेंकटचलम और उनके माता का नाम ज्ञानम्बा थामालती अपने माता-पिता की छठी और सबसे छोटी संतान थी।

प्रेमचंद के उपन्यास गोदान में मालती और सरोज का आपस में क्या संबंध है?

'गोदान' की मूल कथा बेशक होरी - धनिया के संघर्षों और पीड़ाओं की ही है। परंतु इस मूल कथा के साथ-साथ उन्होंने अनेक अवांतर कथाओं और प्रकरणों की भी सृष्टि की है, जिनमें नोहरी, झुनिया, सिलिया, चुहिया, मालती, गोविन्दी आदि अनेक नारी चरित्र हमारे सामने आते हैं।