जॉर्ज नथानिएल कर्जन अथवा ये लॉर्ड नही थे (अंग्रेज़ी: George Nathaniel Curzon), ऑर्डर ऑफ़ गेटिस, ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ इंडिया, ऑर्डर ऑफ़ इण्डियन एम्पायर, यूनाइटेड किंगडम के प्रिवी काउंसिल (11 जनवरी 1859 – 20 मार्च 1925), जिन्हें द लॉर्ड कर्जन ऑफ़ केड्लेस्टन 1898 से 1911 के मध्य और द अर्ल कर्जन ऑफ़ केड्लेस्टन 1911 से 1921 तक के नाम से भी जाना जाता है, ब्रिटेन कंजर्वेटिव पार्टी के पूर्व राजनीतिज्ञा थे जो भारत के वायसराय एवं विदेश सचिव बनाये गये थे। सन्दर्भ[संपादित करें]१९०२ में लार्ड कर्जन ने भारतीय विश्वविद्यालय आयोग की नियुक्ति की।
× लार्ड कर्जन ने शासन की कौन सी नीति अपनाई थी?कर्ज़न ने जुलाई 1905 में बंगाल प्रेसीडेंसी के विभाजन की घोषणा की।
कर्जन की कांग्रेस के प्रति क्या नीति थी?लॉर्ड कर्जन. लॉर्ड कर्जन के पतन का क्या कारण था?लॉर्ड कर्जन किसी फौजी व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार एक पद देना चाहता था। उसकी यह बात ब्रिटिश शासन द्वारा अस्वीकार कर दी गई। उसने अपना क्रोध दिखाने तथा शासन पर दबाव बनाने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। लॉर्ड कर्जन ने सोचा था कि उसकी बात मान ली जाएगी लेकिन हुआ इसके विपरीत।
लार्ड कर्जन क्या चाहता था?लॉर्ड कर्जन की विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य था ब्रिटिश साम्राज्यवाद के हितों की सुरक्षा करना. वह एशियाई प्रदेशों पर अपना नियंत्रण बनाए रखना चाहता था, जिससे अन्य कोई शक्ति इनपर अपना प्रभाव कायम नहीं कर सके.
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